Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।

कोई माँ अपने बच्चे को तकलीफ नहीं पहुँचाना चाहती है।
मगर
टीकाकरण एक ऐसी प्रिक्रिया है जिससे की शिशु को बहुत दर्द और तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
माँ को चाहे जितना भी दुख हो अपने बच्चे को दर्द में देखकर - लेकिन बच्चे का टीकाकरण तो करवाना ही पड़ता है।
टीकाकरण से शिशु को कुछ बहुत दर्द का सामना करना पड़ता है। उसे कुछ घंटो से लेकर कुछ दिनों के लिए बुखार तक चढ़ जाता है। मगर फिर भी शिशु का टिका कारन तो करवाना ही पड़ता है।
शिशु का टीकाकरण शिशु को बहुत प्रकार के जानलेवा बीमारियोँ से बचाता है। पढ़िए शिशु टीकाकरण 2018
कोई माँ अपने बच्चे को दर्द में नहीं देख सकती है।
इसीलिए इस लेख में हम आप को बताएँगे की टीकाकरण के बाद आप अपने बच्चे की तकलीफ को कम करने के लिए क्या-क्या कर सकती हैं।
अगर आप job करती हैं तो अपने शिशु के टीकाकरण के लिए आप कुछ दिनों की छुट्टी ले लीजिये। टीकाकरण के बाद बच्चे को जो तकलीफ होगी उसमे वो सिर्फ आप को ही खोजेगा। उन दिनों आप कुछ और काम भी नहीं कर पाएंगी। बच्चे के पापा के मजूदगी की भी आवश्यकता होगी। बच्चे का पिता बच्चे के साथ खेल के उसका ध्यान उसके दर्द से हटा सकता है।
यहां हम आप को बताएँगे पांच तरीके जिनकी सहायता से आप टीकाकरण के बाद अपने शिशु के तकलीफ को कम कर सकेंगी।

टीकाकरण की प्रक्रिया समाप्त होने पे बच्चे को तुरंत अपने गोदी में उठा लें। शरीर के जिस जगह पे टीकाकरण की प्रक्रिया हुई है उस स्थान को हलके हाथों से सहलाएं - ताकि बच्चे को थोड़ा आराम मिले। बच्चे को गोदी में उठा के अपने छाती से सटा के रखने से बच्चे को बहुत सुकून मिलता है। कुछ समय के लिए ही सही - उसका थोड़ा सा दर्द भी कम होता है।

आप का बच्चा जितना ज्यादा टीकाकरण की प्रक्रिया के बारे में सोचेगा, उसे उतना ज्यादा मानसिक तकलीफ होगा। बच्चे के ध्यान को टीकाकरण से हटा के कही और केंद्रित करें। इससे आप का शिशु थोड़ी देर की लिए अपने दर्द को भूल जायेगा। बच्चे को उसका पसंदीदा खिलौना खेलने को दें। बच्चे को घर के बहार लेके जाएँ और उसे पेड़ पौधे और पक्षियां दिखाएँ। इससे आप का शिशु अपनी बेचैनी को भुला पायेगा।

कहा जाता है की अच्छा आहार कोई भी गम को भुला सकता है। और यही बात शिशु पे भी लागु होती है। बच्चे को स्तनपान करने से उसकी तकलीफ कुछ समय के लिए समाप्त हो जाती है। कुछ शिशु विशेषज्ञों की राय है की माँ के दूध में ऐसे hormones होते हैं जो बच्चे के तकलीफ को कम कर देते हैं। माँ के दूध से शिशु को नींद भी अच्छी आती है।

बाजार में शिशु को टीकाकरण से हुए दर्द को कम करने के लिए बहुत से cream उपलब्ध है। अब तो बाजार में स्प्रे (spray) भी उपलब्ध है। स्प्रे के इस्तेमाल से टीकाकरण वाली स्थान नम्ब हो जाती है और कुछ ही सेकंड के अंदर बच्चे को आराम और ठण्ड मिलती है। इस प्रकार के cream के इस्तेमाल और उपलब्धता बारे में कृपया अपने शिशु के डॉक्टर से बात करें।

इस बात को देखा गया है की चीनी बच्चे को टीकाकरण से हुए दर्द को कम करने की छमता रखता है। बच्चे को टीकाकरण से पहले थोड़ी सी चीनी खाने को दे दें। या फिर चीनी का syrup बना के - एक ड्रॉपर में भर के भी टीकाकरण से पहले बच्चे के मुँह में दे सकती हैं। इससे बच्चा टीकाकरण की प्रक्रिया पे ज्यादा ध्यान नहीं देगा और उसे दर्द भी कम होगा।
प्रायः यह देखा गया है की माताएं बहुत सेहमी हुई और दरी से रहती हैं जब वे अपने बच्चे को टीकाकरण के लिए ले के जाती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योँकि माताएं टीकाकरण की प्रक्रिया पे ध्यान देती हैं। आप को टीकाकरण की प्रक्रिया पे नहीं बल्कि इस बात पे ध्यान देना है की आप किस तरह अपने बच्चे के तकलीफ को कम कर सकें।
टीकाकरण के बाद बच्चे को बुखार भी हो सकता है। यह बेहद आम बात है। इसका मालाब की टिका काम कर रहा है। यह बुखार अपने आप ही दो दिनों के अंदर ख़त्म हो जायेगा। आप बस बच्चे को वो सारी दवाएं देती रहें जो आप के डॉक्टर ने देने को कहा हो। इसके साथ आप इस बात पे ध्यान दे की आप अपने नन्हे शिशु की तकलीफ को किस तरह कम कर सकती हैं।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
इस असान तरीके से बच्चों के दांतों के संक्रमण को समय रहते पहचाने ताकि बच्चों को दांतों के दर्द से बचाया जा सके। सभी जानते हैं की दांतों का दर्द कितना कितना कष्टकारी होता है। बच्चे दिन भर कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं इस वजह से उनके दांतों में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। बच्चों के दांतों में संक्रमण को पहचानने के 7 तरीके।
बच्चों के शारीर पे एक्जिमा एक बहुत ही तकलीफदेह स्थिति है। कुछ बातों का ख्याल रखकर और घरेलु इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को बहुत हद तक एक्जिमा की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगी हर छोटी और बड़ी बात का जिनका आप को ख्याल रखना है अगर आप का शिशु एक्जिमा की समस्या से परेशान है!
बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में पोषण का बहुत बड़ा योगदान है। बच्चों को हर दिन सही मात्र में पोषण ना मिले तो उन्हें कुपोषण तक हो सकता है। अक्सर माँ-बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या उनके बच्चे को सही मात्र में सभी जरुरी पोषक तत्त्व मिल पा रहे हैं या नहीं। इस लेख में आप जानेंगी 10 लक्षणों के बारे मे जो आप को बताएँगे बच्चों में होने वाले पोषक तत्वों की कमी के बारे में।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
गाए के दूध से मिले देशी घी का इस्तेमाल भारत में सदियौं से होता आ रहा है। स्वस्थ वर्धक गुणों के साथ-साथ इसमें औषधीय गुण भी हैं। यह बच्चों के लिए विशेष लाभकारी है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो देशी घी शिशु का वजन बढ़ाने की अचूक दावा भी है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे शिशु को देशी घी खिलने के 7 फाएदों के बारे में।
1 साल के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 1 साल की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
शिशु को 15-18 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
जिन बच्चों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है उनमे यह भी देखा गया है की उन्हें नारियल से भी एलर्जी हो। इसीलिए अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो अपने शिशु को नारियल से बनी व्यंजन देने से पहले सुनिश्चित कर लें की उसे नारियल से एलर्जी न हो।
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
जब आपका बच्चा बड़े क्लास में पहुँचता है तो उसके लिए ट्यूशन या कोचिंग करना आवश्यक हो जाता है ,ऐसे समय अपने बच्चे को ही इस बात से अवगत करा दे की वह अपना ध्यान खुद रखें। अपने बच्चे को ट्यूशन भेजने से पहले उसे मानसिक रूप से तैयार केर दे की उसे क्या पढाई करना है।
गाजर, मटर और आलू से बना यह एक सर्वोतम आहार है 9 महीने के बच्चे के लिए। क्यूंकि यह आलू के चोखे की तरह होता है, ये बच्चों को आहार चबाने के लिए प्ररित करता है। इससे पहले बच्चों को आहार प्यूरी के रूप में दिया जा रहा था। अगर आप अब तक बच्चे को प्यूरी दे रहें हैं तो अब वक्त आ गया है की आप बच्चे को पूरी तरह ठोस आहार देना शुरू कर दें।
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का| बच्चे को हरी सब्जियां खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर| घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है| बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है| घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे|
अगर आप आपने कल्पनाओं के पंखों को थोड़ा उड़ने दें तो बहुत से रोचक कलाकारी पत्तों द्वारा की जा सकती है| शुरुआत के लिए यह रहे कुछ उदहारण, उम्मीद है इन से कुछ सहायता मिलेगी आपको|
अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।
बच्चों में पेट दर्द का होना एक आम बात है। और बहुत समय यह कोई चिंता का कारण नहीं होती। परन्तु कभी कभार यह गंभीर बीमारियोँ की और भी इशारा करती। पेट का दर्द एक से दो दिनों के अंदर स्वतः ख़तम हो जाना चाहिए, नहीं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
येलो फीवर मछर के एक विशेष प्रजाति द्वारा अपना संक्रमण फैलता है| भारत से जब आप विदेश जाते हैं तो कुछ ऐसे देश हैं जैसे की अफ्रीका और साउथ अमेरिका, जहाँ जाने से पहले आपको इसका वैक्सीन लगवाना जरुरी है क्योँकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है और वहां यत्र करते वक्त आपको संक्रमण लग सकता है|
मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।
दस्त के दौरान बच्चा ठीक तरह से भोजन पचा नहीं पाता है और कमज़ोर होता जाता है। दस्त बैक्टीरियल संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी के दौरान उसको दिया गया ८०% आहार दस्त की वजह से समाप्त हो जाता है। इसी बैलेंस को बनाये रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आहार हैं जिससे दस्त के दौरान आपके बच्चे का पेट भरा रहेगा।