Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं। इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले का प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार (Indian baby food)
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केले को "perfect food" कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योँकि बच्चे के बढ़ते शरीर के लिए जो भी पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता वो सब केले मैं मौजूद है।
इसके साथ-ही-साथ केले में antacids गुण भी हैं जिसकी वजह से केला पेट के लिए बहुत आच्छा है। केला में vitamin B6, manganese, vitamin C, potassium, dietary fiber, biotin, और कॉपर होता है।
केला बच्चों के लिए बहुत अच्छा है मगर इसका मतलब यह नहीं की बच्चों को बहुत ज्यादा केला खिला दिया जाये। बहुत ज्यादा केला खाने से बच्चों को कब्ज (constipation) का खतरा रहता है।
केला पौष्टिक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। ये उन फलों में से एक हैं जिन्हे आप अपने बच्चे को पहले आहार के रूप में भी दे सकती हैं।
केले को प्रकृति का perfect food कहा जाता है। क्योँकि इसमें लग-भग वो सारे पौष्टिक तत्त्व मौजूद हैं जो एक व्यक्ति के survival के लिए जरुरी है। केले में सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व है potassium और फाइबर। केले में विटामिन B6, विटामिन C और विटामिन B2 भी प्रचुर मात्रा में मौजूद रहता है।
जहाँ सोडियम की अधिकता हमारे शरीर के लिए अच्छी नहीं है, वहीँ पोटैशियम हमारे शरीर के लिए वरदान से कम नहीं है। पोटैशियम बेहद जरुरी है शरीर के ठीक-ठाक तरीके से काम करने के लिए। पोटैशियम की वजह से शरीर में उचित मात्रा में blood pressure बनता है और ह्रदय (heart) ठीक तरीके से काम कर पता है।
केले को प्राकृतिक antacids भी कहा जाता है क्योँकि पेट के विकार जैसे की stomach ulcers से पेट की रक्षा करता है और पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है। केला बहुत सरलता से पच भी जाता है।
शिशु को तब तक कोई भी ठोस आहार नहीं देना चाहिए जब ता की वो ६ महीने का न हो जाये। मगर केला एक ऐसा फल है जिसे आप बच्चे को चौथे महीने के बाद से ही दे सकती हैं। मगर अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें। आप के डॉक्टर को आप के बच्चे के बारे में ज्यादा बेहतर पता है और हर बच्चा भिन्न होता है।
केला अपने आप में ही एक बेहतरीन आहार है। और ये बाजार से खरदे हुए डब्बा बंद आहार से बेहतर है। इसे आप आसानी से अपनी बैग में रख के कहीं भी ले जा सकते हैं। इस्तेमाल करने के वक्त बस आप को इसका छिलका उतरना है और खा लेना है।
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10 ऐसे आसान तरीके जिनकी सहायता से आप अपने नवजात शिशु में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान कर पाएंगी। शिशु के जन्म के शुरुआती दिनों में कब्ज की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। अपने बच्चे को कब्ज की समस्या से होने वाले तकलीफ से गुजरते हुए देखना किसी भी मां-बाप के लिए आसान नहीं होता है।
जो बच्चे सिर्फ स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उन्हें हर दिन मल त्याग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मां के दूध में उपलब्ध सभी पोषक तत्व शिशु का शरीर ग्रहण कर लेता है। यह बहुत ही आम बात है। प्रायर यह भी देखा गया है कि जो बच्चे पूरी तरह से स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उनमें कब्ज की समस्या भी बहुत कम होती है या नहीं के बराबर होती है।
जो बच्चे फार्मूला दूध पर निर्भर रहते हैं उन्हें प्रायः देखा गया है कि वे दिन में तीन से चार बार मल त्याग करते हैं - या फिर कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन्हें अगर फार्मूला दूध दिया जाए तो वह हर कुछ कुछ दिन रुक कर मल त्याग करते हैं।
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बच्चों में अस्थमा के कई वजह हो सकते हैं - जैसे की प्रदुषण, अनुवांशिकी। लेकिन यह बच्चों में ज्यादा इसलिए देखने को मिलती है क्यूंकि उनका श्वसन तंत्र विकासशील स्थिति में होता है इसीलिए उनमें एलर्जी द्वारा उत्पन्न अस्थमा, श्वसन में समस्या, श्वसनहीनता, श्वसनहीन, फेफड़े, साँस सम्बन्धी, खाँसी, अस्थमा, साँस लेने में कठिनाई देखने को मिलती है। लेकिन कुछ घरेलु उपाय, बचाव और इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को दमे की तकलीफों से बचा सकती हैं।
जलशीर्ष यानी Hydrocephalus एक गंभीर बीमारी है जो शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है और उसके मस्तिष्क को हमेशा के लिए नुक्सान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बारत कर आप अपने शिशु को जलशीर्ष (Hydrocephalus) से बचा सकती हैं।
विज्ञान और तकनिकी विकास के साथ साथ बच्चों के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को ठीक करना अब बिना तार के संभव हो गया है। मुस्कुराहट चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाता है। लेकिन अगर दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) तो चेहरे की खूबसूरती को कम कर देते हैं। केवल इतना ही नहीं, थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) आपके बच्चे के आत्मविश्वास को भी कम करते हैं। इसीलिए यह जरूरी है कि अगर आपके बच्चे के दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) हो तो उनका समय पर उपचार किया जाए ताकि आपके शिशु में आत्मविश्वास की कमी ना हो। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप अपने बच्चे के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को बिना तार या ब्रेसेस के मदद के ठीक कर सकते हैं।
सभी बचों का विकास दर एक सामान नहीं होता है। यही वजह है की जहाँ कुछ बच्चे ढाई साल का होते होते बहुत बोलना शुरू कर देते हैं, वहीँ कुछ बच्चे बोलने मैं बहुत समय लेते हैं। इसका मतलब ये नहीं है की जो बच्चे बोलने में ज्यादा समय लेते हैं वो दिमागी रूप से कमजोर हैं, बल्कि इसका मतलब सिर्फ इतना है की उन्हें शारीरिक रूप से तयार होने में थोड़े और समय की जरूरत है और फिर आप का भी बच्चा दुसरे बच्चों की तरह हर प्रकार की छमता में सामान्य हो जायेगा।आप शिशु के बोलने की प्रक्रिया को आसन घरेलु उपचार के दुवारा तेज़ कर सकती हैं।
गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
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अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
बच्चों के रोने के कई वजह हो सकते हैं जैसे की भूख की वजह से, थकन की वजह से, पेट के दर्द या गैस की समस्या की वजह से। जब आप का शिशु रोये तो सबसे पहले आप उसे अपनी गोद में ले लें। शांत ना होने पे आप उसे स्तनपान कराएँ और उसके डायपर को जांचे की कहीं वह गिला तो नहीं है। अगर शिशु फिर भी ना शांत हो तो उसे चुसनी या पैसिफायर से शांत कराने की कोशिश करें, फिर भी ना शांत हो तो उसे सुलाने की कोशिश करने, यह भी देखें की कहीं शिशु को ज्यादा गर्मी या ठण्ड तो नहीं लग रहा है या उसे कहीं मछरों ने तो नहीं कटा है। इन सब के बावजूद अगर आप का शिशु रोये तो आप उसे तुरंत डोक्टर के पास लेके जाएँ।
बच्चों को दातों की सफाई था उचित देख रेख के बारे में बताना बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चों के दातों की सफाई का उचित ख्याल नहीं रखा गया तो दातों से दुर्गन्ध, दातों की सडन या फिर मसूड़ों से सम्बंधित कई बिमारियों का सामना आप के बच्चे को करना पड़ सकता है।
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन आप के शिशु को टाइफाइड के बीमारी से बचता है। टाइफाइड का वैक्सीन मुख्यता दो तरह से उपलबध है। पहला है Ty21a - यह लाइव वैक्सीन जिसे मुख के रस्ते दिया जाता है। दूसरा है Vi capsular polysaccharide vaccine - इसे इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है। टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन पहले दो सालों में 30 से 70 प्रतिशत तक कारगर है।