Category: बच्चों की परवरिश
By: Admin | ☺10 min read
बचपन में अधिकांश बच्चे तुतलाते हैं। लेकिन पांच वर्ष के बाद भी अगर आप का बच्चा तुतलाता है तो बच्चे को घरेलु उपचार और स्पीच थेरापिस्ट (speech therapist) के दुवारा इलाज की जरुरत है नहीं तो बड़े होने पे भी तुतलाहट की समस्या बनी रहने की सम्भावना है। इस लेख में आप पढेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे की साफ़ साफ़ बोलने में मदद कर सकती हैं। तथा उन तमाम घरेलु नुस्खों के बारे में भी हम बताएँगे जिन की सहायता से बच्चे तुतलाहट को कम किया जा सकता है।
बचपन में बच्चों का तुतला के बात करना आम बात है।
और कुछ दुर्लभ घटनाओं में ऐसे बच्चे भी पाए जाते हैं जो बड़े हो कर भी तुतलाते हैं।
लेकिन हम आप को दो उदहारण बताएँगे जिससे आप को पता चलेगा की आप को चिंता करने की कोई आवशयकता नहीं है
क्योँकि,
तुतलाने की समस्या को प्रयास से पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है।
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पहला उदहारण - रोहन पांच साल का होने के बावजूद भी अपने उम्र के बाकि बच्चों की तरह साफ़ नहीं बोल पता था। वो तुतलाता था और इस वजह से उसके माँ-बाप भी काफी परेशान रहते थे।
रोहन को स्कूल में उसके बाकि सहपाठी भी बहुत चिढ़ाते और परेशान करते थे। यही वजह थी की रोहन स्कूल भी नहीं जाना चाहती था।
आखिरकार उसके पिता ने उसे चाइल्ड स्पेशलिस्ट दिखने की ठान ली। चाइल्ड स्पेशलिस्ट ने रोहन के पिता को स्पीच थेरपिस्ट के पास जाने की सलाह दी।
तीन महीने के इलाज में ही रोहन लगभग सभी शब्दों के उच्चारण साफ़ साफ़ करने लगा।
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दूसरा उदहारण - शांत स्वाभाव के दीपेश 25 साल के हैं। यूँ तो उन्हें बोलने में कोई दिक्कत नहीं होती है। लकिन जब वे बहुत खुश होते हैं या उन्हें अपने ऑफिस इन प्रेजेंटेशन देना होता है तब अचानक से उनकी जुबान लड़खड़ाने लगती है।
उन्हों ने अपनी इस कमी को दूर करने का बीड़ा खुद ही उठा लिया। उन्हें ने कई दिनों तक घर पर अपने बैडरूम के शीशे के सामने खड़े हो कर प्रेजेंटेशन दिया।
वो धीरे-धीरे बोलने की प्रैक्टिस करने लगे क्योँकि उन्हों ने देखा की जब वे तेज़ बोलने की कोशिश करते हैं तभी उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ता है। कुछ महीनो ,में ही दीपेश पे अपनी इस कमी पे पूरी तरह काबू प् लिया।
दुनिया भर के एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चों के तुतलाने के 80-90 फीसदी मामलों को कोशिशों के दुवारा ठीक किया जा सकता है।
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इसीलिए माँ-बाप की चिंता इस बात को ले कर रहती है की बच्चे का तुतलान किस उम्र तक जायज है। क्या किया जाये की बच्चे का तुतलाना पूरी तरह से ख़त्म की या जा सके। इस लेख में हम इन्ही महत्वपूर्ण बिंदुओं पे चर्चा करेंगे।
बच्चों का तुतलाना या तोतली भाषा में बात करना वो है जब बच्चे की आवाज साफ़ नहीं आती है। इसमें बच्चे के बोले हुए शब्द साफ साफ सुनाई नहीं देते हैं।
उदहारण के लिए कुछ बच्चे श हो सा बोलते हैं - या क्ष को सा बोलते हैं। इसे तुतलाना कहा जाता है। अगर आप बच्चे के हकलाने की समस्या से परेशान हैं तो आप अगले लेख में इसके बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं।
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इस लेख में हम आप को बच्चे के तुतलाने के इलाज के बारे में बताएँगे।
बच्चे के तुतलाने के लिए medical science में अभी तक कोई दवा मौजूद नहीं है। इसका ट्रीटमेंट स्पीच थेरपी (speech therapy) के दुवारा किया जाता है।
मगर बच्चों के तुतलाने का इलाज घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक मेडिसिन और देसी नुस्खे से आसानी से किया जा सकता है।
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बच्चों के तुतलाने का इलाज अगर छोटी उम्र में न किया जाये तो उम्र के साथ यह समस्या गंभीर हो सकती है - बढ़ भी सकती है। जो बच्चे तुतलाते हैं उनमें आत्मविश्वास की कमी होने लगती है।
ये बच्चे अपने मनोभावों को बोल कर जाहिर करने से कतराते हैं। बच्चों के तुतलाने का इलाज बचपन में ही प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।
अगर आप का बच्चा तुतलाने की समस्या से पीड़ित है तो आप को बच्चों के डॉक्टर (पीडियाट्रिशन) की राय लेनी चाहिए।
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बच्चे के तुतलाने का इलाज जितना जल्दी शुरू किया जाये उतना बेहतर और जल्दी प्रभाव देखने को मिलता है।
तुतलाना अधिकांश मामलों में एक मानसिक दोष है। कुछ मामलों में यह शारीरिक दोष भी है। मानसिक दोष की मुख्या वजह अभिभावकों की अज्ञानता।
ये ऐसी घटनाएं हैं जहाँ अभिभावकों को बच्चों का तुतलाना बहुत अच्छा लगता है और इसी वजह से बच्चों को तुतलाने के लिए बढ़ावा मिलता है।
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अगर आप के बच्चे का हकलाना मानसिक दोष के कारन है तो उसे आसानी से स्पीच थेरेपी या फिर घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक मेडिसिन और देसी नुस्खे से ठीक किया जा सकता है।
शारीरिक दोष मामलों में बच्चों का हकलाना जबड़ों की पेशियों के कडेपन और होठों की गतिमंदता के कारण होती है। शारीरिक दोष की वजह से बच्चे का हकलाना बहुत ही दुर्लभ घटाओं में से एक है।
अगर आप के बच्चे का हकलाना शारीरिक दोष के कारण है तो फिर हो सकता है आप के बच्चे का हकलाना ऑपरेशन के दुवारा ही ठीक किया जा सके।
बच्चे का तुतलाना चाहे मानसिक दोष के कारण हो या शारीरिक दोष के कारण, अगर बचपन में इसके निवारण यानि इलाज पे ध्यान नहीं दिया गया तो यह दोष बच्चे को जीवन बार के लिए हो सकता है।
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शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार जब बच्चे छह महीने के हो जाते हैं तब वे अपनी माता के होटों को के हाव-भाव को देखकर और उनका अनुकरण करने की कोशिश करते हैं।
उनकी यह कोशिश किलकारियों के रूप में सामने आती है। बच्चा जब इस उम्र में होता है तब अगर आप उसके सामने ताली बजाएं या उसका नाम लेके पुकारें तो वो तुरंत ही आप की ओर देखने लगेगा।
जब शिशु नौ महीने की उम्र तक पहुंचता है तो वो कुछ वस्तुओं को नाम से पहचानने लग जाता है।
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हर बच्चे की मानसिक विकास की दर अलग-अलग होती है। लेकिन प्रायः देखा गया है की बच्चे एक साल तक की उम्र तक पहुँचते पहुँचते व्यक्तियोँ के नाम तक पहचानने लग जाते हैं।
उदहारण के लिए अगर पापा कहा जाये तो वे पलट कर तुरंत अपने पापा को देखने की कोशिश करते हैं। लकिन जरुरी नहीं की एक साल तक के हर बच्चे ऐसा करें ही क्योँकि हर बच्चे के मानसिक विकास की दर अलग-अलग होती है।
और बच्चे का ऐसा न कर पाना सामान्य बात है। कुछ बच्चों को कुछ महीने ज्यादा लग जाते हैं। तो इसमें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
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जब बच्चे बोलना शुरू करते हैं, तो शुरुआती दौर में सभी बच्चे थोड़ा बहुत तुतलाते हैं। कुछ समय बाद बच्चों का तुतलाना स्वतः ही समाप्त हो जाता है। जब बच्चे तुतला के बात करते हैं तो कभी भी आप उनके तुतलाने पनको बढ़ावा न दें।
अगर शिशु तीन साल का होने के बाद भी स्वरों का उच्चारण ठीक तरह से नहीं कर पा रहा है या तोतली भाषा में बात करता है घर के सभी अभिभावकों को अपनी तरफ से कोशिश करनी चाहिए की बच्चो को स्पष्ट उचाररण करने के लिए प्रेरित करें।
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लेकिन इस प्रयास में इस बात का ध्यान रखें की बच्चा उदास न हो और न ही अपना मनोबल खोये। बच्चे के लिए ये सब एक खेल जैसा होना चाहिए।
बच्चों का तुतलाना निम्न तीन तरीकों से दूर किया जा सकता है।
सही मायने में शिशु की प्रथम सिक्षिका माँ होती है और दूसरा पिता। माता और पिता दोनों के सयुंक्त प्रयासों से बच्चे की परवरिश सही ढंग से हो सकती है।
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यहां हम बात करेंगे शिशु के तुतलाने के घरेलु इलाज के बारे में:
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बच्चे का तुतलाना कोई बड़ी समस्या नहीं है। निरंतर प्रयास से और सही इलाज से बच्चे की तुतलाने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।