Category: स्मार्ट एक्टिविटीज
By: J M Group India | ☺2 min read
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।

गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है!

https://www.printableboardgames.net/
J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार इस वेबसाइट से आप 39 board games PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते हैं। यह सरे board games छोटे बच्चों को काफी पसंद आएंगे। इनमें से कई ऐसे हैं जहाँ आपको पुरे विस्तार से खेल का instruction दिया गया है। सरे गेम मैं बहुत साधारण सामाग्रियों का इस्तेमाल किया गया है जैसे की - पासा (dice) कार्ड (deck of card), पेंसिल, रबर, कैची।

https://www.freecoloringsheets.net/
इस वेबसाइट पर आपको 1350 कलरिंग शीट्स (coloring sheets) मिलेंगे जिन्हे आप प्रिंट कर सकते है। बच्चों को कलरिंग शीट्स में क्र्यों कलर या फिर पेंसिल कलर के द्वारा रंग भरने मैं काफी मजा आता है। कलरिंग शीट्स एक दिशा मैं बच्चों को स्ट्रोक (right stroke) देना सिखाता है और बच्चे सही ढंग से पेंसिल पकड़ना भी सिख जाते हैं। । यह एक अच्छा गेम है बच्चों को व्यस्त रखने के लिए।

http://www.sciencekids.co.nz/
अगर आप चाहते हैं की आप का बच्चा गर्मियों में ज्ञान और विज्ञानं (science and technology) की बातें सीखे तो यह वेबसाइट सबसे बेहतरीन है। इस वेबसाइट पर आप को 30 से भी जयदा साइंस से सम्बंधित प्रोजेक्ट्स (science projects for summer vacations) मिलेंगे जिनसे आपका बच्चा पौधें से लेकर अंतरिक्ष तक की वैज्ञानिक बातों को सीखेगा। J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार गर्मियों की छुट्टियों का इससे बेहतरीन इस्तेमाल और कुछ भी नहीं हो सकता।

http://jonakashima.com.br/
यह एक बेहतरीन वेबसाइट है उन बच्चों के लिए जिन्हें आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स में रूचि है। इस वेबसाइट से आप के बच्चे तरह तरह के हैंडीक्राफ्ट्स (handicrafts) बनाना सिख सकते हैं। आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स से बच्चों में सकारात्मक और रचनातमक सोच विकसित होता है। बच्चों में problem solving skill भी विकसित develop होता है।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
मां के दूध पर निर्भर रहना और फाइबर का कम सेवन करने के कारण अक्सर बच्चे को कब्ज की समस्या बनी रहती है। ठोस आहार देने के बावजूद बच्चे को सामान्य होने में समय लगता है। इन दिनों उसे मल त्यागने में काफी दिक्कत हो सकती है।
बच्चों में अस्थमा के कई वजह हो सकते हैं - जैसे की प्रदुषण, अनुवांशिकी। लेकिन यह बच्चों में ज्यादा इसलिए देखने को मिलती है क्यूंकि उनका श्वसन तंत्र विकासशील स्थिति में होता है इसीलिए उनमें एलर्जी द्वारा उत्पन्न अस्थमा, श्वसन में समस्या, श्वसनहीनता, श्वसनहीन, फेफड़े, साँस सम्बन्धी, खाँसी, अस्थमा, साँस लेने में कठिनाई देखने को मिलती है। लेकिन कुछ घरेलु उपाय, बचाव और इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को दमे की तकलीफों से बचा सकती हैं।
अस्थमा होने की स्थिति में शिशु को तुरंत आराम पहुचने के घरेलु उपाय। अपने बच्चे को अस्थमा के तकलीफ से गुजरते देखना किस माँ-बाप के लिए आसान होता है? सही जानकारी के आभाव में शिशु का जान तक जा सकता है। घर पे प्रतियेक व्यक्ति को अस्थमा के प्राथमिक उपचार के बारे में पता होना चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में शिशु को जीवन रक्षक दवाइयां प्रदान की जा सकें।
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक आम बात है जिस बहुत से बच्चे प्रभावित देखे जा सकते हैं। इसका समाधान किया जा सकता है। माँ-बाप और अध्यापकों के प्रयास से बच्चे स्कूल में दुसरे बच्चों के सामान पढाई में अच्छा प्रदर्शन दे सकते हैं। लेकिन जरुरी है की उनके अन्दर छुपी प्रतिभा को पहचाना जाये और उचित मार्गदर्शन के दुवारा उन्हें तराशा जाये। इस लेख में आप जानेंगे की लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) क्या है और आप अपने बच्चे का इलाज किस तरह से कर सकती हैं।
कहानियां सुनने से बच्चों में प्रखर बुद्धि का विकास होता है। लेकिन यह जानना जरुरी है की बच्चों को कौन सी कहानियां सुनाई जाये और कहानियौं को किस तरह से सुनाई जाये की बच्चों के बुद्धि का विकास अच्छी तरह से हो। इस लेख में आप पढ़ेंगी कहानियौं को सुनने से बच्चों को होने वाले सभी फायेदों के बारे में।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
Ambroxol Hydrochloride - सर्दी में शिशु को दिया जाने वाला एक आम दावा है। मगर इस दावा के कुछ घम्भीर (side effects) भी हैं। जानिए की कब Ambroxol Hydrochloride को देना हो सकता है खतरनाक।
बच्चे को हिचकी उसके डायफ्राम के संकुचन के कारण आती है। नवजात बच्चे में हिचकी की मुख्या वजह बच्चे का ज्यादा आहार ग्रहण कर लेना है। जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं वे दूध पीते वक्त दूध के साथ ढेर सारा वायु भी घोट लेते हैं। इसके कारण बच्चे का पेट फ़ैल जाता है बच्चे के डायफ्राम पे दबाव पड़ता है और डायाफ्राम में ऐंठन के कारण हिचकी शुरू हो जाती है।
शिक्षक वर्तमान शिक्षा प्रणाली का आधार स्तम्भ माना जाता है। शिक्षक ही एक अबोध तथा बाल - सुलभ मन मस्तिष्क को उच्च शिक्षा व आचरण द्वारा श्रेष्ठ, प्रबुद्ध व आदर्श व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। प्राचीन काल में शिक्षा के माध्यम आश्रम व गुरुकुल हुआ करते थे। वहां गुरु जन बच्चों के आदर्श चरित के निर्माण में सहायता करते थे।
पीट दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए| आज के दौर में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों को भी पीठ दर्द का सामना करना पद रहा है| नाजुक सी नन्ही उम्र से ही बच्चों को अपने वजन से ज्यादा भारी बैग उठा के स्कूल जाना पड़ता है|
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
रागी का हलुवा, 6 से 12 महीने के बच्चों के लिए बहुत ही पौष्टिक baby food है। 6 से 12 महीने के दौरान बच्चों मे बहुत तीव्र गति से हाड़ियाँ और मासपेशियां विकसित होती हैं और इसलिए शरीर को इस अवस्था मे calcium और protein की अवश्यकता पड़ती है। रागी मे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों ही बहुत प्रचुर मात्रा मैं पाया जाता है।
युवा वर्ग की असीमित बिखरी शक्ति को संगठित कर उसे उचित मार्गदर्शन की जितनी आवश्यकता आज हैं , उतनी कभी नहीं थी। आज युवा वर्ग समाज की महत्वकांशा के तले इतना दब गया हैं , की दिग - भ्रमित हो गया हैं।
गर्मियों में नाजुक सी जान का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मगर थोड़ी से समझ बुझ से काम लें तो आप अपने नवजात शिशु को गर्मियों के मौसम में स्वस्थ और खुशमिजाज रख पाएंगी।
मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार (Japanese encephalitis - JE) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो जापानीज इन्सेफेलाइटिस के वायरस द्वारा होता है। मस्तिष्क ज्वर मछरों द्वारा काटे जाने से फैलता है। मगर अच्छी बात यह है की इससे वैक्सीन के द्वारा पूरी तरह बचा जा सकता है।
अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।
जानिये स्किन रैशेस से छुटकारे के घरेलू उपाय। बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त आम तौर पर पाचन तंत्र की गड़बड़ी और खून में गर्मी बढ़ जाने के कारण होता है। तेल, मिर्च, बाजार में बिकने वाले फ़ास्ट फ़ूड, व चाइनीज़ खाना खाने से बच्चों में इस रोग के होने का खतरा रहता है। वातावरण में उपस्थित कई तरह के एलर्जी कारक भी इसके कारण होते हैं