Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺12 min read
एक साल से ले कर नौ साल (9 years) तक के बच्चों का डाइट प्लान (Diet Plan) जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सकारात्मक योगदान दे। शिशु का डाइट प्लान (Diet Plan) सुनिश्चित करता है की शिशु को सभी पोषक तत्त्व सही अनुपात में मिले ताकि शिशु के विकास में कोई रूकावट ना आये।
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क्या आप इस बात के लिए परेशान हैं की अपने बच्चे को आहार में क्या दें जिससे की उसे वो सारे पोषक तत्त्व मिल सके जो उसके शारीरिक और बौद्धिक विकास ले किये जरुरी है?
अगर आप एक माँ हैं - तो मैं आप की दुविधा समसझ सकती हूँ!
छोटे बच्चों को पोषक आहार खिला पाना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है।

हर माँ-बाप चाहते हैं की उनका बच्चा बिना किसी शरारत के आसानी से एक गिलास दूध पी ले, फल, सब्जियां खा ले।
मगर ऐसा होता नहीं है।
हकीकत तो ये है की अक्सर माँ - बाप को अपने बच्चों को पौष्टिक सब्जियां खिलने के लिए या दूध पिलाने के लिए उन्हें blackmail करना पड़ता है की "खा लो बेटा नहीं तो खेलने को नहीं मिलेगा - या - एक रोटी अधिक खानी पड़ेगी" और न जाने क्या - क्या।
लेकिन समस्या यहीं समाप्त नहीं होती है।
माँ-बाप को यह भी देखना पड़ता है की उनके बच्चे दिन भर में पर्याप्त पानी भी पी रहे हैं। पानी भी बच्चों के विकास के लिए बहुत जरुरी है। लेकिन पानी की आवशकता उससे भी ज्यादा होती है पाचन तंत्र को सुचारु रूप से काम करने में।

विडंबना इस बात की है की माँ किन किन बातों का ख्याल रखे।
इसी तकलीफ को दूर करने के लिए हम यह लेख ले के आये हैं।
समस्या की बात यह है?
जिस उम्र में बच्चे सबसे ज्यादा पौष्टिक आहार ग्रहण करने के लिए नखड़ा करते हैं - वही उम्र बच्चों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है।
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे पांच साल (5 years) तक की उम्र तक पूर्ण रूप से दिमागी विकास हासिल कर चुके होते हैं।
लेकिन विकास का यह चक्र यहीं समाप्त नहीं होता है।
पांच साल के बाद (5 years) शिशु का सही मायने में शारीरिक विकास शुरू होता है। सही शारीरिक विकास के लिए सही रक्त संचार और iron supplements की आवशकता होती है।
लेकिन मुख्या समस्या की शुरुआत यहीं से होती है!

जब बच्चे अपने active growth years में प्रवेश करते हैं तो माँ बाप बच्चों के खाने पे उचित ध्यान देना बंद कर देते हैं। और बच्चों को आहार में मिलने लगता है बिस्कुट, सैंडविचेज़, और नूडल्स। ये आहारों में तेल भी खूब होता है और ये refined आहार भी हैं।

किसी भी दृष्टि से ये आहार बच्चों के विकास के लिए सही नहीं है। इसके आलावा बच्चों को आजकल कैंडीज और चॉकलेट्स भी बिना रोक-टोक खाने को मिलता है। जितना हो सके बच्चों को घर का बना स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार दें। इससे बच्चों को पोषण तो भरपूर मिलगा, साथ ही उनका सेहत भी ठीक रहेगा। बच्चों के active growth years में उनका स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है।
जब बच्चे active growth years में होते हैं तब उन्हें अगर ऐसे आहार दिए जाएँ जिस में refined foods और trans-fats हों तो इसका बच्चों के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों का विकास रुक भी सकता है।

ये ऐसे आहर हैं जिनसे बच्चों को उचित मात्रा में विटामिन्स और मिनिरल्स नहीं मिल पते हैं।
साथ ही साथ refined foods से बच्चों के पाचन तंत्र पे भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उन्हें सीलिएक रोग या कुपोषण जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ जाता है।
बच्चों के शरीर को उनके active growth years में उनके आहार से उन्हें सारे महत्वपूर्ण (essential) विटामिन्स और मिनिरल्स मिलने चाहियें।
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ये तभी संभव है जब बच्चे को संतुलित आहार (well-balanced diet) मिले। संतुलित आहार (well-balanced diet) से शिशु को मिलता है कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, और विटामिन्स।
संतुलित आहार (well-balanced diet) मिलने से शिशु का विकास बिना किसी रूकावट के होता है जब तक की वो यौवन (puberty) अवस्था तक नहीं पहुँच जाता है।
बच्चों का पूरा दिन बहुत व्यस्तता से गुजरता है। सुबह की शुरुआत खेल की तयारी से, फिर स्कूल, फिर tuition classes और अंत में extracurricular एक्टिविटीज।

इस प्रकार के दिनचर्या को जीने के लिए बहुत ऊर्जा की आवशकता है और इसीलिए बच्चों का आहार, विशेषकर सुबह का नाश्ता बहुत ही पौष्टिक होना चाहिए।









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जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
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बचपन में अधिकांश बच्चे तुतलाते हैं। लेकिन पांच वर्ष के बाद भी अगर आप का बच्चा तुतलाता है तो बच्चे को घरेलु उपचार और स्पीच थेरापिस्ट (speech therapist) के दुवारा इलाज की जरुरत है नहीं तो बड़े होने पे भी तुतलाहट की समस्या बनी रहने की सम्भावना है। इस लेख में आप पढेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे की साफ़ साफ़ बोलने में मदद कर सकती हैं। तथा उन तमाम घरेलु नुस्खों के बारे में भी हम बताएँगे जिन की सहायता से बच्चे तुतलाहट को कम किया जा सकता है।
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कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
बच्चे के जन्म के समय लगने वाले टीके के प्रभाव को बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराकें दी जाती हैं। समय बीतने के पश्चात, एंटीबॉडीज का असर भी कम होने लगता है। फल स्वरूप बच्चे के शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक बच्चे के शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी लेवल बनाए रखती है।बूस्टर खुराकें आपके बच्चे को रोगों से सुरक्षित व संरक्षित रखती हैं।
बच्चा रो कर ही अपनी बात माँ के सामने रखता हैं। आपका छोटा सा बच्चा खुद अपने आप कुछ नहीं कर सकता हैं। बच्चा अपने हर छोटी-बढ़ी जरूरत के लिए माँ पर आश्रित रहता हैं और रो कर ही अपनी जरूरतों को बताता है।
ठोस आहार के शुरुवाती दिनों में बच्चे को एक बार में एक ही नई चीज़ दें। नया कोई भी भोजन पांचवे दिन ही बच्चे को दें। इस तरह से, अगर किसी भी भोजन से बच्चे को एलर्जी हो जाये तो उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।
नवजात बच्चों द्वारा बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है क्योंकि वे अपने खाद्य - पदार्थ के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है। उलटी के गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।
दिमागी बुखार (मेनिन्जइटिस) की वजह से दिमाग को नुकसान और मौत हो सकती है। पहले, बहुत अधिक बच्चों में यह बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन टीकों के इस्तेमाल से इस पर काबू पाया गया है। हर माँ बाप को अपने बच्चों को यह टिका अवश्य लगवाना चाहिए।
दस्त के दौरान बच्चा ठीक तरह से भोजन पचा नहीं पाता है और कमज़ोर होता जाता है। दस्त बैक्टीरियल संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी के दौरान उसको दिया गया ८०% आहार दस्त की वजह से समाप्त हो जाता है। इसी बैलेंस को बनाये रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आहार हैं जिससे दस्त के दौरान आपके बच्चे का पेट भरा रहेगा।