Category: स्वस्थ शरीर
By: Admin | ☺12 min read
गर्मी के दिनों में बच्चों को सूती कपडे पहनाएं जो पसीने को तुरंत सोख ले और शारीर को ठंडा रखे। हर दो घंटे पे बच्चे को पानी पिलाते रहें। धुप की किरणों से बच्चे को बचा के रखें, दोपहर में बच्चों को लेकर घर से बहार ना निकाले। बच्चों को तजा आहार खाने को दें क्यूंकि गर्मी में खाने जल्दी ख़राब या संक्रमित हो जाते हैं। गर्मियों में आप बच्चों को वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी प्रोत्साहित कर सकती हैं। इससे बच्चों के शरीर का तापमान कम होगा तथा उनका मनोरंजन और व्यायाम दोनों एक साथ हो जाएगा।
इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशान बच्चे होते हैं। वे बीमार भी ज्यादा पड़ते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका शरीर तापमान को नियंत्रित करने में पूरी तरह सक्षम नहीं होता है।
गर्मियों का मौसम मां-बाप के लिए भी बहुत चुनौती भरा होता है। अगर आप बच्चे को ज्यादा कपड़े पहनती हैं तो उन्हें पसीने होने की संभावना है और अगर आप उन्हें कम कपड़े पहन आती हैं तो उनकी त्वचा धूप के सीधे संपर्क मैं आ सकती है। ऐसा होने पर बच्चों को सनबर्न हो सकता है यहां तक कि लू भी लग सकता है।
इसलिए गर्मी के दिनों में बच्चों को कपड़े बहुत सोच-समझकर पहनाने पड़ते हैं। यह भी ध्यान देना पड़ता है कि बच्चों को किस मटेरियल की कपड़े पहनाए और कौन से कपड़े नहीं पहना है। उदाहरण के लिए गर्मी के दिनों में बच्चों के लिए सूती कपड़े सबसे ज्यादा आरामदायक होते हैं। क्योंकि यह शिशु के शरीर से पसीने को आसानी से सोख लेते हैं और जब वे सूखते हैं तो बच्चे के शरीर को ठंडक पहुंचाते हैं।
गर्मी के दिनों में बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए बहुत ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिकांश मामलों में जब बच्चे गर्मी से संबंधित कोई विकट समस्या झेल रहे होते हैं तो वह तब तक नहीं बताते हैं जब तक कि तकलीफ असहनीय ना हो जाए। ऐसे में उनके बीमार होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। बेहतर यही होता है कि मां बाप अपनी तरफ से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए सारे इंतजाम करें।
गर्मी के दिनों में बच्चों का खास ख्याल आप इस तरह से रख सकती है:
गर्मी के दिनों में जितना ज्यादा हो सके आप को अपनी तरफ से कोशिश करनी चाहिए ताकि आपका शिशु ठंडा और स्वस्थ रह सके।
गर्मी बढ़ने पर आपके शिशु को डायरिया हो सकता है तथा कई अन्य बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। 6 महीने से छोटे बच्चे अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं।
इसी वजह से अगर हम आंकड़ों को देखें तो पता चलेगा कि हर साल जुलाई से अगस्त के महीने में हजारों बच्चे गर्मी की वजह से मौत के शिकार होते हैं।
गर्मियों में बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है कि आप उन्हें ताजा आहार खिलाएं, समय-समय पर पानी पिलायें, हल्की कपड़े पहनाए और उन्हें ऐसी जगह खेलने दे या रखें जहां पर तापमान थोड़ा कम हो।
बड़ों की तुलना में बच्चों के शरीर पर गर्मी का असर जल्दी और ज्यादा होता है। यही वजह है कि अगर घर के अंदर वेंटिलेशन ठीक तरह से ना हो तो बच्चे गर्मी जल्दी महसूस कर सकते हैं।
गर्मियों में बच्चों को कार में अकेला ना छोड़ें। गर्मी बढ़ने पर कुछ ही मिनट के अंदर शिशु के शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि वह उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
बच्चों का शरीर बहुत कोमल होता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है इस वजह से गर्मी के दिनों में उनके बीमार पड़ने की संभावना भी सबसे ज्यादा रहती है।
शिशु की त्वचा नाजुक होती है इस वजह से उन्हें सनबर्न होने की संभावना भी अधिक होती है। सनबर्न होने से त्वचा को तकलीफ ही नहीं पहुंचती है इससे स्किन कैंसर मेलेनोमा भी हो सकता है।
6 महीने से छोटे बच्चे जो केवल मां का दूध पीते हैं उनके लिए अलग से खानपान का ध्यान रखने की आवश्यकता नहीं है। स्तनपान के जरिए उनके खानपान की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
लेकिन 6 माह से छोटे बच्चों को भी प्यास लग सकती है इसीलिए इन्हें हर थोड़े थोड़े समय अंतराल पर स्तनपान कराते रहना चाहिए ताकि उन्हें प्यास ना लगे और उनके शरीर में पानी की सही मात्रा बनी रहे ताकि उन्हें डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके।
गर्मी के दिनों में आपको अपने खान पान का भी ध्यान रखना है क्योंकि जो आहार आप ग्रहण करती हैं वही आहार आपके शिशु को स्तनपान के जरिए मिलता है।
अगर आप अपने आहार का ध्यान नहीं रखती हैं तो आपका शिशु बीमार पड़ सकता है और उसका पेट भी खराब हो सकता है।
अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना है कि जिस कमरे में बच्चे ज्यादा समय गुजारते हैं उस कमरे का वेंटिलेशन अच्छी तरह हो।
अगर ताजी हवा कमरे तक नहीं पहुंच रही है तो शिशु कुछ ही दिनों में बीमार पड़ सकते हैं। घर के बाहर रखे पेड़ पौधों पर पानी का छिड़काव करते रहे ताकि पौधे हरे भरे रहे।
पेस्ट कंट्रोल के इस्तेमाल के जरिए आप अपने घर को कीड़े मकोड़ों से दूर रखें। अगर आप घर में एशिया कूलर का इस्तेमाल कर रही है तो उन्हें ऐसी दिशा में रखें कि उनकी हवा सीधे-सीधे बच्चों पर ना पड़े।
बाजार में मिलने वाले बच्चों के लिए डिस्पोजेबल नैपी बहुत सुविधाजनक होते हैं (बस इस्तेमाल किया औ फेंक दिया')। लेकिन ये कॉटन के नैपी की तुलना में शिशु को ज्यादा गर्म रखती है।
इस वजह से इन के इस्तेमाल से बच्चों में रैशेज हो सकता है। गर्मी के दिनों में कॉटन के नैपी ज्यादा आरामदायक होते हैं।
अगर आप अपने शिशु के लिए डिस्पोजेबल नैपी का इस्तेमाल करती है तो उसे दिन के कुछ समय आप बिना डिस्पोजेबल नैपी के रखें ताकि उसके शरीर के अंगो पर उतनी देर के लिए हवा लग सके। इससे रैशेज की समस्या को टाला जा सकता है।
गर्मी के दिनों में बच्चों का तेल से मालिश करने पर उनके शरीर का तापमान बढ़ा सकता है। इसीलिए अगर आप बच्चों का मसाज करना ही चाहती है तो ऑलिव ऑयल या नारियल के तेल का इस्तेमाल करें। मालिश करने के बाद बच्चे को नहला कर के उसके शरीर पर मौजूद तेल को धोकर साफ कर दे।
गर्मियों में यह पाया गया है कि कीड़े बच्चों को ज्यादा काटते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मौसम में कीड़े बाहर से घर के अंदर ठंडे माहौल में घुसने की कोशिश करते हैं।
बच्चे जो अपना काफी समय जमीन पर खेलते हुए बिताते हैं, इन कीड़ों के आसान शिकार बन जाते हैं। अधिकांश कीड़ों के काटने से कोई नुकसान नहीं होता है।
लेकिन काटने पर बच्चों के शरीर पर जलन और खुजली पैदा हो सकती है। अगर गर्मी के दिनों में आपके शिशु के शरीर को कोई कीड़ा काट दे तो शरीर के उस हिस्से को पानी और साबुन से धोकर साफ करें तथा भिगोया हुआ कपड़ा उसके ऊपर रख दें ताकि सूजन ना बनने पाए।
जब आपका बच्चा गर्मी के मौसम में सर से पांव तक पसीने से भीगा हुआ हो, तो यह जाहिर सी बात है कि पसीने के रूप में उसके शरीर ने पानी खोया है।
लेकिन आपको सुनकर शायद ताजुब लगे की आप के शिशु का शरीर उस वक्त भी पानी खोता है जब आप उसके चेहरे पर एक बूंद भी पसीना ना देखें।
कुछ लक्षण है जिनसे आप यह पता लगा सकती हैं कि आपके शिशु को कहीं हाइड्रेशन तो नहीं हो रहा है - उदाहरण के लिए आपके शिशु का तेजी से सांस लेना, उसके चेहरे का गर्म होना, उसके शरीर का थकान और बेचैन होना, यह सभी डिहाइड्रेशन की निशानी है।
गर्मियों के मौसम में शिशु के शरीर को 50% ज्यादा फ्लूइड की आवश्यकता होती है।
गर्मी के मौसम में मच्छर भी बहुत तेजी से पनपते हैं और इस वजह से इन से जुड़ी बीमारियां कि जैसे कि डेंगू और मलेरिया भी तेजी से फैलता है। बच्चों को मच्छरों से और उनसे जुड़ी बीमारियों से बचाने के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अगर आप घर में कूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो हर दूसरे दिन कूलर के पानी को बदल कर के फिर से साफ पानी को भरें। रुके हुए पानी में मच्छर पनपते हैं। आप अपने बच्चों को मच्छर से बचाने के लिए उनके शरीर पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगा सकती है। लेकिन इनके इस्तेमाल से पहले एक बार अपने शिशु के डॉक्टर से राय अवश्य ले ले।
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