Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
अंगूर में घनिष्ट मात्र में पाशक तत्त्व होते हैं जो बढते बच्चों के शारीरक और बौद्धिक विकास के लिए जरुरी है। अंगूर उन कुछ फलों में से एक हैं जो बहुत आसानी से बच्चों को digest हो जाते हैं। जब आपका बच्चा अपच से पीड़ित है तो अंगूर एक उपयुक्त फल है। बच्चे को अंगूर खिलाने से उसके पेट की acidity कम होती है। शिशु आहार baby food
बच्चों को अंगूरों से अनेक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं - जैसे की एंटीऑक्सिडेंट की आपूर्ति, central nervous system की सुरक्षा है। अंगूर बच्चों में natural laxative के रूप में भी काम करती है। यह पचाने में आसान है और श्वसन रोगों का सुधर, रक्त की मात्रा में सुधार और जिगर की रक्षा करता है।
अगर आप ६ महीने के शिशु को अंगूर खिलाना चहते हैं तो आप उसे अंगूर की प्यूरी भी बना के दे सकते हैं।
अंगूर में घनिष्ट मात्र में पाशक तत्त्व होते हैं जो बढते बच्चों के शारीरक और बौद्धिक विकास के लिए जरुरी है। बच्चों को साबूत अंगूर ना दें बल्कि अंगूर को दो टुकड़ों में चाकू से कट के दें। इससे बच्चों के गले में अंगूर के फसने का खतरा नहीं रहता। बच्चों को अंगूर देने से पहले आप अंगूर के छिलके को निकल के भी दे सकती हैं। सही तरीके से आप अंगूर के छिलकों को बहुत आसानी से और तुरंत निकल सकती हैं।
एक कप अंगूर में विटामिन मी मात्र
माना जाता है कि Middle East में 6 से 8 हजार साल पहले अंगूर की खेती की जाती थी। यहां से अंगूर एशिया, मिस्र, यूरोप और अमेरिका के अन्य हिस्सों में फैला। फिलहाल भारत के कई राज्यों में अंगूर का उत्पादन होता है।
हाँ, बच्चे को अंगूर देना सुरक्षित है। लेकिन, कुछ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। केवल मसले (mash) किए हुए अंगूर को बच्चे को दिया जाना चाहिए। खड़ा अंगूर न दें क्योंकि बच्चों के गले में फसने का और इससे घुटन होने का बड़ा खतरा होता है। अगर जरुरी बातों का ख्याल रखें तो आप अपने बच्चे को 6-8 महीने की उम्र से ही अंगूर देना प्रारंभ कर सकती हैं।
बच्चों को अंगूर से होने वाले स्वास्थ्य लाभ - शिशु में अंगूर के फायेदे
बच्चे के आहार और वजन में बढ़ने के अनुपात को अगर आप देखें तो आपको अंदाजा मिल जायेगा की बच्चों को अधिक आहार खाने की आवश्यकता है। बढते बच्चों को ज्यादा आहार की आवश्यकता है। जरुरी पोषक तत्वों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बच्चों का शारीर तजी से आहार को metabolize करता है। मगर तेज़ मेटाबोलिज्म की वजह से बच्चे के शारीर में free radicals का उत्पादन भी तेज़ हो जाता है। Free radicals बच्चों के DNA को को प्रभावित करता है और उसे नुकसान पहुंचता है। अंगूर में प्रचुर मात्र में Antioxidants होता है जो free radicals को बांध देता है और बच्चों के DNA को प्रभावित करने से रूकता है। अंगूर केवल बच्चों के भूक को ही शांत नहीं करता, उन्हें केवल उर्जा ही नहीं देता, बल्कि बच्चों के शारीर में पैदा हो रहे free radicals से भी लड़ता है।
शिशुओं में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र एक विकासशील प्रक्रिया है। जिस तरह आपका बच्चा बढ़ रहा है, उसका तंत्रिका तंत्र भी विकसित हो रहा है। जैसे-जैसे बच्चा उम्र में बढ़ता है, नए न्यूरॉन्स के रूप और नए तंत्रिका कनेक्शन बनते हैं। यह एक नाजुक संतुलन है जो भविष्य में बच्चे की स्मृति और बुद्धि को प्रभावित करता है। बच्चों को अंगूर देकर आप उनके न्यूरॉन्स को क्षति से बचा सकते है और उनके मस्तिष्क की अच्छी स्वस्थ्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
अंगूरों में काफी मात्रा में dietary fiber होते हैं। यह dietary fiber पानी को अवशोषित कर मल को भारी मगर नरम बनाता हैं जिससे bowel movements बहुत आसानी से होती हैं।
अंगूर उन कुछ फलों में से एक हैं जो बहुत आसानी से बच्चों को digest हो जाते हैं। जब आपका बच्चा अपच से पीड़ित है तो अंगूर एक उपयुक्त फल है। बच्चे को अंगूर खिलाने से उसके पेट की acidity कम होती है।
बच्चों और शिशुओं में शीतल रोगों से संक्रमित होने की सम्भावना ज्यादा होती है जैसे की आम सर्दी, खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस। अपने बच्चे को अंगूर देना अस्थमा जैसे रोगों के लिए एक अच्छा उपाय है।
रक्त की गुणवत्ता हीमोग्लोबिन के स्तर को दर्शाती है और रक्त गणना लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को दर्शाती है। अंगूरों को नियमित रूप से शिशुओं और बच्च कों देने से उनमे हीमोग्लोबिन का स्तर बढता है और लाल रक्त कोशिकाओं में सुधार होता है।
अंगूर यकृत के उत्तेजक के रूप में कार्य करते हैं और इसे ठीक कर देते हैं। जिगर की उत्तेजना से जिगर की गतिविधि और पित्त स्राव में वृद्धि होती है। पित्त स्राव पाचन में एक आवश्यक कदम है
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