Category: बच्चों की परवरिश
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
आज के भाग दौड़ वाली जिंदगी में जहाँ पति और पत्नी दोनों काम करते हैं, अगर बच्चे का ध्यान रखने के लिए दाई (babysitter) मिल जाये तो बहुत सहूलियत हो जाती है। मगर सही दाई का मिल पाना जो आप के गैर मौजूदगी में आप के बच्चे का ख्याल रख सके - एक आवश्यकता बन गयी है।
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भाग-दौड़ वाली इस दुनिया में सही दाई (babysitter) का मिल पाना किसी वरदान से कम नहीं है।
ऐसी दाई (babysitter) को खोजना जो आप के शिशु का आप की गैर मौजूदगी में ख्याल रख सके - किसी चुनौती से कम नहीं है।
अगर आप अपने शिशु की देख भाल के लिए दाई (babysitter) ढूंढ रहें है - तो परेशान मत होइए। अगर आप कुछ बातों का ख्याल रखेंगे तो आप अपने शिशु के लिए आसानी से सही दाई (babysitter) का चुनाव कर सकेंगे। आखिर आप अपने शिशु को किसी के हाथों में जब सौपेंगी तो उस दाई (babysitter) के बारे में सब कुछ जानने की कोशिश जरूर करेंगी।
ऐसी बहुत सी घटनाएं सुनने को मिलती हैं जहाँ दाई (babysitter) ने शिशु के साथ अच्छा व्यहार नहीं किया - ख्याल रखना तो दूर की बात है। छोटे बच्चों के साथ इस उम्र में दुर्व्यहार उनके मानसिक विकास पे बुरा प्रभाव डालता है।
हम आप को बताएँगे की आप को अपने शिशु के लिए दाई (babysitter) चुनते वक्त किन-किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
दाई (babysitter) को काम पे रखने से पहले किसी ऐसे परिचित व्यक्ति से बात करें जो दाई (babysitter) को पहले से जनता हो - जो आप को दाई (babysitter) के काम और उसके व्यहार के बारे में बता सके। दाई (babysitter) खोजने के लिए अपने रिश्तेदारों से बात करें। संभव प्रयास यह करें की जो भी दाई (babysitter) आप काम पे रखें वो आप के शिशु की उम्र के बच्चों की देख भाल पहले सा कर चुकी हो। दाई (babysitter) का background check करवाना भी बेहद आवश्यक है। इन सवालों को गौर से देखें:
आप दाई (babysitter) से पूछे जाने वाले सवालों की एक लिस्ट त्यार करें। इसमें ऐसे सवालों को शामिल करें जो आप के बच्चे और आप के परिवार के लिए बहुत मायने रखती हों। कुछ आम सवाल (जैसे की उम्र, तजुर्बा और कितना समय काम को दे पायेगी इत्यादि) तो सब पूछते हैं मगर कुछ सवाल जो आप के परिवार के लिए खास हों - जैसे की आप के दफ्तर के समय के अनुसार से क्या दाई (babysitter) अपने काम के समय को ढाल सकेगी? इसी प्रकार की बातें। इन सवालों को गौर से देखें:
कुछ देर के लिए अपने शिशु को दाई (babysitter) को सँभालने के लिए दें। देखें की आप का शिशु कितना घुल-मिल पा रहा है। कुछ दाई (babysitter) ऐसी होती हैं जिनके पास हर बच्चे खुश रहते हैं वहीँ कुछ दाई (babysitter) ऐसे होती हैं जिन्हे बच्चे को खुश रखने के लिए बहुत मशकत करनी पड़ती है - इनके बस की बात नहीं की लम्बे समय तक वे बच्चों को संभाल पाएं। देखने और परखने की कोशिश करें की दाई (babysitter) की पर्सनालिटी क्या है, क्या वो बच्चे को कुछ अच्छा सीखा सकती है, क्या उसे बच्चे के साथ खेलने में आनंद आता है? अगर आप का बच्चा बहुत ज्यादा शैतानी करे तो क्या आप बच्चे को शांत कराने के उसके तरीके से संतुष्ट हैं। आप का संतुष्ट होना बहुत जरुरी है - आखिर-कार आप की गैर मौजूदगी में ये दाई (babysitter) ही आप के बच्चे की देख-भाल करेगी।
कई बार सब कुछ सही होने के बाद भी आप को शायद कोई दाई (babysitter) सही न लगे। अगर आप के मन में कुछ खटके तो अपने अंतर्मन की सुने। सब कुछ सही होने के बावजूद भी अगर कोई दाई (babysitter) सही न लगे तो उसे काम पे न रखें।
गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी की खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में दैनिक आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिले तो उससे गर्भ में पल रहे उसकी शिशु किसी के फेफड़े मजबूत बनते (strong lungs) हैं, आंखों की दृष्टि बेहतर होती है और त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
बहुत सारे माँ बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या वे अपने बच्चे को UHT milk 'दे सकते हैं' या 'नहीं'। माँ बाप का अपने बच्चे के खान-पान को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है और जायज भी। ऐसा इस लिए क्यूंकि बच्चों के खान-पान का बच्चों के स्वस्थ पे सीधा प्रभाव पड़ता है। कोई भी माँ बाप अपने बच्चों के स्वस्थ के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है।
प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें। इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी) से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।
बच्चे की ADHD या ADD की समस्या को दुश्मन बनाइये - बच्चे को नहीं। कुछ आसन नियमों के दुवारा आप अपने बच्चे के मुश्किल स्वाभाव को नियंत्रित कर सकती हैं। ADHD या ADD बच्चों की परवरिश के लिए माँ-बाप को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
कहानियां सुनने से बच्चों में प्रखर बुद्धि का विकास होता है। लेकिन यह जानना जरुरी है की बच्चों को कौन सी कहानियां सुनाई जाये और कहानियौं को किस तरह से सुनाई जाये की बच्चों के बुद्धि का विकास अच्छी तरह से हो। इस लेख में आप पढ़ेंगी कहानियौं को सुनने से बच्चों को होने वाले सभी फायेदों के बारे में।
ADHD से प्रभावित बच्चे को ध्यान केन्द्रित करने या नियमों का पालन करने में समस्या होती है। उन्हें डांटे नहीं। ये अपने असहज सवभाव को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं जैसे की एक कमरे से दुसरे कमरे में बिना वजह दौड़ना, वार्तालाप के दौरान बीच-बीच में बात काटना, आदि। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकती हैं।
डाक्टर बच्चों को नेबुलाइजर (Nebulizer) की सलाह देते हैं जब बच्चे को बहुत ज्यादा जुखाम हो जाता है जिस वजह से बच्चा रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। नेब्युलाइज़र शिशु में जमे कफ (mucus) को कम करता है और शिशु के लिए साँस लेना आरामदायक बनता है। नेबुलाइजर (Nebulizer) के फायेदे, साइड इफेक्ट्स और इस्तेमाल का तरीका। इसका इस्तेमाल सिस्टिक फाइब्रोसिस, अस्थमा, सीओपीडी और अन्य सांस के रोगों के उपचार के लिए भी किया जाता है।
शिशु को सर्दी और जुकाम (sardi jukam) दो कारणों से ही होती है। या तो ठण्ड लगने के कारण या फिर विषाणु (virus) के संक्रमण के कारण। अगर आप के शिशु का जुकाम कई दिनों से है तो आप को अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ घरेलु उपचार (khasi ki dawa) की सहायता से आप अपने शिशु की सर्दी, खांसी और जुकाम को ठीक कर सकती हैं। अगर आप के शिशु को खांसी है तो भी घरेलु उपचार (खांसी की अचूक दवा) की सहायता से आप का शिशु पूरी रात आरामदायक नींद सो सकेगा और यह कफ निकालने के उपाय भी है - gharelu upchar in hindi
अगर आप भी अपने लाडले को भारत के सबसे बेहतरीन बोडिंग स्कूलो में पढ़ने के लिए भेजने का मन बना रहे हैं तो निचे दिए बोडिंग स्कूलो की सूचि को अवश्य देखें| आपका बच्चा बड़ा हो कर अपनी जिंदगी में ना केवल एक सफल व्यक्ति बनेगा बल्कि उसे शिक्षा के साथ इन बोडिंग स्कूलो से मिलगे ढेरों खुशनुमा यादें|
अगर आप अपने बच्चे के लिए best school की तलाश कर रहें हैं तो आप को इन छह बिन्दुओं का धयान रखना है| 2018, अप्रैल महीने में जब बच्चे अपना एग्जाम दे कर फ्री होते हैं तो एक आम माँ-बाप की चिंता शुरू होती है की ऐसे स्कूल की तलाश करें जो हर मायने में उनके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उनके बच्चे के सुन्दर भविष्य को सवारने में सक्षम हो और जो आपके बजट के अंदर भी हो| Best school in India 2018.
विटामिन सी, या एस्कॉर्बिक एसिड, सबसे प्रभावी और सबसे सुरक्षित पोषक तत्वों में से एक है यह पानी में घुलनशील विटामिन है यह कोलेजन के संश्लेषण के लिए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जिससे रक्त वाहिकाओं और शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। मानव शरीर में विटामिन सी पैदा करने की क्षमता नहीं है। इसलिए, इसे भोजन और अन्य पूरक आहार के माध्यम से प्राप्त करने की आवश्यकता है।
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
अवोकेडो में प्रचुर मात्रा में बुद्धि को बढ़ाने वाला omega-3s पाया जाता है| इसके साथ है इसका स्वाद बहुत हल्का होता है जीस वजह से शिशु आहार के लिए अवोकेडो एकदम perfect है| जानिए step-by-step तरीके से अवोकेडो से शिशु आहार त्यार करने की विधि|
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
बचपन के समय का खान - पान और पोषण तथा व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत निर्धारित करते हैं।
आइये अब हम आपको कुछ ऐसे आहार से परिचित कराते है , जिससे आपके बच्चे को कैल्शियम और आयरन से भरपूर पोषक तत्व मिले।
माँ का दूध बच्चे की भूख मिटाता है, उसके शरीर की पानी की आवश्यकता को पूरी करता है, हर प्रकार के बीमारी से बचाता है, और वो सारे पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए और अच्छे शारारिक विकास के लिए जरुरी है। माँ का दूध बच्चे के मस्तिष्क के सही विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
माता- पिता अपने बच्चों को गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए तरह- तरह के तरीके अपनाते तो हैं , पर फिर भी बच्चे इस मौसम में कुछ बिमारियों के शिकार हो ही जाते हैं। जानिए गर्मियों में होने वाले 5 आम बीमारी और उनसे अपने बच्चों को कैसे बचाएं।
बच्चों के रोने के कई वजह हो सकते हैं जैसे की भूख की वजह से, थकन की वजह से, पेट के दर्द या गैस की समस्या की वजह से। जब आप का शिशु रोये तो सबसे पहले आप उसे अपनी गोद में ले लें। शांत ना होने पे आप उसे स्तनपान कराएँ और उसके डायपर को जांचे की कहीं वह गिला तो नहीं है। अगर शिशु फिर भी ना शांत हो तो उसे चुसनी या पैसिफायर से शांत कराने की कोशिश करें, फिर भी ना शांत हो तो उसे सुलाने की कोशिश करने, यह भी देखें की कहीं शिशु को ज्यादा गर्मी या ठण्ड तो नहीं लग रहा है या उसे कहीं मछरों ने तो नहीं कटा है। इन सब के बावजूद अगर आप का शिशु रोये तो आप उसे तुरंत डोक्टर के पास लेके जाएँ।
येलो फीवर मछर के एक विशेष प्रजाति द्वारा अपना संक्रमण फैलता है| भारत से जब आप विदेश जाते हैं तो कुछ ऐसे देश हैं जैसे की अफ्रीका और साउथ अमेरिका, जहाँ जाने से पहले आपको इसका वैक्सीन लगवाना जरुरी है क्योँकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है और वहां यत्र करते वक्त आपको संक्रमण लग सकता है|
अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।