Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
शिशु के कपडे को धोते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि कीटाणुओं और रोगाणुओं को बच्चों के कपडे से पूरी तरह ख़त्म किया जा सके और बच्चों के कपडे भी सुरक्षित रहें| शिशु के खिलौनों को भी समय-समय पे धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा ख़त्म हो सके|

शिशु के कपडे धोना और उन्हें साफ सुथरा रखना हर माँ के लिए जरुरी है क्यूंकि इससे बच्चों का स्वस्थ ठीक रहता है। बच्चों के कपडे धोने से उनमें लगे कीटाणु और बैक्टीरिया (जीवाणु) नष्ट हो जाते हैं। जहाँ तक हो सके कपड़ों को गरम पानी में धोएं और छाऊँ की जगह धुप में सुखाएं।
बच्चों का शरीर बड़ों के मुकाबले संक्रमण से लड़ने में उतना सक्षम नहीं होता। इसीलिए बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है की बच्चे संक्रमण और गन्दगी से बचे रहें। सिर्फ शिशु का ख्याल रखना की वो गन्दगी में न खेले - काफी नहीं है। जरुरत है इस बात पे भी ध्यान देनेकी की बच्चा जिन- जिन वस्तुओं से खेल रहा है वि भी साफ हों और हर प्रकार के इन्फेक्शन से दूर हों।

बच्चों जिन खिलौनों और वस्तुओं से खेलते हैं उनसे ही बच्चों को बहुत जल्द इन्फेक्शन लगने का खतरा रहता है। बच्चे अक्सर खेलते वक्त खिलौनों और दूसरी वस्तुओं को उठाकर मुँह में डाल लेते हैं। इसीलिए बच्चों के सिर्फ कपडे ही नहीं - बल्कि उनके खिलौनों को भी समय-समय पे धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा ख़त्म हो सके।
शिशु के कपडे को धोते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि कीटाणुओं और रोगाणुओं को बच्चों के कपडे सा पूरी तरह ख़त्म किया जा सके और बच्चों के कपडे भी सुरक्षित रहें।
बच्चों के कपड़ों को regular detergent से ही धोएं क्योँकि इसे बच्चों के कपड़ों की गन्दगी अच्छी तरह साफ होती है और उनमें लगे कीटाणु और जीवाणु भी नष्ट होते हैं। बच्चों के कपडे धोने के लिए मार्किट में जो विशेष डिटर्जेंट मिलते हैं उनसे बच्चों के कपड़ों की life तो बाद जाएगी मगर कीटाणुओं और रोगाणुओं पूरी तरह समाप्त नहीं होंगे। गन्दगी भी पूरी तरह नहीं निकलेगी।

आप अपने बच्चे के कपडे को धोने के लिए कोई भी regular, strong detergent का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप यहां तक की कोई भी कंडीशनिंग केमिकल वाले और तीव्र खुशबू वाले डिटर्जेंट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे कपडे पूरी तरह साफ हो जाएंगे और तेज़ धुप में सूखने के बाद उनका तीव्र खुशबू भी ख़त्म हो जायेगा।
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कपडे को धुलने से पहले थोड़ी देर के लिए डिटर्जेंट में भीगने दें। थोड़ी देर भीगने से कपडे की गन्दगी नरम पद जाएगी और कीटाणु और रोगाणु नष्ट हो जायेंगे। थोड़ी देर छोड़ने के बाद शिशु के कपडे को गरम पानी में अच्छी तरह धूल दें। इस तरह बच्चे के कपडे से गन्दगी पूरी तरह निकल जाएगी और संक्रमण नष्ट हो जाएगा।

बच्चों के कपड़ों को घर के बाकि कपड़ों के साथ न धोएं। उन्हें अलग से धोएं। बच्चों के कपड़ों को अलग से धोने से उनमें बाकि कपड़ों से किटाणु या बैक्टीरिया आने का खतरा नहीं रहता है।

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अगर आप अपने बच्चों को स्वस्थ देखना चाहते हैं तो उनके कपड़ों को रोज धोएं। बच्चों के कपड़ों को आप वाशिंग मशीन में धो सकते हैं मगर कोशिश करें की उन्हें खुद ही हातों से धोएं ताकि कपडे अच्छी तरह धूल सकें और साफ हो सकें।

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कपड़ों को ऐसी जगह पे सुखाएं जहाँ पर्याप्त खुली हवा और धुप मिल सके। कपड़ों को सूरज के प्रकिर्तिक रौशनी में सूखने से उनमें मौजूद संक्रमण नष्ट जो जाते हैं। सूरज की रौशनी एक प्राकृतिक disinfectant होता है।

कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
हर मां बाप अपनी तरफ से भरसक प्रयास करते हैं कि अपने बच्चों को वह सभी आहार प्रदान करें जिससे उनके बच्चे के शारीरिक आवश्यकता के अनुसार सभी पोषक तत्व मिल सके। पोषण से भरपूर आहार शिशु को सेहतमंद रखते हैं। लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों को देखें तो यह पता चलता है कि भारत में शिशु के भरपेट आहार करने के बावजूद भी वे पोषित रह जाते हैं। इसीलिए अगर आप अपने शिशु को भरपेट भोजन कराते हैं तो भी पता लगाने की आवश्यकता है कि आपके बच्चे को उसके आहार से सभी पोषक तत्व मिल पा रहे हैं या नहीं। अगर इस बात का पता चल जाए तो मुझे विश्वास है कि आप अपने शिशु को पोषक तत्वों से युक्त आहार देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
बच्चो में दांत सम्बंधी समस्या को लेकर अधिकांश माँ बाप परेशान रहते हैं। थोड़ी से सावधानी बारात कर आप अपने बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत को घर पे ही ठीक कर सकती हैं। चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दांतों का बहुत ही महत्व होता है। इसीलिए अगर बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो माँ बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत उनके चेहरे की खूबसूरती को ख़राब कर सकते हैं। इस लेख में हम आप को बताएँगे कुछ तरीके जिन्हें अगर आप करें तो आप के बच्चों के दांत नहीं आयेंगे टेढ़े-मेढ़े। इस लेख में हम आप को बताएँगे Safe Teething Remedies For Babies In Hindi.
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6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। जबकि 6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
आज के भाग दौड़ वाली जिंदगी में जहाँ पति और पत्नी दोनों काम करते हैं, अगर बच्चे का ध्यान रखने के लिए दाई (babysitter) मिल जाये तो बहुत सहूलियत हो जाती है। मगर सही दाई का मिल पाना जो आप के गैर मौजूदगी में आप के बच्चे का ख्याल रख सके - एक आवश्यकता बन गयी है।
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
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केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
तीन दिवसीय नियम का सीधा सीधा मतलब यह है की जब भी आप आपने बच्चे को कोई नया आहार देना प्रारम्भ कर रहे हैं तो तीन दिन तक एक ही आहार दें। अगर बच्चे मैं food allergic reaction के कोई निशान न दिखे तो समझिये की आप का बच्चा उस नए आहार से सुरक्षित है
माँ-बाप सजग हों जाएँ तो बहुत हद तक वे आपने बच्चों को यौन शोषण का शिकार होने से बचा सकते हैं। भारत में बाल यौन शोषण से सम्बंधित बहुत कम घटनाएं ही दर्ज किये जाते हैं क्योँकि इससे परिवार की बदनामी होने का डर रहता है। हमारे भारत में एक आम कहावत है - 'ऐसी बातें घर की चार-दिवारी के अन्दर ही रहनी चाहिये।'
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सेब और सूजी का खीर बड़े बड़ों सबको पसंद आता है। मगर आप इसे छोटे बच्चों को भी शिशु-आहार के रूप में खिला सकते हैं। सूजी से शिशु को प्रोटीन और कार्बोहायड्रेट मिलता है और सेब से विटामिन, मिनरल्स और ढेरों पोषक तत्त्व मिलते हैं।
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अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।
सर्दी - जुकाम और खाँसी (cold cough and sore throat) को दूर करने के लिए कुछ आसान से घरेलू उपचार (home remedy) दिये जा रहे हैं, जिसकी सहायता से आपके बच्चे को सर्दियों में काफी आराम मिलेगा।