Category: टीकाकरण (vaccination)

शिशु को टीके की बूस्टर खुराक दिलवाना क्यों जरुरी है?

By: Vandana Srivastava | 2 min read

बच्चे के जन्म के समय लगने वाले टीके के प्रभाव को बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराकें दी जाती हैं। समय बीतने के पश्चात, एंटीबॉडीज का असर भी कम होने लगता है। फल स्वरूप बच्चे के शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक बच्चे के शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी लेवल बनाए रखती है।बूस्टर खुराकें आपके बच्चे को रोगों से सुरक्षित व संरक्षित रखती हैं।

टीके की बूस्टर खुराक

आप का बच्चा जब गर्भ में पल रहा होता है, तभी से आप अपने बच्चे के प्रति जागरूक हो जाती हैं। और अपने बच्चे के लिए आप अपने खान - पान और टीका करण के प्रति सचेत हो जाती हैं। जब बच्चा जन्म लेता है तो, डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उसके स्वास्थ और पोषण को ले कर काफी उत्साहित रहती हैं और उनके कथनानुसार आप अपने बच्चे की देख - रेख करती हैं। इसी सन्दर्भ में टीका करण और उसकी बूस्टर डोज़ है, जो आप के बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर रोगों से लड़ने की शक्ती प्रदान करता है।

vaccination booster dose

टीके की बूस्टर खुराक का महत्व - Importance of vaccination booster dose

  • बच्चे के जन्म के समय लगने वाले टीके के प्रभाव को बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराकें दी जाती हैं। समय बीतने के पश्चात, एंटीबॉडीज का असर भी कम होने लगता है। फल स्वरूप बच्चे के शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक बच्चे के शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी लेवल बनाए रखती है।
  • बूस्टर खुराकें आपके बच्चे को रोगों से सुरक्षित व संरक्षित रखती हैं। बूस्टर खुराकें आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को याद दिलाती हैं कि उसे बच्चे के रोगों से सुरक्षा करना जारी रखना है।
  • जब बच्चों को खसरा ( मीजल्स ), गलसुआ ( मम्प्स ) और रुबेला जैसे रोगों के खिलाफ एमएमआर का टीका लगाया जाता है,  यह टीकाकरण लगभग सभी मामलों में सफल रहता है।
  • कुछ बच्चे वैक्सीनेशन के बाद भी इन रोगों से सुरक्षित नहीं हो पाते,  उन्हें इसके बाद भी खतरा बना रहता है इसलिए इसके बावजूद, कुछ बच्चे पहले इंजेक्शन के बाद भी इन रोगों से प्रतिरक्षित नहीं हो पाते। उन्हें अभी भी इन रोगों का खतरा रहता है। इसलिए, इन रोगों के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए उन्हें बूस्टर खुराक की जरुरत होती है। हालांकि, ऐसे बच्चो की संख्या काफी कम होती है।
  • कुछ बच्चे समय के साथ-साथ ही, निर्धारित बूस्टर डोज नहीं ले पाते और  अपनी प्रतिरोधक क्षमता खोने लगते हैं। इसलिए, बूस्टर खुराकें दी जाती हैं, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि जिन बच्चो में पहले टीके के बाद प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हुई, उनमें बूस्टर खुराक के माध्यम से ही ऐसा हो सकता है।
  • कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिन को रोकने के लिए टीके का अलग - अलग समय निर्धारित होता है, इसके बाद भी बूस्टर की खुराक दी जाती है।
  • टीकों की एक ही खुराक अधिकतर बच्चों को जीवन भर की सुरक्षा प्रदान कर देती है, वहीं कुछ अन्य टीकों में सुरक्षा बनायें रखने के लिए एक्स्ट्रा बूस्टर खुराकों की आवश्यकता होती है।
  • कई बार, टीकों की बूस्टर खुराक इसलिए जरुरी होती है, क्योंकि समय के साथ-साथ हमारी प्रतिरोधक क्षमता की रक्षा करने की स्मरणशक्ति भी कमजोर होने लगती है। जैसे एंटी - टिटनस इंजेक्शन प्रत्येक 10 साल में पुनः लगवाना पड़ सकते हैं।
  • अधिकतर स्कूल और प्ले वे सेंटर में एडमिशन के समय बच्चे के स्वास्थ्य और वैक्सीनेशन की रिबूस्टर खुराकें, आपके बच्चे को कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है।
  • वैक्सीनेशन सूची में देखें कि आपके बच्चे की बूस्टर खुराक कब लगवाई जानी है। स्कूलों में तो बूस्टर खुराक की कैम्प भी लगाया जाता है, ताकि आपके बच्चों को समय पर उनकी बूस्टर खुराक समय पर मिल सके।

आप के बच्चे को जब पहला टीका लगता है तो जिस कार्ड पर टीका करण सूची रहती है उस पर आप डॉक्टर से, जो टीका लग रहा है उस पर निशान लगवालें कि अमुक टीका लग गया है। अगला टीका कब लगेगा इस की भी जानकारी ले लें और कार्ड पर डेट डलवालें इससे आप अपने बच्चे के टीका लगवाने के बारे में सावधान रहेंगी और उसके स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहेंगी।



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