Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
पीट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है| नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है|

विश्व भर में हो रहे शोध में तो एक बात तय है की बच्चों के पीठ दर्द को नजरअंदाज करना, बच्चों के बाद की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। ये आगे चलकर बच्चों के लिए जिंदगी भर के लिए तकलीफ बन सकता है। स्वस्थ बच्चों की परवरिश के लिए आप को कई बातों का ख्याल रखना पड़ेगा।
आम तौर पर बड़े लोगों को ही पीट दर्द की समस्या से जूझते देखा गया है। मगर इस बदलते परिवेश में पीठ दर्द ने एक बीमारी का रूप ले लिए है और हमारे समाज पे इस तरह हावी हो गया है की अब सिर्फ बड़े ही नहीं वरन बच्चे भी पीठ दर्द की शिकायत करने लगे हैं।
सबसे पहली बात तो हमे यह समझने की है की पीठ दर्द कोई आम या साधारण बात नहीं है। पीठ दर्द की समस्या होने पे डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और अपने डॉक्टर के सुझाव पे शारीरिक जांच करवानी चाहिए। बड़ों में पीठ दर्द की समस्या बहुत से कारणों से हो सकता है। और इसी लिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है। - जी हाँ इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं।

अगर बच्चे पीठ दर्द की समस्या की शिकायत करें तो क्या?
हमारी सभ्यता और मानव समाज ने इतनी तरकी कर ली है की आज बच्चों का बचपना कहीं गुम सा हो के रह गया है। हम चाहते हैं अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढाए, इसका नतीजा यह होता ही की नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है। ये सब सिर्फ इसलिए ताकि जिंदगी की दौड़ में वे कहीं पीछे न छूट जाएँ। इसका नतीजा, बच्चों में तरह तरह की समस्याएं।
कुछ दशक पहले बच्चों में पीठ दर्द की समस्या होना एक दुर्लभ बात थी। आज ये एक आम बात हो गया है। अगर आप का बच्चा पीठ दर्द की शिकायत करे तो तुरंत उसकी डॉक्टरी जाँच (चिकित्सीय जाँच) करवाएं। अगर बच्चे का पीठ दर्द के साथ-साथ वजन भी घट रहा है, और वो पैरों में कमजोरी, पेशाब में दिक्कत, लेटने व उठने पर दर्द की समस्या की भी शकायत कर रहा है तो आप को सावधान हो जाना चाहिए और तुरंत डाक्टर के परामर्श के अनुसार इलाज करवाना चाहिए।
बच्चों में पीठ दर्द की समस्या मुख्या रूप से स्कूल का भारी-भरकम बैग उठाने से होता है। स्कूल का भारी बच्चों की रीढ़ की हड्डी पे दबाव बनता है और यही दबाव कई दिनों तक बना रहे तो यह बच्चों में पीठ के दर्द की समस्या को जन्म देता है। मगर बच्चों में पीठ दर्द हमेशा स्कूल का भारी उठाने से नहीं होता है, इसके और भी कई कारण हो सकते है जैसे की बच्चे की शारीरिक संरचना में आयी विकृति। इसका पता कुछ हद तक एक्सरे के जरिये डॉक्टरी जाँच में लग जाता है।
कई बार जब बच्चे पौष्टिक आहर ग्रहण नहीं करते तो भी उनमें पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। उद्धरण के तौर पे यह पाया गया है की अगर पौष्टिक आहार न लिया जाये तो स्पाइन इंफेक्शन की समस्या बढ़ सकती है। बच्चों में पीठ दर्द की समस्या का कारण रीढ़ की हड्डियों की टी.बी भी पाया गया है। इसे रूकने के लिए सरकार कई ठोस कदम उठा रही है।

अधिकांश लोगों को बैठने की सही अवस्था का ज्ञान नहीं है। यश भी एक मुख्या कारण है बड़ों और बच्चों में पीठ की दर्द का। जब भी आपका बच्चा टीवी देखने के लिए बैठे या कंप्यूटर पे काम करने के लिए बैठे तो उसे उसके पोस्चर (posture) पे विशेष ध्यान दें। पीठ दर्द की समस्या से बचने के लिए जरुरी है की आप का बच्चा प्रापर बैक रेस्ट के साथ बैठे।
नियमित व्यायाम
हर दिन व्यायाम करने से न केवल बच्चे का शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि कई प्रकर के बीमारियोँ से भी दूर रहता है और चुस्त दरुस्त रहता है। आपने बच्चे की नियमित रूप से वयवम (regular workout) करवाएं। इससे आप के बच्चे को पीठ दर्द की समस्या कम रहेगी।
बच्चे का खानपान
जो बच्चे दिन भर कुछ न कुछ खाते रहते हैं उनमे छोटी उम्र से ही जयादा होने की सम्भावना बनी रहती है। अधिक वजन तरह-तरह की बीमारियोँ को निमंत्रण देता है। इसी लिए कहा जाता है की अधिक वजन लाख बीमारियोँ का घर है। जरुरत से ज्यादा वजन बच्चे के रीढ़ की हड्डी पर भी दबाव बनता है जो आगे चल कर पीठ दर्द का कारण बन सकता है। बच्चों के लिए आहार खरीदते वक्त उसके डब्बे पे label अवश्य पढ़ लें। इससे पता चलेगा की बाजार से खरीदी सामग्री से कहीं आप के बच्चे को ज्यादा नमक, तेल या चीनी तो नहीं मिल रहा हैं। आप को यह जानना जरुरी है की कहीं आप अनजाने में अपने बच्चे को हानिकारक आहार तो नहीं दे रही हैं। सबसे बेहतर यह होगा की आप अपने बच्चों के लिए घर पे ही पौष्टिक आहार बनायें। पोषक तत्वों से भरपूर आहार 29 baby food recipes जो आप तुरंत घर पे बिना किसी तयारी के बना सकती हैं।
स्वस्थ शारीरिक विकास
अगर आप चाहते हैं की आप के बच्चे का शारीरिक विकास सही दिशा में हो तो आप को ध्यान रखना पड़ेगा की आप का बच्चा शुरू से ही पौष्टिक आहार ग्रहण करे, और ताजी फल व सब्जियां खाये। ताजी फल व सब्जियां से बच्चे को जरुरी विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स मिलता है जो बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए जरुरी है। आप अपने बच्चे को पांच दलों से बनी खिचड़ी भी दे सकती हैं। इससे भी बच्चे को भरपूर पोषक तत्व मिलेंगे। आप के बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो उसको पीठ दर्द की समस्या भी नहीं रहेगी। आप अपने बच्चे का नियमित रूप से मसाज कर सकती है। इससे बच्चे के शारीर को ताकत मिलता है। लेकिन मसाज करने से पहले ये सुनिश्चित कर ले की आप के बच्चे के मसाज के लिए कौन सा तेल सबसे उपयुक्त है।
स्कूल बैग्स के कारण पीठ का दर्द
सुबह के वक्त सड़कों पे ये नजारा आम है जहाँ आप ने देखा होगा की जितना बच्चे का वजन नहीं है उससे ज्यादा वजन तो उसके बैग का है। समझा जा सकता है की क्या होगा इन बच्चों का। थोड़ी समझदारी के साथ आप चाहें तो बच्चे के बैग का वजन कम कर सकती हैं और साथ ही उसे दे सकती हैं पीठ दर्द से छुटकारा। बच्चे के स्कूल का टाइम टेबल (time table) देखें और उसी के अनुसार केवल उस दिन पढाये जाने वाले कॉपी और किताब बच्चे के बैग में डालें। इससे बच्चे के बैग का वजन कम रहेगा और से पीठ दर्द की समस्या भी नहीं रहेगी।
अगर आप चाहती हैं की आप का बच्चा पीठ दर्द से दूर, स्वस्थ और चुस्त रहे तो, तो इन बातों का ख्याल रखें।
कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।
8 लक्षण जो बताएं की बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर है। किसी बच्चे के व्यवहार को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि उस शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), गलत होगा। चिकित्सीय जांच के द्वारा ही एक विशेषज्ञ (psychiatrist) इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि बच्चे को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
सर्दी के मौसम में बच्चों का बीमार होना स्वाभाविक है। सर्दी और जुकाम के घरेलु उपचार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें ताकि अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप तुरंत घर पे आसानी से उपलब्ध सामग्री से अपने बच्चे को सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकें। आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे शिशु की खांसी की अचूक दवा है।
इसमें हानिकारक carcinogenic तत्त्व पाया जाता है। यह त्वचा को moisturize नहीं करता है - यानी की - यह त्वचा को नमी प्रदान नहीं करता है। लेकिन त्वचा में पहले से मौजूद नमी को खोने से रोक देता है। शिशु के ऐसे बेबी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें जिनमे पेट्रोलियम जैली/ Vaseline की बजाये प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया गया हो जैसे की नारियल का तेल, जैतून का तेल...
अगर आप के शिशु को केवल रात में ही खांसी आती है - तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं जिनकी चर्चा हम यहाँ करेंगे। बच्चे को रात में खांसी आने के सही कारण का पता लगने से आप बच्चे का उचित उपचार कर पाएंगे। जानिए - सर्दी और जुकाम का लक्षण, कारण, निवारण, इलाज और उपचार।
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
शिशु को डेढ़ माह (six weeks) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
वेरिसेला वैक्सीन (Chickenpox Varicella Vaccine in Hindi) - हिंदी, - वेरिसेला का टीका - दवा, ड्रग, उसे, Chickenpox Varicella Vaccine जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, चिकन पॉक्स दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
एक्जिमा (eczema) एक ऐसी स्थिति है जिसमे बच्चे के शरीर की त्वचा पे चकते पड़ जाते हैं। त्वचा बहुत शुष्क हो जाती है। त्वचा पे लाली पड़ जाती है और त्वचा पे बहुत खुजली होती है। घरेलु इलाज से आप अपने शिशु के एक्जिमा (eczema) को ख़त्म कर सकती हैं।
शिक्षक वर्तमान शिक्षा प्रणाली का आधार स्तम्भ माना जाता है। शिक्षक ही एक अबोध तथा बाल - सुलभ मन मस्तिष्क को उच्च शिक्षा व आचरण द्वारा श्रेष्ठ, प्रबुद्ध व आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। प्राचीन काल में शिक्षा के माध्यम आश्रम व गुरुकुल हुआ करते थे। वहां गुरु जन बच्चों के आदर्श चरित के निर्माण में सहायता करते थे।
बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
पपीते में मौजूद enzymes पाचन के लिए बहुत अच्छा है। अगर आप के बच्चे को कब्ज या पेट से सम्बंधित परेशानी है तो पपीते का प्यूरी सबसे बढ़िया विकल्प है। Baby Food, 7 से 8 माह के बच्चों के लिए शिशु आहार
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।
डेंगू महामारी एक ऐसी बीमारी है जो पहले तो सामान्य ज्वर की तरह ही लगता है अगर इसका इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो इसका प्रभाव शरीर पर बहुत भयानक रूप से पड़ता है यहाँ तक की यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। जहां अधिकांश मच्छर रात के समय सक्रिय होते हैं, वहीं डेंगू के मच्छर दिन के समय काटते हैं।
छोटे बच्चों की प्रतिरोधक छमता बड़ों की तरह पूरी तरह developed नहीं होती। इस वजह से यदि उनको बिमारियों से नहीं बचाया जाये तो उनका शरीर आसानी से किसी भी बीमारी से ग्रसित हो सकता है। लकिन भारतीय सभ्यता में बहुत प्रकार के घरेलू नुस्खें हैं जिनका इस्तेमाल कर के बच्चों को बिमारियों से बचाया जा सकता है, विशेष करके बदलते मौसम में होने वाले बिमारियों से, जैसे की सर्दी।