Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺7 min read
बदलते मौसम में शिशु को सबसे ज्यादा परेशानी बंद नाक की वजह से होता है। शिशु के बंद नाक को आसानी से घरेलु उपायों के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन लेख में आप पढेंगे - How to Relieve Nasal Congestion in Kids?
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इस लेख में आप देखेंगे शिशु के बंद नाक का आसन घरेलु उपाय (How to Relieve Nasal Congestion in Kids).
शिशु के सर्दी और जुकाम को ठीक करना उतना आसान काम भी नहीं है।
यह थोड़ा जटिल है, क्योँकि बड़ों की तरह, शिशु को सर्दी और जुकाम की दवा बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं दिया जा सकता है। सर्दी और जुकाम की आम दवाइयां जा बाजार में उपलब्ध है उनका प्रयोग बड़ों पे किया गया है।
बच्चों पे इसका कितना और क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके बारे में विशेषज्ञों को भी नहीं पता है। इस दिशा में बहुत सा शोध कार्य होना बाकि है।

एक बात और जो आप को समझनी पड़ेगी वो यह है की सर्दी और जुकाम की दवा से सर्दी और जुकाम को ठीक नहीं किया जा सकता है। यह बात बड़ों पे भी लागु होती है।
ऐसा इसलिए क्योँकि सर्दी और जुकाम का संक्रमण विषाणुओं के दुवारा होता है और विषाणुओं (viral infection) पे दवाओं का कोई असर नहीं होता है।
विषाणुओं के संक्रमण को केवल शरीर अपनी रोग प्रतिरोधक छमता दुवारा ही समाप्त कर सकता है। शिशु में रोग प्रतिरोधक बहुत कम होती है।
इसीलिए मौसम के हलके से भी बदलाव से बच्चे बीमार पड़ जाते हैं और एक बार बीमार पड़ गए तो जल्दी ठीक नहीं होता हैं।
शिशु को माँ के दूध से एंटीबाडीज (antibody) मिलता है। यह शिशु के शरीर को रोगों से लड़ने में सक्षम बनता है और शिशु की रोग प्रतिरोधक छमता को मजबूत करता है। यही कारण है की माँ का दूध शिशु के लिए अमृत है।
नियमित स्तनपान करने वाले बच्चे उतना बीमार नहीं पड़ते जितना की दुसरे बच्चे। यही कारण है की आप पाएंगे की कुछ बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं और कुछ बच्चे कभी बीमार नहीं पड़ते हैं।
इसके आलावा अगर आप इन 14 बातों का ख्याल रखें तो आप अपने शिशु को सर्दी और जुकाम से बचा सकती हैं।
शिशु में सर्दी और जुकाम का दो मुख्या कारण है - अलेर्जी और विषाणु का संक्रमण (वायरल इन्फेक्शन)। इन दोनों को घरेलु इलाज के दुवारा ठीक किया जा सकता है।
शिशु का सर्दी और जुकाम वैसे तो 1 से 2 सप्ताह में ठीक हो जाना चाहिए। लेकिन अगर शिशु की सर्दी और जुकाम 7 से 10 दिनों में ठीक न हो तो आप अपने शिशु को आप डॉक्टर के पास लेके जाएँ।
आप को एक बात का और ख्याल रखने है। अगर आप अपने शिशु के सर्दी और खांसी का कोई भी घरेलु उपचार करने का मन बना रही हैं तो पहले शिशु के डॉक्टर से इस बारे में राय अवशय ले लें।
हर शिशु की अवस्था अलग-अलग होती है और केवल एक डॉक्टर जाँच के बाद सही राय दे सकता है।

ठण्ड के दिनों में कमरे की नमी का स्तर बहुत गिर जाता है। शिशु को अगर सर्दी और जुकाम है तो शुष्क वातावरण के कारण उसका नाक और गाला सूखने लगता है। इससे खराश पैदा होता है और शिशु को खांसी आने लगती है। कमरे में humidifier के इस्तेमाल से कमरे की नमी का स्तर नियंत्रित किया जा सकता है। दूसरी बात humidifier के इस्तेमाल से नाक और छाती में जमा कफ (mucus बलगम) पतला हो के बहार आ जाता है और शिशु को बंद नाक की समस्या से भी आराम मिलता है।
शिशु की नाक में दिन में कई बार नेसल ड्राप (saline nasal drops) डालने से उसे बंद नाक की समस्या से आराम मिलता है। इसका इस्तेमाल आप तब तक करें जब तक की शिशु की बंद नाक की समस्या पूरी तरह से समाप्त न हो जाये।

बाजार में मिलने वाले नेसल ड्राप में नमक का पानी होता है। इसे घर पे आसानी से बनाया जा सकता है। लेकिन आप इसे घर पे न बनाये। बल्कि बाजार से खरीद के इस्तेमाल करें। घर पे बनाते वक्त इसमें संक्रमण के लगने की सम्भावना रहती है।
शिशु को गरम पानी का भाप देने का एक बहुत ही आसान तरीका है की बाथरूम में गरम पानी का टैप खोल दीजिये, कुछ देर में जब स्नानघर भाप से भर जाये तो अपने शिशु को गोदी में लेके 15 मिनट बाथरूम के गुजारें। इतना समय काफी होता है शिशु के कंजेस्शन (nasal congestion) को तोड़ने के लिए।

शिशु को गरम पानी के पास कभी भी अकेला न छोड़ें। अगर आप एक बर्तन में गरम पानी ले के अपने शिशु को भाप दिला रही हैं तो पूरी सावधानी बरतें। बच्चे बहुत चंचल होते हैं, कहीं ऐसा न हो की उनके हाथों के ठोकर से गरम पानी का बारात गिर जाये।
बहुत छोटे बच्चे नाक नहीं छिनक सकते हैं। अगर आप उन्हें सिखाएं, तो भी बहुत से बच्चे चार साल तक की उम्र तक नाक छिनकना नहीं सिख पाते हैं।


ड्रॉपर की तरह दिखने वाला रबर का सोख्ता (rubber bulb syringe) आता है। इसे शिशु की नाक में डाल के आसानी से कफ (congestion) को बहार खिंचा जा सकता है। कफ (congestion) बहार आ जाने से शिशु फिर से आसानी से साँस लेने में सक्षम हो जाता है।
कुछ दिनों के लिए जब तक की आप के शिशु की सर्दी खांसी और बंद नाक की समस्या पूरी तरह ठीक न हो जाये, शिशु के कमरे की खड़कियोँ और दरवाजों को बंद रखें।

बदलते मौसम में वातावरण में हर-तरफ परागकण (pollen) मौजूद रहता है। परागकण (pollen) का वयस्कों में कोई खास असर नहीं पड़ता है। लेकिन परागकण (pollen) के संपर्क में आते ही बच्चों में एलर्जी पैदा हो जाता है।
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वातावरण में परागकण (pollen) मौजूद है या नहीं, यह अंदाजे से पता लगाना न मुमकिन है। अगर आप अपने शिशु के कमरे की खिड़की और दरवाजों को कुछ दिनों के लिए बंद कर दें, और अगर आप का शिशु की सेहत में दो दिनों के अंदर सुधर दिखने लगे तो इसका मतलब आप के शिशु को बदलते मौसम में परागकण (pollen) की वजह से सर्दी, जुकाम, खांसी और बंद नाक की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ सालों के बाद आप का शिशु इतना बड़ा हो जायेगा की उस पे परागकण (pollen) का कोई असर नहीं होगा, लेकिन तब तक जितना हो सके अपने शिशु को परागकण (pollen) और वातावरण में मौजूद दुसरे अलेर्जी के कारणों से अपने बच्चे को बचा के रखें।
सुनने में अटपटा लगेगा और शायद आप को विश्वास न हो लेकिन जुकाम और बंद नाक की समस्या में शिशु को पानी पिलाते रहने से उसका सर्दी और जुकाम जल्दी ठीक हो जाता है।

अगर शिशु का शरीर अच्छी तरह हाइड्रेटेड है तो वो आसानी से सर्दी और जुकाम के संक्रमण को शरीर से बहार निकलने में सहायता करेगा। सर्दी जुकाम को ठीक करने के लिए पानी एक अचूक दावा है। अगर आप का शिशु छह महीने से छोटा है तो शिशु को स्तनपान के दुवारा हाइड्रेटेड रखें। छह महीने से छोटे शिशु को पानी न पिलायें।
दवाइयां जैसे की ibuprofen और acetaminophen का इस्तेमाल आम तौर पे सर्दी और जुकाम को ठीक करने के लिए किया जाता है।

लेकिन छह महीने से छोटे शिशु को यह दवाइयां न दें। छह महीने से बड़े बच्चों को भी यह दवाइयां न दें। जब स्थिति बहुत गंभीर हो और इन दवाइयां के आलावा कोई दूसरा विकल्प न हो तो डॉक्टर के राय (प्रिस्क्रिप्शन) के आधार पे शिशु को यह दवाइयां दें। अगर आप के शिशु को तीन दिनों से बुखार है - या शिशु का बुखार 100.2° F से ज्यादा है तो भी अपने शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास लेके जाएँ।
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प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
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इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine in Hindi) - हिंदी, - इन्फ्लुएंजा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक