Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
नवजात बच्चे चार से पांच महीने में ही बिना किसी सहारे के बैठने लायक हो जाते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे को थोड़ी सी एक्सरसाइज कराएँ तो वे कुछ दिनों पहले ही बैठने लायक हो जाते हैं और उनकी मस्पेशियाँ भी सुदृण बनती हैं। इस तरह अगर आप अपने शिशु की सहायता करें तो वो समय से पहले ही बिना सहारे के बैठना और चलना सिख लेगा।

बच्चे जब चार महीने के होते हैं तभी से उनकी गर्दन स्थिर होनी शुरू जो जाती है। छेह महीने तक वे बैठने लायक हो जाते हैं और बिना किसी सहारे के अपने सर को स्थिर रखने की स्थिति में आ जाते हैं।
लड़कों की उपेक्षा लड़कियां थोडा जल्दी ही बैठने लायक हो जाती हैं।
देर-सबेर हर बच्चे का विकास होता ही है। मगर जो बच्चे जल्दी बैठने लायक हो जाते हैं उनका शारीरिक विकास भी जल्दी शुरू हो जाता है। बच्चों के विकास में उनकी शारीरिक गतिविधियों का बड़ा योगदान रहता है।
जितना जल्दी आप का शिशु बिना किसी सहारे के अपने सर को स्थिर रखने में सक्षम हो जायेगा उतना जल्दी वो ठोस आहार खाने के लायक भी हो जायेगा।
Note: एक जरुरी बात - क्या आप अपने शिशु को टीकाकरण चार्ट 2018 के अनुसार सारे टीके लगा रहे हैं की नहीं? अगर नहीं तो आज ही अपनी नजदीकी शिशु स्वस्थ शाखा पे जा कर शिशु के Immunization schedule in India 2018के बारे में पता करें।
टीकाकरण चार्ट 2018 (टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart) आपको यह बताएगा की कौन सा टीका क्यों, कब, कहां और कितनी बार आप को अपने बच्चे को लगवाना चाहिए।
टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचत है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।
चार से पांच महीने के बच्चे दुसरे चीज़ों का सहारा लेकर उठने और बैठने लग जाते हैं। लकिन उन्हें बिना सहारे के बैठने में वक्त लगेगा। अभी उनकी मासपेशियां उतनी विकसित नहीं हुई हैं की उनके शरीर का वजन उठा सके या उन्हें बैठने या चलने के लिए सहारा प्रदान कर सके।
बच्चा कितना जल्दी बैठने लगेगा यह निर्भर करता है की उसके शारीरिक विकास पे। बच्चा जितना सक्रिय होगा उसका विकास उतना ही तेज़ होगा। कुछ बच्चे बहुत सक्रिय होते हैं और कुछ बच्चे उतने सक्रिय नहीं होता हैं। स्थिति चाहे जो भी हो - माँ-बाप चाहें तो अपने बच्चे की सक्रियता की बढ़ा सकते हैं। इसीलिए समय के इस पड़ाव में बच्चे के जिंदगी में माँ-बाप का बहुत एहम किरदार होता है।
जब बच्चा बहुत छोटा होता है तो माँ-बाप को उसे हर दिन कुछ देर तक फर्श पर बिठाना चाहिए। शिशु को फर्श पर बैठाने से पहले आप फर्श पे दरी या चादर कुछ भी बिछा सकते हैं। बच्चे को अगर आप हर दिन कुछ देर के लिए फर्श पे छोड़ेंगे तो वो जल्दी चलना सिख लेगा।
इस लेख में आप पढ़ेंगे की आप अपने शिशु की किस तरह सहायता कर सकती हैं की वो जल्दी बैठना सिख ले।
जिन बच्चों का नियमित रूप से मालिश होता है वो दुसरे बच्चों की तुलना में जल्द ही बैठने और दौड़ने लग जाते हैं। बच्चों का मालिश बहुत महत्वपूर्ण है। आप के बच्चे का स्पर्श आप के प्यार और दुलार का एक माध्यम है। मालिश इसी का एक रूप है। जिस प्रकार से आप के बच्चे को पौष्टिक भोजन की आवशकता अच्छे growth और development के लिए जरुरी है, उसी तरह मालिश भी जरुरी है। माता-पिता को बच्चे की मालिश की सही जानकारी होना आवश्यक है। बच्चे के मालिश के लिए सही तेल का चुनाव भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योँकी शिशु के मालिश में हर तेल की अपनी भूमिका है। सांवले शिशु को गोरा करने के बहुत से तरीके है। मालिश भी एक तरीका है शिशु की रंगत को निखारने का।
माता पिता बच्चे को शुरुआती दिनों में मूवमेंट का एहसास करा सकते हैं। मूवमेंट का एहसास करने से शिशु इस बात से परिचित हो जाता है की किस तरह मूवमेंट करें। एक बार परिचित होने के बाद शिशु खुद-बा-खुद कोशिश करता है की वो पाने शरीर को ऊपर की तरफ उठा सके। आप बच्चे को सहारा दे कर उसे उठने की एक्सरसाइज करने के कोशिश करें। इस प्रकार के व्यायाम से शिशु बहुत सक्रिय हो जाता है और अपने आप से मूव करने की कोशिश करने लगता है। बहुत छोटे बच्चों को मुलायम चीजों जैसे की तकिये की सहायता से बैठाने की कोशिश करें।
शिशु को एक चादर पे पिट के बल लिटा के उसके पैरों को इस तरह चलाएं जैसे की वो साइकिल चला रहा है। बच्चे के पैरों को साइकिल चलाने वाली मुद्रा में मूव करने पे इनके पैर की मांसपेशियोँ को मजबूती मिलती है। बच्चों को माँ-बाप की निकटता बहुत भाटी है। यह exercise बच्चे को बिस्तर पे लिटा के या फिर जमीन पर कोई दरी या कालीन बिछा के करे तो ज्यादा अच्छा होगा। बस इस बात का ध्यान रखें की बच्चे को चोट ना लगे। बच्चे के पैर को पकड़कर ऊपर की तरफ करें और साइकिल के पैडल की तरह चलाएं। बच्चे के पैर को धीरे-धीरे घुमाएं। शिशु इस तरह की एक्टिविटीज बहुत enjoy करते हैं। इस प्रकार की एक्टिविटीज से माँ और शिशु के बीच अच्छी बॉन्डिंग भी बनती है। इस एक्सरसाइज से बच्चे के निचले हिस्से की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।
अपने शिशु के लिए कोई ऐसा खिलौना ले के आएं जिससे ध्वनि होती हो - जैसे की की कोई खिलौना जिससे संगीत बजता हो। इस प्रकार के खिलौने को चालू कर दें और शिशु को उसे उठा के लेन के लिए अपने शिशु को प्रोत्साहित करें। जब खिलौना बजना शुरू होगा तो बच्चे का ध्यान उस तरफ पड़ेगा। इस तरह शरीर को मूव करने पे बच्चे की मांसपेशियां मजबूत होती है। इस व्यायाम में शिशु शरीर को ऊपर की तरफ उठाने की कोशिश करता है और बैठने की कोशिश करता है। चूँकि इस पूरी प्रक्रिया में शिशु अपने सर, पैर और हाथों को ऊपर की तरफ उठाने की कोशिश - आप का बच्चा और बच्चों की तुलना में जल्दी बैठने और चलने लगेगा।
शिशु को जब आप तकिया का सहारा देके बैठाने की कोशिश करती हैं तो वो बैठना सिख लेता है। फिर वो खुद भी बैठने की कोशिश करता है। इसके आलावा आप शिशु को अपनी गोद में भी बैठा सकती हैं। एक बात का ध्यान रखें की अपने शिशु को केवल थोड़े देर के लिए ही बैठाएं। ज्यादा देर तक बैठाने से शिशु के कमर में जोर (खिंचाव) पड़ेगा और उसे तकलीफ हो सकती है।
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बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में पोषण का बहुत बड़ा योगदान है। बच्चों को हर दिन सही मात्र में पोषण ना मिले तो उन्हें कुपोषण तक हो सकता है। अक्सर माँ-बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या उनके बच्चे को सही मात्र में सभी जरुरी पोषक तत्त्व मिल पा रहे हैं या नहीं। इस लेख में आप जानेंगी 10 लक्षणों के बारे मे जो आप को बताएँगे बच्चों में होने वाले पोषक तत्वों की कमी के बारे में।
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
शिशु के जन्म के बाद यानी डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या देखी गई है। हालांकि बाजार में बाल झड़ने को रोकने के लिए बहुत तरह की दवाइयां उपलब्ध है लेकिन जब तक महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं तब तक यह सलाह दी जाती है कि जितना कि जितना ज्यादा हो सके दवाइयों का सेवन कम से कम करें। स्तनपान कराने के दौरान दवाइयों के सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय करने के दौरान भाप (स्टीम) जब शिशु साँस दुवारा अंदर लेता है तो उसके छाती में जमे कफ (mucus) के कारण जो जकड़न है वो ढीला पड़ जाता है। भाप (स्टीम) एक बहुत ही प्राकृतिक तरीका शिशु को सर्दी और जुकाम (colds, chest congestion and sinusitus) में रहत पहुँचाने का। बच्चों का भाप (स्टीम) के दुवारा कफ निकालने के उपाय
अगर आप के शिशु को केवल रात में ही खांसी आती है - तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं जिनकी चर्चा हम यहाँ करेंगे। बच्चे को रात में खांसी आने के सही कारण का पता लगने से आप बच्चे का उचित उपचार कर पाएंगे। जानिए - सर्दी और जुकाम का लक्षण, कारण, निवारण, इलाज और उपचार।
शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
Indian baby sleep chart से इस बात का पता लगाया जा सकता है की भारतीय बच्चे को कितना सोने की आवश्यकता है।। बच्चों का sleeping pattern, बहुत ही अलग होता है बड़ों के sleeping pattern की तुलना मैं। सोते समय नींद की एक अवस्था होती है जिसे rapid-eye-movement (REM) sleep कहा जाता है। यह अवस्था बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लहजे से बहुत महत्वपूर्ण है।
इस गेम को खेलने के बाद बच्चे कर लेते हैं आत्महत्या|सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पे खेले जाने वाला गेम 'ब्लू व्हेल चैलेंज' अब तक पूरी दुनिया में 300 से ज्यादा बच्चों का जान ले चूका है| भारत में इस गेम की वजह से छह किशोर खुदखुशी कर चुके हैं| अगर पेरेंट्स समय रहते नहीं सतर्क हुए तो बहुत से पेरेंट्स के बच्चे इंटरनेट पे खेले जाने वाले गेम्स के चक्कर में घातक कदम उठा सकते हैं|
कोई जरुरत नहीं की बच्चे बरसात के दिनों में घर की चार दीवारों के बीच सिमट के रह जाएँ| इन मजेदार एक्टिविटीज के जरिये बनाये घर पर ही बच्चों के लिए मजेदार माहौल|
बच्चे को सुलाने के नायब तरीके - अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप ने तरत तरह की कोशिशें की होंगी। जैसे की बच्चे को सुलाने के लिए उसको कार में कई चक्कर घुमाया होगा, या फिर शुन्य चैनल पे टीवी को स्टार्ट कर दिया होगा ताकि उसकी आवाज से बच्चा सो जाये। बच्चे को सुलाने का हर तरीका सही है - बशर्ते की वो तरीका सुरक्षित हो।
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
चूँकि इस उम्र मे बच्चे अपने आप को पलटना सीख लेते हैं और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, आप को इनका ज्यादा ख्याल रखना पड़ेगा ताकि ये कहीं अपने आप को चोट न लगा लें या बिस्तर से निचे न गिर जाएँ।
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
आप के बच्चे के लिए सही सनस्क्रीन का चुनाव तब तक संभव नहीं है जब तक की आप को यह न पता हो की आप के बच्चे की त्वचा किस प्रकार की है और कितने प्रकार के सनस्क्रीन बाजार में उपलब्ध हैं।
जन्म के बाद गर्भनाल की उचित देखभाल बहुत जरुरी है। अगर शिशु के गर्भनाल की उचित देखभाल नहीं की गयी तो इससे शिशु को संक्रमण भी हो सकता है। नवजात शिशु में संक्रमण से लड़ने की छमता नहीं होती है। इसीलिए थोड़ी सी भी असावधानी बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए बचपन से ही उन्हें अच्छे और बुरे में अंतर करना सिखाएं। यह भी जानिए की बच्चों को बुरी संगत से कैसे बचाएं। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दीजिये।
अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।
दिमागी बुखार (मेनिन्जइटिस) की वजह से दिमाग को नुकसान और मौत हो सकती है। पहले, बहुत अधिक बच्चों में यह बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन टीकों के इस्तेमाल से इस पर काबू पाया गया है। हर माँ बाप को अपने बच्चों को यह टिका अवश्य लगवाना चाहिए।