Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
मौसम तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में अगर आप का बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे जितना ज्यादा हो सके उसे आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शरीर को पूरा आराम मिलता है तो वो संक्रमण से लड़ने में ना केवल बेहतर स्थिति में होता है बल्कि शरीर को संक्रमण लगने से भी बचाता भी है। इसका मतलब जब आप का शिशु बीमार है तो शरीर को आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है, मगर जब शिशु स्वस्थ है तो भी उसके शरीर को पूरा आराम मिलना बहुत जरुरी है।

जब बच्चे बीमार पड़ते हैं तो बड़ी चिंता होती है।
हर माँ-बाप सोचते हैं की क्या कर दें की बच्चे जल्द से जल्द ठीक हो जाएँ।
बच्चों के बीमार पड़ने पे जो सबसे पहला राय डॉक्टर देते हैं वो ये हैं की बच्चों को ढेर सारा आराम करने करने दें। साफ शब्दों में बच्चों को bed-rest करने के लिए कहते हैं।
क्या आप ने कभी सोचा है की बच्चों को बीमार पड़ने पे bed rest करने के लिए क्योँ कहा जाता है?
हाँ - यह बात सच है की सर्दी, जुकाम और बुखार में जब बच्चे bed rest करते हैं तो उनसे संक्रमण दुसरे बच्चों में नहीं फैलता है।
मगर यह मुख्या कारण नहीं है जिस वजह से बच्चों के बीमार पड़ने पे डॉक्टर bed rest करने के लिए कहते है?

शिशु को ठण्ड और जुकाम में आराम करने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका रोगप्रतिरोधक तंत्र स्वस्थ रहता है और संक्रमण से लड़ने के लिए बेहतर स्थिति में। शिशु के लिए पौष्टिक आहार और व्ययायाम (exercise) भी जरुरी है। मगर जब बच्चा बीमार हो तो ना तो पौष्टिक आहार और ना ही व्ययायाम (exercise) शिशु की बीमारी में मदद करेगा।

शिशु के शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र बड़ों की तुलना में कमजोर होती है। यही वजह है की बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। लेकिन रोग प्रतिरोधक तंत्र की संरचना इस प्रकार की होती है की हर बीमारी के बाद यह पहले से ज्यादा मजबूत और संक्रमण से लड़ने में पहले से ज्यादा सक्षम हो जाती है।
बीमार पड़ने की स्थिति में जब डॉक्टर बच्चों को bed rest करने को कहते हैं तो इसका मुख्या आधार है की बच्चे जितना हो सके घर के अंदर रहें और कोई काम ना करें, कोई व्ययायाम (exercise) ना करें और हर उसे कार्य से बचे जिससे शरीर पे जोर (stress) पड़ता है।
जब शिशु सोता है तब उसके शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र अपने आप को दरुस्त करता है - और - भविषय में होने वाले संक्रमण से लड़ने के लिए त्यार करता है।
यूँ देखा जाये तो संक्रमण हर तरफ मौजूद है। शरीर हर वक्त बिना रुके - बिना थके जीवाणुओं (germs) और विषाणुओं (viruses) के संक्रमण से लड़ता रहता है। जब बच्चे पार्क में दुसरे बच्चों के साथ खेल रहे होते हैं - या स्कूल की क्लास रूम में पढ़ रहे होते हैं तो उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र को दुगनी मेहनत करना पड़ता है।
केवल जब शिशु सो रहा होता है तब उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र को थोड़ा आराम करने को मिलता है। यही समय होता है जब रोग प्रतिरोधक तंत्र अपने आप को दरुस्त करता है।

जब शिशु बीमार पड़ता है तो उसे और भी ज्यादा आराम करने की आवशकता है। बीमार पड़ने की स्थिति में शिशु का शरीर पहले से ही संक्रमण से लड़ रहा होता है। संक्रमण से जीतने के लिए शरीर को अपनी सारी ऊर्जा एक ही दिशा में केंद्रित करने पड़ेगी - यानी की संक्रमण से लड़ने में।
बीमार पड़ने की स्थिति में जब बच्चे आराम नहीं करते हैं और शिशु के शरीर को उतनी ऊर्जा नहीं मिल पाती है जितनी की उसके शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए चाहिए।
मौसम तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में अगर आप का बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे जितना ज्यादा हो सके उसे आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें। बीमारी की वजह से अगर आप का बच्चा कुछ दिनों के लिए न खेल सके, तो इसकी वजह से चिंतित होने की जरुरत नहीं है।
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार बीमारी की स्थिति में व्ययायाम (exercise) हानिकारक हो सकता है। जब शरीर चहल-कदमी करना बंद कर देता है तो उसके पास संक्रमण से लड़ने के लिए ज्यादा ऊर्जा मौजूद होती है।
बच्चे में सर्दी और जुकाम की वजह अगर विषाणु (virus) का संक्रमण है तो उसे ठीक होने में सात से दस दिनों का समय लगेगा - चाहे आप बच्चे को दवा दें या नहीं। हाँ - दवा आप के बच्चे को सर्दी और जुकाम के वजह से होने वाले संक्रमण के लक्षणों से थोड़ा आराम जरूर पहुंचा देगा।
लेकिन अगर आप के शिशु में सर्दी और जुकाम के लक्षण दो सप्ताह में ठीक नहीं हुए तो आप की अपने शिशु के बारे में डॉक्टरी सलाह लेने की आवशकता है। कई बार निर्धारित समय पे सर्दी और जुकाम के लक्षण समाप्त नहीं होने की वजह निमोनिया या साइनस भी हो सकता है। डॉक्टर आप के बच्चे के स्वस्थ स्थिति के अनुसार कुछ जाँच लिख सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके की किस वजह से बच्चे की सर्दी और जुकाम ठीक नहीं हो रही है।
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गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी की खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में दैनिक आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिले तो उससे गर्भ में पल रहे उसकी शिशु किसी के फेफड़े मजबूत बनते (strong lungs) हैं, आंखों की दृष्टि बेहतर होती है और त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
नवजात शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इस वजह से उन्हें कई बार कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक चम्मच में थोड़े से हिंग को चार-पांच बूंद पानी के साथ मिलाएं। इस लेप को बच्चे के नाभि पे लगाने से उसे थोडा आराम मिलेगा। बच्चे को स्तनपान करना जरी रखें और हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करते रहें। नवजात शिशु को पानी ना पिलायें।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
मीठी चीनी किसे पसंद नहीं। बच्चों के मन को तो ये सबसे ज्यादा लुभाता है। इसीलिए रोते बच्चे को चुप कराने के लिए कई बार माँ-बाप उसे एक चम्मच चीनी खिला देते हैं। लेकिन क्या आप को पता है की चीनी आप के बच्चे के विकास को बुरी तरह से प्रभावित कर देते है। बच्चों को चीनी खिलाना बेहद खतरनाक है। इस लेख में आप जानेंगी की किस तरह चीनी शिशु में अनेक प्रकार की बिमारियौं को जन्म देता है।
अन्य बच्चों की तुलना में कुपोषण से ग्रसित बच्चे वजन और ऊंचाई दोनों ही स्तर पर अपनी आयु के हिसाब से कम होते हैं। स्वभाव में यह बच्चे सुस्त और चढ़े होते हैं। इनमें दिमाग का विकास ठीक से नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में इन्हें समस्या आती है। यह बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। कुछ बच्चों में दांत निकलने में भी काफी समय लगता है। बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि शिशु के भोजन में हर प्रकार के आहार को सम्मिलित किया जाएं।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
कुछ घरेलु उपायों के मदद से आप अपने बच्चे की खांसी को तुरंत ठीक कर सकती हैं। लेकिन शिशु के सर्दी और खांसी को थिंक करने के घरेलु उपायों के साथ-साथ आप को यह भी जानने की आवशयकता है की आप किस तरह सावधानी बारात के अपने बच्चे को सर्दी और जुकाम लगने से बचा सकती हैं।
बाजार में उपलब्ध अधिकांश बेबी प्रोडक्ट्स जैसे की बेबी क्रीम, बेबी लोशन, बेबी आयल में आप ने पराबेन (paraben) के इस्तेमाल को देखा होगा। पराबेन (paraben) एक xenoestrogens है। यानी की यह हमारे शारीर के हॉर्मोन production के साथ सीधा-सीधा छेड़-छाड़ करता है। क्या कभी आप ने सोचा की यह आप के शिशु शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुरक्षित है भी या नहीं?
बच्चों के हिचकी का कारण और निवारण - स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद आप के बच्चे को हिचकी आ सकती है। यह होता है एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) की वजह से। नवजात बच्चे का पेट तो छोटा सा होता है। अत्यधिक भूख लगने के कारण शिशु इतना दूध पी लेते है की उसका छोटा सा पेट तन (फ़ैल) जाता है और उसे हिचकी आने लगती है।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
घर पे आसानी से बनायें अवोकाडो और केले की मदद से पौष्टिक शिशु आहार (baby food)| पोटैशियम और विटामिन C से भरपूर, यह शिशु आहार बढते बच्चे के शारीरिक आवश्यकता को पूरी करने के लिए एकदम सही विकल्प है|
बच्चों के नाजुक पाचन तंत्र में लौकी का प्यूरी आसानी से पच जाता है| इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे की कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन A, C. जो बच्चे के पोषण के लिए अच्छा है।
दूध वाली सेवई की इस recipe को 6 से 12 महीने के बच्चों को ध्यान मे रख कर बनाया गया है| सेवई की यह recipe है छोटे बच्चों के लिए सेहत से भरपूर| अब नहीं सोचना की 6 से 12 महीने के बच्चों को खाने मे क्या दें|
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
जो सबसे असहनीय पीड़ा होती है वह है बच्चे को टीका लगवाना। क्योंकि यह न केवल बच्चों के लिए बल्कि माँ के लिए भी कष्टदायी होता है।
बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
अधिकांश बच्चे जो पैदा होते हैं उनका पूरा शरीर बाल से ढका होता है। नवजात बच्चे के इस त्वचा को lanugo कहते हैं। बच्चे के पुरे शरीर पे बाल कोई चिंता का विषय नहीं है। ये बाल कुछ समय बाद स्वतः ही चले जायेंगे।
आपके बच्चे के लिए किसी भी नए खाद्य पदार्थ को देने से पहले (before introducing new food) अपने बच्चे के भोजन योजना (diet plan) के बारे में चर्चा। भोजन अपने बच्चे को 5 से 6 महीने पूरा होने के बाद ही देना शुरू करें। इतने छोटे बच्चे का पाचन तंत्र (children's digestive system) पूरी तरह विकसित नहीं होता है
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
लाल रक्त पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकायों के हीमोग्लोबिन में आयरन होता है। हीमोग्लोबिन ही पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचता है। बिना पर्याप्त आयरन के आपके शरीर में लाल रक्त की कमी हो जाएगी। बहुत से ऐसे भोजन हैं जिससे आयरन के कमी को पूरा किया जा सकता है।