Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺8 min read
बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।

जब तक शिशु एक साल का ना हो जाये, उसके पोषक तत्वों की आवश्यकता मुख्या रूप से स्तनपान या फार्मूला मिल्क से पूरी होनी चहिये। मगर जब आप का शिशु एक साल का हो जाता है तब उसके पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति ठोस आहार से होनी चाहिए। इस दौरान शिशु को गाए का सम्पूर्ण दूध (full fat milk) भी देना चाहिए। UHT Milk में वो सारे पोषक तत्त्व मौजूद रहते हैं तो गाए के दूध में होता है। और यह गाए के दूध से ज्यादा सुरक्षित होता है क्यूंकि UTH की प्रक्रिया के दौरान दूध में मौजूद सभी हंकारक जीवाणु नष्ट हो जाते है।
जब बच्चे एक साल के हो जाते हैं तब जरुरी नहीं की आप उन्हें formula milk या स्तनपान करना जारी रखें। बच्चों के एक साल होने पे आप उन्हें गाए का दूध दे सकती हैं। गाए के दूध में भरपूर मात्र में milk cream होता है।

एक साल के बच्चों के विकास के लिए बहुत प्रचुर मात्र में पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है जो गाए के सम्पूर्ण दूध से पूरी हो जाती है। शिशु के स्वस्थ विकास में गाए के दूध में मौजूद milk cream महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शिशु के एक साल पुर हो जाने के बाद आप उसे पतला दूध (skim milk, skinny milk) नहीं पिलायें। अगर आप का शिशु एक साल या उससे बड़ा हो गया है तो आप उसे UHT milk दे सकती हैं।
जब आप अपने बच्चे को UHT milk दें तो इस बात का ध्यान रखें की दूध FULL CREAM UTH milk होना चाहिए। आप के शिशु का शारीर अब इतना सक्षम हो गया है को वो पूरा दूध सरलता से पचा सके।
साथ ही आब आप के शिशु को दूध में मौजूद सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता भी है। इसीलिए जब आप अपने शिशु को UHT दूध दें तो full cream UHT मिल्क दें।
जिन बच्चों में एक्जिमा की शिकायत पाई गयी है, उन बच्चों को UHT milk देने पे उनके स्वस्थ में सुधर पाया गया है। ऐसा इस वजह से हो सकता है क्यूंकि UHT milk को तयार करने के लिए उसे काफी उच्च तापमान से गुजरा जाता है।

इस दौरान दूध में मौजूद एलर्जी/एक्जिमा पैदा करने (elements that trigger eczema) वाले तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। इसी वजह से UHT दूध पिने से बच्चों में एक्जिमा नहीं होता है।
अधिकांश माँ -बाप ने अपने बच्चों की सेहत में काफी सुधर पाया जब वे अपने बच्चे को गाए का दूध पूरी तरह देना बंद कर दिए और उसके बदले UHT मिल्क देना शुरू किये।

जब तक शिशु एक साल तक का ना हो जाये उसे स्तनपान या फार्मूला मिल्क के सिवा कोई दूसरा दूध नहीं दिया जाना चाहिए। गाए का दूध भी नहीं और UHT Milk भी नहीं देना चाहिए। इसके दो कारण हाँ:
एक साल से बड़े बच्चों के लिए UTH milk गाए के दूध जितना बेहतर है। एक साल से बड़े बच्चों को फार्मूला मिल्क नहीं देना चाहिए। इसके बदले आप एक साल से बड़े बच्चे को गाए का दूध या फिर UTH milk दे सकती हैं।
यात्रा के दौरान आप को UTH मिल्क को गरम करने, और फ्रिज में रखने की आवश्यकता नहीं है। सफ़र के दौरान जब भी आप को जरुरत पड़े आप इसके पैकेट को खोल के इस्तेमाल कर सकती हैं।

यह दूध आसानी से ख़राब नहीं होता है। इस दूध में किसी भी प्रकार का कोई preservative भी नहीं होता है। अत्याधिक तापमान में इसे process करने की वजह से इसमें मौजूद सभी जीवाणु नष्ट होजात हैं और इसीलिए इस दूध को सुरक्षित रखने के लिए इसे fridge में रखने की आवश्यकता नहीं है।
बस इस बात का ख्याल रखें की कुछ ब्रांड के UTH मिल्क में अत्याधिक मात्र में चीनी (sugar) होता है। चीनी में पोषक तत्त्व बिलकुल नहीं होता है इस वजह से इसे empty calorie कहते हैं।
किसी भी ब्रांड की UTH मिल्क खरीदने से पहले उसमे मौजूद चीनी की मात्र को जाँच लें। जिस ब्रांड के UTH मिल्क में सबसे कम मात्र में चीनी उपलब्ध हो वही UTH मिल्क खरीदें।

UHT Milk बच्चों के स्वस्थ के लिए बहुत बढ़िया है। लेकिन नवजात शिशु के लिए नहीं। नवजात शिशु को UHT Milk नहीं देना चाहिए। UHT Milk गाए के दूध जितना पोषक होता है।
नवजात शिशु का पाचन तंत्र इतना विकसित नहीं है की वो UHT Milk में मौजूद पोषक तत्वों को आसानी से पचा सके। नवजात शिशु को UHT Milk देने पे दस्त या अपच की समस्या हो सकती है।
UHT Milk और तजा दूध दोनों बढ़िया है। इस बात से तुलना करना व्यर्थ है की कौन ज्यादा बेहतर है या नहीं। दोनों बेहतर है। गाए का तजा दूध आप बहुत दिनों तक सुरक्षित नहीं रख सकते हैं।

इसे सुरक्षित रखने के लिए आप को इसे उबल के फ्रिज में रखने की अवशता पड़ेगी। UHT Milk को ना तो आप को गरम करने की आवश्यकता है और ना ही फ्रिज में रखने की आवश्यकता है।
सफ़र के दौरान आप इसे आसानी से अपने बैग में साधारण तापमान में सुरक्षित रख सकते हैं। इस्तेमाल करने के लिए आप को बस इसे खोलने की आवश्यकता है और बिना गरम किये अपने बच्चे को पिने के लिए दे सकते हैं। चूँकि यह pasteurized है, यह बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

हाँ - १ साल के शिशु का पाचन तंत्र इतना परिपक्व हो जाता है की वह आसानी से full fat UHT milk को पचा सके। सच बात तो यह है की दूध में मौजूद गरिष्ट मात्र में full fat cream शिशु के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

UHT Milk को एक विशेष प्रक्रिया से गुजरा जाता है जिसे Ultra High-Temperature Pasteurization कहते हैं। इस दौरान दूध को 280 degrees F पे दो सेकंड के लिए रखा जाता है।
इस तापमान पे पहुँचते ही दूध में मौजूद सभी प्रकार के जीवाणु (bacteria) नष्ट हो जाते है। यह साधारण pasteurization की प्रक्रिया से भिन्न होता है और इस वजह से यह दध बहुत दिनों तक सुरक्षित रहता है।

अगर आप ने UTH milk के पैकेट को नहीं खोला है तो वो इस्तेमाल करने के तिथि से दो-से-चार सप्ताह तक भी साधारण तापमान पे सुरक्षित रहता है। साधारणतया UTH MILK पैकिंग की तिथि से अगले छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है।
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नवजात शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इस वजह से उन्हें कई बार कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक चम्मच में थोड़े से हिंग को चार-पांच बूंद पानी के साथ मिलाएं। इस लेप को बच्चे के नाभि पे लगाने से उसे थोडा आराम मिलेगा। बच्चे को स्तनपान करना जरी रखें और हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करते रहें। नवजात शिशु को पानी ना पिलायें।
आसन घरेलु उपचार दुवारा अपने बच्चे के शारीर से चेचक, चिकन पॉक्स और छोटी माता, बड़ी माता के दाग - धब्बों को आसानी से दूर करें। चेचक में शिशु के शारीर पे लाल रंग के दाने निकल, लेकिन अफ़सोस की जब शिशु पूरितः से ठीक हो जाता है तब भी पीछे चेचक - चिकन पॉक्स के दाग रह जाते हैं। चेचक के दाग के निशान चेहरे और गर्दन पर हो तो वो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते है। लेकिन इन दाग धब्बों को कई तरह से हटाया जा सकता है - जैसे की - चिकन पॉक्स के दाग हटाने के लिए दवा और क्रीम इस्तेमाल कर सकती हैं और घरेलु प्राकृतिक उपचार भी कर सकती हैं। हम आप को इस लेख में सभी तरह के इलाज के बारे में बताने जा रहें हैं।
जब शिशु हानिकारक जीवाणुओं या विषाणु से संक्रमित आहार ग्रहण करते हैं तो संक्रमण शिशु के पेट में पहुंचकर तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं और शिशु को बीमार कर देते हैं। ठीक समय पर इलाज ना मिल पाने की वजह से हर साल भारतवर्ष में हजारों बच्चे फूड प्वाइजनिंग की वजह से मौत के शिकार होते हैं। अगर समय पर फूड प्वाइजनिंग की पहचान हो जाए और शिशु का समय पर सही उपचार मिले तो शिशु 1 से 2 दिन में ही ठीक हो जाता है।
जाने की किस तरह से ह्यूमिडिफायर (Humidifier) बंद नाक और जुकाम से रहत पहुंचता है। साथ ही ह्यूमिडिफायर (Humidifier) को सही तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में भी सीखें। छोटे बच्चों को सर्दी, जुकाम और बंद नाक से रहत पहुँचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में ह्यूमिडिफायर (Humidifier) के इस्तेमाल की राय देते हैं। ठण्ड के दिनों में कमरे में कई कारण से नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। इससे शिशु को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।
कोलोस्ट्रम माँ का वह पहला दूध है जो रोगप्रतिकारकों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है जो नवजात शिशु के मांसपेशियोँ को बनाने में मदद करती है और नवजात की रोग प्रतिरक्षण शक्ति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अगर आप परेशान हैं की आप का बच्चा समय पे नहीं सोता है तो कुछ तरीके हैं जिन्हें आप अजमा सकते हैं। अगर आप कुछ दिनों तक इन्हें आजमाएंगे तो आप के बच्चे में सोने का एक routine स्थापित हो गा और आप का बच्चा फिर हर दिन 60 सेकंड के अन्दर सो पायेगा।
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी से बना शिशु आहार (baby food) बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।
बच्चों के नाजुक पाचन तंत्र में लौकी का प्यूरी आसानी से पच जाता है| इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे की कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन A, C. जो बच्चे के पोषण के लिए अच्छा है।
मुंग के दाल में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिशु में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त उन्हें आप मुंग दाल का पानी दे सकते हैं। चूँकि मुंग का दाल हल्का होता है - ये 6 माह के बच्चे के लिए perfect आहार है।
रागी का हलुवा, 6 से 12 महीने के बच्चों के लिए बहुत ही पौष्टिक baby food है। 6 से 12 महीने के दौरान बच्चों मे बहुत तीव्र गति से हाड़ियाँ और मासपेशियां विकसित होती हैं और इसलिए शरीर को इस अवस्था मे calcium और protein की अवश्यकता पड़ती है। रागी मे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों ही बहुत प्रचुर मात्रा मैं पाया जाता है।
12 महीने या 1 साल के बच्चे को अब आप गाए का दूध देना प्रारम्भ कर सकते हैं और साथ ही उसके ठोस आहार में बहुत से व्यंजन और जोड़ सकते हैं। बढ़ते बच्चों के माँ-बाप को अक्सर यह चिंता रहती है की उनके बच्चे को सम्पूर्ण पोषक तत्त्व मिल पा रहा है की नहीं? इसीलिए 12 माह के बच्चे का baby food chart (Indian Baby Food Recipe) बच्चों के आहार सारणी की जानकारी दी जा रही है। संतुलित आहार चार्ट
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
गर्मियों में नाजुक सी जान का ख्याल रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मगर थोड़ी से समझ बुझ से काम लें तो आप अपने नवजात शिशु को गर्मियों के मौसम में स्वस्थ और खुशमिजाज रख पाएंगी।
जब बच्चा आहार ग्रहण करने यौग्य हो जाता है तो अकसर माताओं की यह चिंता होती है की अपने शिशु को खाने के लिए क्या आहर दें। शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है और इसीलिए उसे ऐसे आहारे देने की आवश्यकता है जिसे उनका पाचन तंत्र आसानी से पचा सके।
सेब और चावल के पौष्टिक गुणों से भर पूर यह शिशु आहार बच्चों को बहुत पसंद आता है। सेब में वो अधिकांश पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो आप के शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसे स्वस्थ रहने में सहायक हैं।
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
चेचक को बड़ी माता और छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। बच्चों में चेचक बीमारी के वायरस थूक, यूरिन और नाखूनों आदि में पाएं जाते हैं। यह वायरस हवा में घुलकर साँस के द्वारा बच्चे के शरीर में आसानी से प्रवेश करते हैं। इस रोग को आयुर्वेद में मसूरिका के नाम से भी जाना जाता है।