Category: शिशु रोग

बच्चे के पेट में कीड़े - कारण लक्षण और उपचार

By: Salan Khalkho | 7 min read

बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।

बच्चे के पेट में कीड़े - कारण लक्षण और उपचार

शिशु के पेट में कीड़े या कृमि का संक्रमण (intestinal worms in children) कई वजह से हो सकता है। जैसे की जमीन पर नंगे पैर चलने/खेलने से, अशुद्ध आहार ग्रहण करने से, संक्रमित पानी पिने से।

संक्रमित, मिटटी, पानी या आहार के संपर्क में आने से बच्चे के पेट में कीड़े या कृमि के अंडे पहुँच जाते हैं। यहां पहुँच कर जब इन अंडो से कीड़े निकलते हैं तो ये बहुत तेज़ी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। 

ये पेट में ही और अंडे देते हैं और बच्चे पैदा करने लगते हैं।  बच्चों के पेट के कीड़ों को मारने के लिए भारत में बहुत तरह के घरेलु उपचार उपलब्ध हैं।  

उदहारण के तौर पे बच्चों के पेट के कीड़ों को लहसून और पपीते की मदद से ख़त्म किया का सकता है। 

इस लेख में:

  1. क्या बच्चों के पेट में कीड़ा होना आम बात है?
  2. बच्चों के पेट में कीड़े होना कितना आम बात है?
  3. भारत में कौन कौन से संक्रमण (इन्फेक्शन) आम है?
  4. बच्चों में कीड़ों के इन्फेक्शन के लक्षण
  5. आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं इसका पता कैसे लगाएं
  6. बच्चे में हुकवर्म के संक्रमण का लक्षण
  7. बच्चों को कीड़ो का संक्रमण कैसे होता है
  8. बच्चे में कीड़ों के संक्रमण का पता लगाने के लिए कौन से चिकित्सीय जाँच (medical checkup) की जाती है
  9. बच्चे में कीड़ों के इलाज का तरीका
  10. बच्चों को कीड़ों से बचाने के लिए जरुरी निर्देश
  11. निचे दिए गए सुझाव अगर आप अपनाये तो आप अपने बच्चे को पेट के कीड़ों के संक्रमण से बचा सकते हैं
  12. पेट के कीड़ों का बच्चे की प्रतिरक्षण प्रणाली पर असर
  13. क्या प्रोबायोटिक्स आहार के सेवन से बच्चे के पेट के कीड़ों को समाप्त किया जा सकता है?

क्या बच्चों के पेट में कीड़ा होना आम बात है?

बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है। मगर बच्चों के पेट में कीड़ो का पता लगाना महत्वपूर्ण बात है। अक्सर बच्चों के पेट में कीड़े होने का कोई ठोस लक्षण नहीं मिल पाता है जिस वजह से पता नहीं चल पाता है की बच्चों के पेट में कीड़े हैं या नहीं। 

बच्चों के पेट में कीड़े होना कितना आम बात है?

भारत में हुए शोध के अनुसार हर पांच बच्चे में से एक व्यक्ति को कम से कम एक प्रकार के कीड़े का संक्रमण (infection) अवश्य होता है। बच्चों में कीड़ों का संक्रमण और भी अधिक माना जाता है। 

वैसे तो बहुत प्रकार के कीड़ों का संक्रमण होता है। लेकिन बच्चों में सबसे आम कीड़ो का संक्रमण जो देखने को मिलता है वो है पिनवर्म जिन्हें थ्रेडवर्म भी कहा जाता है। यह मोठे धागे के टुकड़ों की तरह दीखता है और बच्चों मैं बहुत ही आम संक्रमण है। पिनवर्म या थ्रेडवर्म की लम्बाई 3 mm से  10 mm तक होती है। 

भारत में कौन कौन से संक्रमण (इन्फेक्शन) आम है?

पिनवर्म या थ्रेडवर्म के आलावा भारत में हुकवर्म, राउंडवर्म और व्हिपवर्म इनफेक्शन भी आम बात है। बच्चों में इसके इन्फेक्शन का पाता लगा पाना बहुत मुश्किल काम है। लेकिन रहत की बात यह है की इन कीड़ों से पीछा छूटा पाना बहुत आसान काम है। और-तो-और आप अपने बच्चों की इन कीड़ों के इन्फेक्शन से बहुत ही कम समय में आजाद करा सकती हैं। 

बच्चों में कीड़ों के इन्फेक्शन के लक्षण

बच्चों में कीड़ों के इन्फेक्शन के लक्षण

आम तौर पे बच्चों में कीड़ों का कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देता है। अगर लक्षण होता भी है तो वो इतना हल्का होता है की उन पर आसानी से नजर नहीं जाता है। बच्चों में कीड़ों के लक्षण अलग अलग तरह के हो सकते हैं। ये लक्षण इस बात पे निर्भर करता है की आप के बच्चे को किस कीड़े का संक्रमण है और संक्रमण कितना गंभीर है। पेट के कीड़ों से सम्बंधित संक्रमण के लक्षण यहां निचे दिए गए हैं। अगर आप के बच्चे में इनमे से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत बच्चे-के-डॉक्टर से संपर्क करें। 

  • कई दिन से आपके बच्चे के पेट में दर्द है।
  • पिछले कुछ दिनों में आप के बच्चे का वजन घटा है
  • अगर आपके बच्चे का स्वाभाव चिड़चिड़ा हो गया है
  • बच्चे को मिचली (उलटी का आभास होना) आती है
  • बच्चे के potty से खून आना 
  • बच्चे को खुजली हो, विशेषकर मल द्वार पे। खुजली की वजह से बच्चे को नींद नहीं आना
  • बच्चे को उल्टी या खांसी होना। कभी कभी उल्टी या खांसी में कीड़ों का भी बाहर आना
  • बच्चे के मॉल द्वार पे खुजली या दर्द होना
  • बच्चे को मूत्रमार्ग संक्रमण (यू.टी.आई. - UTI) होना, जिसकी वजह से बार बार पेशाब लगना। यह खास तौर पे लकड़ियोँ में आम है। 
  • बच्चों में आंतरिक रक्तस्त्राव (internal bleeding) होना जिसकी वजह से बच्चे को आयरन की कमी और एनीमिया होना या बच्चे को उसके आहार से पोषक तत्त्व नहीं मिला पाना। 
  • बच्चे को दस्त होना या भूख न लगना 
  • गंभीर परिस्थितियोँ में अगर कीड़ों की संख्या बहुत बढ़ जाये तो आंतों में अवरोध भी हो सकता है। बहुत दुर्लभ मामलों में गंभीर टेपवर्म इनफेक्शन की वजह से दौरे भी पड़ सकते हैं।
  • कभी कभी बच्चों के दांत पीसने की वजह उनके पेट के कीड़े भी हो सकते हैं। 

आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं इसका पता कैसे लगाएं

अपने बच्चे के पेट में कीड़े होने का पता लगाने के लिए आप निचे दिए गए संभव प्रयास कर सकते हैं। 

  • अगर आप का बच्चा अपने नितंबों में खुजली होने की शिकायत करे, खास कर रात में तो तो सम्भव है की उसके पेट में कीड़े हैं। 
  • जब आप का बच्चा सो जाये तो टोर्च की मदद से उसके नितंबों की जाँच करें। उसके दोनों नितंबों को अलग करते हुए, टोर्च की रौशनी में उसके गुदा के आसपास की जगह को गौर से देखें। 
  • अगर आप के बच्चे को  थ्रेडवर्म का संक्रमण है तो आप को बच्चे के गुदा से एक या इससे ज्यादा कीड़े बाहर निकलते हुए दिखेंगे। यह भी हो सकता है की आप को आप के बच्चे के पायजामे या चादर पर भी कुछ कीड़े दिखें। 

symptom of intestine worm in children


बच्चे में हुकवर्म के संक्रमण का लक्षण

हुकवर्म बच्चे के शरीर के बाहरी त्वचा से अंदर प्रवेश करता है। बच्चे में हुकवर्म के संक्रमण के ये लक्षण हो सकते हैं। 

  • - बच्चे के शरीर में जिस जगह से हुकवर्म प्रवेश किया है उस जगह पे त्वचा पे चकत्ते के निशान और खुजलाहट हो सकती है। 
  • - बच्चे को एनीमिया हो सकता है। 

अगर आप को अपने बच्चे में ये चिन्ह दिखे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। 

cause of intestine worm in children

बच्चों को कीड़ो का संक्रमण कैसे होता है

बच्चों को कीड़ों का संक्रमण निचे दिए गए किसी भी वजह से हो सकता है।

संक्रमित मिट्टी के सम्पर्क में आने से
मिटटी में खेलने के दौरान बच्चों को हुकवर्म, राउंडवर्म, टेपवर्म और व्हिपवर्म होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। जब इन कीड़ों से संक्रमित व्यक्ति मिटटी में मल त्याग करता है तो वहां कीड़ों के अंडे जमा हो जाता हैं। ये अंडे बाद में छोटे अविकसित कीड़े बन जाते हैं जो कुछ समय पश्च्यात लार्वा में तब्दील हो जाते हैं। जब बच्चे संक्रमित मिटटी में खेलते हैं या नंगे पैर या घुटनो के बल मिटटी पे चलते हैं तो हुकवर्म बच्चे के त्वचा के संपर्क में आते ही बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाता है। 

जब बच्चे हाथों से मिट्टी खेलते हैं तो बच्चों के हाथ मिट्टी से सन जाते हैं। मिटटी बच्चों के नाखुनो में भी इकठी हो जाती है। जब बच्चे ये गन्दा हाथ अपने मुँह में ले जाते हैं तो ये कीड़े बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। 

गंदे या संक्रमित पानी में खेलने से
बहुत से पेट के कीड़े  ऐसे हैं जो पानी में पनपते हैं। ये कीड़े  झीलों, बांधों और कीचड़ में पाए जाते हैं। इन जगहों में खेलने से, तैरने से, नहाने से या इन जगहों के पानी को पिने से या इन स्रोतों के पानी से दूषित हुए आहार को ग्रहण करने से कीड़ों का संक्रमण होने का खतरा रहता है। यह खरता केवल बच्चों को ही नहीं वरन बड़ों को भी रहता है। मगर बच्चों को संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है क्यूंकि बच्चों की प्रतिरक्षण प्रणाली (immune  system) पूरी तरह विकसित नहीं होती है।  

अधपका या संक्रमित आहार ग्रहण करने से 
जिन पौधे और सब्जियों को संक्रमित भूमि में उब्जाया गया हो या संक्रमित या दूषित पानी के द्वारा सींचा गया हो, उनमें हुकवर्म, व्हिपवर्म और राउंडवर्म के अंडे हो सकते हैं। अगर इस सब्जियों को अच्छी तरह न धोया गया तो ये सब्जियों पे ही चिपके रह जाएंगे। इस सब्जियों को अच्छी तरह अगर न पकाया जाये तो इन सब्जियों को खाने वालों को संक्रमण लग सकता है। 

पानी में रहने वाले जिव जैसे की मछली और पशु-मवेशी में भी इन कड़ों का संक्रमण हो सकता है। संक्रमण से ये टेपवर्म के इनफेक्शन से बीमार हो सकते हैंं। इनका मास अगर अच्छी तरह पका के न बनाया जाये तो इनको आहार की तरह ग्रहण करने से पेट के कीड़ों का संक्रमण हो सकता है। 
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी बच्चों को संक्रमण का खतरा रहता है

बच्चे अगर किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं जिन्हे कीड़ों का संक्रमण हो और वे सफाई का उचित ध्यान न रखते हों तो उनसे बच्चों को इन्फेक्शन लग सकता है। पिनवर्म मुख्यता इसी तरह से बच्चों तक पहुँचता है। पिनवर्म के कीड़े या अंडे व्यक्ति के नाखुनो या अच्छी तरह साफ न किये हुए हाथों में जीवित रह सकते हैं। पिनवर्म के कीड़े चादरों या कपड़ों में तीन हफ्तों तक भी जीवित रह सकते हैं। बच्चे जब ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आते हैं या ऐसे व्यक्ति बच्चों के खिलोनो को हाथ लगाते है तो खिलोनो से बच्चों को संक्रमण पहुँच जाता है। 

पेट के कीड़े बच्चों के विकास को प्रभावित करता है
शुरुआती दौर में कीड़ों का संक्रमण बच्चों में खुजलाहट का कारण हो सकता है। अगर समय रहते संक्रमित बच्चे का इलाज न किया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बच्चों के आंत में कीड़ों के संक्रमण से रक्तस्त्राव (bleeding) हो सकता है। ऐसा हुआ तो बच्चे को एनीमिया, कुपोषण, तेज़ी से बच्चे का वजन घटना या और भी अन्य तरह के जटिलताएं हो सकती हैं। 

जिन बच्चों को पेट के कीड़ों का संक्रमण हैं उनको दूसरी बीमारी होने की सम्भावना भी ज्यादा रहती है। ऐसा इस लिए क्योँकि संक्रमण की वजह से उनकी प्रतिरक्षण प्रणाली (immune system) पहले से ही क्षतिग्रस्त है। 

टेपवर्म इनफेक्शन से बच्चे के मस्तिष्क में गांठे पड़ जाती हैं जो बच्चे के बौद्धिक विकास के लिए एक गंभीर बात है। हालाँकि ऐसा होना बहुत ही दुर्लभ बात है, मगर, डॉक्टर से समय पे इस विषय पे बात करना ज्यादा उचित है ताकि स्पष्ट तौर पे डॉक्टरी राय मिल सके। 

बच्चे में कीड़ों का संक्रमण उनके शारीरिक और दिमागी विकास को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसकी वजह से बच्चे में विकास दर घट जाती है और बच्चे का विकास बहुत देर में होता है। पेट के कीड़ों की वजस से बच्चे के मानसिक कार्यप्रणाली पर भी बुरा असर पड़ता है। विशेषकर अगर संक्रमण की वजह से बच्चे को एनीमिया और कुपोषण  हो रहा है तो। समय पे इलाज मिले तो बच्चे को इन बुरे प्रभावों से बचाया जा सकता है। 

diagnose intestine worm in children

बच्चे में कीड़ों के संक्रमण का पता लगाने के लिए कौन से चिकित्सीय जाँच (medical checkup) की जाती है

बच्चे के पेट में कीड़ों का संक्रमण है की नहीं इसका जाँच डॉक्टर से करवाना उचित रहता है। डॉक्टर से परामर्श के बाद डॉक्टर निम्न लिखित जाँच करने की राय दे सकते हैं। 

मॉल की जाँच - आप के शिशु के डॉक्टर आपके बच्चे के मल के नमूने की जाँच के लिए राय दे सकते हैं। यह एक बेहतर विकल्प है बच्चे के पेट में कीड़ों के संक्रमण का पता लगाने के लिए। 

स्टिकी टेप टेस्ट - इस टेस्ट में बच्चे में थ्रेडवर्म के इन्फेक्शन का पता चलता है। इस टेस्ट में बच्चे के नितंबों के आसपास टेप का एक टुकड़ा चिपकाया जाता है। अगर बच्चे को थ्रेडवर्म का इन्फेक्शन है तो थ्रेडवर्म कीड़ों के अंडो का टेप के टुकड़े पे चिपक जाने की सम्भावना रहती है। इस टेप के टुकड़े की लैब में जांच की जाती है जहाँ पे बच्चे के पेट में थ्रेडवर्म के होने या न होने की पुष्टि की जाती है। 

नाखूनों की जाँच - बच्चे के नाखूनों के नीचे कीड़ों के अंडे की जाँच की जा सकती है। इसमें बच्चे के नाखुनो के नमूनों को लैब में जांच के लिए भेजा जा सकता है। 

कॉटन-बड स्वॉब जाँच (रुई के फाहे से जाँच) - इस जाँच में डॉक्टर बच्चे के नितंबों के आसपास के जगह को रुई के फाहे से पौंछकर कर उस रुई के फाहे को लैब में जांच के लिए भेज सकता है। 

अल्ट्रासाउंड जांच - यह जाँच उस समय कराया जाता है जब बच्चे के शरीर में बहुत सारे कीड़े हों। अल्ट्रासाउंड के परीक्षण द्वारा डॉक्टर कीड़ों की वास्तिविक स्थिति का पता लगाते हैं। 

बच्चे में कीड़ों के इलाज का तरीका

सबसे राहत देने वाली बात यह है की बच्चे के पेट में कीड़ों के लगभग सभी प्रकार के संक्रमण का इलाज ओरल दवाओं के द्वारा किया जा सकता है। डॉक्टरी जाँच के बाद आप के बच्चे का डॉक्टर इस बात का निर्धारण करेगा की आप के बच्चे को कौन सी दवा देनी है। बच्चे के जाँच के बाद डॉक्टर कीड़ों के डीवर्मिंग (de-worming) की प्रक्रिया प्रारम्भ करेगा। अगर कीड़ों के संक्रमण की वजह से आप के बच्चे को एनीमिया हो गया है तो डॉक्टर आप के बच्चे को आयरन supplement लेने की भी सलाह दे सलाह दे सकते हैं। 

बच्चों के पेट के कीड़ों के मरने के लिए बाजार में बहुत से दवाएं और औषधि हैं। बिना डॉक्टर के पर्ची के इन दवाओं को बच्चे को न दें। पेट के कीड़ों को मारने के लिए बहुत सी दवाएं ऐसे हैं जिन्हे दो साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए। 

बच्चों के पेट के कीड़ों को मारने के लिए जड़ी-बूटी या आयुर्वेदिक उपचार भी उपलब्ध है। हालाँकि इनके प्रभावशीलता के बारे मे ज्यादा प्रमाण उपलब्ध नहीं है। हम यह सलाह देंगे की बच्चे के पेट के कीड़ों को मारने के लिए जो भी उपचार आप अपनाये अपने बच्चे के डॉक्टर से उस उपचार के बारे में सलाह अवश्य ले लें। 

पेट के कीड़ों के सफल उपचार के बाद इनका फिर से हो जाना भी आम बात है। इन कीड़ों का संक्रमण भी आसानी से फैलता है। इसलिए एतिहात के तौर पे आप के डॉक्टर आप से पुरे परिवार को पेट के कीड़ों का उपचार करवाने को कह सकते हैं - भले ही परिवार में किसी अन्य को कीड़े हों या नहीं। 

बच्चों को कीड़ों से बचाने के लिए जरुरी निर्देश

विश्व स्वास्थ्य संगठन - WHO इस बात की सलाह देता है की प्रीस्कूल के बच्चों की नियमित तौर पे कीड़ों को खत्म करने का उपचार किया जाये। एक बार जब बच्चा एक साल का हो जाये तो नियमित तौर पे हर छह महीने पे बच्चे का डीवर्मिंग उपचार किया जाना चाहिए। जब बच्चा चलना सीखता है तब उसके पेट में कीड़ों का इन्फेक्शन होने का सबसे ज्यादा सम्भावना रहती है। इस दौरान आपको अपने बच्चे को नियमित तौर पे अपने डॉक्टर के पास जाँच के लिए ले के जाना चाहिए। इससे बच्चे की समय पे de-worming की जा सकेगी। 

निचे दिए गए सुझाव अगर आप अपनाये तो आप अपने बच्चे को पेट के कीड़ों के संक्रमण से बचा सकते हैं

  • अपने बच्चे के diaper या लंगोट (नैपी) को नियमित तौर पे बदलते रहें। बच्चे के डॉयपर या कपड़ों को बदलते वक्त आप अपना हाथ साफ से धो लें। 
  • घर को साफ सुथरा रखें और अगर जरुरत पड़े तो अच्छे कीटनाशक का इस्तेमाल भी करें ताकि घर हर प्रकार के बीमारियोँ से सुरक्षित रहे। 
  • जब बच्चा चलने लगे तो उसे जूता, सैंडिल या चप्पल पहना के रखें। हमेशा ध्यान रखें की आप का बच्चा बहार खेलते वक्त नंगे पैर न हो। जब बच्चा बहार से खेल के घर वापस आये तो उसके हाथ और पैर को साफ से धुला दें। 
  • बच्चे को झीलों, बांधों और कीचड़ में न खेलने दें। इसके आलावा बच्चे को नमी वाले रेत की टीलों और मिट्टी से दूर रखें। 
  • बरसात के दिनों में गढ्ढ़ों में पानी जगह जगह जमा हो जाता है। दूषित पानी में बच्चे को खेलने न दें। इससे भी बच्चे को इन्फेक्शन का खतरा रहता है। 
  • अपने बच्चे को साफ और सूखी जगह पे ही खेलने दें। 
  • घर के शौचालय को स्वच्छ रखें ताकि आप के बच्चे के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रहे।  
  • बच्चे के पेशाब करने या मल त्याग करने के बाद उसके नितंबों को धो दें। इसके बाद आप अपने हाथों को भी अच्छी तरह से धो लें। अगर आप का बच्चा बड़ा हो गया है तो उसे शौचालय के इस्तेमाल करने के बाद हाथ धोने का आदत डालें। 
  • यह भी सुनिश्चित करें की घर के सभी सदस्य आहार ग्रहण करने से पहले और शौचालय के इस्तेमाल के बाद अपने हाथों को सफाई से साबुन से अवश्य धो लें। 
  • अपने बच्चे के नाखूनों को समय-समय पे काटते रहें और छोटा रखें। लम्बे नाखूनों में कीड़ों के अंडे फस कर पुरे घर में फ़ैल सकते हैं। 
  • बच्चों के लिए पानी उबाल कर रखें। बच्चों के लिए RO का फ़िल्टर पानी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  • बच्चों को फल देने से पहले अच्छी तरह से धो लें। सब्जियों को भी पकाने से पहले अच्छी तरह धो लें और अच्छी तरह पकाएं। 
  • बच्चों के लिए ताज़ा मांस और मछली पकाएं। इनसे बना आहार अच्छी तरह पका हुआ हो। अधपके या कच्चे आहार से बच्चे को संक्रमण हो सकता है। 
  • अगर आप अपने बच्चे को कामवाली या आया के निगरानी में छोड़ते हैं तो ध्यान रखें की वह खुद को साफ सुथरा रखती हो। अगर घर के सभी सदस्य कीड़े खत्म करने की दवाई ले रहें हैं तो अच्छा यह रहेगा की कामवाली भी दवाई ले। 

पेट के कीड़ों का बच्चे की प्रतिरक्षण प्रणाली पर असर

यह निश्चित तौर पे पता नहीं चल सका है - मगर विशेषज्ञ मानते हैं की बचपन में कीड़ों का संक्रमण बच्चों के प्रतिरक्षण प्रणाली को आगे चलकर बेहतर बनता है। इसके साथ ही साथ यह एलर्जी और स्वप्रतिरक्षित (आॅटोइम्यून) जैसे परिस्थिति के प्रति बच्चे के शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है। इस बात के कुछ इतिहासिक प्रमाण उपलब्ध हैं। 

  •  UK में एक शताब्दी पूर्व वयस्कों में पेट के कीड़े का होना आम बात था। लेकिन उस दौरान यह भी पाया गया की वयस्कों में उतना एलर्जी की बीमारी नहीं थी जितनी आज है। 
  •  UGANDA में हुए एक शोध के अनुसार अगर गर्भवती ​महिला को कीड़े खत्म करने की दवा दी गयी तो शिशु को एग्जिमा होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।  

क्या प्रोबायोटिक्स आहार के सेवन से बच्चे के पेट के कीड़ों को समाप्त किया जा सकता है?

प्रोबायोटिक्स आहार जैसे की दही, लस्सी, छाछ, रायता या योगर्ट अच्छे जीवाणुओं के तादाद बढ़ाने में मददगार होते हैं। ये अच्छे जीवाणुओं शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता (immune system) को भी मजबूत बनाते हैं। मगर इस बारे में फ़िलहाल ज्यादा शोध उपलब्ध नहीं है और यह अधिक अध्ययन का विषय है। 

कुछ अध्यन के अनुसार प्रोबायोटिक्स आहार पेट के कीड़ों समेत दूसरे परजीवियों से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है। यह शोध चूहे पे किया गया था। इसका कितना असर इंसानो पे होगा यह साफ तौर पे निश्चित नहीं है। 

अभी तक कोई भी पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं है जो इस बात का साक्ष्य दे की प्रोबायोटिक्स आहार  बच्चों में कीड़े के संक्रमण को रोक सकते हैं या ख़तम कर सकते हैं। यदि आप इनका इस्तेमाल करना ही चाहते हैं तो अपने बच्चे के डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लें। 

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

कद्दू-की-प्यूरी
रागी-डोसा
रागी-का-खिचड़ी
पालक-और-याम
अवोकाडो-और-केले
गाजर-मटर-और-आलू-से-बना-शिशु-आहार
पपीते-का-प्यूरी
मछली-और-गाजर
सूजी-उपमा
दही-चावल
वेजिटेबल-पुलाव
इडली-दाल
संगति-का-प्रभाव
अंगूर-को-आसानी-से-किस-तरह-छिलें-
हानिकारक-आहार
अंगूर-शिशु-आहार
india-Indian-Independence-Day-15-August
अंगूर-के-फायेदे
पारिवारिक-माहौल
baby-sleep
नवजात-बच्चे-का-दिमागी-विकास
बच्चा-बात
हड्डियाँ-ज्यादा-मजबूत
बच्चे-बुद्धिमान
बच्चों-की-मजेदार-एक्टिविटीज-
बच्चों-के-उग्र-स्वाभाव
शिशु-आहार
गर्भ-में-सीखना
स्मार्ट-फ़ोन
homemade-baby-food

Most Read

गर्भ-में-लड़का-होने-के-लक्षण-इन-हिंदी
बच्चे-का-वजन
टीकाकरण-चार्ट-2018
शिशु-का-वजन-बढ़ाएं
बच्चों-में-यूरिन
बच्चों-को-गोरा-करने-का-तरीका-
कई-दिनों-से-जुकाम
खांसी-की-अचूक-दवा
बंद-नाक
balgam-wali-khansi-ka-desi-ilaj
sardi-jukam
सर्दी-जुकाम-की-दवा
बच्चे-की-भूख-बढ़ाने-के-घरेलू-नुस्खे

Other Articles

क्या कपड़े का मास्क ओमनी क्रोम से बचाने में सक्षम है - Can Cloth Masks Protect You Against Omicron?
कपड़े-का-मास्क-और-ओमनी-क्रोम कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
Read More...

भरपेट आहार के बाद भी कहीं कुपोषित तो नहीं आपका का शिशु
शिशु-कुपोषण हर मां बाप अपनी तरफ से भरसक प्रयास करते हैं कि अपने बच्चों को वह सभी आहार प्रदान करें जिससे उनके बच्चे के शारीरिक आवश्यकता के अनुसार सभी पोषक तत्व मिल सके। पोषण से भरपूर आहार शिशु को सेहतमंद रखते हैं। लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों को देखें तो यह पता चलता है कि भारत में शिशु के भरपेट आहार करने के बावजूद भी वे पोषित रह जाते हैं। इसीलिए अगर आप अपने शिशु को भरपेट भोजन कराते हैं तो भी पता लगाने की आवश्यकता है कि आपके बच्चे को उसके आहार से सभी पोषक तत्व मिल पा रहे हैं या नहीं। अगर इस बात का पता चल जाए तो मुझे विश्वास है कि आप अपने शिशु को पोषक तत्वों से युक्त आहार देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
Read More...

जानलेवा हो सकता है गर्भावस्था में Vitamin B12 का ना लेना
जानलेवा-हो-सकता-है-गर्भावस्था-में-Vitamin-B12-का-ना-लेना पूरी गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के लिए यह बहुत आवश्यक है की वह ऐसे पोषक तत्वों को अपने आहार में सम्मिलित करें जो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं तथा गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी बहुत तेजी से होता है और इस वजह से शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। पोषक तत्वों की कमी शिशु और माँ दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसी तरह का एक बहुत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है Vitamin B12.
Read More...

शिशु के दांतों के बीच गैप - डायस्टेमा - कारण और उपचार
शिशु-के-दांतों-के-बीच-गैप-डायस्टेमा-कारण-और-उपचार बहुत से बच्चों और बड़ों के दातों के बीच में रिक्त स्थान बन जाता है। इससे चेहरे की खूबसूरती भी कम हो जाती है। लेकिन बच्चों के दातों के बीच गैप (डायस्टेमा) को कम करने के लिए बहुत सी तकनीक उपलब्ध है। सबसे अच्छी बात तो यह है की अधिकांश मामलों में जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह गैप खुद ही भर जाता है। - Diastema (Gap Between Teeth)
Read More...

बढ़ते बच्चों के लिए 7 महत्वपूर्ण पोष्टिक आहार
बढ़ते-बच्चों-के-लिए-पोष्टिक-आहार 12 साल तक की उम्र तक बच्चे बहुत तेजी से बढ़ते हैं और इस दौरान शिशु को सही आहार मिलना बहुत आवश्यक है। शिशु के दिमाग का विकास 8 साल तक की उम्र तक लगभग पूर्ण हो जाता है तथा 12 साल तक की उम्र तक शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है। इस दौरान शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं जिन्हें सहयोग करने के लिए अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है।
Read More...

प्रेगनेंसी के बाद बालों का झाड़ना कैसे रोकें
बालों-का-झाड़ना शिशु के जन्म के बाद यानी डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या देखी गई है। हालांकि बाजार में बाल झड़ने को रोकने के लिए बहुत तरह की दवाइयां उपलब्ध है लेकिन जब तक महिलाएं अपने नवजात शिशु को स्तनपान करा रही हैं तब तक यह सलाह दी जाती है कि जितना कि जितना ज्यादा हो सके दवाइयों का सेवन कम से कम करें। स्तनपान कराने के दौरान दवाइयों के सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
Read More...

डिलीवरी के बाद पेट कम करने का घरेलु नुस्खा
डिलीवरी-के-बाद-पेट-कम डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
Read More...

सर्दियौं में शिशु को किस तरह Nappy Rash से बचाएं
डायपर-के-रैशेस नवजात शिशु को डायपर के रैशेस से बचने का सरल और प्रभावी घरेलु तरीका। बच्चों में सर्दियौं में डायपर के रैशेस की समस्या बहुत ही आम है। डायपर रैशेस होने से शिशु बहुत रोता है और रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। लेकिन इसका इलाज भी बहुत सरल है और शिशु तुरंत ठीक भी हो जाता है। - पढ़िए डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे।
Read More...

शिशु को 2 वर्ष की उम्र में लगाये जाने वाले टीके
2-वर्ष-पे-टीका शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
Read More...

मुँह में दिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन (OPV) - Schedule और Side Effects
OPV पोलियो वैक्सीन OPV (Polio Vaccine in Hindi) - हिंदी, - पोलियो का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
Read More...

फ्राइड राइस बनाने की विधि - शिशु आहार
fried-rice घर पे करें तयार झट से शिशु आहार - इसे बनाना है आसन और शिशु खाए चाव से। फ्राइड राइस में मौसम के अनुसार ढेरों सब्जियां पड़ती हैं। सब्जियौं में कैलोरी तो भले कम हो, पौष्टिक तत्त्व बहुत ज्यादा होते हैं। शिशु के मानसिक और शारीरक विकास में पौष्टिक तत्वों का बहुत बड़ा यौग्दन है।
Read More...

अंगूर को आसानी से किस तरह छिलें
अंगूर-को-आसानी-से-किस-तरह-छिलें- अगर आप किसी भी कारण से अंगूर का छिलका उतरना चाहते हैं, तो इसका एक आसन और नायब तरीका है जिसके मदद से आप झट से ढेरों अंगूर के छिलकों को निकल सकते हैं| अब आप बिना समस्या के आसानी से अंगूर का छिलका उत्तार सकेंगे|
Read More...

हरे मटर की प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार
मटर-की-प्यूरी फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
Read More...

घर पे करें त्यार बच्चों का आहार
घर-पे-त्यार-बच्चों-का-आहार बच्चों के शुरुआती दिनों मे जो उनका विकास होता है उसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है| इसका असर उनके बाकि के सारी जिंदगी पे पड़ता है| इसी लिए बेहतर यही है की बच्चों को घर का बना शिशु-आहार (baby food) दिया जाये जो प्राकृतिक गुणों से भरपूर हों|
Read More...

माँ का दूध छुड़ाने के बाद क्या दें बच्चे को आहार
बच्चे-को-आहार हर बच्चे को कम से कम शुरू के 6 महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए| इसके बाद अगर आप चाहें तो धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद कर सकती हैं| एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए| जब आप ऐसा करते हैं तो धीरे धीरे कर अपना दूध पिलाना बंद करें।
Read More...

शिशु में डायपर रैशेस से छुटकारा पाने का तुरंत उपाय
शिशु-में-डायपर-रैशेस बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
Read More...

जापानीज इन्सेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) का वैक्सीन - Schedule और Side Effects
दिमागी-बुखार---जापानीज-इन्सेफेलाइटिस मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार (Japanese encephalitis - JE) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो जापानीज इन्सेफेलाइटिस के वायरस द्वारा होता है। मस्तिष्क ज्वर मछरों द्वारा काटे जाने से फैलता है। मगर अच्छी बात यह है की इससे वैक्सीन के द्वारा पूरी तरह बचा जा सकता है।
Read More...

6 से 8 माह के बच्चे के लिए भोजन तलिका
भोजन-तलिका जब बच्चा आहार ग्रहण करने यौग्य हो जाता है तो अकसर माताओं की यह चिंता होती है की अपने शिशु को खाने के लिए क्या आहर दें। शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है और इसीलिए उसे ऐसे आहारे देने की आवश्यकता है जिसे उनका पाचन तंत्र आसानी से पचा सके।
Read More...

6 आसान तरीके बच्चों की लम्बाई बढ़ाने के
बच्चों-की-लम्बाई शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।
Read More...

बच्चों में खाने से एलर्जी
बच्चों-में-खाने-से-एलर्जी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2050 तक दुनिया के लगभग आधे बच्चों को किसी न किसी प्रकार की एलर्जी होगा। जन्म के समय जिन बच्चों का भार कम होता है, उन बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक होती है क्यों कि ये बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें सबसे आम दमा, एक्जिमा, पित्ती (त्वचा पर चकत्ते) और भोजन से संबंधित हैं।
Read More...

Copyright: Kidhealthcenter.com