Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
जब बच्चे का जन्म होता है तो पूरा घर खुशियों से भर जाता है!
बच्चे के माँ-बाप के लिए तो मानो जिंदगी का मकसद मिल गया।
माँ के लिए जहाँ ये पल बहुत खुशियां भरा होता है - वही छोटे बच्चे से जुडी जिम्मेदारियां का एहसास थोड़ा परेशान करने वाला भी होता है।
अगर आप अभी अभी माँ बनी हैं तो शायद आप यह सोच रही होंगीं की अपने बच्चे की परवरिश कैसे करें - और सबसे जरुरी तो ये की बच्चे का अच्छी तरह ख्याल कैसे रखें ताकि बच्चा बीमार न पड़े, और उसका शारीरक और मानसिक विकास बहुत बेहतर ढंग से हो सके।
इसके आलावा दैनिक जीवन में भी बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी।
आप के इन सवालों का जवाब एक शिशु रोग विशेषज्ञ (डॉक्टर) से बेहतर और कौन दे सकता है।
लेकिन होता यह ही की जब आप अपने नवजात बच्चे को डॉक्टर के पास लेके जाती हैं तो वो आप के बच्चे के जाँच में इतना व्यस्त होता है और आप से बच्चे के सम्बन्ध में सवाल पूछता है की माएँ डॉक्टर से वो सवाल पूछना भूल जाती हैं जिन्हे वे अक्सर पूछना चाहती है।
इस स्थिति से आप बच सकती हैं।
अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
एक नवजात बच्चे की माँ होना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। नवजात बच्चे को संभालना बहुत मुश्किलों भरा काम होता है। माताएं अक्सर ठीक से सो नहीं पाती हैं, कई दिनों के थकान से बुरी तरह परेशान रहती हैं।
इसके आलावा delivery के बाद माँ के शरीर में तेज़ी से हो रहे बदलाव के कारण इतनी बेहतर मनोस्थिति में नहीं होती हैं की डॉक्टर से जरुरी सवाल पूछ सके।
अगर आप भी ऐसी ही दौर से गुजर रही हैं तो आप के जीवन को थोड़ा सा सरल बनाने के लिए हमने प्रश्नो की सूची त्यार की है।
ये वो सवाल हैं जिन के जवाब हर माँ को बच्चे के डॉक्टर से पहली या दूसरी मुलाकात में पूछना चाहिए। इससे बच्चे की देखभाल करना बहुत आसान हो जाता है।
How much should I feed my newborn baby?
यह एक ऐसा सवाल है जो हर नवजात की माँ को परेशान करता है। भारतीय शिशु रोग विशेषज्ञों (Indian pediatrician) के अनुसार आप को अपने शिशु को पहले छह महीने (first six month) केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। शिशु को इस दौरान पानी तक नहीं देना चाहिए और न ही कोई अन का दाना। ऐसा नहीं करने पे शिशु के स्वस्थ पे बुरा असर पड़ता है और उसका पाचन तंत्र जो अभी विकसित नहीं है उसपर अतरिक्त भार पड़ता है और जिंदगी भर के लिए पाचन-तंत्र सम्बन्धी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
अगर आप सोच रही हैं की अपने डॉक्टर से कैसे पूछें की बच्चे को कितना दूध पिलाना है - तो आप अपने सवाल को इस तरह भी पूछ सकती है।
हालाँकि स्तनपान और formula milk के दुवारा नवजात शिशु को जरुरत का सारा पोषक तत्त्व मिल जाता है। लेकिन विटामिन डी ही एक ऐसा पोषक तत्त्व है जो शिशु को उसके आहार से पूरी तरह नहीं मिल पता है।
विटामिन डी शिशु के स्वस्थ विकास और अच्छी सेहत के लिए बहुत अच्छा है। विटामिन डी शिशु के हड्डियों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके साथ-साथ विटामिन डी शिशु के शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) को भी मजबूत बनता है।
शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार नवजात शिशु को अच्छी स्वस्थ के लिए हर दिन विटामिन डी की कम-से-कम 400 IU खुराख मिलनी चाहिए। शिशु रोग विशेषज्ञ इस बात पे भी जोर देते हैं की विटामिन डी इतनी मात्रा केवल स्तनपान के जरिये संभव नहीं है - विशेष कर ठण्ड और जाड़े के मौसम में। इसीलिए अपने शिशु के डॉक्टर से यह सुनिश्चित कर ले की आप के शिशु को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल रहा है।
अगर आप का शिशु स्तनपान के बजाय formula milk जो की विटामिन डी से fortified की गयी है, पीता है तो उम्मीद है की उसे विटामिन डी की पूरी खुराख दैनिक स्तर पे मिल पा रही है। अगर आप का शिशु हर दिन कम-से-कम 32 ounces formula milk पीता है तो उसे विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा मिल जाएगी।
शायद आप ने SIDS (sudden infant-death syndrome) के बारे में सुना होगा। कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं जहाँ नवजात शिशु रात को सोते - सोते अचानक से बिना किसी कारण के मृत्यु को प्राप्त कर जाते हैं। भारत में SIDS (sudden infant-death syndrome) की घटनाएं दुसरे देशों के तुलना में कम देखने को मिलती हैं। मगर फिर-भी अतिहत के तौर पे आप अपने डॉक्टर से इसके बारे में चर्चा कर सकती हैं।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार शिशु को SIDS (sudden infant-death syndrome) की घटना से बचाने के लिए उसे पेट के बल लेटना सर्वोत्तम है। इसके आलावा शिशु के सोते वक्त और भी बहुत सी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
शिशु की सुरक्षा से सम्बंधित सवाल जैसे की शिशु आप के बगल में सोता है या पलने में - और भी बहुत सारे सवाल जो आप के ध्यान में आये, उनकी सूची त्यार कर लें और उन सब से जुडी शिशु की सुरक्षा की बातें अपने डॉक्टर से चर्चा करें - ताकि आप का बच्चा सुरक्षित और आरामदायक नींद सो सके।
जब बच्चा बिस्तर पे सो रहा होता है या बिस्तर पे खेल रहा होता है तो अक्सर इस बात की सम्भावना बनी रहती है की कही शिशु खेलते- खेलते या सोते-सोते करवट बदलते वक्त कहीं गलती से बिस्टेर से निचे न गिर जाये। आप अपने शिशु को बिस्तर से निचे गिरने से बचाने के लिए guardrail का इस्तेमाल कर सकती हैं।
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