Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺10 min read
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े।
बच्चों की मासूमियत देखकर उन्हें कभी कुछ बोलने का जी ही नहीं करता। बच्चों की हर अदा माँ-बाप का मन मोह लेती है। समय कब पंख लगा कर उड़ जाता है, ये तब पता चलता है जब बच्चे बड़े हो जाते हैं। और फिर कई बार ये लगता है की काश बचपन में उन्हें यह अच्छी बात सीखा दी होते या वो बता दिया होता है।
बहनों में आप की मनोदशा समझ सकती हूँ। इसीलिए बताना चाहूंगी की जरुरी है की बच्चों को समय रहते सही और गलत का ज्ञान दिया जाये ताकि बच्चे जहाँ भी जाएँ उन्हें वहां इज़्जत मिले। कोई यह न कहे की बच्चों के माँ-बाप ने कुछ सिखाया नहीं। इसके आलावा कुछ ऐसे भी सवाल होते हैं जो उम्र के अलग-अलग पड़ाव पे आप के बच्चों के मन में उठेंगे। हो सकता है संकोच से वो कभी आप से उन सवालों के जवाब न पूछें।
बच्चों के toddler होने से लेकर उनके teenage उम्र तक का जो समय होता है, वही समय है जब बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए। लकिन toddler से लेकर teenage तक के बीच का जो समय होता है वो बड़ा मनमोहक होता। जी करता है बस उन्हें देखते रहे, उनकी हर नादानियों पर हस्ते रहें।
लेकिन यह समय जब बच्चे छोटे होते हैं तो [बच्चों sex education] देने का भी होता है। जैसे की पांच साल तक के बच्चे को अपने शरीर के हर अंग के नाम पता होने चाहिए। अपने शरीर से सम्बंधित privacy के बारे में उन्हें पता होनी चाहिए। उन्हें यह भी पता होनी चाहिए की किस तरह से लोग उन्हें पकड़ सकते हैं या छू सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण यह है की उन्हें पता होना चाहिए की उनके शरीर के किस अंग को कोई भी व्यक्ति छू नहीं सकता या या किसी विशेष तरह से पकड़ नहीं सकता।
जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन में शारीरिक बदलाव आते हैं उनके मन में कई प्रकार के सवाल आते हैं। कुछ सवाल ऐसे होते हैं की बच्चे शर्म के कारण आप से कुछ पूछ नहीं पाते। ऐसे में जरुरी है की आप इंतज़ार न करें की जब आपका बच्चा पूछेगा तो बता देंगे। बहुत सी चजें ऐसे हैं जिनके बारे में बच्चों से बात करने में थोड़ी हिचक होगी। मगर कहीं ऐसा न हो की उन सवालों के उत्तर आपके बच्चे ऐसे स्रोतों से पता करें जिनसे आप नहीं चाहते की वो consult करें।
यह भी पढ़ें: 8 Tips माँ-बाप के लिए बच्चों के sex-education से सम्बंधित - article 934 >>
कुछ ऐसे अनकही बातें होती हैं माँ-बाप और बच्चों के बीच जो जरुरी हैं बतानी बढ़ते बच्चों को।
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अचानक से होने वाले इस बदलाव से जहाँ कुछ बच्चे घबरा जाते हैं तो वहीँ कुछ बच्चे शर्मा भी जाते हैं और उन बदलाव को छुपाने की कोशिश भी करते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते।
Solution - चूँकि माँ बच्चों के काफी करीब होती है, उसे ही पहल करनी पड़ेगी। यानी ये आप की जिम्मेदारी है की आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े। आप अपने बच्चों को बताएं की जो भी शारीरिक बदलाव हो रहे हैं वो सब कुछ बिलकुल normal है। बताएं की जब आप उनकी उम्र की थी तब इन तमाम शारीरक बदलाव से आप को भी गुजरना पड़ा था।
यह भी पढ़ें: Sex Education - बच्चों को किस उम्र में क्या पता होना चाहिए! - article 935>>
जब बच्चे यौवन के देहलीज पे कदम रखते हैं तो कुछ मुख्या बदलाव उनके शरीर में होता है। जैसे की उनकी आवाज भारी हो जाती है, जघवास्थि के बाल (pubic hair) निकलते हैं, बहुत से बच्चों के चहरे पे अचानक से ढेर सरे दाने (pimple) निकल आते हैं, लम्बाई (height) अचानक से बढ़ने लगता है। Hormones में बदलाव आते हैं। अचानक से इतने सारे होने वाले बदलाव को बच्चे समझ नहीं पाते। कई बच्चे डर जाते हैं तो कई बच्चों में शर्म के कारण आत्मविश्वास की कमी भी अति है।
Solution - सबसे उपयुक्त ये होगा की आप अपने बच्चे को समय से पहले, बिना इंतज़ार किये, होने वाले इन बदलावों के बारे में बताएं। मगर ऐसी उम्र में बताएं जब आप का बच्चा समझ सके की आप बात क्या कर रहें हैं। आप ये इंतज़ार न करें की जब आपका बच्चा आ कर आप से पूछेगा तो आप बता देंगे। आज का दौर अलग है। Internet और smartphone के इस युग में बच्चों को समय से पहले ही सब जानकारी हो जाती है। इंटरनेट पे मिलने वाली हर जानकारी विश्वास योग नहीं होती। अधिकांश जानकारी ऐसी नहीं होती की उसे बच्चों के कोमल मन को परोसा जाये। सिर्फ एक माँ-बाप ही अपने बच्चों को सही जानकारी दे सकते हैं और वो भी सही वातावरण में। अपने बच्चों को समय से पहले educate करें और उन्हें मानसिक रूप से इन बदलावों के लिए तैयार करें।
यह भी पढ़ें: 10 तरीके बच्चों को यौन शोषण से बचने के article 936>>
अगर आप एक बेटी की मां हैं तो इस इंतज़ार में न रहें की जब आप की बच्ची का periods शुरू होगा तब आप उसे मानसिक धर्म या माहवारी Menstruation Cycle (MC) के बारे में उसे बताएँगे। सच बात तो यह की वो Menstruation Cycle शुरू होने पे खून (blood) देख कर आप की बेटी घबरा जाएगी।
Solution - आप अपनी बेटी को मानसिक धर्म - माहवारी, के बारे में पहले से बता दें ताकि आपकी बेटी mentally उसके लिए त्यार हो जाएँ और जान ले की यह एक प्राकृतिक क्रिया है जो उम्र के पड़ाव के बाद हर लड़की को आता है। अपनी लड़की को समझएं की इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं।
यह भी पढ़ें: कहीं आपके बच्चे के साथ यौन शोषण तो नहीं हो रहा article 937>>
Teenage यानी यौवन अवस्था मैं hormonal बदलाव के कारण opposite sex के प्रति आक्रषण होना स्वाभाविक है। पिछले कई दशकों में हमारे देश के educational system मैं कई बदलाव हुए हैं। मगर फिर भी इन तमाम बदलाव के बावजूद भी हमारे देश मैं बहुत से school में sex education नहीं दिया जाता है। दूसरी तरफ हमारे संस्कार और घरेलू माहौल ऐसा है की sex शब्द का इस्तेमाल ही वर्जित समझा जाता है। ऐसी मैं बच्चे न तो कुछ पूछ पाते हैं और न ही कुछ समझ पाते हैं। ऐसी स्थिति का परिणाम गंभीर हो सकता है। बच्चे ऐसी मामलों में सलाह अपने दोस्तों से लेते हैं और अगर दोस्त अच्छे न हों तो उनके गुमराह होने के chances भी हैं Sex से सम्बंधित बातों को लेकर बच्चों में विकृत मानसिकता न पनपे।
Solution - इसके लिए जरुरी है की माँ-बाप सामने आएं और बच्चों को बताएं की teenage मैं आकर्षण एक आम बात है, उन्हें sex के बारे में बताएं, sex से होने वाली बीमारियोँ के बारे मैं बताएं। बच्चों को यह भी बताएं की teenage मैं आकर्षण hormones के कारण स्वाभाविक है। ऐसी मैं जरुरी है की बच्चे आत्मसयम बरतें, बडों की सलाह लें, गलत दोस्तों से दूर रहें, और अपने पढ़ाई और करियर पे ध्यान दें। बच्चों को बताएं की यह उम्र पढाई और healthy competition की है।
इस उम्र में बच्चों को Sexual Transmitted Diseases के बारे में भी बताना उनके हित में है। जानकारी के आभाव में कई बच्चे experiment करने की सोचते हैं, ऐसी में Sexual Transmitted Diseases की जानकारी देकर आप उन्हें STD के खतरों के बारे में आगाह कर सकते हैं। इस उम्र में बच्चे सेक्स से सम्बंधित जानकारी ढूंढ़ने के लिए काफी लालायित रहते हैं। ऐसी में बच्चों को सतर्क करना आप की जिम्मेदारी और जरुरत है। बच्चों को STD और उससे सम्बंधित गंभीर परिणामों के बारे में पता होना चाहिए।
आज कल इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते चलन से जानकारियोँ की बाढ सी आ गयी है। मगर बच्चों को मिलने वाली हर जानकारी जरुरी नहीं की सही हो। चूँकि सेक्स के बारे में अधिकतर जानकारी जो इंटरनेट पे उपलब्ध है वो वयस्कों के लिए है। ऐसी जानकारियां बच्चों की मदद कम करती हैं और नुकसान ज्यादा। नतीजा बच्चे सेक्स में जल्दी engage होने लगे हैं। अधिकतर बच्चे इस के दुष्परिणामों के बारे मैं नहीं जानते। पिछले कुछ दशकों में teenage pregnancy से सम्बंधित घटनाएं बड़े शहरों में काफी बढ़ीं हैं
Solution - आप अपने बच्चों को बचा सकते हैं उचित जानकारी दे कर। सेक्स सम्बंधित बहुत सी ऐसी जानकारी है जो एक माँ-बाप होने के नाते आप अपने बच्चों को नहीं दे सकते। क्योँकि हमारे संस्कार ऐसी नहीं हैं। ऐसी में आप अपने बच्चों को sex education विशेषकर teenage pregnancy और उससे सम्बंधित होने वाले प्रोब्लेम्स पे आधारित अच्छे लेख (literature) अपने बच्चों को पढ़ने को दे सकते हैं।
बच्चे teenage की उम्र में हर तरह का experiment करना चाहते हैं। सेक्स से ले कर नशा तक - वो हर प्रकार का अनुभव करना चाहते हैं इस उम्र में बच्चे बहुत तेज़ी से आकर्षित होते हैं हर प्रकार की चीज़ से।
Solution - बच्चे इस उम्र में माँ-बाप की बातों को सुनना पसंद नहीं करते। ऐसी मैं सबसे बेहतर तरीका है की आप अपने बच्चों के लिए एक अच्छे role model बने। आप अपने behavior को control करें। नाराज होने की बजाय धैर्य से काम लें। अपना आपा नहीं खोएं। हर बुरी आदत से दूर रहें। इसी के साथ-साथ आपको अपने बच्चों को नशा की लत से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में बताएं। अपने बच्चों के दोस्तों पे भी ध्यान रखें ताकि पता चले की आप के बच्चे किस संगती मैं हैं।
अपने बच्चे को एक बात अच्छे से समझएं की गलती चाहे कितनी भी बड़ी क्योँ न हो, उनमें इतना आत्मविशवास होना चाहिए की वे अपनी गलती माने और आ कर आपको बताएं। बच्चों को यह भरोसा होना चाहिए की उसके माँ-बाप हर कदम पे उनके साथ हैं। माँ-बाप हर अच्छी बातों में उनका support करेंगे और अगर कहीं गलती हो गयी है तो उसे सुधारने में मदद भी करेंगे। अगर जानबूझ कर या अनजाने में भी उनसे कोई गलती हो जाती है तो घबराये बिना आप से share कर सकते हैं। बच्चों को बताएं की गलती किसी भी उम्र में हो सकती है, महत्वपूर्ण यह है की गलती को पहचाने और जल्द से जल्द उन्हें सुधारे।
कहना आसान है पर असल में बच्चों को समझाना काफी कठिन है। इसीलिए मैं निचे कुछ टिप्स आप को दे रहा हूँ जो आप की मदद करेंगे बच्चों से बात और उनको educate करते वक्त।
अक्सर देखा गया है की सेक्स जैसी संवेदनशील बातों के लिए माँ बेटियोँ को समझती हैं और बाप बेटों को समझतें हैं। यह थोड़ा सरल और सहज भी है। ऐसी विषयोँ पर बाप अगर बेटी से और माँ अगर बेटों से बात करें तो थोड़ा अटपटा सा लगता है। मगर अगर आप tactfully ऐसा कर सकते हैं तो जरूर करीये। क्योँकि भिन gender के होने के बाद भी अगर माँ-बाप इस तरह से बच्चों से बात करते हैं तो बच्चे इस बात को समझेंगे की यह बहुत normal से बात है तथा स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के शरीर के विषय मैं जानते हैं और इसमें हिचकिचाने जैसी कोई बात नहीं। मगर ऐसा करने पे अगर आप को अटपटा लगे या संकोच महसूस हो तो ऐसा न करें। यह उचित नहीं क्योँकि जब आप confident नहीं हैं तो अनजाने में आप अपने बच्चों के लिए एक बहुत असहज से परिस्थिति पैदा कर सकते हैं।
क्योँ नहीं? सही तरीके से अगर बच्चों को बताया जाये तो उनका मानसिक और शारीरिक स्वस्थ अच्छा रहेगा। Opposite gender के बारे में बच्चों में उतना ही उत्सुकता होती है जितना की वे अपने बारे मैं जानने में होती है। अगर आप नहीं बताएँगे तो वे उन सूत्रों से पता करेंगे जो शायद आप के बच्चे के मानसिक स्वस्थ के लिए सही न हो। चाहे बेटा हो या बेटी, दोनों को यह पता होना चाहिए की यौवन/puberty अवस्था में लड़का और लड़की दोनों को शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है और यह साधारण सी बात है।
जब आप सही तरीके से बच्चों को स्त्री/पुरुष दोनों जेंडर के बारे में अवगत/educate कराएँगे तो उनकी सिर्फ जिज्ञासा ही शांत नहीं होगी बल्कि उनके अंदर एक दूसरे के प्रति समानता की भावना, अधिक सम्वेदनशीलता और अधिक सामान भी पनपेगा।
पुलिस विभाग की ख़ुफ़िया agency की तरह उनके पीछे न पड़े रहें। बल्कि उनमें दिलचस्पी दिखाएं। आप अपनी दिन भर की routine बताएं और बातों-बातों में उनके दिनचर्या के बार में भी पूछें जैसे की उनका दिन कैसा गुजरा, स्कूल के बाद कहाँ गए, दोस्तों का हाल पूछें, नई movie, खेल-कूद और पढ़ाई के बारे में बात करें। जितना ज्यादा बात करेंगे और जितना ज्यादा बच्चों के साथ time spend करेंगे, उतना आप अपने बच्चे के बारे में जान सकेंगे।
कभी कभार dinner/lunch पे बच्चों के दोस्तों को भी invite करें। इससे आप को बच्चो के दोस्तों के बारे में पता चलेगा। माँ-बाप होने के नाते आप को पता होना चाहिए की आप के बच्चों के दोस्त कौन हैं, आप का बच्चा किस प्रकार के संगती में दिन गुजरता है।
बच्चों में बहुत जल्दबाजी होती है खुद को बड़ा और जिम्मेदार दिखाने की। बच्चे चाहते हैं के बड़े उन पे भरोसा करें, उन्हें गम्भीरता से लें। आप अपने बच्चों के confidence को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। उन्हें कुछ जिम्मेदारियां सौपनी शुरू करें। ऐसा करने पे उनका confidence बढ़ेगा, वे खुद को महत्वपूर्ण महसूस करेंगे और responsibility से काम करने की कोशिश करेंगे।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।