Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺9 min read
Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
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शकरकंद सेहत के फायदों के लिए जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन्स, antioxidants, और फाइबर होता है जो बच्चे के स्वस्थ के लिए बहुत फायदेमंद है। शकरकंद की प्यूरी को बनाने के लिए आप भुने या उबले शकरकंद को थोड़े पानी या दूध के साथ पीस सकते हैं। ये बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक शिशु आहार है।
शकरकंद शिशु आहार के रूप में बहुत बेहतरीन है। जब ये पक जाता है तब यह बहुत मुलायम, और मीठा हो जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा मैं विटामिन A पाया जाता है जो शिशु के विकास के लिए अच्छा है।
शकरकंद कोअच्छी तरह पका के ६ महीने की उम्र से ही शिशु को देना प्रारम्भ कर सकती हैं। शकरकंद में बहुत प्रकार के पोषक तत्त्व होता हैं जो बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह अच्छे में आसानी से पांच जाता है और इसमें मौजूद फाइबर की वजह से ये पाचन तंत्र के लिए भी अच्छा है।
अगर आप घर पे शकरकंद की प्यूरी बनाने जा रही है तो, शकरकंद खरीदते वक्त ऐसे शकरकंद खरीदें जिनपे कोई खरोंच नहीं हो, भूरे न हो और उनपे कोई दाग़ भी न हो।
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जानिए की आप अपनी त्वचा की देखभाल किस तरह कर सकती हैं की उन पर झुर्रियां आसानी से ना पड़े। अगर ये घरेलु नुस्खे आप हर दिन आजमाएंगी तो आप की त्वचा आने वाले समय में अपने उम्र से काफी ज्यादा कम लगेंगे।
केवल बड़े ही नहीं वरन बच्चों को भी बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के शिकार हो सकते हैं। इस मानसिक अवस्था का जितनी देरी इस इलाज होगा, शिशु को उतना ज्यादा मानसिक रूप से नुक्सान पहुंचेगा। शिशु के प्रारंभिक जीवन काल में उचित इलाज के दुवारा उसे बहुत हद तक पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरुरी है की समय रहते शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के लक्षणों की पहचान की जा सके।
बच्चों के दांत निकलते समय दर्द और बेचैनी होती है।इसे घरेलु तरीके से आसानी ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपचार के साथ-साथ आप को कुछ और बैटन का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि बच्चे की को कम से कम किया जा सके। Baby teething problems in Hindi - Baby teeth problem solution
नारियल का पानी गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही में विशेषकर फायदेमंद है अगर इसका सेवन नियमित रूप से सुबह के समय किया जाए तो। इसके नियमित सेवन से गर्भअवस्था से संबंधित आम परेशानी जैसे कि जी मिचलाना, कब्ज और थकान की समस्या में आराम मिलता है। साथी या गर्भवती स्त्री के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, शिशु को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है और गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
मां बनने के बाद महिलाओं के शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं। यह अधिकांश बदलाव शरीर में हो रहे हार्मोनअल (hormonal) परिवर्तन की वजह से होते हैं। और अगले कुछ दिनों में जब फिर से शरीर में हार्मोन का स्तर सामान्य हो जाता है तो यह समस्याएं भी खत्म होनी शुरू हो जाती है। इनमें से कुछ समस्याएं ऐसी हैं जो एक मां को अक्सर बहुत परेशान कर देती है। इन्हीं में से एक बदलाव है बार बार यूरिन होना। अगर आपने कुछ दिनों पहले अपने शिशु को जन्म दिया है तो हो सकता है आप भी बार-बार पेशाब आने की समस्या से पीड़ित हो।
शिशु का जन्म पूरे घर को खुशियों से भर देता है। मां के लिए तो यह एक जादुई अनुभव होता है क्योंकि 9 महीने बाद मां पहली बार अपने गर्भ में पल रहे शिशु को अपनी आंखों से देखती है।
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
नवजात शिशु को डायपर के रैशेस से बचने का सरल और प्रभावी घरेलु तरीका। बच्चों में सर्दियौं में डायपर के रैशेस की समस्या बहुत ही आम है। डायपर रैशेस होने से शिशु बहुत रोता है और रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। लेकिन इसका इलाज भी बहुत सरल है और शिशु तुरंत ठीक भी हो जाता है। - पढ़िए डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे।
शिशु को 6 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेपेटाइटिस बी और इन्फ्लुएंजा से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन कौन से टीके उसे आवश्यक रूप से लगा देने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी येहाँ प्राप्त करें - complete guide।
अल्बिनो (albinism) से प्रभावित बच्चों की त्वचा का रंग हल्का या बदरंग होता है। ऐसे बच्चों को धुप से बचा के रखने की भी आवश्यकता होती है। इसके साथ ही बच्चे को दृष्टि से भी सम्बंधित समस्या हो सकती है। जानिए की अगर आप के शिशु को अल्बिनो (albinism) है तो किन-किन चीजों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
माँ के दूध से मिलने वाले होर्मोनेस और एंटीबाडीज बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है| ये बच्चे के शरीर को viruses और bacteria से मुकाबला करने में सक्षम बनता है| स्तनपान वाले बच्चों में कान का infection, साँस की बीमारी और diarrhea कम होता है| उन बच्चों को डॉक्टर को भी कम दिखाना पड़ता है|
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े।
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए जरुरी है की उनके साथ खूब इंटरेक्शन (बातें करें, कहानियां सुनाये) किया जाये और ऐसे खेलों को खेला जाएँ जो उनके बुद्धि का विकास करे। साथ ही यह भी जरुरी है की बच्चों पर्याप्त मात्रा में सोएं ताकि उनके मस्तिष्क को पूरा आराम मिल सके। इस लेख में आप पढेंगी हर उस पहलु के बारे में जो शिशु के दिमागी विकास के लिए बहुत जरुरी है।
अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।