Category: बच्चों का पोषण
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गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।

गाए के दूध से मिले देशी घी के फायदे के बारे में तो आप को जरूर पता होगा।
लेकिन,
क्या आप को यह पता है,
की अगर आप अपने 6 से 12 महीने के बच्चे को गाए का शुद्ध देशी घी उसके आहार में मिला के देती हैं तो उसका शारीरिक और मानसिक विकास की दर कई गुणा बढ़ जाती है।

इसके साथ ही साथ गाए का शुद्ध देशी घी शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक छमता को भी बढ़ता है। इसका सीधा सा मतलब यह है की देशी घी शिशु को अनेक प्रकर की बीमारियोँ से सभी बचता है।
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शिशु के जीवन के पहले तीन साल विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन तीन सालों में शिशु बीमार भी सबसे ज्यादा पड़ता है। और यह दोनों बातों ऐसी हैं जिसमे देसी घी मदद कर सकता है।
चलिए हम निचे विस्तार से देखते हैं की देशी घी के क्या क्या फायदे हैं और इसे किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
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दाल या दाल के पानी में देशी घी मिला के शिशु को देने से उसके पेट में गैस की समस्या नहीं रहती है। अगर शिशु को एलेर्जी की समस्या हो तो उसके नाक देशी घी के कुछ बूँद डालने से आराम मिलता है।

शिशु के पहले तीन से चार साल ऐसे होते हैं जब उसे कब्ज की समस्या भी होती है। यह तीन साल तक के बच्चों की एक आम समस्या है।
लेकिन अगर आप अपने शिशु को उसके किसी-न-किसी आहार में देशी घी मिला के दे रही हैं तो उसे कब्ज की समस्या नहीं रहेगी।
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देशी घी में ऊर्जा बहुत घनिष्ठ रूप में होती है। शिशु को आहार में देशी घी देने से उसकी ऊर्जा की आवश्यकता पूरी होती है। बच्चे बहुत क्रियाशील होते हैं।
दौड़ना - भागना उनकी फितरत होती है। इन सब कार्योँ के लिए उसके शरीर को बहुत ऊर्जा की आवश्यक होती है। देशी घी एक बहुत ही आसान तरीका है शिशु के शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का।

देशी घी शिशु के दिमाग के लिए बहुत अच्छा है। यह एक ऐसा आहार है जो शिशु में आसानी से पच जाता है। शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए फायदेमंद है।
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देशी घी के सेवन से शिशु के वजन में बहुत तेज़ी से वृद्धि होती है। इसीलिए शिशु के वजन के अनुसार आप अपने शिशु को देशी घी खिलाएं।
अगर आप के शिशु का वजन कम है तो आप उसके आहार के साथ उसे थोड़ा ज्यादा देशी घी दे सकती हैं। लेकिन अगर आप के शिशु का वजन पहले से ही ज्यादा है तो आप उसे थोड़ा कम देशी घी दें।
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ठण्ड के दिनों में भी देशी घी बड़े काम की चीज़ है। अगर कफ की वजह से शिशु की छाती में जकड़न है तो आप गाए के पुराने देशी घी से शिशु की पीठ और छाती को मालिश करने से कफ में आराम मिलता है।

छोटे बच्चों को अक्सर हिचकी भी बहुत आती है। जब बच्चों को हिचकी आये तो उन्हें आधा चम्मच गाए का देशी घी देने से आराम मिलता है।
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Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
पोक्सो एक्ट बच्चों पे होने वाले यौन शोषण तथा लैंगिक अपराधों से उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। 2012 में लागु हुआ यह संरक्षण अधिनियम एवं नियम, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पे हो रहे लैंगिक अपराधों पे अंकुश लगाने के लिए किया गया है। Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) का उल्लेख सेक्शन 45 के सब- सेक्शन (2) के खंड “क” में मिलता है। इस अधिनियम के अंतर्गत 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ यौन उत्पीडन करने वाले दोषी को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
डर, क्रोध, शरारत या यौन शोषण इसका कारण हो सकते हैं। रात में सोते समय अगर आप का बच्चा अपने दांतों को पिसता है तो इसका मतलब है की वह कोई बुरा सपना देख रहा है। बच्चों पे हुए शोध में यह पता चला है की जो बच्चे तनाव की स्थिति से गुजर रहे होते हैं (उदहारण के लिए उन्हें स्कूल या घर पे डांट पड़ रही हो या ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं जो उन्हें पसंद नहीं है) तो रात में सोते वक्त उनमें दांत पिसने की सम्भावना ज्यादा रहती है। यहाँ बताई गयी बैटन का ख्याल रख आप अपने बच्चे की इस समस्या का सफल इलाज कर सकती हैं।
ये आहार माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते करते हैं। अगर माइग्रेन है तो इन आहारों को न खाएं और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को इन आहारों को खाने के लिए दें जिसे माइग्रेन हैं। इस लेख में हम आप को जिन आहारों को माइग्रेन के दौरान खाने से बचने की सलाह दे रहे हैं - आप ने अनुभव किया होगा की जब भी आप इन आहारों को कहते हैं तो 20 से 25 minutes के अंदर सर दर्द का अनुभव होने लगता है। पढ़िए इस लेख में विस्तार से और माइग्रेन के दर्द के दर्द से पाइये छुटकारा।
नवजात शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इस वजह से उन्हें कई बार कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक चम्मच में थोड़े से हिंग को चार-पांच बूंद पानी के साथ मिलाएं। इस लेप को बच्चे के नाभि पे लगाने से उसे थोडा आराम मिलेगा। बच्चे को स्तनपान करना जरी रखें और हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करते रहें। नवजात शिशु को पानी ना पिलायें।
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
मीठी चीनी किसे पसंद नहीं। बच्चों के मन को तो ये सबसे ज्यादा लुभाता है। इसीलिए रोते बच्चे को चुप कराने के लिए कई बार माँ-बाप उसे एक चम्मच चीनी खिला देते हैं। लेकिन क्या आप को पता है की चीनी आप के बच्चे के विकास को बुरी तरह से प्रभावित कर देते है। बच्चों को चीनी खिलाना बेहद खतरनाक है। इस लेख में आप जानेंगी की किस तरह चीनी शिशु में अनेक प्रकार की बिमारियौं को जन्म देता है।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
यूटीआई संक्रमण के लक्षण, यूटीआई संक्रमण से बचाव, इलाज। गर्भावस्था के दौरान क्या सावधानियां बरतें। यूटीआई संक्रमण क्या है? यूटीआई का होने वाले बच्चे पे असर। यूटीआई संक्रमण की मुख्या वजह।
गणतंत्र दिवस एक खुबसूरत अवसर है जिसका लाभ उठाकर सिखाएं बच्चों को आजादी का महत्व और उनमें जगाएं देश के संविधान के प्रति सम्मान। तभी देश का हर बच्चा बड़ा होने बनेगा एक जिमेदार और सच्चा नागरिक।
बहुत आसन घरेलु तरीकों से आप अपने शिशु का वजन बढ़ा सकती हैं। शिशु के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ऐसा समय है जब शिशु का शारीरिक और बौद्धिक विकास अपने चरम पे होता है। इस समय शिशु के विकास के रफ़्तार को ब्रेक लग जाये तो यह क्षति फिर जीवन मैं कभी पूरी नहीं हो पायेगी।
विटामिन सी, या एस्कॉर्बिक एसिड, सबसे प्रभावी और सबसे सुरक्षित पोषक तत्वों में से एक है यह पानी में घुलनशील विटामिन है यह कोलेजन के संश्लेषण के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जिससे रक्त वाहिकाओं और शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। मानव शरीर में विटामिन सी पैदा करने की क्षमता नहीं है। इसलिए, इसे भोजन और अन्य पूरक आहार के माध्यम से प्राप्त करने की आवश्यकता है।
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
घर पे आसानी से बनायें अवोकाडो और केले की मदद से पौष्टिक शिशु आहार (baby food)| पोटैशियम और विटामिन C से भरपूर, यह शिशु आहार बढते बच्चे के शारीरिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए एकदम सही विकल्प है|
आज के दौर की तेज़ भाग दौड़ वाली जिंदगी मैं हर माँ के लिए यह संभव नहीं की अपने शिशु के लिए घर पे खाना त्यार कर सके| ऐसे मैं बेबी फ़ूड खरीदते वक्त बरतें यह सावधानियां|
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine in Hindi) - हिंदी, - इन्फ्लुएंजा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
सेब और चावल से बना ये पुडिंग बच्चों को बहुत पसंद आता है। साथ ही यह बच्चे के स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद भी है। इस रेसिपी से शिशु को सेब के साथ चावल के भी पोषक तत्वों मिल जाते हैं। सेब से बना ये पुडिंग शिशु को आसानी इ पच जाता है।
सर्दी - जुकाम और खाँसी (cold cough and sore throat) को दूर करने के लिए कुछ आसान से घरेलू उपचार (home remedy) दिये जा रहे हैं, जिसकी सहायता से आपके बच्चे को सर्दियों में काफी आराम मिलेगा।