बदलते परिवेश में जिस प्रकार से छोटे बच्चे भी माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं, यह जरूरी है कि आप भी इसके लक्षणों को जाने ताकि आप अपने बच्चों में माइग्रेन के लक्षणों को आसानी से पहचान सके और समय पर उनका इलाज हो सके।
माइग्रेन, पिछले कुछ वर्षों तक केवल व्यस्क लोगों में ही देखने को मिलता था। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह बीमारी बच्चों में भी आम होती जा रही है। इसकी मुख्य वजह है हमारे जीवनशैली में बदलाव, अत्यधिक तनाव की स्थिति और असंतुलित खानपान।
माइग्रेन की समस्या दिमाग में नसों की सूजन की वजह से होता है। इसके कारण बहुत तकलीफ होती है। माइग्रेन हलाकि विशेष रूप से बड़ों में ज्यादा देखने को मिलता है इसी वजह से माइग्रेन पर मौजूद अधिकांश जानकारियां बड़ों पर ही केंद्रित है।
लेकिन बदलते परिवेश में जिस प्रकार से छोटे बच्चे भी माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं, यह जरूरी है कि आप भी इसके लक्षणों को जाने ताकि आप अपने बच्चों में माइग्रेन के लक्षणों को आसानी से पहचान सके और समय पर उनका इलाज हो सके।
जीवन में हर किसी को कभी न कभी सर दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। सर दर्द की मुख्य वजह खराब जीवन शैली और अनियमित खान-पान है।
कई देशों में सर दर्द से संबंधित हुए शोध में यह बात सामने आया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को सर दर्द की समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है।
लेकिन इसके साथ ही शोध में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है - वह यह है कि अब बच्चे भी आसानी से सर दर्द की समस्या से पीड़ित पाए जाते हैं।
माइग्रेन में शिशु को तुरंत राहत पहुंचाने का तरीका
- कोशिश करें कि आपके बच्चे को हर दिन कम से कम 8 घंटे की गहरी नींद सोने को मिले।
- गर्मी के मौसम में जब भी आपके बच्चे घर से बाहर निकलें उन्हें धूप से बचने के लिए छाता दें। कोशिश करें कि आपके बच्चे तेज धूप में कम से कम समय के लिए बाहर रहें और -अधिक से अधिक समय घर के अंदर ही रहे। अगर आपको अपने बच्चे को लेकर बाहर जाना पड़े तो कोशिश करें कि आप उन्हें धूप ढलने के बाद घर से बाहर लेकर जाएं।
- बिना डॉक्टरी सलाह के अपने बच्चों का माइग्रेन का इलाज ना करें।
- माइग्रेन एक प्रकार का सिर दर्द है। सिर को ठंडक पहुंचाने से शिशु को माइग्रेन में राहत मिलता है। शिशु के सर को ठंडा रखने के लिए आप उसके माथे पर बर्फ या ठंडे पानी की -पट्टी रख सकते हैं। इससे आपके शिशु को माइग्रेन में आराम मिलेगा।
- क्योंकि माइग्रेन की एक वजह पढ़ाई का भार भी है इसीलिए अगर आपका शिशु माइग्रेन की समस्या से पीड़ित है तो उस पर पढ़ाई का दबाव ना बनाएं। सहज रुप से वह जितना पढ़ सके उसे उतना ही पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
- आप अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करें कि आपके शिशु को केवल घर का बना पौष्टिक आहार मिले। अपने शिशु को फास्ट फूड, चॉकलेट, और बाहर के बने खान-पान से दूर रखें।
- माइग्रेन की अवस्था में आपके शिशु की आंखों में बहुत जोर पड़ता है। इसीलिए माइग्रेन के दौरान कोशिश करें कि आपका शिशु कोई ऐसा कार्य न करें जिससे उसकी आंखों पर जोर पड़े। उदाहरण के लिए उसे पढ़ने के लिए ना कहें क्योंकि पढ़ने के लिए आंखों को जोर लगाना पड़ता है।
- जिस कमरे में बच्चे पढ़ाई करते हैं उस कमरे में रोशनी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आंखों पर जोर ना पड़े।
- जब बच्चे सोते हैं तो उस वक्त उनकी कमरे की रोशनी कम कर दे।
- बच्चों को मौसम के अनुसार फल खाने को दे। उनके आहार में पत्तेदार सब्जियों को सम्मिलित करें। उन्हें खाने के लिए सलाद भी दे।
- कोशिश करें कि बच्चे ज्यादा देर तक भूखे ना रहे। उन्हें हर थोड़ी थोड़ी देर पर कुछ खाने को देती रहे।
- आप अपने बच्चों को योग और व्यायाम के लिए प्रेरित कर सकती है। इन से शरीर स्वस्थ रहता है और माइग्रेन तथा अन्य समस्याओं से बच्चे दूर रहते हैं।
बच्चों में माइग्रेन की समस्या
-माइग्रेन की समस्या से पीड़ित बच्चे के सर के एक हिस्से में दर्द का अनुभव करते हैं। इन्हें ऐसा लगता है मानो इन के सिर पर कोई हथौड़े से वार कर रहा है।
माइग्रेन से संबंधित विशेषज्ञों के अनुसार, माइग्रेन का दर्द सिर में अचानक से उठता है और फिर यह बढ़ता ही चला जाता है। माइग्रेन की अवस्था में शिशु को रोशनी अच्छा नहीं लगता है।
माइग्रेन क्यों होता है
जब मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नसों में तनाव व सूजन आने लगता है तब सिर में माइग्रेन का दर्द उठता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में माइग्रेन की समस्या ज्यादा पाई जाती है। कुछ दशकों पहले तक बच्चों में माइग्रेन की समस्या एक बहुत ही दुर्लभ बात थी।
लेकिन बीते कुछ वर्षों में बच्चों में भी माइग्रेन की समस्या एक आम बात बन गई है। बच्चों में माइग्रेन की समस्या का निदान समय पर नहीं किया गया तो इसके बहुत गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।
बच्चों को अगर माइग्रेन हो तो इन बातों का रखें ख्याल
वैसे तो माइग्रेन की समस्या होने पर हर किसी को खास ख्याल रखने की जरूरत है। लेकिन अगर माइग्रेन की समस्या से बच्चे पीड़ित है तो और भी ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही कुछ विशेष बातों का ख्याल भी रखने की जरूरत है।
बच्चों में माइग्रेन के दौरान ज्यादातर सामान्य दवाइयां बेअसर होती है क्योंकि सिर के जिस हिस्से में माइग्रेन का दर्द होता है वहां पर सामान्य दर्द निवारक दवाइयां काम नहीं करती है।
बच्चों में माइग्रेन की मुख्य वजह
माइग्रेन सिर के दर्द की एक ऐसी समस्या है जो कुछ सालों पहले तक केवल व्यस्क लोगों में ही पाई जाती थी, वह भी मुख्यता महिलाओं में। लेकिन पिछले कुछ सालों में माइग्रेन की घटनाओं में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है। अब माइग्रेन की शिकायत बच्चों में भी देखने को मिलती है।
पिछले दशक में हमारी जीवन शैली, हमारे रहन सहन और हमारे वातावरण में बहुत प्रकार के परिवर्तन हुए हैं और इनका असर हमारे शरीर में अनेक रुप से हो रहा है। जिसमें से एक माइग्रेन भी है। बच्चों में माइग्रेन होने की मुख्य वजह यह है:
- व्यस्त जीवन शैली के कारण जिस घर में दोनों मां बाप काम करते हैं, वहां पे हर दिन घर का आहार बनाना संभव नहीं रहता है। इस वजह से बहुत से परिवारों के बच्चे बाजार से खरीदे हुए आहार पर ( फास्ट फूड) निर्भर रहते हैं। ना केवल यह आहार पोषण की दृष्टि से खराब है बल्कि इनका हमारे और हमारे बच्चों शरीर पर बुरा असर पड़ता है।
- पिछले कुछ दशक में व्यवसायिक स्तर पर बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा का इजाफा हुआ है। इसकी वजह से बच्चों के पाठ्यक्रम उनकी उम्र के अनुपात में काफी ज्यादा जटिल हो गए हैं। पढ़ाई का अतिरिक्त भार बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर कई प्रकार के बुरा प्रभाव डाल रहा है। यह बच्चों में माइग्रेन की एक मुख्य वजह है।
- लंबे लंबे समय तक बैठकर पढ़ाई करने की वजह से बच्चों की आंखों पर अत्यधिक जोर पड़ता है। इसकी वजह से कई बच्चों को आंखो में दर्द की समस्या रहती है। यह आगे चलकर माइग्रेन का रूप ले लेता है। पढ़ाई के वक्त बच्चों की आंखों पर जोर ना पड़े इसके लिए आप उनके कमरों में रोशनी की उचित व्यवस्था करें। कम रोशनी में पढ़ाई करने पर बच्चों को आंखों के दर्द की समस्या ज्यादा सताती है।
- जिन बच्चों को पर्याप्त मात्रा में आराम नहीं मिल पाता है उन बच्चों को भी माइग्रेन होने की संभावना रहती है। उदाहरण के लिए अत्यधिक क्रियाशील बच्चे खूब खेलना चाहते हैं लेकिन आराम करना उन्हें पसंद नहीं आता है। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। थके होने के बावजूद इन बच्चों में आप किसी भी तरह से ऊर्जा की कमी नहीं पाएंगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं इसका असर इनके शरीर पर पड़ रहा है। जो बच्चे सवभाव से अत्यधिक क्रियाशील होते हैं उनके मस्तिष्क को दोगुना काम करना पड़ता है ताकि थके होने के बावजूद भी उनका शरीर फुर्ती से काम कर सके। लंबे समय तक मस्तिष्क में इस प्रकार का बोझ उन्हें आगे चलकर माइग्रेन जैसी समस्या को जन्म दे सकता है।
- अत्यधिक धूप और गर्मी वाला वातावरण भी माइग्रेन का एक वजह है। आप अपने बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए छाता दें ताकि स्कूल से लौटते वक्त जब अत्यधिक धूप हो जाता है तो वह अपने आप को सूरज की तेज किरणों के संपर्क में आने से बचा सके। इससे उनमें माइग्रेन की संभावना को कम किया जा सकता है। बहुत ज्यादा देर धूप में रहने की वजह से सर दर्द और माइग्रेन की समस्या का होना आम बात है।
- माइग्रेन एक पारिवारिक समस्या भी है अर्थात जिन बच्चों के मां-बाप माइग्रेन की समस्या से पीड़ित होते हैं उनके बच्चों को भी आगे चलकर माइग्रेन के दर्द से पीड़ित पाया गया है।
- उन बच्चों में भी माइग्रेन की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है जिन बच्चों को किसी कारणवश अत्यधिक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। इसीलिए कोशिश करें कि जितना हो सके अपने बच्चों को दवाइयों से दूर रखें।
बच्चों के सिर के दर्द को हल्के में ना लें
अगर आपका शिशु बार बार सिर के दर्द की शिकायत कर रहा है तो हो सकता है कि यह माइग्रेन के प्रारंभिक लक्षण हो। माइग्रेन की अवस्था में सिर की केवल एक हिस्से में ही दर्द होता है।
यह एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम है जिसमें सिर में रह रहकर एक तरफ बहुत तेज दर्द होता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक बना रह सकता है।
माइग्रेन के दर्द में बच्चे को और भी दूसरी शारीरिक समस्याएं हो सकती है उदाहरण के लिए गैस का बनना, मितली और उल्टी।
माइग्रेन में शिशु को तेज रोशनी और तेज आवाज से भी परेशानी होती है। समय पर इनका इलाज ना मिलने पर यह ब्रेन हेमरेज या लकवे का कारण भी बन सकता है।
बच्चों को हो माइग्रेन तो यह काम कभी ना करें
बच्चों का शरीर कई मायने में बड़ों की शरीर की तुलना में भिन्न होता है। बच्चों का शरीर बड़ों की शरीर की तरह पूरी तरह विकसित नहीं होता है।
जो दवाइयां बड़ों की बीमारियों को आसानी से ठीक कर देती है, जरूरी नहीं कि उन दवाइयों का प्रभाव बच्चों पर भी उतना ही अच्छा हो। या यूं कह लें की बड़ों के लिए बनाई गई दवाइयां बच्चों के लिए हानिकारक भी हो सकती है।
इसीलिए अगर आपका शिशु माइग्रेन की समस्या से पीड़ित है तो आप उसे बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवाइयां बाजार से खरीद कर नहीं दे।
अपने बच्चे को किसी शिशु रोग विशेषज्ञ के पास लेकर जाएं और उसके द्वारा बताई गई दवाइयों को ही नियमित रूप से हर दिन समय पर अपने बच्चे को दें। बिना डॉक्टरी सलाह के बच्चों को दवाई देना उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
बच्चों के माइग्रेन में यह सावधानियां बरतें
- बच्चे जहां बैठते हैं काम करते हैं या पढ़ाई करते हैं वहां पर पर्याप्त रोशनी का इंतजाम करें। कमरे की रोशनी इतनी ज्यादा भी ना हो कि तकलीफ और इतनी कम भी ना हो कि आंखों पर जोर पड़े।
- अगर आप शिशु माइग्रेन से पीड़ित हैं तो आप उसे जंक फूड तथा डिब्बाबंद आहारों से दूर रखें। कोशिश करें कि आपका बच्चा केवल घर का बना पौष्टिक आहार ग्रहण करें।
- आप अपने बच्चे को पनीर, चॉकलेट, चीज, नूडल्स ना दे। यह ऐसे आहार हैं जो आपके शिशु में माइग्रेन की समस्या को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं।
बदलते मौसम में माइग्रेन की समस्या
मौसम में अप्रत्याशित बदलाव की वजह से भी बच्चों में माइग्रेन की समस्या देखने को मिलती है। अत्यंत गर्म मौसम में बच्चों में सर दर्द और माइग्रेन की समस्या आम बात है।
जब मौसम में अप्रत्याशित रूप से बदलाव हो - उदाहरण के लिए मौसम का ठंड से गर्म हो जाना, तो ऐसे समय में अपने बच्चों की हिफाजत करें।
गर्मियों में दिन के वक्त घर से बाहर निकलते समय अपने बच्चों को छाते की मदद से सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आने से बचाएं।
माइग्रेन में स्वस्थ दिनचर्या के फायदे
जो बच्चे माइग्रेन की समस्या से पीड़ित रहते हैं उन्हें पर्याप्त नींद लेने की आवश्यकता है। ऐसे बच्चों की आंखों को और शरीर को जब पर्याप्त मात्रा में आराम मिलता है तो उन्हें माइग्रेन की समस्या से भी आराम मिलता है।
माइग्रेन की एक वजह अत्यधिक मात्रा में शरीर की थकावट और आंखों की थकावट भी है।अपने बच्चों में स्वस्थ दिनचर्या की गुणों को बढ़ावा दें।
बच्चों को समय पर सोने के लिए और सुबह समय पर उठने के लिए प्रेरित करें। सुबह सुबह उन्हें व्यायाम योग और मेडिटेशन के लिए भी प्रेरित करें।
आप चाहें तो हर दिन अपने बच्चों के साथ मॉर्निंग वॉक के लिए भी जा सकती है। इससे बच्चों के साथ-साथ आपको भी फायदा मिलेगा।
सुबह के वक्त वातावरण शांत रहता है और शरीर को ताजी हवा मिलती है। स्वस्थ दिमाग स्वस्थ शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है।
माइग्रेन से बचाव के घरेलू उपाय
अब आपको यहां पर माइग्रेन से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे। अगर आपके उपायों को आजमाएंगे तो आप अपने बच्चों को माइग्रेन के दर्द से दूर रख सकेंगे।
इन घरेलू उपायों के अलावा अंत में हम आपको कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में भी बताएंगे जिनके इस्तेमाल से माइग्रेन के दर्द को कम किया जा सकता है, उदाहरण के लिए आहार बनाते वक्त अदरक का इस्तेमाल। घरेलू उपायों के अलावा अंत में हम घरेलू नुस्खों के बारे में भी चर्चा करेंगे।
- जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा माइग्रेन की एक वजह हमारी अनियंत्रित जीवनशैली भी है। अगर आप अपने बच्चे के खान पान और रहन सहन में परिवर्तन करें तो आप उसकी माइग्रेन की समस्या को बहुत हद तक कम कर सकती है। बच्चों में अधिकांश सेहत से जुड़ी समस्याएं खराब आहार और खराब जीवनशैली की वजह से ही है।
- माइग्रेन एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है। यह आमतौर पर देखा गया है कि माइग्रेन के दौरान मां बाप हर चीजों पर तो ध्यान देते हैं लेकिन बच्चों के आहार पर ध्यान नहीं देते हैं जोकि माइग्रेन की समस्या में अहम भूमिका निभाता है। अगर शिशु के आहार पर ध्यान नहीं दिया जाए तो उसका माइग्रेन का दर्द को और बढ़ा भी सकता है।
- माइग्रेन की समस्या में अधिकांश लोग दवाइयों का सहारा लेते हैं। लेकिन माइग्रेन की दवाइयों का शरीर के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। बच्चों के शरीर पर तो यह और भी ज्यादा बुरा प्रभाव डालता हैं। इसीलिए कोशिश करें कि जितना ज्यादा संभव हो सके अपने बच्चों को माइग्रेन की समस्या से बचाया जा सके। और ऐसा आप कर सकती है उनके आहार में और उनके जीवनशैली में परिवर्तन ला कर। माइग्रेन की बहुत सी घटनाओं को आप घर के बने आहार और स्वास्थ्य दिनचर्या के द्वारा कम कर सकती है।
- हरी पत्तेदार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है। लेकिन अगर आपके शिशु को माइग्रेन की समस्या है तो उसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां किसी वरदान से कम नहीं। जब आपका शिशु माइग्रेन से पीड़ित हो तो उसे हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खिलाएं। इन सब्जियों में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम होता है जो माइग्रेन के दर्द को जल्द ठीक करता है। इसके अलावा आप अपने बच्चों को बिना प्रोसेस किए हुए अनाज खिलाएं। उदाहरण के लिए मैदे के बदले आटे की रोटी खिलाएं।
- माइग्रेन की समस्या में मछली से बने आहार भी बहुत राहत पहुंचाता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और अनेक प्रकार के विटामिन होते हैं जो शिशु के माइग्रेन के दर्द को जल्द से जल्द ठीक करने में मदद करते हैं। अगर आप शाकाहारी हैं तो अपने बच्चे को अलसी के बीज भी दे सकती है। इसमें भी ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है और साथ में फाइबर भी होता है जो पाचन के लिए बेहतर है।
- माइग्रेन के दौरान बच्चों को पनीर से बने आहार ना दें। लेकिन आप उन्हें दूध और दूध से बने दूसरे आहार दे सकती हैं। दूध से बने आहार माइग्रेन को ठीक करने में मदद करते हैं। इनमें विटामिन B होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं। विटामिन B कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करता है। माइग्रेन में सिर में दर्द होता है जो कि सिर में स्थित कोशिकाओं को ऊर्जा ना मिलने के कारण होती है। जब इन कोशिकाओं को ऊर्जा मिलना शुरू होता है तो सिर का दर्द भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है।
- कैल्शियम और मैग्नीशियम से पूर्ण आहार भी माइग्रेन की समस्या में बहुत फायदा पहुंचाते हैं। गोभी और ब्रोकोली में मैग्नीशियम पाया जाता है। आप इन के इस्तेमाल से अनेक प्रकार के आहार अपने शिशु के लिए तैयार कर सकते हैं। शिशु को जो पसंद हो उसे बनाकर खिलाएं।
- अदरक एक आयुर्वेदिक दवा है और शरीर के अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने के इसमें प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। इसका सबसे प्रमुख गुण यह है कि यह सिर के दर्द को ठीक करने में बहुत कारगर है। शिशु को आहार में अदरक देने के लिए आप भोजन तैयार करते वक्त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दे।
- शिशु के लिए आहार तैयार करते वक्त आप यह लहसुन इस्तेमाल करें। लहसुन के नियमित इस्तेमाल से आप शिशु के माइग्रेन की समस्या को हमेशा के लिए समाप्त कर सकते हैं।
- माइग्रेन की समस्या से पीड़ित बच्चों को चाय और कॉफी नहीं पीनी चाहिए। इसके बदले आप उन्हें हर्बल-टी दे सकती हैं जिसमें अनेक प्रकार के प्राकृतिक गुण होते हैं जो शरीर को फायदा पहुंचाते हैं और मांसपेशियों को तनावरहित करते हैं।
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