Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
पोलियो वैक्सीन - IPV1, IPV2, IPV3 वैक्सीन (Polio vaccine IPV in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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पोलियो का संक्रमण फैलता है एक प्रकार के विषाणु (virus) के द्वारा। पोलियो का संक्रमण एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से में फैलता है।
इसका संक्रमण पोलियो के विषाणु (virus) से संक्रमित आहार और दूषित जल का सेवन करने से भी होता है।
अधिकांश पोलियो से संक्रमित लोगों में पोलियो से संक्रमण का कोई लक्षण नहीं होता है। लेकिन पोलियो से संक्रमित कुछ ही लोग में पोलियो फालिज (paralysis) का रूप लेता है। जिस में की व्यक्ति अपना हाथ और पैर उठाने में असमर्थ हो जाता है यहाँ तक की हमेशा के लिए अपंग भी हो जाते हैं।
कुछ लोगों में पोलियो का संक्रमण इतना घम्भीर भी हो सकता है की वे साँस तक लेने में असमर्थ हो जाते हैं और इस वजह से उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
भारत वर्ष में एक समय था जब पोलियो होना एक आम बात था - मगर भारत सरकार के तीस सालों (30 years) के अथक परिश्रम के दुवारा आज पोलियो होने एक दुर्लभ बात है।
भारत सरकार के पोलियो अभियान के दुवारा देश के सभी बच्चों को इसका टीका मुफ्त में लगाया जाता है - घर -घर जाकर लगाया जाता है।
इसीलिए आवश्यक है की हर बच्चे को टीकाकरण चार्ट - 2018 के अनुसार समय पे टीका लगवाया जाये और बच्चे को तथा देशो को पोलियो की महामारी से बचाया जा सके।
पोलियो वैक्सीन - IPV1, IPV2, IPV3 वैक्सीन (Polio vaccine IPV) पोलियो का टीका शिशु को पोलियो के संक्रमण के खतरे से बचाता है।
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कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
बहुत से बच्चों और बड़ों के दातों के बीच में रिक्त स्थान बन जाता है। इससे चेहरे की खूबसूरती भी कम हो जाती है। लेकिन बच्चों के दातों के बीच गैप (डायस्टेमा) को कम करने के लिए बहुत सी तकनीक उपलब्ध है। सबसे अच्छी बात तो यह है की अधिकांश मामलों में जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह गैप खुद ही भर जाता है। - Diastema (Gap Between Teeth)
अगर बच्चा बिस्तर से गिर पड़े तो आप को कौन से बातों का ख्याल रखना चाहिए? कौन से लक्षण और संकेत ऐसे हैं जो शिशु के अंदरूनी चोट के बारे में बताते हैं। शिशु को चोट से तुरंत रहत पहुँचाने के लिए आप को क्या करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब आप इस लेख में पढ़ेंगी।
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
अगर आप अपने बच्चे के व्यहार को लेकर के परेशान हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चों को डांटना और मरना विकल्प नहीं है। बच्चे जैसे - जैसे उम्र और कद काठी में बड़े होते हैं, उनके व्यहार में अनेक तरह के परिवेर्तन आते हैं। इनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे हो सकते हैं। लेकिन आप अपनी सूझ बूझ के से अपने बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) को विकसित कर सकती हैं। इस लेख में पढ़िए की किस तरह से आप अपने बच्चे में अच्छा परिवर्तन ला सकती हैं।
हर माँ-बाप को कभी-ना-कभी अपने बच्चों के जिद्दी स्वाभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिकांश माँ-बाप जुन्झुला जाते है और गुस्से में आकर अपने बच्चों को डांटे देते हैं या फिर मार भी देते हैं। लेकिन इससे स्थितियां केवल बिगडती ही हैं। तीन आसान टिप्स का अगर आप पालन करें तो आप अपने बच्चे को जिद्दी स्वाभाव का बन्ने से रोक सकती हैं।
नवजात शिशु को डायपर के रैशेस से बचने का सरल और प्रभावी घरेलु तरीका। बच्चों में सर्दियौं में डायपर के रैशेस की समस्या बहुत ही आम है। डायपर रैशेस होने से शिशु बहुत रोता है और रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। लेकिन इसका इलाज भी बहुत सरल है और शिशु तुरंत ठीक भी हो जाता है। - पढ़िए डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे।
जब मछरों का आतंक छाता है तो मनुष्यों में दहशत फ़ैल जाता है। क्योँ की मछरों से कई तरह की बीमारी फैलती है जैसे की डेंगू। डेंगू की बीमारी फ़ैलतु है एक विशेष प्रकार में मछरों के द्वारा जिन्हे कहते हैं - ‘Aedes aegypti mosquito’। डेंगू एक जानलेवा बीमारी है और यह इतनी दर्दनाक बीमारी है की इसका पीड़ित जिंदगीभर इसके दुष्प्रभावों को झेलता है। जानिए की बच्चों को किस तरह डेंगू से बचाएं।
एक्जिमा (eczema) एक ऐसी स्थिति है जिसमे बच्चे के शरीर की त्वचा पे चकते पड़ जाते हैं। त्वचा बहुत शुष्क हो जाती है। त्वचा पे लाली पड़ जाती है और त्वचा पे बहुत खुजली होती है। घरेलु इलाज से आप अपने शिशु के एक्जिमा (eczema) को ख़त्म कर सकती हैं।
गर्भावस्था के बाद तंदरुस्ती बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन कुछ छोटी-मोती बातों का अगर ख्याल रखा जाये तो आप अपनी पहली जैसी शारीरिक रौनक बार्कर रख पाएंगी। उदहारण के तौर पे हर-बार स्तनपान कराने से करीब 500 600 कैलोरी का क्षय होता है। इतनी कैलोरी का क्षय करने के लिए आपको GYM मैं बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
जिन बच्चों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है उनमे यह भी देखा गया है की उन्हें नारियल से भी एलर्जी हो। इसीलिए अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो अपने शिशु को नारियल से बनी व्यंजन देने से पहले सुनिश्चित कर लें की उसे नारियल से एलर्जी न हो।
अगर आप परेशान हैं की आप का बच्चा समय पे नहीं सोता है तो कुछ तरीके हैं जिन्हें आप अजमा सकते हैं। अगर आप कुछ दिनों तक इन्हें आजमाएंगे तो आप के बच्चे में सोने का एक routine स्थापित हो गा और आप का बच्चा फिर हर दिन 60 सेकंड के अन्दर सो पायेगा।
बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
चूँकि इस उम्र मे बच्चे अपने आप को पलटना सीख लेते हैं और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, आप को इनका ज्यादा ख्याल रखना पड़ेगा ताकि ये कहीं अपने आप को चोट न लगा लें या बिस्तर से निचे न गिर जाएँ।
अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
अनुपयोगी वस्तुओं से हेण्डी क्राफ्ट बनाना एक रीसाइक्लिंग प्रोसेस है। जिसमें बच्चे अनुपयोगी वास्तु को एक नया रूप देना सीखते हैं और वायु प्रदुषण और जल प्रदुषण जैसे गंभीर समस्याओं से लड़ने के लिए सोच विकसित करते हैं।
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े।
चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
सबसे ज्यादा बच्चे गर्मियों के मौसम में बीमार पड़ते हैं और जल्दी ठीक भी नहीं होते| गर्मी लगने से जहां एक और कमजोरी बढ़ जाती है वहीं दूसरी और बीमार होने का खतरा भी उतना ही अधिक बढ़ जाता है। बच्चों को हम खेलने से तो नहीं रोक सकते हैं पर हम कुछ सावधानियां अपनाकर उनको गर्मी से होने वाली बीमारियों से जरूर बचा सकते हैं |