Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺6 min read
D.P.T. का टीका वैक्सीन (D.P.T. Vaccine in Hindi) - हिंदी, - diphtheria, pertussis (whooping cough), and tetanus का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक

D.P.T. का टीका वैक्सीन (D.P.T. Vaccine) भारत सरकार द्वारा जारी अनिवार्य टीकों की सूचि में समलित है। यह टिका 6 महीने से कम उम्र के शिशु को दिया जाता है।
हर साल करीब एक साल से कम उम्र के तीन लाख बच्चे विकासशील देशों में डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) के संक्रमण के कारण मृत्यु के शिकार होते हैं।
ये मुख्यता वो बच्चे हैं जिन्हे D.P.T. का टीका वैक्सीन (D.P.T. Vaccine) या तो नहीं लगाया गया या फिर समय पे नहीं लगाया गया।
इसीलिए आवश्यक है की हर बच्चे को टीकाकरण चार्ट - 2018 के अनुसार समय पे टीका लगवाया जाये और बच्चे को तथा देशो को डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) की महामारी से बचाया जा सके।
D.P.T. का टीका वैक्सीन (D.P.T. Vaccine) शिशु को को तीन जानलेवा बीमारियोँ से बचने केलिए दिया जाता है।
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शिशु को बारह साल (12 years) की उम्र में D.P.T. का बूस्टर खुराक देने की आवश्यकता है। इसके बाद शिशु को हर दस साल के अंतराल पे इस बूस्टर खुराक को देते रहने की आवश्यकता है।
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D.P.T. का टीका लगाने पे कुछ side affects देखने को मिल सकते हैं। यह बेहद आम बात है और इससे घबरानी की कोई आवश्यकता है। D.P.T. के वैक्सीन से होने वाले side affects का मतलब ही यही है की D.P.T. का टीका काम कर रहा है। इस टिके के साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं:
अगर शिशु में ये लक्षण 24 घंटे से लेकर तीन दिनों (72 hours) तक बने रहे तो शिशु के डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। शिशु के त्वचा पे लालीपन टीकाकरण के कुछ दिनों बाद तक बानी रह सकती है और इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं। कुछ दिनों बाद यह स्वतः ठीक हो जाएगी। कुछ बच्चों में जिस जगह पे इंजेक्शन लगाया गया है उस जगह पे गांठ पड़ सकती है। यह भी चिंता का कोई विषय नहीं है। ये गांठ कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक बना रह सकता है।
D.P.T. के टिके कुछ बच्चों में भयंकर दुष्प्रभाव (side effects)। ऐसे इस्थिति में आप को तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए। यहां निचे हम कुछ दुष्प्रभाव (side effects) बता रहें, जिन्हे अगर आप देखें तो तुरंत अपने शिशु को लेके डॉक्टर के पास जाएँ।
अगर शिशु को पहले टीके के दौरान घम्भीर दुष्प्रभाव (side effects) का सामना करना पड़ा हो तो, शिशु को D.P.T. के टिके लगवाने से पहले अपने डोक्टर से संपर्क करें। शिशु विशेषज्ञ डोक्टर आप के शिशु की अवस्था के अनुसार सबसे उपयुक्त सलाह देगा।
सम्पूर्ण जानकारी: D.P.T. का टीका वैक्सीन (D.P.T. Vaccine in Hindi) - हिंदी, - diphtheria, pertussis (whooping cough), and tetanus का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
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गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी लेना, गर्भ में पल रहे शिशु के लिए घातक हो सकता है। कुछ शोध में इस प्रकार के संभावनाओं का पता लगा है कि गर्भावस्था के दौरान सप्लीमेंट के रूप में विटामिन सी का आवश्यकता से ज्यादा सेवन समय पूर्व प्रसव (preterm birth) को बढ़ावा दे सकता है।
जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
शिशु की तिरछी आंखों (Squint eyes) को एक सीध में किस तरह लाया जाये और बच्चे को भैंगापन से बचने के तरीकों के बारे में जाने इस लेख में। अधिकांश मामलों में भेंगेपन को ठीक करने के लिए किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। समय के साथ यह स्वतः ही ठीक हो जाता है - लेकिन शिशु के तीन से चार महीने होने के बाद भी अगर यह ठीक ना हो तो तुरंत शिशु नेत्र विशेषज्ञ की राय लें।
4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।
गर्भावस्था के दौरान बालों का झड़ना एक बेहद आम समस्या है। प्रेगनेंसी में स्त्री के शरीर में अनेक तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिनकी वजह से बालों की जड़ कमजोर हो जाते हैं। इस परिस्थिति में नहाते वक्त और बालों में कंघी करते समय ढेरों बाल टूट कर गिर जाते हैं। सर से बालों का टूटना थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोकी जा सकती है। कुछ घरेलू औषधियां भी हैं जिनके माध्यम से बाल की जड़ों को फिर से मजबूत किया जा सकता है ताकि बालों का टूटना रुक सके।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
शिशु में ठोस आहार की शुरुआत छेह महीने पूर्ण होने पे आप कर सकती हैं। लेकिन ठोस आहार शुरू करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना जरुरी है ताकि आप के बच्चे के विकास पे विपरीत प्रभाव ना पड़े। ऐसा इस लिए क्यूंकि दूध से शिशु को विकास के लिए जरुरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं - लेकिन ठोस आहार देते वक्त अगर ध्यान ना रखा जाये तो भर पेट आहार के बाद भी शिशु को कुपोषण हो सकता है - जी हाँ - चौंकिए मत - यह सच है!
यहां दिए गए नवजात शिशु का Infant Growth Percentile कैलकुलेटर की मदद से आप शिशु का परसेंटाइल आसानी से calculate कर सकती हैं।
औसतन एक शिशु को दिन भर में 1000 से 1200 कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। शिशु का वजन बढ़ने के लिए उसे दैनिक आवश्यकता से ज्यादा कैलोरी देनी पड़ेगी और इसमें शुद्ध देशी घी बहुत प्रभावी है। लेकिन शिशु की उम्र के अनुसार उसे कितना देशी घी दिन-भर में देना चाहिए, यह देखिये इस तलिके/chart में।
सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।
डाक्टर बच्चों को नेबुलाइजर (Nebulizer) की सलाह देते हैं जब बच्चे को बहुत ज्यादा जुखाम हो जाता है जिस वजह से बच्चा रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। नेब्युलाइज़र शिशु में जमे कफ (mucus) को कम करता है और शिशु के लिए साँस लेना आरामदायक बनता है। नेबुलाइजर (Nebulizer) के फायेदे, साइड इफेक्ट्स और इस्तेमाल का तरीका। इसका इस्तेमाल सिस्टिक फाइब्रोसिस, अस्थमा, सीओपीडी और अन्य सांस के रोगों के उपचार के लिए भी किया जाता है।
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
गर्भवती महिलाएं जो भी प्रेगनेंसी के दौरान खाती है, उसकी आदत बच्चों को भी पड़ जाती है| भारत में तो सदियोँ से ही गर्भवती महिलायों को यह नसीहत दी जाती है की वे चिंता मुक्त रहें, धार्मिक पुस्तकें पढ़ें क्योँकि इसका असर बच्चे पे पड़ता है| ऐसा नहीं करने पे बच्चे पे बुरा असर पड़ता है|
29 रोचक और पौष्टिक शिशु आहार बनाने की विधि जिसे आप का लाडला बड़े चाव से खायेगा। ये सारे शिशु आहार को बनाना बहुत ही आसान है, इस्तेमाल की गयी सामग्री किफायती है और तैयार शिशु आहार बच्चों के लिए बहुत पौष्टिक है। Ragi Khichdi baby food शिशु आहार
तीन दिवसीय नियम का सीधा सीधा मतलब यह है की जब भी आप आपने बच्चे को कोई नया आहार देना प्रारम्भ कर रहे हैं तो तीन दिन तक एक ही आहार दें। अगर बच्चे मैं food allergic reaction के कोई निशान न दिखे तो समझिये की आप का बच्चा उस नए आहार से सुरक्षित है
चूँकि इस उम्र मे बच्चे अपने आप को पलटना सीख लेते हैं और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, आप को इनका ज्यादा ख्याल रखना पड़ेगा ताकि ये कहीं अपने आप को चोट न लगा लें या बिस्तर से निचे न गिर जाएँ।
प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।