Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
सात से नौ महीने (7 to 9 months) की उम्र के बच्चों को आहार में क्या देना चाहिए की उनका विकास भलीभांति हो सके? इस उम्र में शिशु का विकास बहुत तीव्र गति से होता है और उसके विकास में पोषक तत्त्व बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सात से नौ महीने की उम्र के बीच में शिशु आहार ग्रहण करने के तरीकों को सीखता है। जैसे की आहार को हाथों से किस तरह पकडे इत्यादि।
यह एक दम सही उम्र है शिशु को फिंगर फूड देने के लिए।
फिंगर फूड को आम भाषा में आप खड़े, कटे हुए फल कह सकती हैं। उदहारण के तौर पे अगर आप अपने शिशु के लिए सेब को इस तरह काटें की वो आसानी से सेब के टुकड़ों को अपने हाथों से पकड़ के खा सके तो आप उसे "फिंगर फूड" कहेंगी।
जब शिशु सात से नौ महीने की उम्र के बीच में होता है तो वो आहार जैसे की फलों के टुकड़े (फिंगर फूड) को अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली से उठाने की कोशिश शुरू कर देता है।
यह वही उम्र है जब बच्चा हर संभव चीज़ (जो भी उसके पहुँच में आती है) उसे उठा के मुँह में डालने की कोशिश करता है।
बच्चे की यह आदत इस तरफ इशारा करती है की अब शिशु नए आहार आजमाने के लिए तैयार है।
अधिकांश बच्चे इस उम्र में दूसरों के थाली से आहार उठा के खाने की कोशिश करने लगते हैं।
इसका मतलब यह नहीं है की शिशु को भूख लगी है या उसे थाली में रखा आहार पसंद आ रहा है।
जब शिशु दूसरों के थाली से आहार उठा के खाने की कोशिश करते हैं तो असल में वे आप के खाने के तरीके की नकल करने की कोशिश करते हैं।
हो सकता है की जब आप शिशु को चम्मच से शिशु-आहार खिलाएं तो वो झपट कर आप के हाथों से चम्मच लेने की कोशिश करे। इस वक्त शिशु को खिलाना थोड़ा चुनौती भरा हो सकता है। शिशु को शांत करने के लिए आप चाहें तो शिशु के हाथों में दूसरा चम्मच पकड़ा सकती हैं जिसे वो खेल सके।
इस उम्र में शिशु आप की हर हरकत को बड़े ही बारीकी से देखता है और समझने की कोशिश करता है।
इसमें कोई ताजूब नहीं की आप का बच्चा जबड़े को एक तरफ से दूसरी तरफ चलाते हुए आप के चबाने के तरीके की नक़ल करे।
7 से 9 months की उम्र में शिशु में इतने दांत नहीं होते हैं की वो वास्तव चबा सके। लेकिन उसके जबड़े इतने मजबूत होता हैं की वो दरदरे आहार को चबा सके जैसे की चावल-दाल। इस प्रकार का आहार देने से शिशु को आहार निगलने की आदत पड़ती है साथ ही उसके पाचन तंत्र का कसरत भी होती है। शिशु के पाचन तंत्र के मजबूत बनने में इस प्रकार के आहार बहुत महत्व पूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आप शिशु की चावल के साथ दही या दाल को मसल कर (mash) दे सकती हैं। आप इस तरह से त्यार कर शिशु को खिचड़ी या कोई भी मौसमी सब्जियां और फल दे सकती हैं। आप बच्चे को ऐसे फिंगर फूड भी दे सकती हैं जिसे की आप का बच्चा आसानी से हाथों में पकड़ के खा सके - जैसे की कटे हुए सेब, गाजर केला आदि।
जितना हो सके आप अपने शिशु को यहां बताये गए आहार (फिंगर फूड) खाने को दें - जिससे की बच्चे को अपना आहार खुद ग्रहण करने की आदत पड़े।
अपने शिशु को आप मिठाई, बिस्किट या रस्क खाने को न दें। ये ऐसे आहार हैं जिनसे शिशु को ऊर्जा तो मिलती है मगर पोषक तत्त्व नहीं मिलते। यही कारण है की ऐसे आहार को empty calories कहा जाता है।
इस उम्र में बच्चे के विकास को support करने के लिए ढेरों पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। कई बार भर पेट आहार ग्रहण करने के बाद भी शिशु को पोषकतत्व नहीं मिल पाते है। इस स्थिति को कुपोषण कहते हैं। इसकी वजह से बच्चों का विकास रुक जाता है और इसका खामियाजा बच्चे को जिंदगी भर चुकाना पड़ता है।
बच्चे को मिठाई, बिस्किट या रस्क देने का एक और खतरा यह है की इससे बच्चे को मीठे स्नैक की आदत पड़ जाएगी और आप का बच्चा पोषक शिशु-आहार ग्रहण करने में आनाकानी करेगा।

कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
आपके मन में यह सवाल आया होगा कि क्या शिशु का घुटने के बल चलने का कोई फायदा है? पैरों पर चलने से पहले बच्चों का घुटनों के बल चलना, प्राकृतिक का एक नियम है क्योंकि इससे शिशु के शारीर को अनेक प्रकार के स्वस्थ लाभ मिलते हैं जो उसके शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
केवल बड़े ही नहीं वरन बच्चों को भी बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के शिकार हो सकते हैं। इस मानसिक अवस्था का जितनी देरी इस इलाज होगा, शिशु को उतना ज्यादा मानसिक रूप से नुक्सान पहुंचेगा। शिशु के प्रारंभिक जीवन काल में उचित इलाज के दुवारा उसे बहुत हद तक पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए जरुरी है की समय रहते शिशु में बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के लक्षणों की पहचान की जा सके।
मीठी चीनी किसे पसंद नहीं। बच्चों के मन को तो ये सबसे ज्यादा लुभाता है। इसीलिए रोते बच्चे को चुप कराने के लिए कई बार माँ-बाप उसे एक चम्मच चीनी खिला देते हैं। लेकिन क्या आप को पता है की चीनी आप के बच्चे के विकास को बुरी तरह से प्रभावित कर देते है। बच्चों को चीनी खिलाना बेहद खतरनाक है। इस लेख में आप जानेंगी की किस तरह चीनी शिशु में अनेक प्रकार की बिमारियौं को जन्म देता है।
अक्सर गर्भवती महिलाएं इस सोच में रहती है की उनके शिशु के जन्म के लिए सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में से क्या बेहतर है। इस लेख में हम आप को दोनों के फायेदे और नुक्सान के बारे में बताएँगे ताकि दोनों में से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकें जो आप के लिए और आप के शिशु के स्वस्थ के लिए सुरक्षित हो।
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बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं। इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार (Indian baby food)
फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
दो साल के बच्चे के लिए शाकाहारी आहार सारणी (vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रही हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है। संतुलित आहार चार्ट
11 महीने के बच्चे का आहार सारणी इस तरह होना चाहिए की कम-से-कम दिन में तीन बार ठोस आहार का प्रावधान हो। इसके साथ-साथ दो snacks का भी प्रावधान होना चाहिए। मगर इन सब के बावजूद आपके बच्चे को उसके दैनिक जरुरत के अनुसार उसे स्तनपान या formula milk भी मिलना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
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गर्मियों की आम बीमारियां जैसे की बुखार, खांसी, घमोरी और जुखाम अक्सर बच्चो को पीड़ित कर देती हैं। साधारण लगने वाली ये मौसमी बीमारियां जान लेवा भी हो सकती हैं। जैसे की डिहाइड्रेशन, अगर समय रहते बच्चे का उपचार नहीं किया गया तो देखते देखते बच्चे की जान तक जा सकती है।
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Porridge made of pulses and vegetables for children is deliciously tasty which children will love eating and is also nutritionally rich for their developing body. पौष्टिक दाल और सब्जी वाली बच्चों की खिचड़ी बच्चों को बहुत पसंद आएगी और उनके बढ़ते शरीर के लिए भी अच्छी है