Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
जिन बच्चों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है उनमे यह भी देखा गया है की उन्हें नारियल से भी एलर्जी हो। इसीलिए अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो अपने शिशु को नारियल से बनी व्यंजन देने से पहले सुनिश्चित कर लें की उसे नारियल से एलर्जी न हो।

अच्छा किया की आप ने पूछ लिए!
अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो आप को अपने शिशु के डाक्टरी की राय अवश्य लेनी चाहिए।
आप के शिशु का डाक्टर आप को यह बताएगा की आप के शिशु को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और कौन कौन से आहार ग्रहण नहीं करनी चाहिए।
नारियल हालाँकि ड्राई फ्रूट नहीं है।
मगर फिर भी जिन लोगों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी होता है उनमे नारियल के प्रति भी एलर्जी प्रतिक्रिया पाई गयी है।
जब तक की आप के शिशु का डाक्टर यह न कहे की आप का शिशु नारियल खा सकता है तब तक उसे नारियल खाने को न दें।
इसका मतलब की आप को अपने बच्चे के आहार का विशेष ख्याल रखना पड़ेगा। जैसे की उसे चॉकलेट और पेस्ट्री देते वक्त इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा की कहीं उसे बनाने के लिए उसमे नारियल का इस्तेमाल तो नहीं किया गया है।
नारियल का इस्तेमाल बहुत से खाद्य पदार्थों में होता है।
इसीलिए माँ होने के नाते आप को सावधान रहना पड़ेगा की कहीं अनजाने में आप का शिशु कोई ऐसा आहार न खा ले जिसमें नारियल का इस्तेमाल किया गया है।
खांसी और जुकाम आमतौर पर सर्दी के वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ये आम तौर पर अपने आप दूर हो जाते हैं, और एंटीबायोटिक दवाएं आमतौर पर किसी काम की नहीं होती हैं। पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें की आप के बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पीने मिल रहा है।
दिल्ली की सॉफ्टवेयर काम करने वाले दिलीप ने अपनी जिंदगी को बहुत करीब से बदलते हुए देखा है। बात उन दिनों की है जब दिलीप और उनकी पत्नी रेखा अपनी पहली संतान के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। नन्हे से बच्चे की जन्म तक सब कुछ ठीक चला लेकिन उसके बाद एक दिन अचानक….
UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
जुकाम के घरेलू उपाय जिनकी सहायता से आप अपने छोटे से बच्चे को बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। शिशु का नाक बंद (nasal congestion) तब होता है जब नाक के छेद में मौजूद रक्त वाहिका और ऊतक में बहुत ज्यादा तरल इकट्ठा हो जाता है। बच्चों में बंद नाक की समस्या को बिना दावा के ठीक किया जा सकता है।
शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
सरसों का तेल लगभग सभी भारतीय घरों में पाया जाता है क्योंकि इसके फायदे हैं कई। कोई इसे खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करता है तो कोई इसे शरीर की मालिश करने के लिए इस्तेमाल करता है। लेकिन यह तेल सभी घरों में लगभग हर दिन इस्तेमाल होने वाला एक विशेष सामग्री है।
छोटे बच्चों में और नवजात बच्चे में हिचकी आना एक आम बात है। जानिए की किन-किन वजहों से छोटे बच्चों को हिचकी आ सकती है और आप कैसे उनका सफल निवारण कर सकती हैं। नवजात बच्चे में हिचकी मुख्यता 7 कारणों से होता है। शिशु के हिचकी को ख़त्म करने के घरेलु नुस्खे।
अगर आप किसी भी कारण से अंगूर का छिलका उतरना चाहते हैं, तो इसका एक आसन और नायब तरीका है जिसके मदद से आप झट से ढेरों अंगूर के छिलकों को निकल सकते हैं| अब आप बिना समस्या के आसानी से अंगूर का छिलका उत्तार सकेंगे|
खिचड़ी हल्का होता है और आसानी से पच जाता है| पकाते वक्त इसमें एक छोटा गाजर भी काट के डाल दिया जाये तो इस खिचड़ी को बच्चे के लिए और भी पोषक बनाया जा सकता है| आज आप इस रेसिपी में एहि सीखेंगी|
11 महीने के बच्चे का आहार सारणी इस तरह होना चाहिए की कम-से-कम दिन में तीन बार ठोस आहार का प्रावधान हो। इसके साथ-साथ दो snacks का भी प्रावधान होना चाहिए। मगर इन सब के बावजूद आपके बच्चे को उसके दैनिक जरुरत के अनुसार उसे स्तनपान या formula milk भी मिलना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
अक्सर माताओं के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण रहता है की बच्चो को क्या दें की उनले बढ़ते शरीर को पोषक तत्वों की उचित खुराक मिल सके। कोई भी नया भोजन जब आप पहली बार बच्चे को देते हैं तो वो नखड़े कर सकता है। ऐसे मैं यह - 3 साल तक के बच्चे का baby food chart आप की मदद करेगा। संतुलित आहार चार्ट
बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
बच्चों में भूख की कमी एक बढती हुई समस्या है। यह कई कारणों से होती है जैसे की शारीर में विटामिन्स की कमी, तापमान का गरम रहना, बच्चे का सवभाव इतियादी। लेकिन कुछ घरेलु तरीके और कुछ सूझ-बूझ से आप अपने बच्चे की भूख को बढ़ा सकती हैं ताकि उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसके शारीर को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिल सके।
बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए जरुरी है की उनके साथ खूब इंटरेक्शन (बातें करें, कहानियां सुनाये) किया जाये और ऐसे खेलों को खेला जाएँ जो उनके बुद्धि का विकास करे। साथ ही यह भी जरुरी है की बच्चों पर्याप्त मात्रा में सोएं ताकि उनके मस्तिष्क को पूरा आराम मिल सके। इस लेख में आप पढेंगी हर उस पहलु के बारे में जो शिशु के दिमागी विकास के लिए बहुत जरुरी है।
वायरल संक्रमण हर उम्र के लोगों में एक आम बात है। मगर बच्चों में यह जायद देखने को मिलता है। हालाँकि बच्चों में पाए जाने वाले अधिकतर संक्रामक बीमारियां चिंताजनक नहीं हैं मगर कुछ गंभीर संक्रामक बीमारियां भी हैं जो चिंता का विषय है।
अंडे से एलर्जी होने पर बच्चों के त्वचा में सूजन आ जाना , पूरे शरीर में कहीं भी चकत्ता पड़ सकता है ,खाने के बाद तुरंत उलटी होना , पेट में दर्द और दस्त होना , पूरे शरीर में ऐंठन होना , पाचन की समस्या होना, बार-बार मिचली आना, साँस की तकलीफ होना , नाक बहना, लगातार खाँसी आना , गले में घरघराहट होना , बार- बार छीकना और तबियत अनमनी होना |