Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
शिशु विशेषज्ञों के अनुसार छोटे बच्चों से हर दिन बातें करने उनके सुनने, सोचने और बात करने की काबिलियत को बढ़ता है। अगर शिशु ऐसे घरेलु वातावरण में रहता है जहाँ उससे बात करने वाला कोई नहीं है तो इसका बहुत ही बुरा असर शिशु के विकास पे पड़ता है।
बच्चों से अगर घर पे कोई बात करने वाला नहीं है तो इसका बुरा असर केवल छोटे बच्चों पे ही नहीं वरन बड़े बच्चों पे भी पड़ता है। बेंगलुरु के Nimhans में कार्यरत, child and adolescent psychiatry के प्रोफेसर - Dr K John Vijay Sagar के अनुसार जो बच्चे ऐसे घरेलु परिवेश में रहते हैं जहाँ उनसे बात करने वाला कोई भी नहीं है तो उन बच्चों में आत्महत्या की प्रवृति पायी गयी है। ऐसे बच्चों के मन में रह-रह के आत्महत्या करने का ख्याल आता है। आज इंटरनेट पे ऐसे बहुत से गेम्स मौजूद हैं जो बच्चों को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कुछ सालों पहले की बात है, Spandana Rehabilitation Centre के consultant psychologist - Dr Mahesh Gowda को उनके एक मरीज का काफी दुखद फ़ोन आता है। यह फ़ोन था एक अधेड़ उम्र दम्पति का जो एक दिन जब काम ख़त्म कर जब घर पहुँचते हैं तो वे अपने पुत्र को पंखे से लटकता हुआ पाते हैं। एक दिन पहले ही उनके लड़के ने उन्हें बताया था की उसे उसके दोस्तों के पास जाना है अपने नोट्स को वापस लेने के लिए। दम्पति के अनुसार उनका बच्चा एक मेघावी छात्र था और उसके द्वारा यह कदम उठाया जाना काफी अविश्वसनीय था।
शिशु विशेषज्ञों के अनुसार आज कल के बच्चे हर वक्त technology के संपर्क में रहते हैं। इनका इस्तेमाल बच्चे के कोमल मन पे गहरा प्रभाव डालता है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल से बच्चे अपने दोस्तों और साथियोँ के साथ समय बिताना भूल जाते हैं। टेक्नोलॉजी की अपनी ही एक वर्चुअल (मायावी) दुनिया होती है।
बीस साल पहले की बात अगर करें तो हम और आप उस उम्र में यह नहीं जानते थे की आत्महत्या क्या होती है। मगर आज टेक्नोलॉजी और स्मार्टफोन का बच्चों के जीवन में बढ़ते इस्तेमाल से उन्हें समय से पहले सब-कुछ पता हो गया है - वो सब भी जो उन्हें इस नन्ही सी उम्र मैं नहीं पता होना चाहिए। आज स्मार्टफोन का इस्तेमाल लाइफस्टाइल (lifestyle) बन कर रह गया है। अगर आप का बच्चा भी स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करता है तो आप को रखनी है कुछ बातों का ख्याल ताकि आप के बच्चे रहें सुरक्षित।
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
बच्चों के मन में आज-कल यह भावना आम हो गई है की कोई भी उन्हें नहीं समझता है। ऐसे में केवल माँ-बाप बच्चों के साथ बातचीत के द्वारा और समय बिता कर उनके अंदर सकारात्मक विचारों बढ़ावा दे सकते हैं।
बच्चे तो बच्चे होते हैं और घर का परिवेश उनके अच्छे मानसिक और शारीरक विकास को बहुआयामी तरीके से प्रभावित करता है। विशेषकर जब बच्चे छोटे होते हैं तब उनके साथ बिताया गया हर पल बहुत महत्वपूर्ण होता है।
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