Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺12 min read
6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। जबकि 6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।

माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता ये रहती है की उनके बेटी का वजन कहीं कम तो नहीं।
माँ-बाप की चिंता और बढ़ जाती है जब वे अपने बेटी के उम्र के दुसरे बच्चों को अपने बच्चे से ज्यादा लम्बा और वजनी देखते हैं।
लेकिन
बहुत सी बातें निर्भर करती हैं।

शिशु के वजन और लम्बाई का बढ़ना बहुत सी बातों पे निर्भर करता है। उनमें सबसे मुख्या है:
इसका मतलब साफ़ है।
अगर माँ-बाप लम्बे हैं तो बच्चे भी अपने माँ-बाप की लम्बाई पकड़ेंगे। इसीलिए अपनी बेटी का दुसरे बच्चों के साथ तुलना न करें।
6 महीने के लड़के का आदर्श वजन और लम्बाई क्या होना चाहिए? - यहाँ पढ़ें!

जब आप की बेटी 6 महीने की होगी तब उसका औसत वजन 7.3 kg और उसकी लम्बाई 24.8 से लेकर 28.25 inch के आस पास होनी चाहिए।
| शिशु की उम्र महीनो में | लड़का (KG) | लड़की (KG) |
|---|---|---|
| नवजात शिशु | 3.3 | 3.2 |
| 1 महिना | 3.5-4.4 | 3.32-4.1 |
| 2 महिना | 4.7-5.4 | 4.35-5 |
| 3 महिना | 5.6-6.2 | 5.2-5.7 |
| 4 महिना | 7 | 6.4 |
| 5 महिना | 7.5 | 6.9 |
| 6 महिना | 7.9 | 7.3 |
| 7 महिना | 8.3 | 7.7 |
| 8 महिना | 8.6 | 7.95 |
| 9 महिना | 8.9 | 8.2 |
| 10 महिना | 9.2 | 8.5 |
| 11 महिना | 9.4 | 8.7 |
| 12 महिना | 9.7 | 8.95 |
शिशु के उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट - Baby Growth Weight & Height Chart

निचे WHO दुवारा निर्धारित चार्ट को हमने इस लेख में दिए है। उसके आधार पे आप अपनी बेटी के विकास का उसके उम्र के अनुसार सही निष्कर्ष निकल सकती हैं।
नवजात शिशु का Infant Growth Percentile Chart यहाँ calculate करें।
जिन बच्चों को पोषण ठीक से नहीं मिलता है, उन बच्चों को कुपोषण हो सकता है और उन बच्चों की लम्बाई या वजन या दोनों को नुकसान पहुँच सकता है। उदहारण के लिए - अगर शिशु को आप केवल खिचड़ी खाने को दे रही हैं तो उसे केवल एक ही तरह का पोषण मिलगा और बच्चे में कुछ समय के बाद कुपोषण के लक्षण दिखने लगेंगे। इसीलिए बच्चे को तरह-तरह के आहार खाने को दें - ताकि बच्चे को सभी प्रकार के पोषण मिल सके।
नवजात शिशु का BMI Calculate करने की विधि यहाँ पढ़ें।

बच्चे को आहार में मौसम के अनुसार सब्जियां और फल भी खाने को दें।
बढ़ते हुए उम्र के साथ शिशु के शरीर का सामान्य दर से वजन बढ़ता है। अगर शिशु का वजन सामान्य दर से नहीं बढ़ रहा है तो यह वाकई चिंता का विषय है और माँ-बाप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखलाना चाहिए।

लड़किओं और लड़कों का विकास दर अलग अलग होता है। इसीलिए लड़किओं का विकास चार्ट लड़कों के विकास चार्ट से अलग होता है।
आप की बेटी जन्म से लेकर पांच साल तक की उम्र तक कई तरह के विकास अवस्था से गुजरेगी। उदहारण के लिए कुछ महीने ऐसे होंगे जब आप देखेंगी की आप के बच्ची का विकास बहुत तीव्र गति से हो रहा है और कुछ ऐसे समय ऐसा गुजरेगा जब आप को कोई विशेष विकास नहीं दिखेगा।
1 साल के बच्चे (लड़के) का आदर्श वजन और लम्बाई - यहाँ पढ़ें।


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यह जानना बहुत आवशयक है की यह सम्पूर्ण रेंज (range) ही सामान्य है। अब यह जानने के लिए की आप की बेटी का विकास ठीक तरीके से हो रहा है, डॉक्टर आप की बेटी का वजन - जन्म से लेकर अब तक किस दर से बढ़ा - इसका आकलन करेगा और उसके आधार पे ही इस निष्कर्ष पे पहुंचेगा की आप के बेटी का विकास सामान्य रूप से हो रहा है या नहीं।
अगर आप की बेटी का विकास graph में दर्शाये गए curve के अनुसार बढ़ रहा है तो सब कुछ ठीक है। लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो आप की बेटी को चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता पड़ेगी।
भारत में एक आम धारणा है की वजनी बच्चे ज्यादा तंदरूस्त होते हैं और पतले बच्चे कमजोर। लेकिन जब आप ऊपर दिए WHO के अनुसार अपनी लड़की के विकास का मिलान करेंगी तो सही निष्कर्ष निकल पाएंगी।

WHO के चार्ट स्कूल से मिलने वाले grade की तरह नहीं है - की जितना ज्यादा हो उतना अच्छा है। अगर आप की बेटी का वजन और लम्बाई WHO दुवारा त्यार चार्ट में 3rd percentile से लेकर 97th percentile में कहीं भी है, ते बेहतर है - वार्ना चिंता का विषय है।
अगर आपकी बेटी का वजन और लम्बाई WHO दुवारा त्यार चार्ट में 3rd percentile से लेकर 97th percentile से ज्यादा या कम है तो यह चिंता का विषय है और आप को अपनी बेटी को डॉक्टर को दिखलाना चाहिए।
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विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
जलशीर्ष यानी Hydrocephalus एक गंभीर बीमारी है जो शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है और उसके मस्तिष्क को हमेशा के लिए नुक्सान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बारत कर आप अपने शिशु को जलशीर्ष (Hydrocephalus) से बचा सकती हैं।
फूड पाइजनिंग (food poisining) के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार। बड़ों की तुलना में बच्चों का पाचन तंत्र कमज़ोर होता है। यही वजह है की बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) एक आम बात है। इस लेख में हम आपको फूड पाइजनिंग यानि विषाक्त भोजन के लक्षण, कारण, उपचार इलाज के बारे में बताएंगे। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज पढ़ें इस लेख में:
नारियल का पानी गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही में विशेषकर फायदेमंद है अगर इसका सेवन नियमित रूप से सुबह के समय किया जाए तो। इसके नियमित सेवन से गर्भअवस्था से संबंधित आम परेशानी जैसे कि जी मिचलाना, कब्ज और थकान की समस्या में आराम मिलता है। साथी या गर्भवती स्त्री के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, शिशु को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है और गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
विटामिन डी की कमी से शिशु के शरीर में हड्डियों से संबंधित अनेक प्रकार की विकार पैदा होने लगते हैं। विटामिन डी की कमी को उचित आहार के द्वारा पूरा किया जा सकता। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप अपने शिशु को कौन कौन से आहार खिलाए जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है। ये आहार आपके शिशु को शरीर से स्वस्थ बनाएंगे और उसकी शारीरिक विकास को गति प्रदान करेंगे।
नवजात शिशु को डायपर के रैशेस से बचने का सरल और प्रभावी घरेलु तरीका। बच्चों में सर्दियौं में डायपर के रैशेस की समस्या बहुत ही आम है। डायपर रैशेस होने से शिशु बहुत रोता है और रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। लेकिन इसका इलाज भी बहुत सरल है और शिशु तुरंत ठीक भी हो जाता है। - पढ़िए डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे।
गर्भावस्था के बाद तंदरुस्ती बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन कुछ छोटी-मोती बातों का अगर ख्याल रखा जाये तो आप अपनी पहली जैसी शारीरिक रौनक बार्कर रख पाएंगी। उदहारण के तौर पे हर-बार स्तनपान कराने से करीब 500 600 कैलोरी का क्षय होता है। इतनी कैलोरी का क्षय करने के लिए आपको GYM मैं बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
घर पे करें तयार झट से शिशु आहार - इसे बनाना है आसन और शिशु खाए चाव से। फ्राइड राइस में मौसम के अनुसार ढेरों सब्जियां पड़ती हैं। सब्जियौं में कैलोरी तो भले कम हो, पौष्टिक तत्त्व बहुत ज्यादा होते हैं। शिशु के मानसिक और शारीरक विकास में पौष्टिक तत्वों का बहुत बड़ा यौग्दन है।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
अंगूर से बना शिशु आहार - अंगूर में घनिष्ट मात्र में पोषक तत्त्व होता हैं जो बढते बच्चों के लिए आवश्यक है| Grape Baby Food Recipes – Grape Pure - शिशु आहार -Feeding Your Baby Grapes and the Age to Introduce Grapes
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
गर्मियों का मतलब ढेर सारी खुशियां और ढेर सारी छुट्टियां| मगर सावधानियां न बरती गयीं तो यह यह मौसम बिमारियों का मौसम बनने में समय नहीं लगाएगा| गर्मियों के मौसम में बच्चे बड़े आसानी से बुखार, खांसी, जुखाम व घमोरियों चपेट में आ जाते है|
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine in Hindi) - हिंदी, - इन्फ्लुएंजा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
बच्चों का नाख़ून चबाना एक बेहद आम समस्या है। व्यस्क जब तनाव में होते हैं तो अपने नाखुनो को चबाते हैं - लेकिंग बच्चे बिना किसी वजह के भी आदतन अपने नाखुनो को चबा सकते हैं। बच्चों का नाखून चबाना किसी गंभीर समस्या की तरफ इशारा नहीं करता है। लेकिन यह जरुरी है की बच्चे के नाखून चबाने की इस आदत को छुड़ाया जाये नहीं तो उनके दातों का shape बिगड़ सकता है। नाखुनो में कई प्रकार के बीमारियां अपना घर बनाती हैं। नाख़ून चबाने से बच्चों को कई प्रकार के बीमारी लगने का खतरा बढ़ जाता है, पेट के कीड़े की समस्या तथा पेट दर्द भी कई बार इसकी वजह होती है।
अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा उलटी करता है, तो आप का चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चे के पहले साल में दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद उलटी करना कितना स्वाभाविक है, इसके बारे में हम आप को इस लेख में बताएँगे। हर माँ बाप जिनका छोटा बच्चा बहुत उलटी करता है यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या उनके बच्चे के उलटी करने के पीछे कोई समस्या तो नहीं। इसी विषेय पे हम विस्तार से चर्चा करते हैं।
वायरल संक्रमण हर उम्र के लोगों में एक आम बात है। मगर बच्चों में यह जायद देखने को मिलता है। हालाँकि बच्चों में पाए जाने वाले अधिकतर संक्रामक बीमारियां चिंताजनक नहीं हैं मगर कुछ गंभीर संक्रामक बीमारियां भी हैं जो चिंता का विषय है।
दूध से होने वाली एलर्जी को ग्लाक्टोसेमिया या अतिदुग्धशर्करा कहा जाता है। कभी-कभी आप का बच्चा उस दूध में मौजूद लैक्टोज़ शुगर को पचा नहीं पाता है और लैक्टोज़ इंटॉलेन्स का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से उसे उलटी , दस्त व गैस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों में दूध में मौजूद दूध से एलर्जी होती है जिसे हम और आप पहचान नहीं पाते हैं और त्वचा में इसके रिएक्शन होने लगता है।
बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorbtion in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।