Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
नवजात बच्चे में अकसर देखा गया है की वे दूध पीते ही उलटी कर देते हैं - यह बात सिर्फ नवजात बच्चों में ही नहीं, वरन बहुत से बच्चों में एक साल तक भी देखा गया है।
ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात बच्चे का पेट बहुत छोटा होता है।
क्या आप ने अखरोट देखा है?
उतना छोटा होता है नवजात बच्चे का पेट।
उसमें ज्यादा आहार समा नहीं सकता है। यही कारण है की आप का बच्चा जब छोटा होता है तो उसे हर घंटे पे भूख लगती है। क्यूंकि थोड़ा सा दूध तुरंत ही digest हो जाता है।
अब चूँकि पेट छोटा होता है तो उस पेट में ज्यादा आहार समा भी नहीं सकता है। कई बार तो बच्चे भूख के कारण ज्यादा दूध पी लेते हैं। इससे उनका पेट फ़ैल जाता है और बाद में तकलीफ होने पी वे दूध उलटी कर के निकल देते हैं।
कई बार तो दूध जल्दी जल्दी पिने के कारण बच्चे दूध के साथ ढेर सारा हवा भी निगल लेते हैं। यह हवा जब गैस बन के धकार के रूप में बहार निकलता है तो बच्चे को उलटी हो जाती है।
बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
बच्चे को हमेशा दूध पिलाने के बाद उसके पीट पे कुछ देर तक थपकी दें। इससे बच्चे को डकार आ जायेगा और बच्चा उलटी नहीं करेगा। मगर बच्चे को जब भी डकार दिलाएं सही तरीके से दिलाएं।
छोटे बच्चे को हिचकी भी बहुत आती है। यह अकसर दूध पिने के बाद पाया गया है। कई बार बच्चे हिचकी के कारण भी उलटी कर देते हैं।
कभी कभी बच्चा हस्ते हस्ते भी हिचकी करने लगता है। इसका भी कारण वही है - बच्चे का छोटा आंत। बच्चे में हिचकी आना एक प्रकार से अच्छी बात है क्यूंकि इससे बच्चे का आंत बढ़ता है।
इसका मतलब बच्चा ज्यादा दूध पी सकेगा। खैर छोटे बच्चों में हिचकी से सम्बंधित बातों का हम फिर कभी किसी दूसरी लेख में विस्तार वे बात करेंगे।
इस लेख में हम जानेगे की छोटे बच्चे को दूध पीते ही उलटी आ जाती उसके लिए क्या उपचार है।
यह बात तो समझ आ गयी है की बच्चा दूध पीते ही तुरंत उलटी कर देता है क्यूंकि उसकी आंत अभी बहुत छोटी है। मगर और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से नवजात बच्चा दूध पिटे ही उलटी कर सकता है।
माँ के आहार का दूध पीते बच्चे के स्वस्थ पे असर पड़ता है। अगर बच्चा पूर्ण रूप से स्तनपान पे है तो यह बात और भी उपयुक्त है। अगर आप ने आहार में कुछ ऐसा खा लिया है जिसकी वजह से गैस की सम्भावना हो तो बच्चे में भी गैस की समस्या हो सकती है। माँ ने जो खाया वो आहार बच्चे में स्तनपान के जरिये पहुँचता है। जब तक आप का बच्चा स्तनपान पे हो, आप कुछ भी ऐसा न खाएं जिसे पचाने में आप के बच्चे को समस्या हो। माँ के आहार से सिर्फ बच्चे को उलटी ही नहीं वरन उसके पेट में दर्द भी हो सकता है। अगर आप का बच्चा उलटी के साथ साथ बहुत रो रहा है तो इसका मतलब उसके पेट में दर्द भी हो रहा है। जाहिर है की गैस की समस्या से उसे उलटी हो जा रही है।
कई बार बच्चे को दूध पिलाते वक्त या फिर बच्चे को गोद में उठाते वक्त अनजाने में उसके पेट पे दबाव पड़ जाता है। शिशु के पेट पे दबाव पड़ने पे बच्चा असहज महसूस करता है और इसीलिए उलटी कर देता है।
कई बार जब बच्चा जब अत्यधिक भूखा हो तो वो जल्दी जल्दी में ढेर दूध पी लेता है। बच्चे का पेट तो वैसे ही बहुत छोटा सा अखरोड के बराबर होता है। अत्यधिक स्तनपान करने पी वो फ़ैल जाता है और तन जाता है। यह स्थिति बच्चे के लिए बहुत ही असहज है। जाहिर है की थोड़ी देर में उसे खुद ही उलटी हो जाएगी। कई बार तो ऐसा होता ही की बच्चे को भूख न भी लगी हो तो माएँ अपने बच्चे को जबरदस्ती दूध पीला देती हैं। ऐसी स्थिति में भी बच्चे का दूध पीते ही उलटी कर देना लाजमी है। कोशिश करें की आप का बच्चा उतना ही दूध पिए जितना की हर बार पीता है, न की कभी कभी उसे ज्यादा पिने दें। जब बच्चे को भूख न लगी हो तो उसे जबरदस्ती दूध न पिलायें।
बहुत से बच्चों की आदत होती है की हर वक्त मुँह में अपनी ऊँगली डाले रहें। कई बार अगर यह उंगली ज्यादा अंदर गले तक चली जाये तो उलटी का आभास होता है। इसी आभास में कई बार बच्चे उलटी कर देते हैं। अगर आप के बच्चे के उलटी करने का यह कारण है तो आप अपने बच्चे को ऊँगली मुँह में डालने न दें। आप उसके ध्यान को भटका सकते हैं, उसे नवजात शिशु वाला दस्ताना पहना सकते हैं इस फिर उसके हाथों में करेले के रस का लेप लगा सकते हैं। बच्चे का कुछ समय पश्चात स्वतः ही मुँह में ऊँगली डालने का आदत ख़त्म हो जायेगा।
जब बच्चे को खांसी आता है तो उसे गले में बहुत irritation होता है। इस irritation से खीज के बच्चे कई बार जोर दे दे कर भी खांसने लगते हैं। इसके चलते उन्हें उलटी हो जाती है। अगर बच्चा दूध पीते पीते खांसने लगे या दूध पिने के बाद खांसने लगे तो उसके पीट को सहलाएं और कोशिश करें की उसका ध्यान भटक जाये।
शिशु को स्तनपान करने के बाद उसे कंधे से लागर डकार जरूर दिलवाएं। बच्चा जब स्तनपान करता है तो दूध के साथ बहुत सा हवा भी गटक लेता है। बच्चे को डकार दिलाने पी यह हवा बहार आ जाता है और पेट में थोड़ी जगह बन जाती है। शिशु के पेट के अंदर का तापमान बाहरी त्वचा के तापमान से ज्यादा होता है। जयादा तापमान में हवा फैलती है। थोड़ी सी हवा जो दूध पीते वक्त बच्चे के पेट में जाती है वो कुछ देर बाद बढ़े हुए तापमान में फ़ैल के ज्यादा हो जाती है। यह एक बहुत ही आम कारण है बच्चे का दूध पीते ही उलटी कर देने का।
दूध पिने के तुरन बाद बच्चे को पेट के बल न लेटाएं। पेट के बल बच्चे को लेटाने से उसके पेट पे दबाव पड़ता है। यह भी एक मुख्या कारण है बच्चे के दूध पिने बाद उलटी कर देने का।
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