Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
दूध पिने के बाद बच्चा उलटी कर देता है| बच्चे को दूध पिलाने के बाद डकार अवश्य दिलाना चाहिए| दूध पीते वक्त बच्चे के पेट में हवा चली जाती है| इस कारण बच्चे को गैस की समस्या का सामना करना पड़ता है| बच्चे को डकार दिलाने से उलटी (vomit) और हिचकी (बेबी hiccups) की समस्या से बचा जा सकता है|
नवजात बच्चे का पेट मोतीचूर के लड्डू से भी छोटा होता है। इतने छोटे पेट में बहुत थोड़ा सा ही खाना आ सकता है। इसीलिए माँ का पहला दूध गाहड़ा पिले रंग का होता है जिसे कोलोस्ट्रम (colostrum) कहते हैं। इसमें पोषक तत्त्व बहुत घनिष्ट मात्रा में होता है। ताकि थोड़ी सी मात्रा भी बच्चे के लिए बहुत हो जाये।
इतना छोटा पेट होने की वजह से डॉक्टर सलाह देते हैं की बच्चे को हर थोड़े-थोड़े देर में थोड़ा-थोड़ा दूध पिलाते रहें (go for smaller and frequent feeds to prevent acid reflux)। चूँकि पेट छोटा होता है इसीलिए ज्यादा दूध पिने पे बच्चे को उलटी हो जाता है। बच्चे को हिचकी (बेबी hiccups) भी इसी कारण से आता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है उसका आंत भी बड़ा होता है और उलटी (vomit) और हिचकी (बेबी hiccups) की समस्या भी समाप्त हो जाती है।
उलटी (vomit) और हिचकी (बेबी hiccups) की समस्या केवल इसलिए नहीं होती की बच्चे का पेट छोटा है। बल्कि इसलिए भी होता है क्योँकि दूध पीते वक्त बच्चे हवा ही घोंट जाते हैं। छोटे पेट में हवा भर जाने की वजह से उसमे दूध के लिए जगह नहीं होती और बच्चे को उलटी हो जाती है। दूध पिलाने के बाद डकार दिलाने से अंदर फांसी हवा (gas) बहार निकल जाती है।

स्तनपान करने के बाद डकार दिलवाना उतना जरुरी नहीं है। लेकिन यदि बच्चा बोतल से दूध पिये तो उसे डकार अवश्य दिलाना चाहिए। बोतल से दूध पीते वक्त हवा भी बच्चे के पेट में चली जाती है। इस तरह पेट में गयी हवा के कारण बच्चो को गैस की समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में गयी अत्यधित गैस बच्चे के लिए काफी तकलीफदेह हो सकती है। इससे शिशु के पेट में दर्द भी हो सकता है। कई बार छोटे बच्चे इस वजह से भी रोते हैं।
दूध पिलाने के बाद नवजात बच्चे को माँ डकार दिलवाती है ताकि पेट में फसा गैस बहार आ जाये। बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती कुछ महीने तक शिशु को दूध पिलाने के बाद, सही तरीकें से डकार दिलवाना जरुरी है।

Tips for baby burping/how to help baby to take burp/how to burp a baby?
This video will show how to help a baby burp, various burping positions and techniques.
How to help burp a newborn in hindi
बच्चों का डकार न आना एक बड़ी समस्या है जिससे माँ और बच्चा दोनों परेशान रहते हैं। इस video में आप देखेंगे कुछ आसान तरीके बच्चों को डकार दिलाने के.
Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
जानिए की आप अपनी त्वचा की देखभाल किस तरह कर सकती हैं की उन पर झुर्रियां आसानी से ना पड़े। अगर ये घरेलु नुस्खे आप हर दिन आजमाएंगी तो आप की त्वचा आने वाले समय में अपने उम्र से काफी ज्यादा कम लगेंगे।
जलशीर्ष यानी Hydrocephalus एक गंभीर बीमारी है जो शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है और उसके मस्तिष्क को हमेशा के लिए नुक्सान पहुंचा सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बारत कर आप अपने शिशु को जलशीर्ष (Hydrocephalus) से बचा सकती हैं।
दांतों का दर्द बच्चों को बहुत परेशान कर देने वाला होता है। इसमें ना तो बच्चे ठीक से कुछ खा पाते हैं और ना ही किसी अन्य शारीरिक क्रिया में उनका मन लगता है। दांतों में दर्द की वजह से कभी कभी उनके चेहरे भी सूख जाते हैं। अगर शिशु के शरीर किसी अन्य हिस्से पर कोई चोट लगे तो आप उस पर मरहम लगा सकती हैं लेकिन दातों का दर्द ऐसा है कि जिसके लिए आप शिशु को न तो कोई दवाई दे सकती हैं और ना ही किसी स्प्रे का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसी वजह से बच्चों के दातों का इलाज करना बहुत ही चुनौती भरा काम है।
डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शिशु को एलर्जी नहीं है, तो आप उसे 6 महीने की उम्र से ही अंडा खिला सकती हैं। अंडे की पिली जर्दी, विटामिन और मिनिरल का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु को वासा और कोलेस्ट्रॉल, जो उसके विकास के लिए इस समय बहुत जरुरी है, भी मिलता है।
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
अगर आप के बच्चे को बुखार है और बुखार में तेज़ दर्द भी हो रहा है तो तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएँ। बुखार में तेज़ दर्द में अगर समय रहते सही इलाज होने पे बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। मगर सही इलाज के आभाव में बच्चे की हड्डियां तक विकृत हो सकती हैं।
स्मार्ट फ़ोन के जरिये माँ-बाप अपने बच्चे के संपर्क में २४ घंटे रह सकते हैं| बच्चे अगर स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से करे तो वो इसका इस्तेमाल अपने पढ़ाई में भी कर सकते हैं| मगर अधिकांश घटनाओं में बच्चे स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल समझदारी से नहीं करते हैं और तमाम समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ता है|
मसूर दाल की खिचड़ी एक अच्छा शिशु आहार है (baby food)| बच्चे के अच्छे विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरतों की पूर्ति होती है। मसूर दाल की खिचड़ी को बनाने के लिए पहले से कोई विशेष तयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जब भी आप के बच्चे को भूख लगे आप झट से 10 मिनट में इसे त्यार कर सकते हैं।
शिशु के कपडे को धोते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि कीटाणुओं और रोगाणुओं को बच्चों के कपडे से पूरी तरह ख़त्म किया जा सके और बच्चों के कपडे भी सुरक्षित रहें| शिशु के खिलौनों को भी समय-समय पे धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा ख़त्म हो सके|
रागी का हलुवा, 6 से 12 महीने के बच्चों के लिए बहुत ही पौष्टिक baby food है। 6 से 12 महीने के दौरान बच्चों मे बहुत तीव्र गति से हाड़ियाँ और मासपेशियां विकसित होती हैं और इसलिए शरीर को इस अवस्था मे calcium और protein की अवश्यकता पड़ती है। रागी मे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों ही बहुत प्रचुर मात्रा मैं पाया जाता है।
11 महीने के बच्चे का आहार सारणी इस तरह होना चाहिए की कम-से-कम दिन में तीन बार ठोस आहार का प्रावधान हो। इसके साथ-साथ दो snacks का भी प्रावधान होना चाहिए। मगर इन सब के बावजूद आपके बच्चे को उसके दैनिक जरुरत के अनुसार उसे स्तनपान या formula milk भी मिलना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
आज के दौर के बच्चे बहुत egocentric हो गए हैं। आज आप बच्चों को डांट के कुछ भी नहीं करा सकते हैं। उन्हें आपको प्यार से ही समझाना पड़ेगा। माता-पिता को एक अच्छे गुरु की तरह अपने सभी कर्तव्योँ का निर्वाह करना चाहिए। बच्चों को अच्छे संस्कार देना भी उन्ही कर्तव्योँ में से एक है।
दांत का निकलना एक बच्चे के जिंदगी का एहम पड़ाव है जो बेहद मुश्किलों भरा होता है। इस दौरान तकलीफ की वजह से बच्चे काफी परेशान करते हैं, रोते हैं, दूध नहीं पीते। कुछ बच्चों को तो उलटी, दस्त और बुखार जैसे गंभीर लक्षण भी देखने पड़ते हैं। आइये जाने कैसे करें इस मुश्किल दौर का सामना।
हर प्रकार के आहार शिशु के स्वस्थ और उनके विकास के लिए ठीक नहीं होता हैं। जिस तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए सही तो उसी तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए बुरे भी होते हैं। बच्चों के आहार को ले कर हर माँ-बाप परेशान रहते हैं।क्योंकि बच्चे खाना खाने में बहुत नखड़ा करते हैं। ऐसे मैं अगर बच्चे किसी आहार में विशेष रुचि लेते हैं तो माँ-बाप अपने बच्चे को उसे खाने देते हैं, फिर चाहे वो आहार शिशु के स्वस्थ के लिए भले ही अच्छा ना हो। उनका तर्क ये रहता है की कम से कम बच्चा कुछ तो खा रहा है। लेकिन सावधान, इस लेख को पढने के बाद आप अपने शिशु को कुछ भी खिलने से पहले दो बार जरूर सोचेंगी। और यही इस लेख का उद्देश्य है।