Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺12 min read
इस असान तरीके से बच्चों के दांतों के संक्रमण को समय रहते पहचाने ताकि बच्चों को दांतों के दर्द से बचाया जा सके। सभी जानते हैं की दांतों का दर्द कितना कितना कष्टकारी होता है। बच्चे दिन भर कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं इस वजह से उनके दांतों में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। बच्चों के दांतों में संक्रमण को पहचानने के 7 तरीके।

कौन मां बाप अपने बच्चों को तकलीफ में देखना चाहेगा?
लेकिन अफसोस,
बच्चों में दांतो की सड़न, एक आम समस्या है!
चाहे आप अपनी तरफ से कितना भी कोशिश कर ले, कभी न कभी हर बच्चे को दातों में दर्द होता ही है। इसकी वजह यह है कि बच्चे बड़ों की तरह अपने दांतो को साफ नहीं रख पाते हैं।
बच्चे बहुत देर तक अपने मुंह में चॉकलेट को रखकर चूस चूस कर खाते हैं। मुंह में लंबे समय तक चीनी की मौजूदगी, जीवाणुओं के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करती है।
इससे बच्चों के दांतों में सड़न, कैविटीज़, और दूसरी कई समस्या उत्पन्न होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
आप अगर चाहे तो आपके बच्चों के दांतों में दर्द कभी हो ही ना।
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लेकिन उसके लिए आपको हर बार अपने शिशु का मुंह धुलने की आवश्यकता पड़ेगी जब जब वह कोई आहार ग्रहण करें या चॉकलेट टॉफी खाए।
बच्चों के दांतों का दर्द एक गंभीर समस्या है। अगर बच्चों के दांतो के दर्द को समय रहते सही उपचार ना मिले तो संक्रमण आसपास के दूसरे दातों में भी फैल सकता है। इसीलिए जैसे ही आपका बच्चा दातों में दर्द की शिकायत करें आपको तुरंत उसे उचित उपचार प्रदान करना चाहिए।
शिशु के दांत में दर्द होने पर आपको उसे शिशु विशेषज्ञ या नजदीकी शिशु स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाना चाहिए। शिशु के दांतो की उचित जांच के बाद, डॉक्टर शिशु के दांतो के दर्द की सही वजह बता सकते हैं और उस दर्द से निपटने के लिए उचित उपचार के निर्देश दें सकते हैं।
बच्चों के दांतों में संक्रमण के 7 लक्षणों को देखने से पहले हम लोग बच्चों के दांतों से संबंधित सडन के विषय में थोड़ी सी बात करेंगे।
हम जानते हैं कि आप नहीं चाहेंगे कि आपका शिशु दांतो के दर्द से परेशान हो। इसीलिए आपको यह जानना जरूरी है कि किस तरह यह पहचाने कि कहीं आपके बच्चे को दांतों के संक्रमण की कोई संभावना तो नहीं है।
चलिए देखते हैं कि दांतो का संक्रमण क्या है और शिशु के स्वास्थ्य संबंधित यह एक महत्वपूर्ण बात क्यों है।
बच्चों के दांतों में सड़न होने पर उनके मसूड़ों में मवाद पैदा हो जाता है। यह दातों में मौजूद जीवाणु के कारण होता है। दांतों के मसूड़ों में मवाद तब पैदा होता है जब शिशु का शरीर जीवाणुओं द्वारा फैलाए गए संक्रमण से लड़ने की कोशिश करता है।

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कई बार मसूड़ों में संक्रमित क्षेत्र पूरी तरह से सामान्य दिखता है। यह स्थिति थोड़ी परेशान करने वाली है क्योंकि इस स्थिति में मवाद मसूड़ों में इकट्ठा ना होकर दांतो के अंदर इकट्ठा होता है।
इस वजह से दांतो के अंदर अनावश्यक रुप से दबाव बढ़ता है और शिशु को दांतों में दर्द भी बहुत होता है। दांतो के अंदर में मौजूद त्वचा बहुत ही नाजुक और मुलायम होती है।
कई बार मसूड़ों पर संक्रमित क्षेत्र में थोड़ा सूजन भी मौजूद होता है। इन्हें दबाने पर मवाद निकलता है।
अगर यह स्थिति दिखे तो समझ लीजिए कि संक्रमण बहुत गहरा है और संक्रमण दांतो के मध्य तक पहुंच गया है। दांतो के केंद्र में तंत्रिका तंत्र और रक्त वाहिकाएं होती है जिन्हें पल्प (pulp) कहते हैं।
इनके संक्रमित हो जाने पर दांतो के चारों और मौजूद मसूड़े भी धीरे-धीरे करके संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।
आगे चलकर संक्रमण इतना फैल जाता है कि यह दांतों की जड़ तक पहुंच जाता है और हड्डियों को प्रभावित करता है जो दांतो को सहारा प्रदान करते हैं।
यह बहुत ही गंभीर स्थिति है। बच्चों के दांतों में थोड़ा भी दर्द की शिकायत होने पर तुरंत उपचार प्रदान करने से इस स्थिति से बचा जा सकता है।
सभी बच्चों में कभी ना कभी दांतो के संक्रमण को देखा जा सकता है। इसकी दो मुख्य वजह है। पहला तो बच्चों का मुंह हमेशा गंदा रहता है।

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क्योंकि वह हर वक्त कुछ ना कुछ खाते रहते हैं। दूसरी बात यह है कि बच्चों का रोग प्रतिरोधक तंत्र बड़ों की तुलना में मजबूत नहीं होता है।
बच्चों में दांतो की सड़न को दवा से ठीक नहीं किया जा सकता है। इस के संक्रमण को केवल एक डेंटिस्ट रोक सकता है।
इसीलिए अगर आपका बच्चा दांतों के दर्द की शिकायत करें तो उसे डॉक्टर के पास ले कर जाएं ताकि आपके बच्चे के मसूड़ों का उचित उपचार हो सके और संक्रमण को पूरी तरह से रोका जा सके।
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चों में दांतो की तकलीफ कभी हो ही ना, तो आप आज ही से हर दिन अपने बच्चे के दांतों की जांच करना शुरू करिए।
आप इस बात को भी सुनिश्चित करिए कि आपका शिशु हर दिन सुबह उठकर और रात को सोने से पहले अपने दांतो को अवश्य साफ कर रहा है।

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रात को सोने से पहले दांतों को साफ करना सुबह साफ करने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि रात भर सोते वक्त जीवाणु आपके शिशु के दांतो को संक्रमित करने का काम करेंगे।
लेकिन सोते वक्त अगर आपके शिशु के दांत साफ हैं, तो उनमें जीवाणु नहीं पनपेंगे। यह है शिशु के दातों में संक्रमण के 7 लक्षण:
अगर आपकी शिशु में ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण देखें तो उसे डेंटिस्ट के पास जितना जल्द हो सके ले कर जाएं। डेंटिस्ट आपके शिशु के दांतो की जरूरी जांच करेगा। जांच के आधार पर संक्रमण के बारे में पता लगाने की कोशिश करेगा।
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अगर आपका शिशु दातों में दर्द की शिकायत करें तो हो सकता है उसके दांतो में संक्रमण पनप रहा है। यह दातों में संक्रमण का एक ठोस लक्षण है।
बच्चे के दांतों के दर्द को नजरअंदाज ना करें और तुरंत उसे डेंटिस्ट के पास ले कर जाएं। आप अपने शिशु को दांतो के दर्द से बचा सकते हैं अगर आप उसके दांतो का समुचित ख्याल रखें तो।

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अपने बच्चे के अंदर दांतों को साफ करने संबंधी अच्छे संस्कार डालिए। उदाहरण के लिए उसे हर दिन सुबह उठकर सबसे पहले मुंह धोने की आदत डालें तथा रात को सोने से पहले उसे मुंह को साफ करना सिखाए।
शुरुआत में आपके लिए हो सकता है कि आपको अपने शिशु को हर दिन सुबह और रात को मुंह धोने के लिए विवश करना पड़े।
लेकिन कुछ समय बाद एक बार जब आपकी शिशु को सुबह के वक्त और रात को सोने से पहले मुंह धोने की आदत पड़ जाएगी, तब आपको उसे मुंह धोने के लिए याद नहीं दिलाना पड़ेगा। वह हर दिन नियमित रूप से अपने दांतो का ख्याल रखेगा।

संक्रमित दांत कुछ समय पश्चात दूसरे दातों की तुलना में ज्यादा गहरे रंग के हो जाते हैं इससे उन्हें पहचानना बहुत स्पष्ट हो जाता है।

संक्रमित दांतों में संवेदनशीलता बढ़ जाती है इस वजह से संक्रमित दातों में ठंडा या दबाव बहुत आसानी से पता लगता है। इस वजह से खाना चबाते वक्त या काटते वक्त दांतों में झनझनाहट का एहसास होता है।

संक्रमण की वजह से मसूड़ों में सूजन का होना भी आम बात है। कई बार सूजन इतना बढ़ जाता है मसूड़ों में कि जबड़े और गर्दन तक भी सूख जाते हैं।
अगर आपका शिशु दातों में दर्द की शिकायत करें तो आप उसके मसूड़ों को देखें। अगर उसके मसूड़े पूरे मुंह में एक ही प्रकार की गुलाबी रंग की दिखे तब तो ठीक है।
लेकिन अगर कुछ हिस्सों में सूजन जैसा प्रतीत हो और मसूड़े ज्यादा गहरे गुलाबी रंग की दिखे तो वह संक्रमण का लक्षण हो सकता है।

संक्रमण की वजह से शिशु के मुंह का स्वाद भी बदल सकता है। ऐसे में आपका शिशु मुंह में कड़वाहट के स्वाद का शिकायत कर सकता है।
यह संक्रमण की निशानी है। अगर आपकी शिशु के मुंह से बदबू आ रही है तो भी हो सकता है कि उसके मुंह में संक्रमण पनप रहा है।
ऐसी स्थिति में उसके मुंह को अच्छी तरह साफ कराएं। लेकिन अच्छी तरह मुंह साफ होने के बाद भी अगर मुंह से बदबू की समस्या ख़त्म ना हो तो अपने शिशु को डेंटिस्ट के पास ले कर जाएं।

मुंह में संक्रमण की वजह से और दांतों में दर्द की वजह से कई बार बच्चे खाना खाना कम कर देते हैं। इस वजह से उन्हें भूख भी कम लगती है और उनका वजन भी कम होने लगता है।
अगर आपको अपने शिशु में यह लक्षण दिखे, तो हो सकता है आपका शिशु दातों के संक्रमण से पीड़ित है।

दांतो का संक्रमण जब बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो उस स्थिति में ना केवल शिशु को दांतो के दर्द का सामना करना पड़ता है बल्कि उसे शारीरिक रूप से कई प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए उसे उल्टी, मैथिली, बुखार, और दस्त भी हो सकता है।

शिशु के दांतो के संक्रमण को खत्म करने के लिए एक डेंटिस्ट कई प्रकार के उपचार कर सकता है। डेंटिस्ट किस प्रकार के उपचार का इस्तेमाल करेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि शिशु का संक्रमण कितना गंभीर है।
शिशु के दांतो को संक्रमण से बचाना ही सबसे बेहतर उपचार है। कुछ छोटी मोटी सावधानियां व्रत कर आप अपने शिशु के दांतो को हमेशा के लिए संक्रमण से बचा सकते हैं।
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        गर्मी के दिनों में बच्चों को सूती कपडे पहनाएं जो पसीने को तुरंत सोख ले और शारीर को ठंडा रखे। हर दो घंटे पे बच्चे को पानी पिलाते रहें। धुप की किरणों से बच्चे को बचा के रखें, दोपहर में बच्चों को लेकर घर से बहार ना निकाले। बच्चों को तजा आहार खाने को दें क्यूंकि गर्मी में खाने जल्दी ख़राब या संक्रमित हो जाते हैं। गर्मियों में आप बच्चों को वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी प्रोत्साहित कर सकती हैं।  इससे बच्चों के शरीर का तापमान कम होगा तथा उनका मनोरंजन और व्यायाम दोनों एक साथ हो जाएगा।  
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