Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
शिशु के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विटामिन डी का इस्तेमाल सूक्ष्मजीवीरोधी शक्ति (antibody) बनाने के लिए करता है। ये एंटीबाडी शिशु को संक्रमण से बचते हैं। जब शिशु के शरीर पे विषाणु और जीवाणु का आक्रमण होता है तो शिशु के शरीर में मौजूद एंटीबाडी विषाणु और जीवाणु से लड़ते हैं और उनके संक्रमण को रोकते हैं।

ठण्ड के दिनों में डॉक्टर अक्सर माँ - बाप को ये सलाह देते हैं की वे अपने नवजात बच्चे को कुछ देर के लिए धुप दिखाएँ। विशेषकर अगर बच्चे में पीलिया (jaundice) रोग के लक्षण दिख रहे हैं तो।
डॉक्टर बच्चों को धुप दिखने की सलाह इस लिए देते हैं क्योँकि धुप की किरणों से शिशु का शरीर प्राकृतिक रूप से विटामिन डी का निर्माण करता है।
सूर्य से मिलने वाले विटामिन डी शिशु के हड्डियों के स्वस्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। साथ ही यह शिशु के रोग प्रतिरोधी तंत्र को भी मजबूत बनता है।
विटामिन डी शिशु के शरीर के लिए आवश्यक है - यह तो सबको पता है।
मगर यह बात कुछ ही लोगों को पता है की विटामिन डी शिशु को सर्दी और जुकाम से भी बचाता है।
ब्रिटेन के शोधकर्ताओं के अनुसार ब्रिटेन में हर साल विटामिन डी करीब तीस लाख लोगों को सर्दी-जुकाम से बचाता है।
छह माह से बड़े बच्चों और व्यस्क लोगों के लिए शरीर में विटामिन डी कमी को पूरा करने के लिए बहुत तरीके हैं। शरीर तो सूर्य से मिलने किरणों से ही विटामिन डी का निर्माण कर लेता है।
इसके साथ ही शरीर को विटामिन डी आहार से भी मिल जाता है जैसे की दूध, दही, मशरूम, मटर, अंडा, मक्खन, चीज़, पनीर, मछली, मीट आदि।

मगर नवजात शिशु के लिए आहार के रूप में केवल माँ का दूध ही एक विकल्प है। शिशु को माँ के दूध से भी विटामिन डी मिलता है। इसके साथ ही अगर आप अपने शिशु को कुछ देर के लिए धुप में खलेने के लिए छोड़ते हैं तो उसका शरीर स्वतः ही सूर्य के किरणों से विटामिन डी का निर्माण कर लेते है।

शरीर में विटामिन डी की कमी अच्छा संकेत नहीं है। अगर आप का शिशु आहार ग्रहण करने योग्य हो गया है तो उसके खाने में ऐसे आहार शामिल करें जिसमे प्रचुर मात्रा में विटामिन डी उपलब्ध हो।

शिशु के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विटामिन डी का इस्तेमाल सूक्ष्मजीवीरोधी शक्ति (antibody) बनाने के लिए करता है। ये एंटीबाडी शिशु को संक्रमण से बचते हैं। जब शिशु के शरीर पे विषाणु और जीवाणु का आक्रमण होता है तो शिशु के शरीर में मौजूद एंटीबाडी विषाणु और जीवाणु से लड़ते हैं और उनके संक्रमण को रोकते हैं।

पुरे साल भर शिशु को विटामिन डी की उतनी आवश्यकता नहीं पड़ती है जितनी की सर्दी के दिनों में। ऐसा इसलिए क्योँकि सर्दी और जुकाम से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें अधिकांश समय घर के अंदर ही रखा जाता है ताकि बहार की सर्द हवाएं उन्हें बीमार न कर दें। मगर इससे बच्चों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की किरणे नहीं मिल पाती है जितना की शरीर में विटामिन डी बनाने की आवशकता है।
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ठण्ड के दिनों में बच्चों को सूर्य की रोशनी की उतनी ही आवश्यकता पड़ती है जितनी की गर्मी के दिनों में।
शिशु को सर्दी के दिनों में सूरज की रोशनी दिखाने के लिए उन्हें ऐसे कमरे में रखें जहाँ खिड़कियों से सूर्य की रोशनी छन के कमरे में प्रवेश कर सके। खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें ताकि बहार की सर्द हवा अंदर प्रवेश न कर सके - मगर - साथ ही बच्चों को भरपूर मात्रा मैं सूरज की रोशनी मिल सके।

स्वस्थ रहने के लिए विटामिन डी की पर्याप्त आवश्यकता केवल बच्चों को ही नहीं वरन बड़ों को भी पड़ती है। ठण्ड के दिनों में विटामिन डी की कमी के कारण बड़े - बूढ़ों को हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द का सामना करना पड़ता है।
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अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।
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नारियल का पानी गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही में विशेषकर फायदेमंद है अगर इसका सेवन नियमित रूप से सुबह के समय किया जाए तो। इसके नियमित सेवन से गर्भअवस्था से संबंधित आम परेशानी जैसे कि जी मिचलाना, कब्ज और थकान की समस्या में आराम मिलता है। साथी या गर्भवती स्त्री के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, शिशु को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है और गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है।
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सुबह उठकर भीगे बादाम खाने के फायेदे तो सबको पता हैं - लेकिन क्या आप को पता है की भीगे चने खाने के फायेदे बादाम से भी ज्यादा है। अगर आप को यकीन नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढिये - आप का भ्रम टूटेगा।
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क्या आप का शिशु potty (Pooping) करते वक्त रोता है। मल त्याग करते वक्त शिशु के रोने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आप को इन कारणों का पता होगा तो आप अपने शिशु को potty करते वक्त होने वाले दर्द और तकलीफ से बचा सकती है। अगर potty करते वक्त आप के शिशु को दर्द नहीं होगा तो वो रोयेगा भी नहीं।
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बच्चे को सुलाने के नायब तरीके - अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप ने तरत तरह की कोशिशें की होंगी। जैसे की बच्चे को सुलाने के लिए उसको कार में कई चक्कर घुमाया होगा, या फिर शुन्य चैनल पे टीवी को स्टार्ट कर दिया होगा ताकि उसकी आवाज से बच्चा सो जाये। बच्चे को सुलाने का हर तरीका सही है - बशर्ते की वो तरीका सुरक्षित हो।
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चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
सूजी का हलवा protein का अच्छा स्रोत है और यह बच्चों की immune system को सुदृण करने में योगदान देता है। बनाने में यह बेहद आसान और पोषण (nutrition) के मामले में इसका कोई बराबरी नहीं।
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।
आपका बच्चा जितना तरल पदार्थ लेता हैं। उससे कही अधिक बच्चे के शरीर से पसीने, दस्त, उल्टी और मूत्र के जरिये पानी बाहर निकल जाता है। इसी स्तिथि को डिहाइड्रेशन कहते हैं। गर्मियों में बच्चे को डिहाइड्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए, उसे थोड़े-थोड़े समय पर, पुरे दिन तरल पदार्थ या पानी देते रहना पड़ेगा।
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
एक साल से ले कर नौ साल (9 years) तक के बच्चों का डाइट प्लान (Diet Plan) जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सकारात्मक योगदान दे। शिशु का डाइट प्लान (Diet Plan) सुनिश्चित करता है की शिशु को सभी पोषक तत्त्व सही अनुपात में मिले ताकि शिशु के विकास में कोई रूकावट ना आये।