Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
बच्चे को छूने और उसे निहारने से उसके दिमाग के विकास को गति मिलती है। आप पाएंगे की आप का बच्चा प्रतिक्रिया करता है जिसे Babinski reflex कहते हैं। नवजात बच्चे के विकास में रंगों का महत्व, बच्चे से बातें करना उसे छाती से लगाना (cuddle) से बच्चे के brain development मैं सहायता मिलती है।

बच्चे के पहले तीन साल उसके दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह वह समय है जब बच्चे का दिमाग बहुत संवेदनशील रहता है और बहुत तीव्र गति से विकसित करता है।
यही कारण है की जितनी आसानी से बच्चे नई भाषा सीख लेते हैं, बड़े नहीं सीख पाते हैं।
बच्चों से जितना बातें किया जाये और उनके साथ जितना खेला जाये, बच्चे के दिमाग का विकास उतना तेज़ी से होता है।
लगभग हर माँ इस बात को जानती है की बच्चे के अच्छे दिमागी विकास के लिए माँ और बच्चे के बीच बातचीत जरुरी है।
मगर विडंबना इस बात की है की बहुत सी माएँ यह नहीं जानती की बच्चे से बातचीत कैसे करें।
एक माँ की जिंदगी बच्चे का diaper change करना, उसको स्तनपान करना और उसको सुलाने के इर्दगिर्द घूमता रहता है। जब बच्चा छोटा होता है तो यही एक माँ की दिनचर्या है।
इस लेख में हम बताएँगे की एक माँ कैसे अपनी इस दिनचर्या का इस्तेमाल बच्चे से बातचीत करने में कर सकती हैं क्यूंकि बच्चे से बातचीत, उसके बौद्धिक विकास के लिए बहुत जरुरी है।
नवजात बच्चा चाहता है की उसे करीब से पकड़ा जाये, उसे छाती से लगाया जाये और इसके पीछे मनोव्यज्ञानिक कारण हैं।
अधिकांश मामलों में बच्चा इसलिए चिड़चिड़ा और रोता है क्योँकि या तो उसे भूख लगी होती है और उसे स्तनपान करने की जरुरत है, या उसका डायपर गन्दा हो गया है जिसे बदलने की आवश्यकता है या फिर उसे नींद लगी है।
इन्ही वजह से बच्चा कभी कभी इतना चिड़चिड़ा हो जाता है की उसकी जरुरत पूरी कर देने के बाद भी बच्चा शांत नहीं होता है।
चिड़चिड़े और रोते बच्चे को आप शांत भी कर सकते हैं और इस मौके का फायदा उठा सकते हैं बच्चे के करीब आने का जो उसके दिमागी विकास के लिए फायदेमंद है।
दुधमुंहा बच्चा भी स्पर्श की भाषा समझता है। जब आप उसे अपनी गोद में उठाती हैं तो वह खुद को सुरक्षित समझता है।
बच्चे की मूलभूत जरुरत जैसे की दूध पिलाने, डायपर/नैपी साफ करने के बाद बच्चे को प्यार से गोद में लें और धीरे धीरे इसे हिलाएं। इस दौरान बच्चे से प्यार से बात करते रहें। शिशु विशेषज्ञों के अनुसार आप और आप के बच्चे के बीच 10 से 12 इंच की दुरी सबसे बेहतर है। जब आप प्यार से बच्चे के नन्हे से छोटे से पैरों को छूते हैं और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखते हैं तो आप पाएंगे की आप का बच्चा प्रतिक्रिया करता है जिसे Babinski reflex कहते हैं। नवजात बच्चे को अच्छा लगता है जब उनको छुआ जाता है, उनसे बातें की जाती है या जब उन्हें छाती से लगाया जाता है। इस पुरे प्रकरण में आप का बच्चा जो प्रतिक्रिया करता है वो उसके सोचने और समझने की छमता को बेहतर बनता है।
जन्म के पहले दो महीने अपने बच्चे से नजदीकी बनाने के लिए आप अपने चेहरे से ही अनेक हरकत कर सकती हैं बच्चे को बहलाने के लिए। इसके लिए आप को कोई खिलौने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अपने बच्चे के हातों में आप अपनी ऊँगली दे दीजिये और देखिये की किस तरह वो आप की उंगलियों को पकड़ता है। आप का बच्चा पलने में लेटा हुआ कोई प्लास्टिक का खिलौना देखे, इससे तो बेहतर है की वो आप के साथ समय बिताये - आप के चेहरे को देखे। बच्चे से धीमे से प्यार से बातें करें और उसे कोई प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से बच्चे कोशिश करते हैं समझने की की आप उनसे क्या बातें कर रहे हैं। मगर ध्यान रहे की आप जो भी बच्चे के साथ करें, उसमे उसकी सहमति हो। अगर आप बच्चे का हाथ पकडे तो बहुत ही नाजुक तरीके से पकडे और सिर्फ उतनी देर तक पकडे जितनी देर तक उसे पसंद हो। इस प्रकार की प्रक्रिया बच्चे को प्रतिक्रिया करने के लिए प्रोत्साहित करती है जो बच्चे के दिमाग को stimulate करता है। दो महीने का बच्चा इतना बड़ा हो जाता है की वो आप को पहचानने लगे और ये समझने लगे की आप उसकी जिंदगी मैं विशेष अहमियत रखती हैं। बच्चे के करीब रहने से बच्चे की बॉन्डिंग (bonding) आप के साथ बढ़ेगी।
इसलिए अपने लाडले से प्यार जताने के लिए जितना हो सके उसे छुएं उसके गालों को सहलाएं और उसके माथे को सहलाएं। बिना बात के उसे चूमें। क्या आपको पता है कि आपके प्यार भरे स्पर्श से ही उसका मानसिक विकास होता है।
बच्चों को बड़ा पसंद आता है जब कोई उन्हें हौले हौले (हलके-हलके) गुदगुदाता है। शिशु विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं की बच्चे के साथ तब तक खेलें जब तक बच्चे को अच्छा लगे। उनके अनुसार बच्चे के करीब आना, हौले से उनके गलों को छूना और उनके साथ खेलने से बच्चे के दिमाग का विकास बढ़ जाता है। बच्चों के साथ खिलौने से भी खेलें। इसके प्रतिक्रिया में बच्चे हाथ, पैर चलने की कोशिश करते हैं जो की उनके विकास के लिए अच्छा है। इस प्रकार के activities बच्चे में सामाजिक गुण पैदा करते हैं। एक बार जब बच्चा खेल को समझने लगता है तो वो आप के हरकत को anticipate करता है और इन सबमें आप के बच्चे का बहुत मनोरंजन होता है। इससे बच्चा खुशमिजाज बनता है।

बच्चों के दिमागी विकास में रंगों का भी अच्छा खासा महत्व है। जब आप का बच्चा चार महीने का हो जाये (four month baby) तो आप उसके लिए कुछ रंग बिरंगे खिलोने ले आएं। इस उम्र के बच्चों के लिए play-gym भी बाजार में उपलब्ध है। आप चाहें तो इसे ऑनलाइन भी खरीद सकती हैं। खिलौनों से खेलने से बच्चे बहुत क्रियाशील हो जाते हैं। जब बच्चे इन खिलौनों से खेले तो आप बच्चे के साथ रहें और खेलने में उसकी मदद करें। इससे आप के बच्चे का आप के साथ बॉन्डिंग बढ़ेगा।
जब बच्चा इतना छोटा हो की चल न सके और बिस्तर से गोद तक सीमित रहे तब आप उसके साथ लूका-छुपी का खेल खेल सकते हैं। इस तरह के खेल से बच्चे का मस्तिष्क stimulate होगा और बच्चे को यह भी समझ आएगा की अगर आप कहीं छुप जाती हैं तो वापस आएँगी। इस तरह आप के बच्चे का आप में विश्वास बढ़ेगा।
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अगर बच्चा बिस्तर से गिर पड़े तो आप को कौन से बातों का ख्याल रखना चाहिए? कौन से लक्षण और संकेत ऐसे हैं जो शिशु के अंदरूनी चोट के बारे में बताते हैं। शिशु को चोट से तुरंत रहत पहुँचाने के लिए आप को क्या करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब आप इस लेख में पढ़ेंगी।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
बच्चों के दांत निकलते समय दर्द और बेचैनी होती है।इसे घरेलु तरीके से आसानी ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपचार के साथ-साथ आप को कुछ और बैटन का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि बच्चे की को कम से कम किया जा सके। Baby teething problems in Hindi - Baby teeth problem solution
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। विटामिन डी हमारे रक्त में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। यह हमारे शारीरिक विकास की हर पड़ाव के लिए जरूरी है। लेकिन विटामिन डी की सबसे ज्यादा आवश्यक नवजात शिशु और बढ़ रहे बच्चों में होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटे बच्चों का शरीर बहुत तेजी से विकास कर रहा होता है उसके अंग विकसित हो रहे होते हैं ऐसे कई प्रकार के शारीरिक विकास के लिए विटामिन डी एक अहम भूमिका निभाता है। विटामिन डी की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को तथा जो महिलाएं स्तनपान कराती है उन्हें भी सबसे ज्यादा रहती है।
जब तक आपका शिशु पूर्ण रूप से स्तनपान पर निर्भर है तब तक आप को अपने भोजन का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। कुछ आहार ऐसे हैं जो आपके शिशु के विकास में बाधा डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे आहार हैं जो आप के स्तनपान को आपके शिशु के लिए अरुचि पूर्ण बना सकते हैं। तथा कुछ ऐसे भी आ रहे हैं जिन्हें स्तनपान के दौरान ग्रहण करने से आपकी शिशु को एलर्जी तक हो सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान आपको कौन-कौन से आहारों से दूर रहने की आवश्यकता है। Foods you should avoid during breastfeeding.
गर्भावस्था में उलटी आम बात है, लेकिन अगर दिन में थोड़े-थोड़े समय में ही तीन बार से ज्यादा उलटी हो जाये तो इसका बच्चे पे और माँ के स्वस्थ पे बुरा असर पड़ता है। कुछ आसान बातों का ध्यान रख कर आप इस खतरनाक स्थिति से खुद को और अपने होने वाले बच्चे को बचा सकती हैं। यह मोर्निंग सिकनेस की खतरनाक स्थिति है जिसे hyperemesis gravidarum कहते हैं।
ADHD से प्रभावित बच्चे को ध्यान केन्द्रित करने या नियमों का पालन करने में समस्या होती है। उन्हें डांटे नहीं। ये अपने असहज सवभाव को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं जैसे की एक कमरे से दुसरे कमरे में बिना वजह दौड़ना, वार्तालाप के दौरान बीच-बीच में बात काटना, आदि। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकती हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
अगर आप भी इसी दुविधा में है की अपने शिशु को किस तेल से मालिश करें तो सबसे अच्छा रहेगा तो आप की जानकारी के लिए हम आज आप को बताएँगे बच्चों की मालिश करने के लिए सबसे बेहतरीन तेल।
क्या आप का शिशु potty (Pooping) करते वक्त रोता है। मल त्याग करते वक्त शिशु के रोने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आप को इन कारणों का पता होगा तो आप अपने शिशु को potty करते वक्त होने वाले दर्द और तकलीफ से बचा सकती है। अगर potty करते वक्त आप के शिशु को दर्द नहीं होगा तो वो रोयेगा भी नहीं।
पीट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है| नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है|
बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
गर्भवती महिलाएं जो भी प्रेगनेंसी के दौरान खाती है, उसकी आदत बच्चों को भी पड़ जाती है| भारत में तो सदियोँ से ही गर्भवती महिलायों को यह नसीहत दी जाती है की वे चिंता मुक्त रहें, धार्मिक पुस्तकें पढ़ें क्योँकि इसका असर बच्चे पे पड़ता है| ऐसा नहीं करने पे बच्चे पे बुरा असर पड़ता है|
मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
आठ महीने की उम्र तक कुछ बच्चे दिन में दो बार तो कुछ बच्चे दिन में तीन बार आहार ग्रहण करने लगते हैं। अगर आप का बच्चा दिन में तीन बार आहार ग्रहण नहीं करना चाहता तो जबरदस्ती ना करें। जब तक की बच्चा एक साल का नहीं हो जाता उसका मुख्या आहार माँ का दूध यानि स्तनपान ही होना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
माँ का दूध बच्चे की भूख मिटाता है, उसके शरीर की पानी की आवश्यकता को पूरी करता है, हर प्रकार के बीमारी से बचाता है, और वो सारे पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए और अच्छे शारारिक विकास के लिए जरुरी है। माँ का दूध बच्चे के मस्तिष्क के सही विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अगर 6 वर्ष से बड़ा बच्चा बिस्तर गिला करे तो यह एक गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति मैं आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। समय पर डॉक्टरी सलाह ना ली गयी तो बीमारी बढ़ भी सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया के लगभग आधे बच्चों को किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होगा। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उन बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक होती है क्यों कि ये बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम दमा, एक्जिमा, पित्ती (त्वचा पर चकत्ते) और भोजन से संबंधित हैं।