Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺18 min read
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं शिशु की खांसी, सर्दी, जुकाम और बंद नाक का इलाज किस तरह से आप घर के रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाने वाली सामग्रियों से कर सकती हैं - जैसे की अजवाइन, अदरक, शहद वगैरह।
विश्व स्तर पर हुए शोध में यह बात प्रमाणित हुआ है कि भाप बंद नाक खोलने में मदद करती है। शिशु को जुकाम होने पर अगर हम उन्हें गर्म पानी से भाप दिलाते हैं तो हवा में मौजूद नमी बच्चे की नाक में जमा म्यूकस को ढीला कर सकती है, और उसे सांस लेने में आसानी हो सकती है। इस तारा से नवजात शिशु की नाक बंद होना की समस्या को दूर किया जा सकता है।
बच्चों के सर्दी होने पर उन्हें एक कप गर्म पानी में आधा छोटा चम्मच नमक घोल कर दें। नमक के पानी को पहले थोड़ा ठंडा होने दें। इससे बच्चे को गरारे करने को दें। नमक के पानी को थूकने से पहले कुछ क्षण के लिए गले के पिछले हिस्से पर लगा रहने दें। जब तक बच्चों की खांसी पूरी तरह ठीक न हो जाये - उन्हें दिन में कई बार नमक के पानी से गरारे करने को दें।
सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलियां डालकर इसे आग पर पका लें। इसे पूरी तरह से ठंडा होने के लिए छोड़ दें। ठंडा होने पर इससे बच्चे की मालिश करें। सरसों के तेल और लहसुन में कीटाणु रोधक गुण पाए जाते हैं जिससे शिशु को जुकाम को काफी आराम महसूस होता है।
एक चम्मच नींबू के रस के साथ दो चम्मच शहद मिलाएं. इसे दिन में 2-3 बार बच्चे को पिलाएं. इसके अलावा शहद को हल्के गर्म दूध में भी मिलाकर दे सकते हैं. शहद में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं
अदरक का औषधीय गुण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में भी सहायक है। 6 महीने और उससे बड़े शिशु को सर्दी-जुकाम के लिए घर में बने काढ़े में अदरक को शामिल करके दिया जा सकता है।
ठण्ड मौसम के दौरान शिशु को हमेशा गुनगुना पानी पिने को दें। पानी को गरम क्र के आप थर्मस में भी रख सकती हैं ताकि जब-जब जरुरत पड़े तो शिशु को दिया जा सके। पानी बच्चे के हिसाब से हल्का गुनगुना होना चाहिए जिसे वो उसे आसानी से पि सके। इससे शिशु का शरीर हाइड्रेट रहता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं। ये जुकाम से जल्दी छुटकारा दिलाने का तरीका है।
सर्दी में शिशु की देखभाल कर के आप अपने नवजात शिशु को जुकाम से बचा सकती हैं। मगर फिर भी बदलते मौसम में बच्चे को सर्दी जुकाम लगना (navjaat shishu ko thand lagna) आम बात है। छोटे बच्चों की सर्दी-खांसी आसानी से नहीं जाती है। शिशु को सर्दी जुकाम हो जाये तो माँ-बाप परेशां हो जाते हैं और सोचते हैं की किस तरह १ दिन में जुकाम कैसे ठीक करें? (new born baby ko jukam ka ilaj - navjat shishu ki sardi kaise dur kare) तो चलिए जानते हैं की अगर नवजात शिशु को सर्दी जुकाम हो जाए तो क्या करें (new born ko sardi lag jaye to kya kare)। इस लेख में हम आप को बताएँगे की बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय कौन -कौन से हैं। नवजात शिशु जुकाम के घरेलू उपाय (navjat shishu ko sardi ke upay) के साथ ही - डॉक्टर के परामर्श से - बच्चों की खांसी की दवा भी दी जा सकती है। बच्चों के सर्दी के कैप्सूल देने की राय नहीं दी जाती है क्योँकि यह उनके गले में अटक सकता है। इसलिए बच्चों की सारी दवा सिरप के रूप में दी जाती है। अगर नवजात शिशु को कफ हो जाये तो कई बार ये खांसते-खांसते उलटी कर देते है। ऐसे में डॉक्टर के परामर्श से बलगम वाली खांसी के लिए सिरप - बच्चों की सर्दी का इलाज के लिए कारगर रहता है। कभी भी छोटे बच्चों को बिना डॉक्टर के राय के शिशु को जुकाम की दवा नहीं देनी चाहिए। इस लेख में आप विस्तार से पढेंगी बच्चों के लिए सर्दी खांसी के उपाय (newborn baby sardi jukam)। ये सभी तरीके बच्चों बचो की खांसी का देसी इलाज है। इसलिए इनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं रहता। इसके बावजूद यह जाने की बच्चे कमजोर होते है - डॉक्टर से बात किये बिना नवजात शिशु को सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय न करें। Newborn baby ka jukam kaise thik kare यह केवल डॉक्टर ही सुरक्षित रूप से बता सकते हैं।
ठण्ड के मौसम में छोटे बच्चों का बीमार पड़ना सबसे ज्यादा माँ-बाप को परेशान करता है।
क्या - आप का शिशु को कई दिनों से जुकाम, नाक बंद है, सर्दी है?
चिंता ना करें,
हम कुछ ऐसे सुझाव बताने जा रहे हैं, जिन्हे अगर आप अमल में लाएं तो आप के बच्चे जल्द-से-जल्द स्वस्थ हो जायेंगे।
अगर आप बच्चों की सर्दी और जुकाम का इलाज करने के लिए घरेलु उपायों के बारे में सोच रही हैं तो भी यह लेख आप के लिए उपयोगी है।
क्योँकि
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं शिशु की खांसी, सर्दी, जुकाम और बंद नाक का इलाज किस तरह से आप घर के रसोई (kitchen) में आसानी से मिल जाने वाली सामग्रियों से कर सकती हैं - जैसे की अजवाइन, अदरक, शहद वगैरह।
जब नवजात बच्चे बीमार पड़ते हैं तो अक्सर माँ- बाप यह सोचते हैं की नवजात शिशु की खांसी के लिए क्या किया जाये।
बदलते मौसम में बच्चों का बीमार पड़ जाना लाजमी है।
क्या आप आप अपने शिशु के सर्दी का इलाज घरेलु उपाय के दुवारा करना चाहती है?
मेरे बेटे के जन्म से पहले, मैंने कभी घरेलू इलाज के बारे में गंभीरता से सोचा नहीं था। मेरे अलमारी में आम बीमारियोँ से सम्बंधित एक दवा का डब्बा हुआ करता था। जब भी मुझे कोई बीमारी होती तो में झट से उस दवा के डब्बे से बीमारी से सम्बंधित दवा खा लेती थी। कभी भी यह नहीं सोचा की इन एलोपैथिक दवाओं (allopathic medicines) का मेरे शरीर पे क्या असर पड़ेगा।
लेकिन जब मै माँ बनी तो मेरे जिंदगी में सब कुछ बदल गया। ऐसा लगने लगा जैसे की मेरे जिंदगी का मकसद मेरे बच्चा हो गया है। माँ बनने के बाद में जो भी करती, अपने बच्चे को ध्यान में रख कर करती।
और
इन्ही सब के बीच में ने यह संकल्प लिया की मै जितना हो सके दवाइयोँ से दूर रहूंगी। ऐसा इसलिए ताकि मेरे बच्चे की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत हो सके और दवाइयोँ पे बिलकुल भी निर्भर न रहे।
इसी सोच से प्रेरित हो कर, मेरे बच्चे के जन्म के साथ शुरू हुई मेरी सफर - यह सफर था घरेलु दवाइयोँ की खोज का सफर।
मै अपने शिशु को लेके कभी भी डॉक्टर के पास नहीं दौड़ती हूँ। मेरा पहला प्रयास हमेशा यही रहता है की मई किस तरह से अपने शिशु का इलाज घरेलु पद्दिती से कर सकूँ।
लेकिन अगर शिशु की समस्या गंभीर है तो मैं डॉक्टर के पास तुरंत चली भी जाती हूँ। तो यह समझना जरुरी है की शिशु को कब डॉक्टर के पास लेके जाएँ और कब उसका इलाज घरेलु उपायों के द्वारा करना चाहिए ताकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता सुदृण हो सके।
शिशु के पहले दो से तीन साल ऐसे होते हैं जब वह मौसम के थोड़े से बदलाव से ही बीमार पड़ जाते हैं। इस प्रकार की सर्दी और जुखाम सप्ताह भर (7 दिन) से लेके 10 दिनों के भीतर तक ठीक हो जाती है। चाहे आप दुनिया भर की अच्छी से अच्छी दवा क्योँ न खिला दीजिये, बच्चे की सर्दी, खांसी और जुकाम को ठीक होने में इतना समय तो लगेगा ही।
किसी भी दवा के जरिये आप अपने बच्चे के सर्दी और जुकाम को तुरंत ठीक नहीं कर सकती हैं।
जब बच्चे को सर्दी, खांसी और जुखाम होता है तो बच्चे बहुत चीड़-चीड़ करते हैं। उन्हें संभालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। सर्दी और जुखाम के कारण बच्चे रात को पूरी नींद भी अच्छी तरह से नहीं सो पाते हैं।
संक्रमण की वजह से बच्चों को जुकाम होता है। और यह अपने समय पे ही ठीक होता है।
अगर आप का शिशु छह महीने से छोटा है तो सबसे महत्वपूर्ण यह है बच्चे की कोई भी घरेलु इलाज करने से पहले आप अपने शिशु-के-डॉक्टर से घरेलु इलाज के बारे में राय अवशय ले लें। डॉक्टर को पहले से बता दें की आप शिशु की सर्दी और खांसी के घरेलु उपचार में क्या करने वाली हैं।
छह महीने से छोटे बच्चों का किसी भी तरह से घरेलु उचार करने के पक्ष में मैं नहीं हूँ। विश्व भर के सभी बाल-शिशु-रोग-विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं की छह महीने से छोटे बच्चे को माँ के दूध या formula milk के आलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए। छह महीने से छोटे बच्चों कोई ठोस आहार नहीं देना चाहिए, यहां तक की पानी भी नहीं देना चाहिए। छोटे बच्चों केवल माँ का दूध ही दिया जा सकता है। जाहिर है की ऐसी परिस्थिति में आप अपने छह महीने से छोटे बच्चे को कोई भी घरेलु उपचार नहीं दे सकती जिसमे उसे कुछ खाना पड़े - यह उसके लिए वर्जित है।
शिशु की रोग प्रतिरोधक छमता बहुत कम होती है (नगण्य होती है)। शिशु को स्तनपान के जरिये माँ से रोगाणुओं और जीवाणुओं से लड़ने के लिए एंटीबाडीज मिलते रहते हैं। इस तरह शिशु का शरीर संक्रमण से लड़ता है। इसीलिए शिशु को सर्दी और जुकाम होने पे माँ पाने बच्चे को स्तनपान कराएं। दिन में जितनी बार स्तनपान करा सकती हैं, आप अपने शिशु को स्तनपान करिये। शिशु के जिंदगी के पहले छह महीने में उसकी हर बीमारी और समस्या का समाधान माँ का स्तनपान है। माँ का स्तनपान शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ता है और इतना सक्षम बनता है की शिशु विषाणुओं (virus), जीवाणुओं (bacteria) और रोगाणु (germs) से लड़ सके।
हर बार शिशु जब संक्रमण का शिकार होता है तो उसका शरीर संक्रमण से लड़ना सीखता है। यही एक मात्रा तरीका है शिशु के रोग प्रतिरोधक छमता को सुदृण/मजबूत बनाने का। जब शिशु को संक्रमण लगता है - यानी की जब शिशु बीमार पड़ता है तब शिशु को बहुत देखभाल की आवशकता होती है। यह समय होता है जब शिशु शारीरिक दृष्टि से बहुत ही नाजुक स्थिति से गुजर रहा होता है।
माँ का दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाने में सहायता करता है। जब शिशु बीमार पड़ता है तो शिशु के शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए ऊर्जा भी प्रदान करता है।
आप शिशु की नाक में स्तनपान के दूध का कुछ बून्द डाल सकती हैं। यह शिशु को सर्दी और जुखाम से जल्द राहत पहुंचाएगा।
अजवाइन में एंटीवायरल और जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण होता है। अजवाइन के सूखे दाने को तवे पे भून लीजिये। अब एक सूती के रूमाल में इसे बांध के एक पोटली बना लीजिये। यह पोटली जब हल्का गरम रहे, उसी वक्त इससे शिशु की छाती, पीठ, पैर के तलुए, और हाटों की हटेलियोँ पे घिसिये। इससे शिशु को सर्दी और जुकाम में आराम पहुंचेगा।
बस इस बात का ध्यान रहे की अजवाइन की पोटली बहुत ज्यादा गरम ना हो। अजवाइन की पोटलीको को आप शिशु पे इस्तेमाल करने से पहले आप इसे अपने हतेली पे रख के उसके गर्माहट का अंदाजा लगा लीजिये की आप के शिशु के लिए यह ठीक है यह नहीं। अगर आप के अंदाज के अनुसार शिशु की त्वचा के लिए अजवाइन की पोटली की गर्माहट ठीक है तभी आप इसका इस्तेमाल शिशु के लिए कीजिये।
शिशु को बंद नाक से राहत पहुँचाने का यह सबसे कारगर और जल्द आराम पहुँचाने वाला तरीका है। नेसल ड्राप (Saline Drops) का इस्तेमाल आप नवजात शिशु पे भी कर सकती हैं। मैं तो यह राय दूंगी की आप एक बार शिशु के डॉक्टर से अवशय परामर्श कर लें की उसे कौन सा नेसल ड्राप (Saline Drops) - क्योँकि छोटे बच्चों में इस्तेमाल की जाने वाली pediatrics नेसल ड्राप (Saline Drops) भी बहुत प्रकार की उपलब्ध हैं।
यूँ देखा जाये तो नेसल ड्राप (Saline Drops) केवल हलके नमक का घोल भर है। इसीलिए यह पूरी तरह से सुरक्षित है और इसका कोई side effects भी नहीं है। अपने शिशु के नाक के दोनों छिद्रों में नेसल ड्राप (Saline Drops) की बुँदे डालें। यह शिशु की बंद नाक को खोलने का काम करेगा। नेसल ड्राप (Saline Drops) नाक में प्रवेश करते हैं नाक में जमे बलगम (mucus) को हल्का कर देगा और वह बह के बहार आ जायेगा और इस तरह शिशु की नाक साफ़ हो जाएगी।
नेसल ड्राप (Saline Drops) या नेसल स्प्रे (nasal spray) आसानी से दवा की आम दुकानों में डॉक्टर-की-पर्ची के बिना भी मिल जाती है। दवा की दुकानों में bulb सिरिंज भी उपलब्ध होता है - जिसकी सहायता से आप शिशु के नाक में जमे बलगम को खिंच (सोख) के बहार निकाल सकते हैं।
मैंने भी जरुरत के अनुसार अपने बेटे में नेसल ड्राप (Saline Drops) का इस्तेमाल किया है - और मैं इतना कह सकती हूँ की अगर यह मेरे बेटे के लिए काम कर सकता है तो आप के बच्चे के लिए भी अवशय कारागर रहेगा।
लहसून के कुछ फाकों को सरसों के तेल में भून लीजिये। इस तेल को शिशु की गर्दन, छाती, पीठ और पैर के तलुओं पे लगाइये। शिशु को सर्दी, खांसी और जुकाम से राहत पहुंचेगा।
यह इलाज जुकाम में सबसे ज्यादा राहत पहुंचता है। बस ध्यान इस बात का रहे की सरसों का तेल शिशु पे लगते वक्त बहुत गरम न हो। गर्माहट बस इतना हो जो शिशु के त्वचा के लिए उचित हो। सरसों का तेल शिशु को गर्माहट प्रदान करता है, और लहसुन में एंटीवायरल और जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण होता है जो जुकाम के संक्रमण से शिशु के शरीर को लड़ने में सहायता प्रदान करते हैं।
एक चम्मच सेंधा नमक में गरम सरसों का तेल मिलके इस मिश्रण से शिशु की छाती और पीठ पे मालिश करें। मालिश करते वक्त शिशु को कम्बल या रजाई से ढके रखें ताकि उसे ठण्ड न लगे। सेंधा नमक और सरसों के तेल का यह मिश्रण शिशु के शरीर को वो गर्माहट प्रदान करता है जो से ठीक होने में मदद करता है।
सर्दी - जुकाम लगने पे विक्स वेपोरब का इस्तेमाल तो सभी करते हैं - विशेषकर जब नाक बंद हो तो। लेकिन क्या आप को पता है की यह शिशु के खांसी, और बंद नाक में कारगर है। बड़ों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विक्स वेपोरब को बच्चों के लिए मत इस्तेमाल कीजियेगा। बड़ों के लिए त्यार विक्स वेपोरब की महक इतनी तीक्षण होती है जो शिशु के लिए ठीक नहीं है। इसी के साथ बड़ों के लिए त्यार विक्स वेपोरब में इस्तेमाल की गयी सामग्री से शिशु की नाजुक और संवेदनशील त्वचा को नुकसान भी पहुँच सकता है।
बच्चों के लिए विशेष तौर पे त्यार विक्स बेबी रब (Vicks Baby Rub) का इस्तेमाल ही केवल बच्चों पे किया जाना चाहिए। यह बच्चों को खांसी और छाती की जकड़न और नाक बंद (cough and chest congestion) से राहत पहुंचाएगा।
विक्स बेबी रब (Vicks Baby Rub) के इस्तेमाल से शिशु को रात भर आरामदायक नींद मिलेगी।
अगर आप का शिशु चार महीने (4 month) से बड़ा है तो आप उसे विक्स बेबी रब (Vicks Baby Rub) लगाने के लिए ये युक्ति अपना सकती हैं। शिशु के पैर के तलुए पे विक्स बेबी रब (Vicks Baby Rub) को लगाइये। अब शिशु को मौसम के अनुसार सूती या ऊनि मोज़े पहना दीजिये।
विक्स बेबी रब (Vicks Baby Rub) शिशु के श्वसन तंत्र में जमे कफ (बलगम) को बहार निकलने में सहायता करता है। शिशु के पैर के तलुए पे विक्स बेबी रब (Vicks Baby Rub) को लगाने से ठण्ड का एहसास होता है। इससे शिशु के मस्तिष्क को लगता है की शिशु को कफ (congestion) नहीं है और श्वसन तंत्र का वायु मार्ग खुल जाता है और शिशु ठीक से साँस ले पाता ही।
हिन्दू सभय्ता में तुलसी (basil) का बहुत महत्व है। प्रायः हर भारतीय घरों में कम-से-कम एक तुलसी का पेड़ मिल ही जायेगा। तुलसी में एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जिसके कारण तुलसी के सेवन से अनेक प्रकार के रोग जैसे की सर्दी, और जुखाम से तुरंत राहत मिल सकता है।
तुलसी के प्रयोग से गले का संक्रमण, बुखार, और छाती के जकड़न (chest congestion) से भी राहत पहुंचता है। भारतीय घरों में तुलसी का प्रयोग घरेलु इलाज में बड़े पैमाने पे होता है।
नवजात शिशु के मालिश करने के लिए आप मालिश वाले तेल में कुछ तुलसी के पत्तों को डाल सकती हैं। तुलसी वाला मालिश का तेल त्यार करने के लिया आप तीन चम्मच (3 spoon) नारियल का तेल ले लीजिये। नारियल के तेल को गरम कीजिये। अब इसमें तुलसी के पत्तों को कुचल कर (crush) तेल में मिलाइये। इस तरह से कुचलने से तुलसी के पत्तों का अर्क नारियल के तेल में मिल जायेगा। नारियल का तेल तुलसी के पत्तों के सरे उपयोगी गुणों को सोख लेगा।
जब आप शिशु को मालिश करिये तो इस बात का ध्यान रहे की तेल बहुत ज्यादा गरम न हो। बस इतना गरम हो की शिशु को त्वचा मीठी गर्माहट मिल सके - मगर तकलीफ न हो। शिशु के सोते समय आप शिशु की पीठ और उसके पैर के तलुओं की मालिश कर सकती हैं। तुलसी और नारियल के मिश्रण वाले इस तेल से शिशु को बहुत राहत मिलेगी।
सर्दी और जुकाम में रात को सोते समय शिशु सबसे ज्यादा बंद नाक और छाती के जकड़ना (चेस्ट congestion) से परेशान होता है।
बंद नाक के कारण ठीक से साँस न ले पाने की वजह से शिशु रात को ठीक से सो भी नहीं पाता है। शिशु को सोते वक्त उसके छाती से ऊपर के हिस्से को तकिये की सहायता से उठा देने से शिशु को साँस लेने में सहूलियत मिलता है और शिशु रात को चैन से सो पाता है।
नाक और छाती में जमा कफ (mucus/बलगम) बहार नहीं आ पाता है जिसकी वजह से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। गरम पानी का भाप एक बेहतरीन तरीका है शिशु के नाक और छाती में जमे कफ (mucus/बलगम) को बहार निकलने का।
जब शिशु गरम पानी का भाप लेता है तो नाक और छाती में जमा कफ (mucus/बलगम) ढीला पड़ जाता है और आसानी से बहार आ जाता है। इस तरह शिशु की बंद नाक और छाती की जकड़ना समाप्त हो जाती है। एक बार शिशु की बंद नाक खुल जाये तो उसे नींद भी बहुत आरामदायक आती है।
शिशु को गरम पानी का भाप देने के लिए शिशु को अपने पैरों पे (on your lap) लीजिये। गरम पानी के बर्तन को अपने समीप रखिये। इस तरह से शिशु को भरपूर मात्रा में गरम पानी का भाप मिल सकेगा। इस प्रक्रिया को 10-15 मिनट तक जारी रखिये। अपने शिशु को गरम पानी के बहुत करीब मत ले जाइये। इससे शिशु को खतरा हो सकता है। आप गरम पानी के बर्तन को अपने समीप रख के शिशु के मुख को गरम पानी की दिशा में करने से शिशु को भरपूर भाप मिल सकेगा।
आप बाथरूम - स्नानघर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं अपने शिशु को भाप देने के लिए। इसके लिए आप सनाघर में गरम पानी का नल खोल दीजिये। बहते गरम पानी से से कुछ ही देर में पूरा स्नान घर भाप से भर जायेगा। अब अपने शिशु को अपनी गोदी में लेके स्नानघर में बैठ जाइये।
अपने चाहें तो अपने शिशु के कमरे के लिए एक बेहतर क्वालिटी का humidifier या vaporizer भी खरीद सकती है। इसके इस्तेमाल से शिशु के कमरे की नमी का स्तर बढ़ जाता है और शिशु को बंद नाक की समस्या से आराम पहुंचता है।
सर्दी, जुकाम और बंद नाक के संक्रमण में गंदे हातों की भूमिका बहुत एहम है। अपने हातों को साफ रखना बहुत आवशयक। अपने हातों को दिन भर साफ़ करते रहिये। जब आप का शिशु सर्दी, जुकाम और बंद नाक से परेशान हो तो उस वक्त आप के गंदे हातों से आसानी से आप के शिशु में जीवाणु पहुँच सकते हैं।
अपने शिशु को छूने, पकड़ने या गोदी में उठाने से पहले अपने हातों को सफाई से धो लें। शिशु के भी हातों को साफ़ रखें। शिशु के हातों को साफ करने से लिए आप baby wipes (wet wipes) का इस्तेमाल कर सकती हैं। घर में hand sanitizer का एक बोतल रखिये ताकि घर/परिवार में जो भी बच्चे उठाये, पहले hand sanitizer का इस्तेमाल करे अपने हातों को साफ़ करने के लिए।
केसर (saffron) का गुण यह है की यह शरीर में उत्तेजना पैदा करता है। यह शारीरिक उत्तेजना शिशु के सर्दी जुकाम और बंद नाक की समस्या को ठीक करने में काम आती है।
सर्दी और जुकाम की दवा के रूप में बड़ों को केसर (saffron) दूध में मिला के दिया जा सकता है। लेकिन नवजात शिशु और छह महीने से छोटे सभी बच्चों को इस तरह से दूध में केसर (saffron) मिला के नहीं दिया जा सकता है। इसीलिए आप केसर (saffron) का पेस्ट बना के शिशु के माथे और छाती पे लगा सकती हैं। आप इसे शिशु के गले और पैर पे तलुए पे भी लगा सकती हैं। आप इस तरह से शिशु को केसर हर इन लगा सकती हैं जब तक की शिशु की सर्दी जुकाम और बंद नाक की समस्या पूरी तरह से समाप्त न हो जाये।