Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी से बना शिशु आहार (baby food) बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।

रागी में भरपूर कैल्शियम होता है इसीलिए रागी का डोसा छोटे बच्चों के लिए एक अच्छा आहार है। कैल्शियम बच्चों के हड्डियोँ के विकास के लिए बहुत अच्छा है। चावल की तुलना में इसमें ज्यादा फाइबर होता है जो पाचन के लिए अच्छा है। रागी आयरन का भी अच्छा स्रोत है और इसमें विटामिन C भी होता है। विटामिन C शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद करता है। रागी मैं मौजूद एमिनो एसिड एंटीऑक्सीडेंट शरीर को स्वाभाविक रूप से आराम देने में मदद करता है।
भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी के बहुत सारे व्यंजन बनते हैं। जैसे की रागी-का-लड्डू, रागी खीर, रागी हलवा, और भी अनेक तरह के व्यंजन।
आज के युग में बदलते रहन-सहन के कारण बच्चों में गेहूं से एलेर्जी की समस्या एक आम बात हो गयी है। गेहूं में gluten होता है जिसे हिंदी में लस कहते हैं। ग्लूटेन ही मुख्या कारण है बच्चों में गेहूं के प्रति एलेर्जी के लिए। गेहूं ही अकेला नहीं है, और भी बहुत सारे अनाज हैं जिनमे ग्लूटेन पाया जाता है। मगर रागी एक ऐसा आनाज है जिसमें ग्लूटेन नहीं होता है। इस वजह से रागी एक शिशु के लिए एकदम सुरक्षित आहार है।
दक्षिण भारत में जहाँ रागी व्यापक रूप से आहार के रूप में इस्तेमाल होता है वहां एक प्रथा आम है। प्रथा ये है की दक्षिण भारत में 28 दिन के जन्मे बच्चे को उसके नामकरण के दिन रागी का दलीय खिलाया जाता है। लोगों का यह विश्वास है की रागी बच्चों के पाचन तंत्र को बेहतर बनता है। मगर सावधान, शिशु को 6 महीने से पहले स्तनपान के आलावा कुछ भी नहीं खिलाना चाहिए - यहां तक की शिशु को 6 महीने से पहले पानी देना भी हानिकारक है। भारत के कुछ हिस्सों में बच्चे को शहद देने की प्रथा है। ध्यान रहे की बच्चे को 6 महीने से पहले तो क्या बच्चे को दो साल तक शहद नहीं देना चाहिए। शहद बनता है फूलों के nectar और मधुमखियों के थूक के मिलने से। इसमें ऐसे कीटाणुन पनपते हैं जो बड़ों का तो कुछ भी अहित नहीं कर सकते हैं पर बच्चों के लिए खतरनाक है। विश्व भर में ऐसे बहुत से मामले प्रकाश में आये हैं जहाँ शहद बच्चे के लिए जानलेवा साबित हुआ है या फिर बच्चे को आजीवन तकलीफ (शारीरिक विकृति) का सामना करना पड़ा है क्योँकि बच्चे को दो साल से पहले शहद चखाया गया था। शहद के बहुत से फायदे हैं, मगर तभी जब बच्चा दो साल का हो जाये। चाहे शहद हो या रागी, बच्चे को ६ महीने से पहले न दें। संस्कृति हमारी धरोहर हैं, उसका सम्मान, उसकी रक्षा करना, हमारा कर्त्तव्य है, मगर कुछ रीती रिवाजों के कारण बच्चो की जिंदगी को दावं पे लगाना - कहाँ तक उचित है। बच्चे की जान से खेलने का अधिकार सवयं माँ-बाप को भी नहीं है। बच्चा एक ऐसा मूल्यवान तोफा है जिसे परम परमेश्वर ने माँ-बाप को एक जिम्मेदारी की तरह दिया है। बच्चे की स्वस्थ की रक्षा करना माँ-बाप की जिम्मेदारी है।
भारत में रागी को आम तौर पे शिशु आहार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसे गर्भवती महिलायों को भी खाने को दिया जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और आयरन, और कुछ विशेष प्रकार के एमिनो एसिड्स (amino acids) भी पाए जाते हैं। रागी से बना आहार बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।
बढ़ते बच्चों को रागी से बने आहार से अच्छी मात्रा में कैल्शियम मिल जाता है जो की उनके शरीर में हड्डियोँ के विकास में बहुत कारगर साबित होता है। बच्चों का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है। ऐसे मैं रागी पाचन में उनकी मदद करता है क्योँकि रागी में अच्छी मात्रा मैं फाइबर होता है जो पाचन में सहायता करता है।
रागी प्राकृतिक आयरन का भी अच्छा स्रोत है। बच्चों के शरीर में आयरन लाल रक्त कोशिकाओं के बनने मैं मदद करता है। रागी में विटामिन C मदद करता है। रागी में आयरन और विटामिन C दोनों मौजूद हैं, इस वजह से रागी से आयरन बच्चों के शरीर को सरलता से मिल जाता है। यह कहना ज्यादा उपयुक्त रहेगा की रागी से शिशु के शरीर में आयरन अधिक अवशोषित होता है। रागी के साथ आप बच्चे को ऐसी सब्जियां दे सकते हैं जिनमे विटामिन C होता है। इससे रागी से बना शिशु आहार बच्चे के लिए ज्यादा फायदेमंद हो जाता है।
रागी में पर्याप्त मात्रा में एमिनो एसिड्स (amino acids) और एंटीऑक्सिडेंट्स (antioxidants) भी होता है। ये दोनों ही स्वाभाविक रूप से मानसिक आराम देने में मदद करते हैं। रागी बड़ो के लिए भी फायदेमंद है। ये बड़ों को चिंता, अनिंद्रा, और अवसाद जैसे रोगों से निजात दिलाता है। बच्चों के तेज़ी से विकाशील दिमाग पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है।
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हर मां बाप अपनी तरफ से भरसक प्रयास करते हैं कि अपने बच्चों को वह सभी आहार प्रदान करें जिससे उनके बच्चे के शारीरिक आवश्यकता के अनुसार सभी पोषक तत्व मिल सके। पोषण से भरपूर आहार शिशु को सेहतमंद रखते हैं। लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों को देखें तो यह पता चलता है कि भारत में शिशु के भरपेट आहार करने के बावजूद भी वे पोषित रह जाते हैं। इसीलिए अगर आप अपने शिशु को भरपेट भोजन कराते हैं तो भी पता लगाने की आवश्यकता है कि आपके बच्चे को उसके आहार से सभी पोषक तत्व मिल पा रहे हैं या नहीं। अगर इस बात का पता चल जाए तो मुझे विश्वास है कि आप अपने शिशु को पोषक तत्वों से युक्त आहार देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसमें बच्चे के पुरे शारीर पे लाल चकते पड़ जाते हैं और उनमें खुजली बहुत हती है। एक्जिमा बड़ों में भी पाया जाता है, लेकिन यह बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। एक्जिमा की वजह से इतनी तीव्र खुजली होती है की बच्चे खुजलाते-खुजलाते वहां से खून निकल देते हैं लेकिन फिर भी आराम नहीं मिलता। हम आप को यहाँ जो जानकारी बताने जा रहे हैं उससे आप अपने शिशु के शारीर पे निकले एक्जिमा का उपचार आसानी से कर सकेंगे।
12 साल तक की उम्र तक बच्चे बहुत तेजी से बढ़ते हैं और इस दौरान शिशु को सही आहार मिलना बहुत आवश्यक है। शिशु के दिमाग का विकास 8 साल तक की उम्र तक लगभग पूर्ण हो जाता है तथा 12 साल तक की उम्र तक शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है। इस दौरान शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं जिन्हें सहयोग करने के लिए अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है।
बच्चे की ADHD या ADD की समस्या को दुश्मन बनाइये - बच्चे को नहीं। कुछ आसन नियमों के दुवारा आप अपने बच्चे के मुश्किल स्वाभाव को नियंत्रित कर सकती हैं। ADHD या ADD बच्चों की परवरिश के लिए माँ-बाप को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
शिशु को सर्दी और जुकाम (sardi jukam) दो कारणों से ही होती है। या तो ठण्ड लगने के कारण या फिर विषाणु (virus) के संक्रमण के कारण। अगर आप के शिशु का जुकाम कई दिनों से है तो आप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ घरेलु उपचार (khasi ki dawa) की सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी, खांसी और जुकाम को ठीक कर सकती हैं। अगर आप के शिशु को खांसी है तो भी घरेलु उपचार (खांसी की अचूक दवा) की सहायता से आप का शिशु पूरी रात आरामदायक नींद सो सकेगा और यह कफ निकालने के उपाय भी है - gharelu upchar in hindi
शिशु को 10-12 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को टाइफाइड, हेपेटाइटिस A से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
एक्जिमा (eczema) एक ऐसी स्थिति है जिसमे बच्चे के शरीर की त्वचा पे चकते पड़ जाते हैं। त्वचा बहुत शुष्क हो जाती है। त्वचा पे लाली पड़ जाती है और त्वचा पे बहुत खुजली होती है। घरेलु इलाज से आप अपने शिशु के एक्जिमा (eczema) को ख़त्म कर सकती हैं।
अगर आप का शिशु बहुत गुस्सा करता है तो इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है। सभी बच्चे गुस्सा करते हैं। गुस्सा अपनी भावना को प्रकट करने का एक तरीका है - जिस तरह हसना, मुस्कुराना और रोना। बस आप को अपने बच्चे को यह सिखाना है की जब उसे गुस्सा आये तो उसे किस तरह नियंत्रित करे।
Ambroxol Hydrochloride - सर्दी में शिशु को दिया जाने वाला एक आम दावा है। मगर इस दावा के कुछ घम्भीर (side effects) भी हैं। जानिए की कब Ambroxol Hydrochloride को देना हो सकता है खतरनाक।
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।
माता- पिता अपने बच्चों को गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए तरह- तरह के तरीके अपनाते तो हैं , पर फिर भी बच्चे इस मौसम में कुछ बिमारियों के शिकार हो ही जाते हैं। जानिए गर्मियों में होने वाले 5 आम बीमारी और उनसे अपने बच्चों को कैसे बचाएं।
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हर प्रकार के आहार शिशु के स्वस्थ और उनके विकास के लिए ठीक नहीं होता हैं। जिस तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए सही तो उसी तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए बुरे भी होते हैं। बच्चों के आहार को ले कर हर माँ-बाप परेशान रहते हैं।क्योंकि बच्चे खाना खाने में बहुत नखड़ा करते हैं। ऐसे मैं अगर बच्चे किसी आहार में विशेष रुचि लेते हैं तो माँ-बाप अपने बच्चे को उसे खाने देते हैं, फिर चाहे वो आहार शिशु के स्वस्थ के लिए भले ही अच्छा ना हो। उनका तर्क ये रहता है की कम से कम बच्चा कुछ तो खा रहा है। लेकिन सावधान, इस लेख को पढने के बाद आप अपने शिशु को कुछ भी खिलने से पहले दो बार जरूर सोचेंगी। और यही इस लेख का उद्देश्य है।
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
दूध से होने वाली एलर्जी को ग्लाक्टोसेमिया या अतिदुग्धशर्करा कहा जाता है। कभी-कभी आप का बच्चा उस दूध में मौजूद लैक्टोज़ शुगर को पचा नहीं पाता है और लैक्टोज़ इंटॉलेन्स का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से उसे उलटी , दस्त व गैस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों में दूध में मौजूद दूध से एलर्जी होती है जिसे हम और आप पहचान नहीं पाते हैं और त्वचा में इसके रिएक्शन होने लगता है।