Category: Baby food Recipes
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
सेब और चावल से बना ये पुडिंग बच्चों को बहुत पसंद आता है। साथ ही यह बच्चे के स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद भी है। इस रेसिपी से शिशु को सेब के साथ चावल के भी पोषक तत्वों मिल जाते हैं। सेब से बना ये पुडिंग शिशु को आसानी इ पच जाता है।

चावल का पुडिंग तो लगभग हर शिशु खाया होगा। सेब और चावल से बना ये पुडिंग आप के शिशु को और भायेगा।
चावल की पुडिंग में सेब डाल के आप इस रेसिपी में एक स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक twist भी दे सकती हैं।
यह रेसिपी ऐसी है की आप इसे झट-पैट में भी बना सकते हैं। लेकिन फिर भी ये इतनी स्वादिष्ट है की आप का नन्हा-मुना बहुत चाव से खायेगा।
यह रेसिपी सात महीने के शिशु के लिए या उससे बड़े बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त है।
चूँकि यह रेसिपी बच्चे के लिए बनाई जा रही है - इसमें इस्तेमाल सेब को छील लें। शिशु का पाचन तंत्र सेब के छिलके को पचा नहीं सकता है।
Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
शिशु की तिरछी आंखों (Squint eyes) को एक सीध में किस तरह लाया जाये और बच्चे को भैंगापन से बचने के तरीकों के बारे में जाने इस लेख में। अधिकांश मामलों में भेंगेपन को ठीक करने के लिए किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। समय के साथ यह स्वतः ही ठीक हो जाता है - लेकिन शिशु के तीन से चार महीने होने के बाद भी अगर यह ठीक ना हो तो तुरंत शिशु नेत्र विशेषज्ञ की राय लें।
8 लक्षण जो बताएं की बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर है। किसी बच्चे के व्यवहार को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि उस शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), गलत होगा। चिकित्सीय जांच के द्वारा ही एक विशेषज्ञ (psychiatrist) इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि बच्चे को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
शिशु के जन्म के पश्चात मां को अपनी खान पान (Diet Chart) का बहुत ख्याल रखने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय पौष्टिक आहार मां की सेहत तथा बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है। अगर आपके शिशु का जन्म सी सेक्शन के द्वारा हुआ है तब तो आपको अपनी सेहत का और भी ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता। हम आपको इस लेख में बताएंगे कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद कौन सा भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर है।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
Ambroxol Hydrochloride - सर्दी में शिशु को दिया जाने वाला एक आम दावा है। मगर इस दावा के कुछ घम्भीर (side effects) भी हैं। जानिए की कब Ambroxol Hydrochloride को देना हो सकता है खतरनाक।
अगर आप के बच्चे को दूध पिलाने के बाद हिचकी आता है तो यह कोई गंभीर बात नहीं है। कुछ आसान घरेलू नुस्खे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को हिचकी से निजात दिला सकती हैं।
बचपन में शिशु का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में कैल्शियम एहम भूमिका निभाता है। बच्चों के active growth years में अगर उन्हें उनके आहार से कैल्शियम न मिले तो बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है।
अंगूर में घनिष्ट मात्र में पाशक तत्त्व होते हैं जो बढते बच्चों के शारीरक और बौद्धिक विकास के लिए जरुरी है। अंगूर उन कुछ फलों में से एक हैं जो बहुत आसानी से बच्चों को digest हो जाते हैं। जब आपका बच्चा अपच से पीड़ित है तो अंगूर एक उपयुक्त फल है। बच्चे को अंगूर खिलाने से उसके पेट की acidity कम होती है। शिशु आहार baby food
रागी को Nachni और finger millet भी कहा जाता है। इसमें पोषक तत्वों का भंडार है। कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन तो इसमें प्रचुर मात्रा में होता है। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि
बच्चे के साथ अगर पेरेंट्स सख़्ती से पेश आते है तो बच्चे सारे काम सही करते हैं। ऐसे वो सुबह उठने के बाद दिनचर्या यानि पेशाब ,पॉटी ,ब्रश ,बाथ आदि सही समय पर ले कर नाश्ते के लिए रेड़ी हो जायेंगे। और खुद से शेक और नाश्ता तथा कपड़े भी सही रूप से पहन सकेंगे।
जन्म के बाद गर्भनाल की उचित देखभाल बहुत जरुरी है। अगर शिशु के गर्भनाल की उचित देखभाल नहीं की गयी तो इससे शिशु को संक्रमण भी हो सकता है। नवजात शिशु में संक्रमण से लड़ने की छमता नहीं होती है। इसीलिए थोड़ी सी भी असावधानी बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
माँ का दूध बच्चे की भूख मिटाता है, उसके शरीर की पानी की आवश्यकता को पूरी करता है, हर प्रकार के बीमारी से बचाता है, और वो सारे पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए और अच्छे शारारिक विकास के लिए जरुरी है। माँ का दूध बच्चे के मस्तिष्क के सही विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन (Knjugeted pneumococcal vaccine in Hindi) - हिंदी, - न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए जरुरी है की उनके साथ खूब इंटरेक्शन (बातें करें, कहानियां सुनाये) किया जाये और ऐसे खेलों को खेला जाएँ जो उनके बुद्धि का विकास करे। साथ ही यह भी जरुरी है की बच्चों पर्याप्त मात्रा में सोएं ताकि उनके मस्तिष्क को पूरा आराम मिल सके। इस लेख में आप पढेंगी हर उस पहलु के बारे में जो शिशु के दिमागी विकास के लिए बहुत जरुरी है।
छोटे बच्चों के लिए शहद के कई गुण हैं। शहद बच्चों को लम्बे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। शदह मैं पाए जाने वाले विटामिन और मिनिरल जखम को जल्द भरने में मदद करते है, लिवर की रक्षा करते हैं और सर्दियों से बचते हैं।
नवजात बच्चों द्वारा बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है क्योंकि वे अपने खाद्य - पदार्थ के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है। उलटी के गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।
मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।