Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
अगर आप का शिशु बहुत गुस्सा करता है तो इसमें कोई ताजुब की बात नहीं है। सभी बच्चे गुस्सा करते हैं। गुस्सा अपनी भावना को प्रकट करने का एक तरीका है - जिस तरह हसना, मुस्कुराना और रोना। बस आप को अपने बच्चे को यह सिखाना है की जब उसे गुस्सा आये तो उसे किस तरह नियंत्रित करे।
बच्चे भी तो आखिर इंसान हैं,
उन्हें भी गुस्सा आता है।
बस अंतर इतना है की उन्हें नहीं पता नहीं की अपने गुस्से को control कैसे करें।
यहीं पे माँ होने के नाते आपकी की यह जिम्मेदारी बनती है की आप अपने शिशु को सिखाएं की गुस्से पे नियंत्रण कैसे रखा जाये।
नाराज होना, गुस्सा करना ना ही कोई अच्छी बात है और ना ही कोई बुरी बात है।
अगर गुस्सा आता है तो स्वस्थ हैं आप का बच्चा।
यह तो सिर्फ एक भावना है - मगर गुस्सा आने पे किस तरह अपने आप को सम्हालना है यह आप का शिशु सीख रहा है और इसमें आप के मदद की उसको आवश्यकता पड़ेगी।
अधिकांश घरों में जब बच्चा गुस्सा करता है तो माँ-बाप उसे डाटते है और उसे आपने कमरे में जाने को कहते हैं। यह सही तरीका नहीं है क्योँकि इससे आप का शिशु यह नहीं सीखता है की अपने गुस्से पे किस तरह काबू पाया जाय।
जब शिशु नाराज होता है तो वो उसी क्षण निराशा की स्थिति से भी गुजर रहा होता है। यह एक बेहद नाजुक स्थिति होती है। गुस्सा कम करने के टोटके तो कोई होते नहीं हैं। यहाँ पे आपको समझदारी से काम लेना होगा।
यहां हम आप को बताते हैं पांच तरीके जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को उसके गुस्से पे नियंत्रण करना सीखा पाएंगी।
अपने शिशु को आहिस्ते से पूरा प्रकरण समझने को कहें। उससे पूछें की क्योँ वो इतना गुस्स कर रहा है। किस वजह से नाराज है।
कई बार जब बच्चे अपने नाराज होने के कारणों को समझते हैं तो समझाने के दौरान उनका गुस्सा शांत हो जाता है।
अगर आप का शिशु आप को ना बताना चाहे तो उससे कहें को वो अपने गुस्सा करने के कारण को अपने पसंदीदा खिलौनों को बता सकते हैं।
बच्चे अधिकांश मामलों में गुस्सा इस लिए होते हैं की उन्हें लागता है की उनके साथ अन्याय हुआ है और उनके पक्ष को सुना नहीं गया है।
जब बच्चे को अपना पक्ष रखने का मौका मिलता है तो उसका गुस्सा भी शांत हो जाता है। इसके साथ ही साथ आप को भी यह पता चलेगा की आप का शिशु किन बातों से नाराज हो जाता है और आप उसके गुस्से का इलाज कर पाएंगी।
कभी-कभी मन का गुबार निकल जाना भी अच्छा होता है। अगर आप का बच्चा बहुत गुस्से मैं है और अपने पैर पटक रहा है तो उसे अपना गुस्सा निकालने के लिए तकिया दे दें।
ताकि वो चाहे जितनी घुसे उस तकिये को मार के अपने गुस्से को शांत कर ले। इससे घर के दुसरे बच्चों को शारीरिक हानि का खतरा ताल जाता है।
शिशु यह भी सीखता है की गुस्से को निकालने के लिए जरुरी नहीं की आपस में लड़ा जाये। अन्यथा बहुत ज्यादा नाराज बच्चे को वश मे करना कभी-कभी उतना आसान काम भी नहीं होता है।
कई बार जब बच्चे बहुत गुस्से में होते हैं तो माँ ता थोड़ा सा प्यार मिलते ही वे पिघल जाते हैं और फुट-फुट के रोने लगते हैं।
अपने बच्चे को गोदी में उठा लें। उसे गालों पे प्यार दें और बहुत ही प्यार से उसके तकलीफ के बारे में पूछें। प्यार में बहुत ताकत होती है।
जब आप नाराज होते हैं तो आप का शिशु आप को देखता है की आप की तरह अपने नाराजगी को सँभालते हैं - और इसी दौरान आप का शिशु सीखता है की वो अपने गुस्से को किस तरह नियंत्रित करे।
जब आप नाराज हों तो नाराजगी को जाहिर करने का सही तरीका अपनाएं। अपने गुस्से को अपने ऊपर हावी नहीं होने दें। समझदारी से काम लें। जैसा आप करेंगे आप का शिशु भी वही करेगा।
जब आप का शिशु नाराज होने पे सही रवैया अपनाएं तो उसके इस कदम को सराहें। जब आप का बच्चा देखेगा की उसके सही कदम को बड़ों ने सराहा है तो वो उसी तरह करने के लिए और ज्यादा प्रयास करेगा।
बच्चे जिद्दी हो तो क्या करे - कई बार बच्चे जिद के कारण भी गुस्सा करते हैं। बच्चों का जिद्दी होना भी स्वाभाविक है। यह भी बच्चे के स्वस्थ होने की निशानी है।
जब बच्चे जिद करते हैं तो इसका मतलब यह होता है की बच्चे आप में अपना अधिकार समझते हैं। ऐसे में उन्हें डांट के उनका दिल ना तोड़ें। उन्हें प्यार से और समझदारी से समझाएं।
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