Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺9 min read
बच्चों के शारीर पे एक्जिमा एक बहुत ही तकलीफदेह स्थिति है। कुछ बातों का ख्याल रखकर और घरेलु इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को बहुत हद तक एक्जिमा की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगी हर छोटी और बड़ी बात का जिनका आप को ख्याल रखना है अगर आप का शिशु एक्जिमा की समस्या से परेशान है!

अगर आपकी शिशु की त्वचा समय-समय पर एग्जिमा से प्रभावित हो जाती है, तो यह देख विशेषकर आपके लिए ही है।
एक्जिमा त्वचा से संबंधित समस्या है जिसमें बहुत तकलीफ होता है। बच्चों को इस तरह से तकलीफ में देखना मां-बाप के लिए बहुत कष्टकारी है। लेकिन आप परेशान ना हो। कुछ आसान घरेलू तरीकों से आप अपने शिशु को एक्जिमा से बचा सकते हैं।
एग्जिमा का पूरी तरह से कोई इलाज नहीं है। समय के साथ जैसे जैसे आप का शिशु बड़ा होगा वैसे वैसे उसकी त्वचा एक्जिमा से कम प्रभावित होगी। एक समय आएगा जब आपके शिशु की त्वचा पर एक्जिमा फिर कभी नहीं निकलेगा।
हालांकि एक्जिमा का कोई इलाज नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार के द्वारा इसे बहुत हद तक कम किया जा सकता है, और इसे होने से रोका भी जा सकता है।
अगर आपकी शिशु की त्वचा समय-समय पर एक्जिमा से प्रभावित होती है तो सबसे पहले आपको अपने शिशु के रहन-सहन को बदलना पड़ेगा।
एक्जिमा मुख्यता शरीर के बाहरी तत्वों के संपर्क में आने पर होता है। यह तत्व है जानवरों के बाल, धूल, धुआं, गंदगी, फूलों के परागण और ऐसे आहार जो स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं है। एक्जिमा की स्थिति पर आपको अपने शिशु के आहार पर विशेष ध्यान रखना पड़ेगा।
यह भी पढ़ें: शिशु के पुरे शारीर पे एक्जीमा - कारण व उपचार

शिशु के रहन-सहन का विशेष ध्यान रखकर आप एक्जिमा की समस्या से उसे बहुत हद तक बचा सकती हैं। लेकिन हर प्रकार की सावधानी बरत कर भी अगर उसकी त्वचा पर एक्जिमा उभरे तो आप निम्न घरेलू उपाय कर सकते हैं। यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक है और इनका शिशु के शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
यह भी पढ़ें: शिशु को एक्जिमा (eczema) है - लक्षण और इलाज
नारियल का तेल ना केवल खाना बनाने के लिए ही बेहतरीन है बल्कि यह त्वचा की रक्षा के लिए भी बहुत बेहतरीन है।

एग्जिमा का मुख्य कारण है सुखी त्वचा। आप नारियल के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं अपनी शिशु की त्वचा को सूखने से बचाने में।
त्वचा के ऊपर नारियल के तेल से मालिश करने पर, पूरी त्वचा पर तेल की एक परत चढ़ जाती है जो त्वचा में मौजूद नमी को सूखने से रोकती है।
त्वचा पर नमी के बने रहने से त्वचा को एक्जिमा से राहत मिलता है। नारियल के तेल में antibacterial और anti-inflammatory गुण भी होते हैं।
विश्व भर में हुए अनेक शोध में यह पाया गया है कि जिन व्यक्तियों के त्वचा पर एक्जिमा होता है, उनके त्वचा पर बैक्टीरिया की मौजूदगी भी ज्यादा पाई गई है।
नारियल के तेल में antibacterial और anti-inflammatory गुण होने की वजह से यह त्वचा पर संक्रमण के बनने से रोकता है। त्वचा पर संक्रमण होने पर एग्जिमा और भी गंभीर हो सकता है।
यह भी पढ़ें: 6 माह से पहले ठोस आहार है बच्चे के लिए हानिकारक
अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आप के घर में आवश्यक रूप से हुमिडिफिएर (humidifier) होना चाहिए। हुमिडिफिएर (humidifier) कमरे में नमी के स्तर को बनाए रखता है।
 का इस्तेमाल humidifier prevents eczema.jpg)
रूखी सूखी त्वचा पर एक्जिमा बहुत आसानी से उभरता है। अगर घर में नमी का स्तर बहुत कम हो जाए, तो शिशु की त्वचा पर एक्जिमा की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
जिस कमरे में शिशु रात को सोता हो, उस कमरे में रात के वक्त हुमिडिफिएर (humidifier) का इस्तेमाल करें। इससे कमरे में रात भर नमी का स्तर बना रहेगा, और शिशु की त्वचा शुष्क होने से बचेगी।
कमरे में हुमिडिफिएर (humidifier) का इस्तेमाल शिशु को ना केवल एग्जिमा से बचाता है बल्कि यह उसे और भी कई प्रकार की जटिलताओं से बचाता है।
उदाहरण के लिए ठंड के दिनों में शिशु को सर्दी खांसी या सीने की जकड़न हो तो उस वक्त भी कमरे में हुमिडिफिएर (humidifier) के इस्तेमाल से शिशु को तुरंत राहत मिलता है।
गर्मी के दिनों में अगर आप घरों में ऐसी का इस्तेमाल करते हैं तो भी जिस कमरे में शिशु हो उस कमरे में हुमिडिफिएर (humidifier) का इस्तेमाल आवश्यक है।
AC के इस्तेमाल से घरों में नमी का स्तर बहुत तेजी से घटता है। AC इसका इस्तेमाल आपके शिशु के एक्जिमा को गंभीर कर सकता है।
यह भी पढ़ें: मछली और गाजर की प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार
खेल कूद और व्यायाम से शिशु की त्वचा पर एग्जिमा उभर सकता है। लेकिन खेल कूद और व्यायाम शिशु को एक्जिमा से बचाता भी है।

जो बच्चे शारीरिक रूप से बहुत क्रियाशील होते हैं, उनमें भावनात्मक और मानसिक तनाव की स्थिति बहुत कम होती है।
कई बार शिशु की त्वचा पर एक्जिमा तब उभरता है जब वह भावनात्मक और मानसिक तनाव की स्थिति गुजर रहा होता है।
शारीरिक क्रियाशीलता शिशु को एक्जिमा की समस्या से बचाता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि जब आपका शिशु खेलकूद या व्यायाम के बाद घर आए, तो आप उसके शरीर को हल्के गर्म पानी से धोकर साफ करने, यह साफ गीले कपड़े से उसके शरीर को पोछ कर साफ कर दे। शिशु के शरीर को साफ करने के बाद मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल अवश्य करें।
यह भी पढ़ें: शिशु को कितना देसी घी खिलाना चाहिए?
गर्म पानी के स्नान से त्वचा बहुत रूखी सूखी हो जाती है इसीलिए शिशु को नहलाते वक्त हल्के गर्म पानी का इस्तेमाल करें। शिशु को नहलाते वक्त बहुत ही नर्म साबुन का इस्तेमाल करें।

शिशु के पूरे शरीर पर साबुन नहीं लगाएं। बल्कि साबुन का इस्तेमाल शरीर के केवल उन्हीं स्थानों पर करें जहां पर गंदगी ज्यादा है और उन्हें साबुन से साफ करने की आवश्यकता है।
स्नान के बाद शिशु के शरीर को तौलिए से रगड़ रगड़ के नाक सुखाएं। इसकी बजाय शिशु की त्वचा पे तोलिये को आहिस्ते आहिस्ते रखकर दबा दबा कर सुखाएं। रगड़ की वजह से शिशु की त्वचा पर एग्जिमा और भी गंभीर हो सकता है।

शिशु को आरामदायक सूती कपड़े पहनाए। सूती कपड़े शिशु के शरीर को गर्मी में ठंड रखेंगे और एक्जिमा को त्वचा पर उभरने से रोकेंगे।

एक्जिमा की मुख्य वजह सूखी त्वचा है इसीलिए शिशु की त्वचा पर नियमित रूप से मॉइस्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें।
मॉइस्चराइजिंग क्रीम शिशु की त्वचा की नमी को रोके रखेगा और उन्हें सूखने से बचाएगा। आपको अपने शिशु की त्वचा पर मॉइस्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल दिन में जरुरत के अनुसार कई बार करना पड़ सकता है।
क्योंकि कपड़े धोने के लिए हल्के डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें। ऐसी डिटर्जेंट का प्रयोग करें जिसमें कृत्रिम रंगों तथा खुशबू का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

साथ ही जिन्हें बनाने के लिए कड़क केमिकल का भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। धोने के बाद भी कपड़ो में डिटर्जेंट के थोड़ी बहुत अवशेष रह जाते हैं।
यह अवशेष शिशु की त्वचा पर एग्जिमा को उधार सकते हैं। इसीलिए शिशु के कपड़ों को धोने के लिए डिटर्जेंट का चुनाव बहुत सावधानी पूर्वक और सोच समझ कर करना चाहिए।
डिटर्जन को खरीदते वक्त उसके डब्बे पर पढ़ ले कि कहीं उसके इस्तेमाल से त्वचा को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचेगा।
और फलों के मुकाबले पपीता में केमिकल की मात्रा बहुत कम होती है इसीलिए सभी फलों में इसे सबसे ज्यादा सुरक्षित फल माना जाता है।

यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त बनाता है। पपीता एक ऐसा फल है जिसे हर उम्र के व्यक्ति खा सकते हैं। पपीता खाने से एक्जिमा में शिशु को राहत पहुंच सकता है, साथ ही यह भी पाया गया है कि पपीते को ऊपर से त्वचा पर लगाने पर भी एक्जिमा में आराम मिलता है।
त्वचा पर एक्जिमा की समस्या में एलोवेरा भी बहुत आराम पहुंचाता है। इसे त्वचा पर प्रभावित हिस्से पर लगाया जा सकता है।
.jpg)
इसके शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं क्योंकि यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। बाजार से एलोवेरा आधारित क्रीम खरीदने से बेहतर है कि आप अपने घर पर ही एलोवेरा का पौधा लगा लें।
यह नाम सुनने में बड़ा अजीब सा और अटपटा सा लगता है। लेकिन शरीर के लिए बहुत ही गुणकारी है। यह शरीर के लिए स्वस्थ वसा का अच्छा स्रोत है।

यह दातों को सड़ने से बचाता है, नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है, शरीर में हार्मोन और दिमाग के विकास को बढ़ावा देता है।
यह गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी है, विशेषकर गर्भकाल के उस दौरान जब गर्भ में शिशु के मस्तिष्क का विकास बहुत तेजी से हो रहा हो।
इससे शिशु को fat-soluble vitamins A,D, E और K मिलता है। इसका स्वाद हो सकता है आपकी शिशु को पसंद ना आए, लेकिन फिर भी आप अपनी शिशु को इसे दें।
एक्जिमा की स्थिति में प्रोबायोटिक्स (Probiotics) शिशु के लिए बहुत ही बेहतरीन सप्लीमेंट है। प्रोबायोटिक्स (Probiotics) विशेषकर शिशु की त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं।
 to avoid eczema.jpg)
शिशु को प्रोबायोटिक देने के लिए आप उसे दही लस्सी दे सकती हैं। बाजार में उपलब्ध डिब्बाबंद दही या लस्सी अपने शिशु को ना दें।
इसमें अनावश्यक रुप से कृत्रिम रंगों और सुगंध का इस्तेमाल किया जाता है। यह स्वाद में साधारण लस्सी और दही से ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं।
लेकिन अफसोस कि इनमें प्रोबायोटिक्स (Probiotics) के कोई गुण नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें बनाते वर्क प्रोसेस किया जाता है।
प्रोसेस करते वक्त इन में मौजूद दही के जीवाणु पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं और इस वजह से इनके सेवन से शरीर को कोई लाभ नहीं मिलता है - केवल स्वाद मिलता है।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
डर, क्रोध, शरारत या यौन शोषण इसका कारण हो सकते हैं। रात में सोते समय अगर आप का बच्चा अपने दांतों को पिसता है तो इसका मतलब है की वह कोई बुरा सपना देख रहा है। बच्चों पे हुए शोध में यह पता चला है की जो बच्चे तनाव की स्थिति से गुजर रहे होते हैं (उदहारण के लिए उन्हें स्कूल या घर पे डांट पड़ रही हो या ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं जो उन्हें पसंद नहीं है) तो रात में सोते वक्त उनमें दांत पिसने की सम्भावना ज्यादा रहती है। यहाँ बताई गयी बैटन का ख्याल रख आप अपने बच्चे की इस समस्या का सफल इलाज कर सकती हैं।
शुद्ध देशी घी शिशु को दैनिक आवश्यकता के लिए कैलोरी प्रदान करने का सुरक्षित और स्वस्थ तरीका है। शिशु को औसतन 1000 से 1200 कैलोरी की जरुरत होती है जिसमे 30 से 35 प्रतिशत कैलोरी उसे वासा से प्राप्त होनी चाहिए। सही मात्रा में शुद्ध देशी घी शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देता है और शिशु के स्वस्थ वजन को बढ़ता है।
बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय करने के दौरान भाप (स्टीम) जब शिशु साँस दुवारा अंदर लेता है तो उसके छाती में जमे कफ (mucus) के कारण जो जकड़न है वो ढीला पड़ जाता है। भाप (स्टीम) एक बहुत ही प्राकृतिक तरीका शिशु को सर्दी और जुकाम (colds, chest congestion and sinusitus) में रहत पहुँचाने का। बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय
एक नवजात बच्चे को जब हिचकी आता है तो माँ-बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। हालाँकि बच्चों में हिचकी कोई गंभीर समस्या नहीं है। छोटे बच्चों का हिचकियाँ लेने इतना स्वाभाविक है की आप का बच्चा तब से हिचकियाँ ले रहा है जब वो आप के गर्भ में ही था। चलिए देखते हैं की आप किस तरह आपने बच्चे की हिचकियोँ को दूर कर सकती हैं।
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी से बना शिशु आहार (baby food) बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।
Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
रागी का हलुवा, 6 से 12 महीने के बच्चों के लिए बहुत ही पौष्टिक baby food है। 6 से 12 महीने के दौरान बच्चों मे बहुत तीव्र गति से हाड़ियाँ और मासपेशियां विकसित होती हैं और इसलिए शरीर को इस अवस्था मे calcium और protein की अवश्यकता पड़ती है। रागी मे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों ही बहुत प्रचुर मात्रा मैं पाया जाता है।
12 महीने या 1 साल के बच्चे को अब आप गाए का दूध देना प्रारम्भ कर सकते हैं और साथ ही उसके ठोस आहार में बहुत से व्यंजन और जोड़ सकते हैं। बढ़ते बच्चों के माँ-बाप को अक्सर यह चिंता रहती है की उनके बच्चे को सम्पूर्ण पोषक तत्त्व मिल पा रहा है की नहीं? इसीलिए 12 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe) बच्चों के आहार सारणी की जानकारी दी जा रही है। संतुलित आहार चार्ट
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
कुछ सॉफ्टवेयर हैं जो पेरेंट्स की मदद करते हैं बच्चों को इंटरनेट की जोखिमों से बचाने में। इन्हे पैरेंटल कन्ट्रो एप्स (parental control apps) के नाम से जाना जाता है। हम आपको कुछ बेहतरीन (parental control apps) के बारे में बताएँगे जो आपके बच्चों की सुरक्षा करेगा जब आपके बच्चे ऑनलाइन होते हैं।
जन्म के बाद गर्भनाल की उचित देखभाल बहुत जरुरी है। अगर शिशु के गर्भनाल की उचित देखभाल नहीं की गयी तो इससे शिशु को संक्रमण भी हो सकता है। नवजात शिशु में संक्रमण से लड़ने की छमता नहीं होती है। इसीलिए थोड़ी सी भी असावधानी बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
बच्चों में पेट दर्द का होना एक आम बात है। और बहुत समय यह कोई चिंता का कारण नहीं होती। परन्तु कभी कभार यह गंभीर बीमारियोँ की और भी इशारा करती। पेट का दर्द एक से दो दिनों के अंदर स्वतः ख़तम हो जाना चाहिए, नहीं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
कुछ बातों का अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चों को गर्मियों के तीखे तेवर से बचा सकती हैं। बच्चों का शरीर बड़ों की तरह विकसित नहीं होता जिसकी वजह से बड़ों की तुलना में उनका शरीर तापमान को घटाने और रेगुलेट करने की क्षमता कम रखता है।