Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
क्या आप के पड़ोस में कोई ऐसा बच्चा है जो कभी बीमार नहीं पड़ता है? आप शायद सोच रही होंगी की उसके माँ-बाप को कुछ पता है जो आप को नहीं पता है। सच बात तो ये है की अगर आप केवल सात बातों का ख्याल रखें तो आप के भी बच्चों के बीमार पड़ने की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी।
क्या आप ने कभी सोचा है की कुछ बच्चे क्योँ कभी बीमार नहीं पड़ते हैं?
वहीँ कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनको मामूली सर्दी और जुकाम भी ठीक होने में कई सप्ताह लग जाते हैं।
सच तो ये है की आप के बच्चे भी कभी बीमार नहीं पड़ेंगे अगर आप कुछ बातों का ख्याल रखना शुरू कर दें तो।
जी हाँ - हम बात कर रहें कुछ सावधानियों की।
सावधानियां - इलाज से कहीं बेहतर हैं।
लगातार हातों को धो कर, आप अपने शिशु को संक्रमण लगने से बचा सकती हैं। अगर आप दिन में कई बार हाथ को धोती हैं तो आप के हातों से आप के शिशु को संक्रमण लगने का खतरा बहुत कम हो जाता है।
आप अपने शिशु को भी सिखाएं की वो भी दिन में कई बार अपने हातों को धोये। शिशु को सिखाएं की टॉयलेट से बहार आने के बाद उसे तुरंत अपने हातों को धोना चाहिए, खेल के आने के बाद भी शिशु को हाथ धोने को कहें। अपने शिशु के स्कूल बैग में हैंड सांइटिज़ेर (hand sanitizer) भी रखें और उसे बताएं की जब भी वो कुछ खाये, अपने हातों को हैंड सांइटिज़ेर (hand sanitizer) से साफ करें।
संसार भर में शिशुओं पे हुए शोध में यह पाया गया है की जो बच्चे लगातार, हर दिन व्यायाम करते हैं, उन्हें व्यायाम ना करने वाले बच्चों की तुलना में सर्दी और जुकाम के संक्रमण का खतरा 25-50 प्रतिशत कम रहता है।
खेल-कूद करने और व्यायाम करने से शरीर में रक्त संचार बढ़ जाता है। इस वजह से शरीर में संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाओं का भी संचार बढ़ जाता है। शिशु को स्वस्थ रखने के लिए खेल-कूद और व्यायाम से बेहतर और कोई दवा नहीं है।
अंग्रेज़ी में एक कहावत है - Early to Bed Early to Bed Early to Rise Makes a Child Healthy Wealthy and Wise - कहने का तात्पर्य है की जो बच्चे सही समय पे सोने जाते हैं और सही समय पे सुबह उठते हैं, वे बच्चे स्वस्थ, और बुद्धिमान बनते हैं।
जो बच्चे रात को ठीक से सो नहीं पाते हैं, देर रात तक जागते हैं, जिनकी नींद पूरी नहीं होती है, उनमें सर्दी और जुखाम का खतरा बहुत बढ़ जाता है। एक साल से छोटे बच्चे को कम से कम 14 घंटे की नींद आवश्यक है - जबकि तीन साल से छोटे बच्चे को कम से कम 11-13 घंटे सोने की आवशकता है।
बच्चों में जीवाणु और विषाणु शिशु की नाक, आंख और मुँह के दुवारा उनके शरीर में प्रवेश करते हैं। चूँकि बच्चे खेलते वक्त अनेक प्रकार के सतह को छूते हैं, उनके गंदे हातों में हर वक्त जीवाणु और विषाणु के मौजूद होने की सम्भावना बनी रहती है।
बच्चे अपने इन गंदे हातों से अपने चेहरे को छूते रहते हैं और इस तरह संक्रमण को बच्चों के शरीर में प्रवेश करने का मौका मिल जाता है। इसीलिए ये आवशयक है की आप अपने बच्चे को शुरू से ही हातों को धोना सिखाएं। जब भी आप का शिशु घर से बहार जाये, एक छोटा हैंड सांइटिज़ेर (hand sanitizer) उसे अपने पास रखने को कहें। इससे आवशकता पड़ने पे वो अपने हातों को साफ़ रख सकेगा।
बच्चों को मौसम के अनुसार आहार दें। शिशु को आहार में मौसमी सब्जियां दें। उसे मौसम के अनुसार फल भी खाने को दें।
शिशु के आहार में ढेर सरे विभिन रंगो के सब्जियों को शामिलित करें। सब्जियों में अनेक प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। कई तरह के रंगो के सब्जियों को समलित करने से शिशु को बहुत प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट्स (antioxidants) मिल जाता है - जो शिशु की अच्छी स्वस्थ के लिए बहुत बेहतर है। शिशु के आहार में ऐसे वस्तुओं को समाहित करें जिसमे vitamin C और vitamin D हो। शिशु को आहार में दही भी दीजिये।
शिशु को फ्लू से बचाने का सबसे बेहतर तरीका है की आप उसे फ्लू का वैक्सीन दिलवाएं। यह शिशु को फ्लू से बचाने का बेहतर तरीका है।
बचपन से ही आप अपने शिशु को अच्छे संस्कार दें। जैसे की उसे सिखाये की वो अपने चीज़ें को दूसरों के साथ बाटें। लेकिन अपने शिशु को यह भी सिखएं की कुछ चीजें कभी भी किसी के साथ साझा ना करें। अपने शिशु को कप, पानी की बोतल, पानी का स्ट्रॉ और टूथब्रश कभी किसी के साथ शायर करने ना दें।
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