Category: शिशु रोग
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बच्चों के शारीर पे एक्जिमा एक बहुत ही तकलीफदेह स्थिति है। कुछ बातों का ख्याल रखकर और घरेलु इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को बहुत हद तक एक्जिमा की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगी हर छोटी और बड़ी बात का जिनका आप को ख्याल रखना है अगर आप का शिशु एक्जिमा की समस्या से परेशान है!
अगर आपकी शिशु की त्वचा समय-समय पर एग्जिमा से प्रभावित हो जाती है, तो यह देख विशेषकर आपके लिए ही है।
एक्जिमा त्वचा से संबंधित समस्या है जिसमें बहुत तकलीफ होता है। बच्चों को इस तरह से तकलीफ में देखना मां-बाप के लिए बहुत कष्टकारी है। लेकिन आप परेशान ना हो। कुछ आसान घरेलू तरीकों से आप अपने शिशु को एक्जिमा से बचा सकते हैं।
एग्जिमा का पूरी तरह से कोई इलाज नहीं है। समय के साथ जैसे जैसे आप का शिशु बड़ा होगा वैसे वैसे उसकी त्वचा एक्जिमा से कम प्रभावित होगी। एक समय आएगा जब आपके शिशु की त्वचा पर एक्जिमा फिर कभी नहीं निकलेगा।
हालांकि एक्जिमा का कोई इलाज नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार के द्वारा इसे बहुत हद तक कम किया जा सकता है, और इसे होने से रोका भी जा सकता है।
अगर आपकी शिशु की त्वचा समय-समय पर एक्जिमा से प्रभावित होती है तो सबसे पहले आपको अपने शिशु के रहन-सहन को बदलना पड़ेगा।
एक्जिमा मुख्यता शरीर के बाहरी तत्वों के संपर्क में आने पर होता है। यह तत्व है जानवरों के बाल, धूल, धुआं, गंदगी, फूलों के परागण और ऐसे आहार जो स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं है। एक्जिमा की स्थिति पर आपको अपने शिशु के आहार पर विशेष ध्यान रखना पड़ेगा।
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शिशु के रहन-सहन का विशेष ध्यान रखकर आप एक्जिमा की समस्या से उसे बहुत हद तक बचा सकती हैं। लेकिन हर प्रकार की सावधानी बरत कर भी अगर उसकी त्वचा पर एक्जिमा उभरे तो आप निम्न घरेलू उपाय कर सकते हैं। यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक है और इनका शिशु के शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
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नारियल का तेल ना केवल खाना बनाने के लिए ही बेहतरीन है बल्कि यह त्वचा की रक्षा के लिए भी बहुत बेहतरीन है।
एग्जिमा का मुख्य कारण है सुखी त्वचा। आप नारियल के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं अपनी शिशु की त्वचा को सूखने से बचाने में।
त्वचा के ऊपर नारियल के तेल से मालिश करने पर, पूरी त्वचा पर तेल की एक परत चढ़ जाती है जो त्वचा में मौजूद नमी को सूखने से रोकती है।
त्वचा पर नमी के बने रहने से त्वचा को एक्जिमा से राहत मिलता है। नारियल के तेल में antibacterial और anti-inflammatory गुण भी होते हैं।
विश्व भर में हुए अनेक शोध में यह पाया गया है कि जिन व्यक्तियों के त्वचा पर एक्जिमा होता है, उनके त्वचा पर बैक्टीरिया की मौजूदगी भी ज्यादा पाई गई है।
नारियल के तेल में antibacterial और anti-inflammatory गुण होने की वजह से यह त्वचा पर संक्रमण के बनने से रोकता है। त्वचा पर संक्रमण होने पर एग्जिमा और भी गंभीर हो सकता है।
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अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आप के घर में आवश्यक रूप से हुमिडिफिएर (humidifier) होना चाहिए। हुमिडिफिएर (humidifier) कमरे में नमी के स्तर को बनाए रखता है।
रूखी सूखी त्वचा पर एक्जिमा बहुत आसानी से उभरता है। अगर घर में नमी का स्तर बहुत कम हो जाए, तो शिशु की त्वचा पर एक्जिमा की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
जिस कमरे में शिशु रात को सोता हो, उस कमरे में रात के वक्त हुमिडिफिएर (humidifier) का इस्तेमाल करें। इससे कमरे में रात भर नमी का स्तर बना रहेगा, और शिशु की त्वचा शुष्क होने से बचेगी।
कमरे में हुमिडिफिएर (humidifier) का इस्तेमाल शिशु को ना केवल एग्जिमा से बचाता है बल्कि यह उसे और भी कई प्रकार की जटिलताओं से बचाता है।
उदाहरण के लिए ठंड के दिनों में शिशु को सर्दी खांसी या सीने की जकड़न हो तो उस वक्त भी कमरे में हुमिडिफिएर (humidifier) के इस्तेमाल से शिशु को तुरंत राहत मिलता है।
गर्मी के दिनों में अगर आप घरों में ऐसी का इस्तेमाल करते हैं तो भी जिस कमरे में शिशु हो उस कमरे में हुमिडिफिएर (humidifier) का इस्तेमाल आवश्यक है।
AC के इस्तेमाल से घरों में नमी का स्तर बहुत तेजी से घटता है। AC इसका इस्तेमाल आपके शिशु के एक्जिमा को गंभीर कर सकता है।
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खेल कूद और व्यायाम से शिशु की त्वचा पर एग्जिमा उभर सकता है। लेकिन खेल कूद और व्यायाम शिशु को एक्जिमा से बचाता भी है।
जो बच्चे शारीरिक रूप से बहुत क्रियाशील होते हैं, उनमें भावनात्मक और मानसिक तनाव की स्थिति बहुत कम होती है।
कई बार शिशु की त्वचा पर एक्जिमा तब उभरता है जब वह भावनात्मक और मानसिक तनाव की स्थिति गुजर रहा होता है।
शारीरिक क्रियाशीलता शिशु को एक्जिमा की समस्या से बचाता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि जब आपका शिशु खेलकूद या व्यायाम के बाद घर आए, तो आप उसके शरीर को हल्के गर्म पानी से धोकर साफ करने, यह साफ गीले कपड़े से उसके शरीर को पोछ कर साफ कर दे। शिशु के शरीर को साफ करने के बाद मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल अवश्य करें।
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गर्म पानी के स्नान से त्वचा बहुत रूखी सूखी हो जाती है इसीलिए शिशु को नहलाते वक्त हल्के गर्म पानी का इस्तेमाल करें। शिशु को नहलाते वक्त बहुत ही नर्म साबुन का इस्तेमाल करें।
शिशु के पूरे शरीर पर साबुन नहीं लगाएं। बल्कि साबुन का इस्तेमाल शरीर के केवल उन्हीं स्थानों पर करें जहां पर गंदगी ज्यादा है और उन्हें साबुन से साफ करने की आवश्यकता है।
स्नान के बाद शिशु के शरीर को तौलिए से रगड़ रगड़ के नाक सुखाएं। इसकी बजाय शिशु की त्वचा पे तोलिये को आहिस्ते आहिस्ते रखकर दबा दबा कर सुखाएं। रगड़ की वजह से शिशु की त्वचा पर एग्जिमा और भी गंभीर हो सकता है।
शिशु को आरामदायक सूती कपड़े पहनाए। सूती कपड़े शिशु के शरीर को गर्मी में ठंड रखेंगे और एक्जिमा को त्वचा पर उभरने से रोकेंगे।
एक्जिमा की मुख्य वजह सूखी त्वचा है इसीलिए शिशु की त्वचा पर नियमित रूप से मॉइस्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें।
मॉइस्चराइजिंग क्रीम शिशु की त्वचा की नमी को रोके रखेगा और उन्हें सूखने से बचाएगा। आपको अपने शिशु की त्वचा पर मॉइस्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल दिन में जरुरत के अनुसार कई बार करना पड़ सकता है।
क्योंकि कपड़े धोने के लिए हल्के डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें। ऐसी डिटर्जेंट का प्रयोग करें जिसमें कृत्रिम रंगों तथा खुशबू का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
साथ ही जिन्हें बनाने के लिए कड़क केमिकल का भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। धोने के बाद भी कपड़ो में डिटर्जेंट के थोड़ी बहुत अवशेष रह जाते हैं।
यह अवशेष शिशु की त्वचा पर एग्जिमा को उधार सकते हैं। इसीलिए शिशु के कपड़ों को धोने के लिए डिटर्जेंट का चुनाव बहुत सावधानी पूर्वक और सोच समझ कर करना चाहिए।
डिटर्जन को खरीदते वक्त उसके डब्बे पर पढ़ ले कि कहीं उसके इस्तेमाल से त्वचा को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचेगा।
और फलों के मुकाबले पपीता में केमिकल की मात्रा बहुत कम होती है इसीलिए सभी फलों में इसे सबसे ज्यादा सुरक्षित फल माना जाता है।
यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त बनाता है। पपीता एक ऐसा फल है जिसे हर उम्र के व्यक्ति खा सकते हैं। पपीता खाने से एक्जिमा में शिशु को राहत पहुंच सकता है, साथ ही यह भी पाया गया है कि पपीते को ऊपर से त्वचा पर लगाने पर भी एक्जिमा में आराम मिलता है।
त्वचा पर एक्जिमा की समस्या में एलोवेरा भी बहुत आराम पहुंचाता है। इसे त्वचा पर प्रभावित हिस्से पर लगाया जा सकता है।
इसके शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं क्योंकि यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। बाजार से एलोवेरा आधारित क्रीम खरीदने से बेहतर है कि आप अपने घर पर ही एलोवेरा का पौधा लगा लें।
यह नाम सुनने में बड़ा अजीब सा और अटपटा सा लगता है। लेकिन शरीर के लिए बहुत ही गुणकारी है। यह शरीर के लिए स्वस्थ वसा का अच्छा स्रोत है।
यह दातों को सड़ने से बचाता है, नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है, शरीर में हार्मोन और दिमाग के विकास को बढ़ावा देता है।
यह गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी है, विशेषकर गर्भकाल के उस दौरान जब गर्भ में शिशु के मस्तिष्क का विकास बहुत तेजी से हो रहा हो।
इससे शिशु को fat-soluble vitamins A,D, E और K मिलता है। इसका स्वाद हो सकता है आपकी शिशु को पसंद ना आए, लेकिन फिर भी आप अपनी शिशु को इसे दें।
एक्जिमा की स्थिति में प्रोबायोटिक्स (Probiotics) शिशु के लिए बहुत ही बेहतरीन सप्लीमेंट है। प्रोबायोटिक्स (Probiotics) विशेषकर शिशु की त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं।
शिशु को प्रोबायोटिक देने के लिए आप उसे दही लस्सी दे सकती हैं। बाजार में उपलब्ध डिब्बाबंद दही या लस्सी अपने शिशु को ना दें।
इसमें अनावश्यक रुप से कृत्रिम रंगों और सुगंध का इस्तेमाल किया जाता है। यह स्वाद में साधारण लस्सी और दही से ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं।
लेकिन अफसोस कि इनमें प्रोबायोटिक्स (Probiotics) के कोई गुण नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें बनाते वर्क प्रोसेस किया जाता है।
प्रोसेस करते वक्त इन में मौजूद दही के जीवाणु पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं और इस वजह से इनके सेवन से शरीर को कोई लाभ नहीं मिलता है - केवल स्वाद मिलता है।
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