Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
वेरिसेला वैक्सीन (Chickenpox Varicella Vaccine in Hindi) - हिंदी, - वेरिसेला का टीका - दवा, ड्रग, उसे, Chickenpox Varicella Vaccine जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, चिकन पॉक्स दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक

वेरिसेला वैक्सीन, छोटी माता, या चिकन पॉक्स बेहद संक्रामक बीमारी है। यह varicella-zoster virus (VZV) नमक जीवाणु के संक्रमण से बनता है। इए के संक्रमण से शिशु के पुरे शारीर पे दानेदार चकते निकल आटे हैं जिन में पानी भरा होता है। संक्रमित बच्चे को बुखार और थकन लगता है। शिशु के लिए चिकन पॉक्स होना बहुत चिंता का विषय है। इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति को हवा के द्वारा - संक्रमित व्यक्ति के खासने से फैलता है।
वेरिसेला वैक्सीन शिशु को चिकन पॉक्स के संक्रमण से बचाता है। यह शिशु के लिए काफी सुरक्षित है और संक्रमण के रोकथाम में बहुत प्रभावी ही।
अगर आप का शिशु बीमार है तो उसे चिकन पॉक्स का टीका तब तक न लगवाएं जब तक की वो पूरी तरह स्वस्थ न हो जाये।
वेरिसेला वैक्सीन या चिकन पॉक्स के वैक्सीन से घम्भीर साइड इफेक्ट्स / दुष्प्रभाव होना एक बेहद दुर्लभ बात है। लेकिन थोड़े बहुत साइड इफेक्ट्स / दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं। रिसेला वैक्सीन या चिकन पॉक्स के वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स / दुष्प्रभाव यह हैं:
अगर आप के शिशु को चिकन पॉक्स के वैक्सीन के पहले डोज में ही जानलेवा allergic reaction हुवा हो तो अपने शिशु को चिकन पॉक्स का वैक्सीन न लगवाएं।
टीकाकरण चार्ट - 2018 के अनुसार निर्धारित समय पे टीका लगवाते वक्त अगर आप का शिशु बीमार है तो तब तक शिशु को टीका न लगवाएं जब तक की आप का शिशु पूर्ण रूप से ठीक न हो जाये।
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फूड पाइजनिंग (food poisining) के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार। बड़ों की तुलना में बच्चों का पाचन तंत्र कमज़ोर होता है। यही वजह है की बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) एक आम बात है। इस लेख में हम आपको फूड पाइजनिंग यानि विषाक्त भोजन के लक्षण, कारण, उपचार इलाज के बारे में बताएंगे। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज पढ़ें इस लेख में:
अगर आप अपने बच्चे के व्यहार को लेकर के परेशान हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चों को डांटना और मरना विकल्प नहीं है। बच्चे जैसे - जैसे उम्र और कद काठी में बड़े होते हैं, उनके व्यहार में अनेक तरह के परिवेर्तन आते हैं। इनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे हो सकते हैं। लेकिन आप अपनी सूझ बूझ के से अपने बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) को विकसित कर सकती हैं। इस लेख में पढ़िए की किस तरह से आप अपने बच्चे में अच्छा परिवर्तन ला सकती हैं।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
शिशु को 5 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला, डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
बच्चे को छूने और उसे निहारने से उसके दिमाग के विकास को गति मिलती है। आप पाएंगे की आप का बच्चा प्रतिक्रिया करता है जिसे Babinski reflex कहते हैं। नवजात बच्चे के विकास में रंगों का महत्व, बच्चे से बातें करना उसे छाती से लगाना (cuddle) से बच्चे के brain development मैं सहायता मिलती है।
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
बच्चों के नाजुक पाचन तंत्र में लौकी का प्यूरी आसानी से पच जाता है| इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे की कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन A, C. जो बच्चे के पोषण के लिए अच्छा है।
11 महीने के बच्चे का आहार सारणी इस तरह होना चाहिए की कम-से-कम दिन में तीन बार ठोस आहार का प्रावधान हो। इसके साथ-साथ दो snacks का भी प्रावधान होना चाहिए। मगर इन सब के बावजूद आपके बच्चे को उसके दैनिक जरुरत के अनुसार उसे स्तनपान या formula milk भी मिलना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
दस साल के बच्चे के आहार सरणी मैं वो सभी आहार सम्मिलित किया जा सकते हैं जिन्हे आप घर पर सभी के लिए बनती हैं। लेकिन उन आहारों में बहुत ज्यादा नमक, मिर्चा और चीनी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आप जायके के लिए हलके मसलों का इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे की धनिया पाउडर।
6 महीने की उम्र में आप का बच्चा तैयार हो जाता है ठोस आहार के लिए| ऐसे मैं आप को Indian baby food बनाने के लिए तथा बच्चे को ठोस आहार खिलाने के लिए सही वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी| जानिए आपको किन-किन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ेगी अपने बच्चे को ठोस आहार खिलाने में|
शांतिपूर्ण माहौल में ही बच्चा कुछ सोच - समझ सकता है, पढ़ाई कर सकता है, अधयाय को याद कर सकता है। और अपने school में perform कर सकता है। माता-पिता होने के नाते आपको ही देना है अपने बच्चे को यह माहौल।
बच्चों का नाख़ून चबाना एक बेहद आम समस्या है। व्यस्क जब तनाव में होते हैं तो अपने नाखुनो को चबाते हैं - लेकिंग बच्चे बिना किसी वजह के भी आदतन अपने नाखुनो को चबा सकते हैं। बच्चों का नाखून चबाना किसी गंभीर समस्या की तरफ इशारा नहीं करता है। लेकिन यह जरुरी है की बच्चे के नाखून चबाने की इस आदत को छुड़ाया जाये नहीं तो उनके दातों का shape बिगड़ सकता है। नाखुनो में कई प्रकार के बीमारियां अपना घर बनाती हैं। नाख़ून चबाने से बच्चों को कई प्रकार के बीमारी लगने का खतरा बढ़ जाता है, पेट के कीड़े की समस्या तथा पेट दर्द भी कई बार इसकी वजह होती है।
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।
बच्चो में कुपोषण का मतलब भूख से नहीं है। हालाँकि कई बार दोनों साथ साथ होता है। गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को उसकी बढ़ने के लिए जरुरी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए हर संभव प्रयास जरुरी हैं क्योंकि एक बार अगर बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाये तो उसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।
कुछ बातों का अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चों को गर्मियों के तीखे तेवर से बचा सकती हैं। बच्चों का शरीर बड़ों की तरह विकसित नहीं होता जिसकी वजह से बड़ों की तुलना में उनका शरीर तापमान को घटाने और रेगुलेट करने की क्षमता कम रखता है।
हेपेटाइटिस ‘बी’ वैक्सीन (Hepatitis B vaccine) के टीके के बारे में समपूर्ण जानकारी - complete reference guide - हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है जो रक्त, थूक आदि के माध्यम से होती है। हेपेटाइटिस बी के बारे में कहा जाता है की इसमें उपचार से बेहतर बचाव है इस रोग से बचने के लिए छह महीने के अंदर तीन टीके लगवाएं जाते हैं। विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है की दुनिया भर में ढाई करोड़ लोगों को लिवर की गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस बी से हर साल अत्यधिक मृत्यु होती है, परंतु इस का टीका लगवाने से यह खतरा 95 % तक कम हो जाता है।
लाल रक्त पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकायों के हीमोग्लोबिन में आयरन होता है। हीमोग्लोबिन ही पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचता है। बिना पर्याप्त आयरन के आपके शरीर में लाल रक्त की कमी हो जाएगी। बहुत से ऐसे भोजन हैं जिससे आयरन के कमी को पूरा किया जा सकता है।