Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।

बच्चे अगर बीमार पड़ जाएँ तो यह सारे घरवालों के लिए चिंता का विषय बन जाता है।
बच्चों का सर्दी और जुकाम से बुरा हाल होता है,
बच्चे रात- रात भर खांस के जागते हैं और उनके साथ जगता है पूरा घर - परिवार।
बच्चे के जन्म से ही मानो - माता- पिता के जागने के दिन शुरू हो जाते हैं। चूँकि बच्चों के शरीर का रोग प्रतिरोधक छमता बड़ो की तरह विकसित नहीं होता है, कुछ - ना - कुछ बच्चों के साथ लगा ही रहता है जब तक की वे कम - से - कम साल के नहीं हो जाते हैं।
सर्दी के इस मौसम में चाहे माँ-बाप कितने ही जतन कर लें - पर बच्चे कभी ना कभी बीमार पड़ते ही हैं। और जब वे बीमार पड़ते हैं तो तकलीफ केवल बच्चों को ही नहीं वरन माँ-बाप को भी होती है।
बच्चों को सर्दी और जुकाम से जूझते देखना माँ-बाप के लिए बहुत ही कष्दायक होता है।
लेकिन,
कुछ घरेलु उपाय के जरिये आप अपने शिशु को सर्दी और जुकाम में आराम पहुंचा सकती हैं।
नोट: अगर आप के शिशु को बंद नाक की वजह से बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है तो आप नेबुलाइजर (Nebulizer) के बारे में अपने शिशु के डोक्टर से बात करिए।
इस लेख में आप पढ़ेंगी उन तरीकों के बारे में जिनकी सहायता से आप अपने बच्चे को तुरंत सर्दी और जुकाम में आराम पहुंचा सकती हैं।
एक साल से बड़े बच्चों के लिए शहद (honey) बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी उपाय है बच्चों और बड़ों को सर्दी और जुकाम से राहत दिलाने के लिए। साल 2012 में हुए एक शोध के अनुसार - छोटे बच्चों को जो सर्दी और जुकाम से परेशान हैं उन्हें - एक चम्मच शहद सोने से ठीक 30 मिनट पूर्व देना बच्चे के गले को बहुत राहत पहुंचता है।

यह अध्यन जो "Pediatrics" नमक शोध पत्रिका मैं प्रकाशित हुआ था - इसके अनुसार सोने से 30 मिनट पूर्व शहद देने से बच्चों की खांसी रात में सोते समय बहुत कम हो जाती है। हम सभी जानते हैं की जब बच्चों को सर्दी और खांसी होता है तो - दिन तो जैसे-तैसे गुजर जाता है - मगर बच्चे रात भर खांसी के कारण ठीक से सो नहीं पाते हैं। ताजूब की बात यह ही की शहद के इन गुणों के बारे में - विदेशी कंपनियों को - शोध करने की क्या आवश्यकता है। सर्दी और जुकाम में शहद के फायदे के बारे में कौन भारतीय नहीं जनता है। भारत में तो इसका इस्तेमाल शायद सभय्ता के प्रारम्भ से ही हो रहा है।

बच्चे के आहार में तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ा दें। मुझे उम्मीद है की आप बचपन से सुनते आ रही होंगी की अच्छी सेहत के लिए खूब पानी पीना चाहिए, मगर क्या आप को यह पता है की पानी की मात्रा बढ़ा देने से सर्दी और जुकाम में राहत मिलता है।
जी हाँ!
अगर आप के बच्चे को सर्दी या जुकाम सत्ता रही है तो उसे आहार मैं बहुत सारा तरल आहार दें जैसे की soup, कड़ाह, इत्यादि। अंतराष्ट्रीय शोध पत्रिका "American Academy of Pediatrics" के अनुसार आहार में तरल आहार की मात्रा बढ़ा देने से कफ (mucus) हल्का (पतला) हो जाता है और आसानी से बहार आ जाता है। इससे गले को रहत मिलता है, खांसी कम हो जाती है और जुकाम में शिशु को बड़ा आराम मिलता है।
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सर्दी और खांसी में बच्चे की छाती पे वेपर रब (Vapor Rub) से मालिश करने पे बड़ा आराम मिलता है। वेपर रब (Vapor Rub) में कपूर (camphor), पुदीना सत्त* (menthol) और नीलगिरि (eucalyptus) का तेल होता है। इस मिश्रण पे बहुत सारे शोध हुए हैं और यह पाया गया है की जब बच्चों को सोने से पहले वेपर रब (Vapor Rub) से मालिश किया जाता है तो बच्चे को सोते वक्त खांसी कम आता है और बच्चा अच्छी नींद सो पाता है। बाम और वेपर रब (Vapor Rub) को भूल से भी शिशु के चेहरे पे - विशेषकर आंख और नाक के पास या उसके आस पास भी नहीं लगाएं। बाम और वेपर रब (Vapor Rub) को शिशु के चेहरे पे लगाने से शिशु को बहुत तकलीफ होता है और उसे सारी रात नींद नहीं आती है। इसका इस्तेमाल केवल शिशु के छाती पे मालिश करने के लिए ही करें। दो साल से कम उम्र के बच्चों पे वेपर रब (Vapor Rub) से मालिश न करें। इतने छोटे बच्चों की त्वचा बहुत नाजुक और संवेदनशील होती है। इसलिए इसका प्रयोग दो साल से कम उम्र के बच्चों पे हानिकारक हो सकता है।
*पिपरमिन्ट के प्रकार की एक ठोस औषधि
छोटे बच्चों में अधिकांश सर्दी और जुकाम के लक्षण कुछ दिनों में अपने आप ही चले जाते हैं। लेकिन यह महत्वपूर्ण है की आप इस बात में अंतर कर पाएं की बच्चे की खांसी आम सर्दी या जुकाम की वजह से है - या उसकी खांसी (निमोनिया) pneumonia या अस्थमा (asthma) की वजह से है।

बच्चे में ये लक्षण दिखने पे तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और डॉक्टर जो भी जाँच करवाने के लिए कहें - जल्द से जल्द करवाएं।
उप्पर दिए गए लक्षण बच्चे में दिखने पे बालक को तुरंत डॉक्टर के पास लेके जाएँ।
दवा की दुकान पे मिलने वाली सर्दी और जुकाम की आम दवाओं को बच्चों को न दें। इनका निर्माण बड़ों के शारीरक विकास के अनुरूप बनाया गया है। शिशु का शरीर बड़ों से इस बात में अलग नहीं है की उसकी लम्बाई बड़ों के शरीर से कम है - बल्कि - बच्चों का शरीर बड़ों के शरीर से इस बात में अलग है की वो बड़ों की तरह विकसित नहीं है। चूँकि बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में विकसित नहीं है - सर्दी और जुकाम की बच्चों के शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है और बच्चे के शरीर पे उसके बहुत दुष्परिणाम हो सकते हैं।
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इस असान तरीके से बच्चों के दांतों के संक्रमण को समय रहते पहचाने ताकि बच्चों को दांतों के दर्द से बचाया जा सके। सभी जानते हैं की दांतों का दर्द कितना कितना कष्टकारी होता है। बच्चे दिन भर कुछ ना कुछ खाते ही रहते हैं इस वजह से उनके दांतों में संक्रमण की सम्भावना बनी रहती है। बच्चों के दांतों में संक्रमण को पहचानने के 7 तरीके।
जलशीर्ष यानी Hydrocephalus एक गंभीर बीमारी है जो शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है और उसके मस्तिष्क को हमेशा के लिए नुक्सान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बारत कर आप अपने शिशु को जलशीर्ष (Hydrocephalus) से बचा सकती हैं।
4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
होली मात्र एक त्यौहार नहीं है, बल्कि ये एक मौका है जब हम अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूक कर सकते हैं। साथ ही यह त्यौहार भाईचारा और सौहाद्रपूर्ण जैसे मानवीय मूल्यों का महत्व समझने का मौका देता है।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
ADHD से प्रभावित बच्चे को ध्यान केन्द्रित करने या नियमों का पालन करने में समस्या होती है। उन्हें डांटे नहीं। ये अपने असहज सवभाव को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं जैसे की एक कमरे से दुसरे कमरे में बिना वजह दौड़ना, वार्तालाप के दौरान बीच-बीच में बात काटना, आदि। लेकिन थोड़े समझ के साथ आप एडीएचडी (ADHD) से पीड़ित बच्चों को व्याहारिक तौर पे बेहतर बना सकती हैं।
बच्चों का और 20 वर्ष से छोटे सभी लोगों का BMI गणना केवल फॉर्मूले के आधार पे नहीं किया जाता है। इसके बदले, BMI chart का भी इस्तेमाल किया जाता है। BMI chart के आधार पे जिन बच्चों का BMI 5th percentile से कम होता है उन्हें underweight माना जाता है।
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
नवजात बच्चे चार से पांच महीने में ही बिना किसी सहारे के बैठने लायक हो जाते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे को थोड़ी सी एक्सरसाइज कराएँ तो वे कुछ दिनों पहले ही बैठने लायक हो जाते हैं और उनकी मस्पेशियाँ भी सुदृण बनती हैं। इस तरह अगर आप अपने शिशु की सहायता करें तो वो समय से पहले ही बिना सहारे के बैठना और चलना सिख लेगा।
घर पे करें तयार झट से शिशु आहार - इसे बनाना है आसन और शिशु खाए चाव से। फ्राइड राइस में मौसम के अनुसार ढेरों सब्जियां पड़ती हैं। सब्जियौं में कैलोरी तो भले कम हो, पौष्टिक तत्त्व बहुत ज्यादा होते हैं। शिशु के मानसिक और शारीरक विकास में पौष्टिक तत्वों का बहुत बड़ा यौग्दन है।
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है। जानिए की नवजात शिशु का वजन बढ़ाने के लिए आप को क्या क्या करना पड़ेगा।
अगर आप के बच्चे को बुखार है और बुखार में तेज़ दर्द भी हो रहा है तो तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएँ। बुखार में तेज़ दर्द में अगर समय रहते सही इलाज होने पे बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। मगर सही इलाज के आभाव में बच्चे की हड्डियां तक विकृत हो सकती हैं।
घर पे आसानी से बनायें अवोकाडो और केले की मदद से पौष्टिक शिशु आहार (baby food)| पोटैशियम और विटामिन C से भरपूर, यह शिशु आहार बढते बच्चे के शारीरिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए एकदम सही विकल्प है|
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
बच्चे के साथ अगर पेरेंट्स सख़्ती से पेश आते है तो बच्चे सारे काम सही करते हैं। ऐसे वो सुबह उठने के बाद दिनचर्या यानि पेशाब ,पॉटी ,ब्रश ,बाथ आदि सही समय पर ले कर नाश्ते के लिए रेड़ी हो जायेंगे। और खुद से शेक और नाश्ता तथा कपड़े भी सही रूप से पहन सकेंगे।
टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन आप के शिशु को टाइफाइड के बीमारी से बचता है। टाइफाइड का वैक्सीन मुख्यता दो तरह से उपलबध है। पहला है Ty21a - यह लाइव वैक्सीन जिसे मुख के रस्ते दिया जाता है। दूसरा है Vi capsular polysaccharide vaccine - इसे इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है। टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन पहले दो सालों में 30 से 70 प्रतिशत तक कारगर है।