Category: टीकाकरण (vaccination)

शिशु के टीकाकरण से सम्बंधित महत्वपूर्ण सावधानियां

By: Vandana Srivastava | 5 min read

टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।

शिशु के टीकाकरण

बच्चे भारत के भविष्य हैं। इनकी सुरक्षा करना हमारा दायित्व हैं। एक माँ होने के नाते आप की जिम्मेदारी बनती हैं की आप का बच्चा सभी रोगों से मुक्त रहे। 

रोगों से छुटकारा पाने के लिए टीका करण ही सबसे सुरक्षित अस्त्र हैं।यह आप के बच्चे के चारो तरफ एक सुरक्षा कवच बना देता हैं।  

इस लेख में आप सीखेंगे - You will read in this article

  1. SMS के जरिये टीके की जानकारी
  2. राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का उद्देश्य
  3. टीकाकरण चार्ट
  4. टीकाकरण का महत्व
  5. टीकाकरण के अलग-अलग प्रकार
  6. क्या टीकाकरण सुरक्षित है?
  7. टीकाकरण के  दुष्प्रभाव
  8. सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम
  9. बच्चों के टीकाकरण से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें

  SMS के जरिये टीके की जानकारी - Upcoming vaccination schedule info through SMS

बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने और उनको गंभीर जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए, स्वास्थ्यविभाग अब नवजात से लेकर हर बच्चे की सेहत को लेकर गंभीर है। 

टीकाकरण को लेकर नई व्यवस्था शुरू की गई है। इसके तहत यह जानकारी एसएमएस से मिल जाएगी कि अब आपके बच्चे को कौन सा टीका कब लगेगा। 

भारतीय शिशु अकादमी ने अप्रैल से टीकाकरण के लिए एसएमएस अलर्ट सेवा शुरू की है। इसके लिए लोगों को एक बार रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। 

इसके बाद बच्चे के टीकाकरण के लिए अकादमी या फिर राजस्थान हेल्थ विभाग की ओर से एसएमएस मिलते रहेंगे। इससे यह फायदा होगा कि बच्चे के टीकाकरण का समय तिथि नहीं भूल पाएंगे। 

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस प्रक्रिया को बच्चों के लिए काफी महत्वपूर्ण पहल बताई गई है क्योकि माता-पिता भी इसके प्रति सजग होंगे तो बच्चों को गंभीर बीमारियों, कुपोषण से बचाया जा सकता है। 

राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का उद्देश्य - Aim of National Immunization Program (NIP)

टीकाकरण बच्चो  को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है। प्रत्येक देश की अपनी टीकाकरण नीति होती है जो कि उसके पूरे स्वाबस्य्ली  कार्यक्रम का हिस्सा होती है। 

भारत में राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य  सभी शिशुओं को छः जानलेवा बीमारियों तपेदिक, पोलियो,  गलघोंटू,  काली खांसी,  टिटनेस और खसरे से सुरक्षा प्रदान करता है। 

बच्चे को खसरे के टीके के साथ विटामिन ए ड्रॉप्सा भी ली जाती है।  2002-2003 से देश के कुछ चुने हुए शहरों में हैपेटाइटिस बी के टीके को भी इस कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया है।

इस कार्यक्रम के अन्तटर्गत एक वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों  को छः जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिये उनका टीकाकरण किया जाता है।

राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम

टीकाकरण चार्ट - Vaccination chart

अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट  के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। इससे यह भरोसा होता है कि आपका शिशु बहुत सी बीमारियों के प्रति यथासंभव सुरक्षित है। 

अगर, आपका  बच्चा थोड़ा बीमार है, तो भी ज्यादातर  डॉक्टर मानते हैं कि इसकी वजह से जरुरी टीका लगवाने में देरी नहीं करनी चाहिए।

टीकाकरण का महत्व - Importance of vaccination

आप के बच्चे के शरीर में इन्फेक्शन (संक्रमण) से बचने के लिए नेचुरल सुरक्षा होती है। इसे प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कहा जाता है। 

जब आप के बच्चे के अंदर कोई इन्फेक्शन (संक्रमण) होता है, तो इससे लड़ने के लिए उसके शरीर मे  रसायनों का उत्पादन होता है, जिन्हें एंटीबॉडीज कहा जाता है।

इन्फेक्शन (संक्रमण) के ठीक होने के बाद भी ये एंटीबॉडीज हमारे शरीर में ही रहते हैं। ये हमें इन्फेक्शन (संक्रमण) पैदा करने वाले उस जीव के प्रति प्रतिरक्षित बना देते हैं। 

यह प्रतिरक्षण क्षमता थोड़े समय के लिए या फिर जिंदगी भर भी हमारे साथ बनी रह सकती है।

टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके। कुछ टीके मौखिक रूप से दिए जाते हैं, वहीं कुछ अन्य इंजेक्शन के जरिये दिए जाते हैं।

टीके का फायदा यह है कि इन्फेक्शन ( संक्रमण) के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए हमें पूरी तरह बीमार होने की जरुरत नहीं है। 

हल्का संक्रमण होने से भी टीकाकरण के जरिये हम उसके खिलाफ प्रतिरोधक हो सकते हैं। इसी वजह से हम  लोग उसके बीमार होने से पहले ही उसके प्रति अलर्ट हो जाते हैं।

बाल्यावस्था  में टीकाकरण करवाने से शिशु अपनी जिंदगी के आरम्भ से ही संभवतया गंभीर बीमारियों से प्रतिरोधित हो जाता है।

टीकाकरण के अलग-अलग प्रकार - Vaccination differ from each other

टीकाकरण निम्नांकित तीन प्रकार का होता है:

  • प्राथमिक टीकाकरण: इसमें एक से लेकर पांच खुराकें शामिल हो सकती हैं। ये खुराकें शिशु के जन्म के समय शुरु होती हैं और उसकी जिंदगी के प्रारम्भ के  कुछ सालों तक जारी रहती हैं। ये शिशु के शरीर में किसी विशेष बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक  क्षमता विकसित करती हैं। इन टीकों की सभी खुराकें लेना आवश्यक है।
  • बूस्टर टीकाकरण: बूस्टर खुराकें टीकाकरण के प्रभाव को बढ़ाने के लिए दी जाती हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, एंटीबॉडीज का स्तर कम होने लगता है। फलस्वरूप शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी स्तर बनाए रखती है।
  • सार्वजनिक टीकाकरण: किसी विशेष बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए इस तरह का टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है। सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम अधिकतर सरकार द्वारा देश के बच्चों के स्वास्थ्य कल्याण के लिए चलाए जाते हैं।चेचक और हाल ही में पोलियो भी इस तरह के कार्यक्रमों के जरिये ही समाप्त हो पाएं हैं।

क्या टीकाकरण सुरक्षित है? - Is vaccination safe?

स्पेशलिस्ट का मानना है कि टीकाकरण आपके बच्चो के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। लगाने की मंजूरी देने से पहले टीकों की अच्छी तरह से जांच की जाती है। इन पर निंरतर निगाह रखी जाती है, ताकि यह निश्चित किया जा सके कि बीमारियों से  बच्चों की रक्षा करने के लिए ये पूरी तरह प्रभावी और सुरक्षित हैं।

टीकाकरण के  दुष्प्रभाव - Side affects of vaccination

टीकाकरण के बाद करीब 10 मिनट तक आपको चिकित्सक की देख- रेख में ही रहने के लिए कहा जा सकता है। यह इसलिए ताकि अगर बच्चे को इंजेक्शन के प्रति कोई रिएक्शन होता है, तो डॉक्टर तुरंत उसकी जांच कर सकें।

इंजेक्शन के जरिये दिए जाने वाले टीकों से शिशुओं और बच्चों को थोड़ी परेशानी हो सकती है। इससे वे चिड़चिड़े और अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं। इंजेक्शन लगाई गई जगह अक्सर लाल और सूजी हुई हो जाती है। आपके बच्चे को हल्का बुखार भी आ सकता है।

अगर, बच्चे को काफी तेज बुखार हो ,तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाएं।

कुछ विशेष टीके, जैसे कि एम.एम.आर. आदि लगने के सात से 10 दिन बाद भी बुखार या चकत्ते उभर सकते हैं। कुछ बच्चे टीके लगने के एक या दो दिन तक हल्के बीमार रह सकते।

इनमें से कई रोगों के मामलों में बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है। इन रोगों के प्रति बच्चे को सुरक्षा प्रदान करने के लिए टीके लगवाना ही सबसे बढ़िया उपाय है। 

यही कारण है,

कि भारतीय सरकार भी बचपन में होने वाली कुछ सबसे आम और गंभीर रोगों के खिलाफ सभी बच्चों को टीके लगवाने की सलाह देती है।

सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत निम्नांकित रोगों के खिलाफ टीके लगाए जाते हैं

  • तपेदिक (टी.बी.)
  • डिप्थीरिया
  • काली खाँसी (पर्टुसिस)
  • पोलियो
  • खसरा (मीजल्स)
  • टिटनेस
  • हेपेटाइटिस बी
  • हेपेटाइटिस ए
  • मोतीझरा (टाइफाइड)
  • कंठमाला का रोग (मम्प्स)
  • रुबेला
  • जठरांत्र शोथ या गैस्ट्रोएंट्राइटिस (रोटावायरस)

आपके बच्चे को हरेक बीमारी के खिलाफ महत्त्वपूर्ण सुरक्षा के लिए एक ही टीके की कई खुराकें लेने की जरुरत हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाए जाएं।

समय -समय में नियमित रुप पर नए टीके आते रहते हैं और ये अक्सर उन्हीं पुराने रोग के लिए ही होते हैं।

आपको एक रोग के लिए दो अलग टीकों में से किसी एक का चुनाव करने या फिर दोनों टीके मिलाकर लगवाने के लिए कहा जा सकता है। 

उदाहरण के तौर पर आपके बच्चे को ओरल  पोलियो ड्रॉप्स और इंजेक्शन के जरिये पोलियो का टीका दोनों ही दिए जा सकते हैं। यह सब आपको काफी कंफ्यूज कर सकता है।

इसलिए, आप अपने अनुसार कोई भी टीका लगवाएं, आपके बच्चे को उस बीमारी के प्रति सुरक्षा अवश्य मिलेगी।

चुनाव के बारे में डॉक्टर से चर्चा करें और उसके बाद अपने परिवार की जरुरतों और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लें।

बच्चों के टीकाकरण से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें - Important information related to vaccination 

  • टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे फायदेमंद तरीका है।
  • बच्चो को गंभीर रोग न हो उसके लिए सही समय पर टीके जरूर लगवाना चाहिए।
  • जब बच्चा गर्भ मे हो तो उस दौरान माँ को भी गर्भावस्थार के दौरान जल्द से जल्द टिटनेस टॉक्सागइड(टीटी) के  दो टीके लगाये जाने चाहिए।
  • बच्चे को दस्त  रोग हो तब भी पोलियो की खुराक अवश्य  पिलाना चाहिए।
  • बच्चो के माता-पिता को बतायें कि टीकाकरण कार्ड का क्या् महत्व है बच्चे को जब भी टीका लगवाने ले जाएं यह कार्ड साथ ले जाना न भूलें।

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

Most Read

Other Articles

बच्‍चों में दांत काटने की आदत को दूर करने का आसन तरीका
बच्‍चों-में-दांत-काटने-की-आदत-को-दूर-करने-का-आसन-तरीका छोटे बच्चों की सही और गलत पर करना नहीं आता इसी वजह से कई बार अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाते हैं और अपने अंदर की नाराजगी को जाहिर करने के लिए दूसरों को दांत काट देते हैं। अगर आपका शिशु भी जिसे बच्चों को या बड़ो को दांत काटता है तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप उसके इस आदत को छुड़ा सकती है।
Read More...

UHT milk को कितने दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है?
UTH-milk-को-कितने-दिनों-तक-सुरक्षित-रखा-जा-सकता-है UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
Read More...

बच्चों में माईग्रेन के लक्षण और घरेलु उपचार
बच्चों-में-माईग्रेन-के-लक्षण-और-घरेलु-उपचार बदलते परिवेश में जिस प्रकार से छोटे बच्चे भी माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं, यह जरूरी है कि आप भी इसके लक्षणों को जाने ताकि आप अपने बच्चों में माइग्रेन के लक्षणों को आसानी से पहचान सके और समय पर उनका इलाज हो सके।
Read More...

छोटे बच्चों में अस्थमा का इलाज
छोटे-बच्चों-में-अस्थमा-का-इलाज अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
Read More...

बढ़ते बच्चों में विटामिन और मिनिरल की कमी को दूर करे ये आहार
बच्चों-में-विटामिन-और-मिनिरल-की-कमी बढ़ते बच्चों के लिए विटामिन और मिनिरल आवश्यक तत्त्व है। इसके आभाव में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। अगर आप अपने बच्चों के खान-पान में कुछ आहारों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चों के शारीर में विटामिन और मिनिरल की कमी होने से बचा सकती हैं।
Read More...

सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी की फीस
बालों-का-झाड़ना नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से शिशु के जन्म वृद्धि दर में दोगुने का इजाफा हुआ है। सिजेरियन डिलीवरी में इस प्रकार की दोगुनी वृद्धि काफी चौंका देने वाली है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह सिजेरियन डिलीवरी के जरिए अस्पतालों की मोटी कमाई है।
Read More...

गर्भावस्था में बालों का झड़ना रोकें इस तरह से - घरेलु नुस्खे
गर्भावस्था-में-बालों-का-झड़ना गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
Read More...

बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) विकसित करने का तरीका
बच्चे-में-अच्छा-व्यहार-(Good-Behavior) अगर आप अपने बच्चे के व्यहार को लेकर के परेशान हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चों को डांटना और मरना विकल्प नहीं है। बच्चे जैसे - जैसे उम्र और कद काठी में बड़े होते हैं, उनके व्यहार में अनेक तरह के परिवेर्तन आते हैं। इनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे हो सकते हैं। लेकिन आप अपनी सूझ बूझ के से अपने बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) को विकसित कर सकती हैं। इस लेख में पढ़िए की किस तरह से आप अपने बच्चे में अच्छा परिवर्तन ला सकती हैं।
Read More...

होली सिखाये बच्चों को मानवीय मूल्यों का महत्व
होली-सिखाये-बच्चों होली मात्र एक त्यौहार नहीं है, बल्कि ये एक मौका है जब हम अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूक कर सकते हैं। साथ ही यह त्यौहार भाईचारा और सौहाद्रपूर्ण जैसे मानवीय मूल्यों का महत्व समझने का मौका देता है।
Read More...

गर्भावस्था में तीन बार से ज्यादा उलटी है खतरनाक
गर्भावस्था-में-उलटी गर्भावस्था में उलटी आम बात है, लेकिन अगर दिन में थोड़े-थोड़े समय में ही तीन बार से ज्यादा उलटी हो जाये तो इसका बच्चे पे और माँ के स्वस्थ पे बुरा असर पड़ता है। कुछ आसान बातों का ध्यान रख कर आप इस खतरनाक स्थिति से खुद को और अपने होने वाले बच्चे को बचा सकती हैं। यह मोर्निंग सिकनेस की खतरनाक स्थिति है जिसे hyperemesis gravidarum कहते हैं।
Read More...

बच्चे को बार बार हिचकी आता है क्या करें?
शिशु-हिचकी आप का बच्चा शायद दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद हिचकी लेता है या कभी कभार हिचकी से साथ थोड़ सा आहार भी बहार निकल देता है। यह एसिड रिफ्लक्स की वजह से होता है। और कोई विशेष चिंता की बात नहीं है। कुछ लोग कहते हैं की हिचकी तब आती है जब कोई बच्चे को याद कर रहा होता है। कुछ कहते हैं की इसका मतलब बच्चे को गैस या colic हो गया है। वहीँ कुछ लोग यह कहते है की बच्चे का आंत बढ़ रहा है। जितनी मुँह उतनी बात।
Read More...

अब कोई नवजात नहीं फेंका जायेगा कचरे के डब्बे में
abandoned-newborn इस यौजना का मुख्या उद्देश्य है की इधर-उधर फेंके गए बच्चों की मृत्यु को रोकना| समाज में हर बच्चे को जीने का अधिकार है| ऐसे में शिशु पालना केंद्र इधर-उधर फेंके गए बच्चों को सुरख्षा प्रदान करेगा|
Read More...

रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बनाने की विधि
रागी-का-खिचड़ी रागी को Nachni और finger millet भी कहा जाता है। इसमें पोषक तत्वों का भंडार है। कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन तो इसमें प्रचुर मात्रा में होता है। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि
Read More...

चावल का शिशु आहार - बनाने की विधि
चावल-का-शिशु-आहार चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
Read More...

मुंग का दाल बनाने की विधि - शिशु आहार
मुंग-का-दाल मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
Read More...

दलीय है baby food का अच्छा विकल्प
दलीय-है-baby-food छोटे बच्चों को कैलोरी से ज्यादा पोषण (nutrients) की अवश्यकता होती है| क्योँकि उनका शरीर बहुत तीव्र गति से विकसित हो रहा होता है और विकास के लिए बहुत प्रकार के पोषण (nutrients) की आवश्यकता होती है|
Read More...

रोटावायरस वैक्सीन (RV) - Schedule और Side Effects
रोटावायरस रोटावायरस वैक्सीन (RV) (Rotavirus Vaccine in Hindi) - हिंदी, - रोटावायरस वैक्सीन का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
Read More...

सूजी का खीर छोटे बच्चों के लिए शिशु आहार (Sooji Kheer For Baby)
सूजी-का-खीर अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
Read More...

4 से 6 माह के बच्चे के लिए चावल की रेसेपी
शिशु-आहार अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।
Read More...

बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के आसान तरीके
बच्चों-में-अच्छी-आदतें आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
Read More...

Copyright: Kidhealthcenter.com