Vitamin D - गर्भावस्था में इस्तेमाल और सावधानियां
विटामिन डी (Vitamin D) एक ऐसा विटामिन है जिसके लिए डॉक्टर की परामर्श की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसे कोई भी आसानी से बिना मेडिकल प्रिसक्रिप्शन के दवा की दुकान से खरीद सकता है। विटामिन डी शरीर के कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से कार्य करने में कई तरह से मदद करता है। उदाहरण के लिए यह शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में सहायता करता है। मजबूत और सेहतमंद हड्डियों के निर्माण में सहायता करता है। तथा यह विटामिन शरीर को कई प्रकार के संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन अगर आप गर्भवती हैं या फिर गर्भ धारण करने का प्रयास कर रही है तो विटामिन डी (Vitamin D) के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य परामर्श कर ले।
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बच्चों के दांत टेढ़े होने से कैसे बचाएँ
आप पाएंगे कि अधिकांश बच्चों के दांत ठेडे मेढे होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अपने दांतो का ख्याल बड़ों की तरह नहीं रखते हैं। दिनभर कुछ ना कुछ खाते रहते हैं जिससे उनके दांत कभी साफ नहीं रहते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चों यह दातों का थोड़ा ख्याल रखें तो आप उनके दातों को टेढ़े (crooked teeth) होने से बचा सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आपको अपने बच्चों के दातों से संबंधित कौन-कौन सी बातों का ख्याल रखना है, और अपने बच्चों को किन बातों की शिक्षा देनी है जिससे वे खुद भी अपने दांतो का ख्याल रख सके।
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10 टिप्स - नवजात शिशुओं में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान
10 ऐसे आसान तरीके जिनकी सहायता से आप अपने नवजात शिशु में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान कर पाएंगी। शिशु के जन्म के शुरुआती दिनों में कब्ज की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। अपने बच्चे को कब्ज की समस्या से होने वाले तकलीफ से गुजरते हुए देखना किसी भी मां-बाप के लिए आसान नहीं होता है।
जो बच्चे सिर्फ स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उन्हें हर दिन मल त्याग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मां के दूध में उपलब्ध सभी पोषक तत्व शिशु का शरीर ग्रहण कर लेता है। यह बहुत ही आम बात है। प्रायर यह भी देखा गया है कि जो बच्चे पूरी तरह से स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उनमें कब्ज की समस्या भी बहुत कम होती है या नहीं के बराबर होती है।
जो बच्चे फार्मूला दूध पर निर्भर रहते हैं उन्हें प्रायः देखा गया है कि वे दिन में तीन से चार बार मल त्याग करते हैं - या फिर कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन्हें अगर फार्मूला दूध दिया जाए तो वह हर कुछ कुछ दिन रुक कर मल त्याग करते हैं।
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छोटे बच्चों में अस्थमा का इलाज
अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
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शिशु के पुरे शारीर पे एक्जीमा - कारण व उपचार
एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसमें बच्चे के पुरे शारीर पे लाल चकते पड़ जाते हैं और उनमें खुजली बहुत हती है। एक्जिमा बड़ों में भी पाया जाता है, लेकिन यह बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। एक्जिमा की वजह से इतनी तीव्र खुजली होती है की बच्चे खुजलाते-खुजलाते वहां से खून निकल देते हैं लेकिन फिर भी आराम नहीं मिलता। हम आप को यहाँ जो जानकारी बताने जा रहे हैं उससे आप अपने शिशु के शारीर पे निकले एक्जिमा का उपचार आसानी से कर सकेंगे।
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शिशु के शारीर से चेचक का दाग हटाने का घरेलु उपचार
आसन घरेलु उपचार दुवारा अपने बच्चे के शारीर से चेचक, चिकन पॉक्स और छोटी माता, बड़ी माता के दाग - धब्बों को आसानी से दूर करें। चेचक में शिशु के शारीर पे लाल रंग के दाने निकल, लेकिन अफ़सोस की जब शिशु पूरितः से ठीक हो जाता है तब भी पीछे चेचक - चिकन पॉक्स के दाग रह जाते हैं। चेचक के दाग के निशान चेहरे और गर्दन पर हो तो वो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते है। लेकिन इन दाग धब्बों को कई तरह से हटाया जा सकता है - जैसे की - चिकन पॉक्स के दाग हटाने के लिए दवा और क्रीम इस्तेमाल कर सकती हैं और घरेलु प्राकृतिक उपचार भी कर सकती हैं। हम आप को इस लेख में सभी तरह के इलाज के बारे में बताने जा रहें हैं।
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गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) में ब्लड प्रेशर का घरेलु उपचार
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
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39 TIPS - बोर्ड एग्जाम की तयारी में बच्चों की मदद इस तरह करें
कुछ बातों का ख्याल रख आप अपने बच्चों की बोर्ड एग्जाम की तयारी में सहायता कर सकती हैं। बोर्ड एग्जाम के दौरान बच्चों पे पढाई का अतिरिक्त बोझ होता है और वे तनाव से भी गुजर रहे होते हैं। ऐसे में आप का support उन्हें आत्मविश्वास और उर्जा प्रदान करेगा। साथ ही घर पे उपयुक्त माहौल तयार कर आप अपने बच्चों की सफलता सुनिश्चित कर सकती हैं।
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मुँह में दिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन (OPV) - Schedule और Side Effects
पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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शिशु के लिए नींद एक टॉनिक
सोते समय शरीर अपनी मरमत (repair) करता है, नई उत्तकों और कोशिकाओं का निर्माण करता है, दिमाग में नई brain synapses का निर्माण करता है - जिससे बच्चे का दिमाग प्रखर बनता है।
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29 शिशु आहार जो बनाने में आसान
29 रोचक और पौष्टिक शिशु आहार बनाने की विधि जिसे आप का लाडला बड़े चाव से खायेगा। ये सारे शिशु आहार को बनाना बहुत ही आसान है, इस्तेमाल की गयी सामग्री किफायती है और तैयार शिशु आहार बच्चों के लिए बहुत पौष्टिक है। Ragi Khichdi baby food शिशु आहार
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सूजी का उपमा 6 से 12 महीने के बच्चे के लिए
उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
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12 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe)
12 महीने या 1 साल के बच्चे को अब आप गाए का दूध देना प्रारम्भ कर सकते हैं और साथ ही उसके ठोस आहार में बहुत से व्यंजन और जोड़ सकते हैं। बढ़ते बच्चों के माँ-बाप को अक्सर यह चिंता रहती है की उनके बच्चे को सम्पूर्ण पोषक तत्त्व मिल पा रहा है की नहीं? इसीलिए 12 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe) बच्चों के आहार सारणी की जानकारी दी जा रही है। संतुलित आहार चार्ट
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7 तरीके बच्चों को यौन शोषण से बचाने के
अगर आप अपने बच्चे को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू करना पड़ेगा| जब बच्चा comfortable feel करना शुरू करेगा तो वो उन हरकतों को भी शेयर करेगा जो उन्हें पसंद नहीं|
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ठंड में बढ़ जाता है हाइपोथर्मिया का खतरा
हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।
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चिकन पाक्स - छोटी माता या वेरिसेला का टिका और इसका उपचार
ज़्यादातर 1 से 10 साल की उम्र के बीच के बच्चे चिकन पॉक्स से ग्रसित होते है| चिकन पॉक्स से संक्रमित बच्चे के पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियाँ विकसित होती हैं। यह दिखने में खसरे की बीमारी की तरह लगती है। बच्चे को इस बीमारी में खुजली करने का बहुत मन करता है, चिकन पॉक्स में खांसी और बहती नाक के लक्षण भी दिखाई देते हैं। यह एक छूत की बीमारी होती है इसीलिए संक्रमित बच्चों को घर में ही रखना चाहिए जबतक की पूरी तरह ठीक न हो जाये|
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बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त, पित्ती (Urticaria)
जानिये स्किन रैशेस से छुटकारे के घरेलू उपाय। बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त आम तौर पर पाचन तंत्र की गड़बड़ी और खून में गर्मी बढ़ जाने के कारण होता है। तेल, मिर्च, बाजार में बिकने वाले फ़ास्ट फ़ूड, व चाइनीज़ खाना खाने से बच्चों में इस रोग के होने का खतरा रहता है। वातावरण में उपस्थित कई तरह के एलर्जी कारक भी इसके कारण होते हैं
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