Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।

ठण्ड का मौसम जहाँ गर्मियों से छुटकारा दिलाता है वहीँ, बच्चों के लिए कुछ और समस्या भी लेके आता है।
ठंडियों के मौसम में बच्चे बहुत आसानी से बीमार पड़ जाते हैं।
इसीलिए सर्दियों का मौसम माँ-बाप के लिए विशेषकर बहुत चुनौतिपूर्ण होता है।
आप को हर तरह से यह सुनिश्चित करना होता है की कहीं आप के बच्चे बीमार न पड़ जाएँ।
लेकिन सारी सावधानियों के बाद भी बच्चे बीमार पड़ ही जाते हैं। चाहे आप जो भी कर लें लेकिन सर्दी, जुकाम और बंद नाक की समस्या से आप बच्चों को नहीं बचा सकती हैं।
जन्म के पहले तीन साल बच्चे लाख जतन के बाद भी आसानी से बीमार पड़ जाते हैं। बच्चों का रोग प्रतिरोधक तंत्र बहुत कमजोर होता है।
लेकिन हर बार बीमारी के ठीक होने के बाद बच्चों का रोग प्रतिरोधक तंत्र पहले से ज्यादा मजबूत हो जाता है।

बच्चों के सर्दी, खांसी और जुकाम पे मैंने विस्तार से लेख लिखा है जिसे आप यहां पढ़ सकती हैं। लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे को सर्दियों में बुखार से बचा सकती हैं।
यह लेख हम सर्दियों के मौसम में विशेषकर उन माँ-बाप के लिए ले के आएं है जो ठण्ड के दिनों में अपने बच्चों को बुखार से बचाना चाहते हैं।
शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
हम आप को बताने जा रहे हैं कुछ सावधानियां, जिनका अगर आप ध्यान रखें तो आप के बच्चे स्वस्थ रहेंगे और बीमार भी कम पड़ेंगे। हम आप को 7 Tips बताने जा रहे हैं जिनकी सहायता से आप अपने शिशु को सर्दी के मौसम में बुखार से बचा सकेंगी। लेकिन सबसे पहले सबसे जरुरी बात। आप अपने शिशु को समय पे सभी टिके लगवाएं। इससे आप का बच्चा बहुत से जानलेवा बिमारियौं से बचा रहेगा।

बच्चों को बीमारी के चपेट में पड़ने से बचने का यह सबसे आसान और सबसे प्रभावी तरीका है। अगर बच्चों का हाथ साफ़ रहेगा तो उन्हें संक्रमण नहीं लगेगा। बच्चे खेलते खेलते दिन भर में कई बार अपने चेहरे को छूते हैं और हातों को मुँह में डालते हैं। बच्चों को नियमित तौर पे हाथ धोना सिखाएं। बच्चों को साबुन की मदद से हाथ कैसे अच्छी तरह धोते हैं - यह भी सिखाएं। बच्चों को बताएं की जब भी वे टॉयलेट (toilet) जाएँ, अपने हातों को अवशय धो लें।

नाक छिनकने के दुवारा संक्रमण दूसरों में बहुत तेज़ी से फैलता है। इसीलिए यह जरुरी है की बच्चों को सिखाया जाये की वे अपनी नाक को किस तरह से रूमाल के जरिये साफ़ करें ताकि उनके दुवारा संक्रमण दूसरों में न फैले। साथ ही नियमित रूप से हातों को साफ़ करते रहने से, संक्रमण की सम्भावना पूरी तरह से समाप्त हो सकती है।

अपने सामानों को दूसरों में बांटना एक अच्छा संस्कार है। लेकिन जब वे बीमार हों तब - बिलकुल नहीं। अपने बच्चों को सिखाएं की वे अपने सभी सामानों को दुसरे बच्चों के साथ बाटें, लेकिन अपने आहार और पानी को छोड़ के।
अपने बच्चों को यह भी बताएं की वे दुसरे बच्चों के आहार को या पानी को न पियें। कहीं ऐसा न हो की अनजाने में आप के बच्चे किसी बीमार बच्चे के साथ आहार और पानी साझा कर बैठें। आप के बच्चे न तो किसी को अपना आहार दें और न ही किसी दुसरे बच्चे का आहार खाएं।

संतुलित आहार एक बेहतर तरीका है संक्रमण से लड़ने का। आहार जिसमे Vitamin C भरपूर मात्रा में होती है, आप के शिशु के रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) को मजबूत बनाती है। साथ ही शरीर को जल्द स्वस्थ होने में सक्षम बनाती है। बहुत सरे फल ऐसे हैं जैसे की संतरा और कीवी जिस में Vitamin C प्रचुर मात्रा में होता है। लेकिन संतुलित आहार का मतलब केवल Vitamin C तक ही सिमित नहीं है। संतुलित आहार से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी के लिए ये लेख पढ़ें।

जा बच्चे नियमित तौर पे व्यायाम करते हैं उनका रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) बहुत मजबूत रहता है। ये बच्चे बौद्धिक तौर पे भी बहुत मजबूत रहते हैं। अपने शिशु में नियमित व्यायाम का आदत डालिये। साथ में बच्चों को खेल कूद के लिए भी प्रेरित करें।
जो बच्चे व्यायाम नहीं करते हैं, वे या तो बहुत वजनी होते हैं या फिर वे शारीरिक तौर पे बहुत कमजोर होते हैं। बच्चों के लिए यह दोनों ही स्थिति अच्छी नहीं है। ज्यादा वजनी होने से शिशु को तमाम तरह की बीमारियां घेरी रहेंगी।
अत्यधिक वजन होने से शिशु को साँस लेने में भी कठिनाई होगी। तो आप अपने तरफ से यह कोशिश करें की आप के बच्चे का वजन उसके उम्र और उसके लम्बाई के अनुपात में हो। अगर आप के बच्चे का वजन सही है, तो वो आसानी से बीमार नहीं पड़ेगा। आप के शिशु का सही वजन कितना होना चाहिए, इस calculator में पता करें।
अगर आप के शिशु का वजन कम है तो भी स्वस्थ संबधी बहुत सी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए आप को शिशु का वजन बढ़ाने से सम्बंधित कारगर उपाय करने चाहिए।

आप की तमाम कोशिशों के बाद भी अगर आप का शिशु बीमार पड़ जाये तो आप उसे खूब आराम करने दें। सोते वक्त शरीर बहुत दक्षता के साथ संक्रमण से लड़ता है। सोते वक्त शरीर अपनी सारी ऊर्जा संक्रमण से लड़ने में इस्तेमाल करती है।
बीमार पड़ने पे आप का शिशु जितना ज्यादा आराम करेगा, उतना जल्दी ठीक हो सकेगा। बाल शिशु रोग विशेषज्ञों की माने तो जो बच्चे कम उम्र में ज्यादा संक्रमण के संपर्क में आते हैं (यानी की ज्यादा बीमार पड़ते है), उनका रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) औरों से ज्यादा मजबूत और बेहतर बनता है।

ऐसे बहुत से माँ-बाप हैं जो अपने बच्चों को पूर्ण रूप से ठीक होने से पहले ही स्कूल या day care भेज देते हैं। ये बिलकुल भी सही बात नहीं है। इससे दुसरे बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप का शिशु बीमार है तो जब तक की आप का शिशु पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाये उसे स्कूल या day care न भेजें।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
खांसी और जुकाम आमतौर पर सर्दी के वायरस के संक्रमण के कारण होता है। ये आम तौर पर अपने आप दूर हो जाते हैं, और एंटीबायोटिक दवाएं आमतौर पर किसी काम की नहीं होती हैं। पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन कुछ लक्षणों को कम कर सकते हैं। ध्यान रखें की आप के बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पीने मिल रहा है।
अधिकांश मां बाप को इस बात के लिए परेशान देखा गया है कि उनके बच्चे सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं। शायद यही वजह है कि भारत में आज बड़ी तादाद में बच्चे कुपोषित हैं। पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां शिशु के शरीर में कई प्रकार के पोषण की आवश्यकता को पूरा करते हैं और शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सब्जियों से मिलने वाले पोषक तत्व अगर शिशु को ना मिले तो शिशु का शारीरिक विकास रुक सकता है और उसकी बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। हो सकता है शिशु शारीरिक रूप से अपनी उचित लंबाई भी ना प्राप्त कर सके। मां बाप के लिए बच्चों को सब्जियां खिलाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अक्षर मां बाप यह पूछते हैं कि जब बच्चे सब्जियां नहीं खाते तो किस तरह खिलाएं?
बच्चे के जन्म के बाद माँ को ऐसे आहार खाने चाहिए जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, स्तनपान के लिए आवश्यक मात्र में दूध का उत्पादन में सहायता। लेकिन आहार ऐसे भी ना हो जो माँ के वजन को बढ़ाये बल्कि गर्भावस्था के कारण बढे हुए वजन को कम करे और सिजेरियन ऑपरेशन की वजह से लटके हुए पेट को घटाए। तो क्या होना चाहिए आप के Diet After Pregnancy!
शिशु में ठोस आहार की शुरुआत छेह महीने पूर्ण होने पे आप कर सकती हैं। लेकिन ठोस आहार शुरू करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखना जरुरी है ताकि आप के बच्चे के विकास पे विपरीत प्रभाव ना पड़े। ऐसा इस लिए क्यूंकि दूध से शिशु को विकास के लिए जरुरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं - लेकिन ठोस आहार देते वक्त अगर ध्यान ना रखा जाये तो भर पेट आहार के बाद भी शिशु को कुपोषण हो सकता है - जी हाँ - चौंकिए मत - यह सच है!
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
शिशु को 6 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेपेटाइटिस बी और इन्फ्लुएंजा से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु को बहुत छोटी उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात शिशु से ले कर एक साल तक की उम्र के बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता ही वो अपने शरीर का तापमान वयस्कों की तरह नियंत्रित कर सकें। इसलिए यह जाना बेहद जरुरी है की बच्चे को किस उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) दिया जा सकता है।
कोलोस्ट्रम माँ का वह पहला दूध है जो रोगप्रतिकारकों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है जो नवजात शिशु के मांसपेशियोँ को बनाने में मदद करती है और नवजात की रोग प्रतिरक्षण शक्ति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
उपमा की इस recipe को 6 month से लेकर 12 month तक के baby को भी खिलाया जा सकता है। उपमा बनाने की सबसे अच्छी बात यह है की इसे काफी कम समय मे बनाया जा सकता है और इसको बनाने के लिए बहुत कम सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप 10 से 15 मिनट मे ही बना लेंगे।
6 से 7 महीने के बच्चे में जरुरी नहीं की सारे दांत आये। ऐसे मैं बच्चों को ऐसी आहार दिए जाते हैं जो वो बिना दांत के ही आपने जबड़े से ही खा लें। 7 महीने के baby को ठोस आहार के साथ-साथ स्तनपान करना जारी रखें। अगर आप बच्चे को formula-milk दे रहें हैं तो देना जारी रखें। संतुलित आहार चार्ट
अधिकांश बच्चे जो पैदा होते हैं उनका पूरा शरीर बाल से ढका होता है। नवजात बच्चे के इस त्वचा को lanugo कहते हैं। बच्चे के पुरे शरीर पे बाल कोई चिंता का विषय नहीं है। ये बाल कुछ समय बाद स्वतः ही चले जायेंगे।
हर मां बाप अपने बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना चाहते हैं जिससे उनके शिशु को कभी भी कुपोषण जैसी गंभीर समस्या का सामना ना करना पड़े और उनके बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास बेहतरीन तरीके से हो सके। अगर आप भी अपने शिशु के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह समझना पड़ेगा किस शिशु को कुपोषण किस वजह से होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कुपोषण क्या है और यह किस तरह से बच्चों को प्रभावित करता है (What is Malnutrition & How Does it Affect children?)।
एम एम आर (मम्प्स, खसरा, रूबेला) वैक्सीन (MM R (mumps, measles, rubella vaccine) Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मम्प्स, खसरा, रूबेला का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
सब्जियौं में ढेरों पोषक तत्त्व होते हैं जो बच्चे के अच्छे मानसिक और शारीर विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब शिशु छेह महीने का हो जाये तो आप उसे सब्जियों की प्यूरी बना के देना प्रारंभ कर सकती हैं। सब्जियों की प्यूरी हलकी होती है और आसानी से पच जाती है।
अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।
छोटे बच्चों के लिए शहद के कई गुण हैं। शहद बच्चों को लम्बे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। शदह मैं पाए जाने वाले विटामिन और मिनिरल जखम को जल्द भरने में मदद करते है, लिवर की रक्षा करते हैं और सर्दियों से बचते हैं।
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।
मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।