Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺1 min read
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
पारिवारिक माहौल शिशु के पहले साल में माँ और बच्चे के बीच एक भावनात्मक bonding स्थापित करने में मदद करता है।
एक पारिवारिक तंत्र का बच्चे के विकास पे बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, विशेषकर के पहले कुछ सालों में बच्चे का माँ के साथ किस तरह का रिश्ता रहा।
पारिवारिक माहौल में रहकर और माँ के साथ बिताये समय में शिशु परिवारिक तंत्र के महत्व को समझता है। इस दौरान बच्चे में भावनात्मक विकास भी होता है। बच्चा माँ के साथ रह कर परिवारिक माहौल में अपने आप को ढालना सीखता है।
फ़िनलैंड की University of Tampere में १० साल के बच्चों पे एक शोध हुआ। शोध में विभिन प्रकार के पारिवारिक माहौल से आये ७९ बच्चों को सम्मलित किया गया। शोध के दौरान बच्चों को खुश मिजाज और नाराज चेहरे वाले तस्वीर दिखाई गयी।
शोध के नतीजों से पता चला की बच्चे अपनी भावनाओं का सामना स्वचालित तरीके से अपने unconscious स्तर पे करते हैं।
जो बच्चे ऐसे परिवारों से आये जहाँ माँ-बाप के बीच बहुत ही मधुर सम्बन्ध रहा और जहाँ बच्चे को भरपूर प्यार मिला।
जब इन बच्चों को नाराज चेहरे वाली तस्वीरें दिखाई गयीं तो कुछ सेकंड के लिए इसका असर बच्चे पे हुआ।
मगर फिर तुरंत ही बच्चे ने अपने ध्यान को उस तस्वीर से हटा लिए और पूरी तरह से उसके बारे में भूल गया। बच्चे की यह काफी अच्छी कोशिश थी।
यह इस बात को दर्शाता है की बच्चे में नकारात्मक माहौल का सामना करने की छमता है और नकारात्मक माहौल में भी यह शिशु सकारात्मक सोच बनाये रखने में सक्षम है।
उन परिवारों के बच्चे जहाँ माँ-बाप के बीच सम्बन्ध बहुत मधुर नहीं हैं, जब उन बच्चों को नाराज चेहरे वाली तस्वीरें दिखाई गयीं तो भी कुछ समय में ही बच्चे ने अपने ध्यान को वहां से हटा लिया।
मगर फिर भी बहुत देर तक यह बात बच्चे के मन में बनी रही। यह इस बात को दर्शाता है की वो बच्चे वो ऐसे पारिवारिक माहौल से आते हैं जहाँ माँ-बाप के बीच माहौल बहुत अच्छा नहीं है, वे नकारात्मक माहौल का सामना करने में उतने दक्ष नहीं हैं।
माँ-बाप के बीच मधुर सम्बन्ध शिशु के विकास में बहुत तरीके से योगदान करता है।