Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺5 min read
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।

अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो यह चिंता का विषय है। बच्चे के जन्म से लेकर तीन साल तक का समय बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
बच्चे को अगर उसके आहार से सभी मिनरल्स और विटामिन्स मिल रहे हैं तो उसका विकास सुचारु रूप से होगा।
परन्तु,
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। इससे बच्चे का विकास बुरी तरह प्रभावित होता है और इसका खामियाजा बच्चे को जिंदगी भर के लिए चुकाना पड़ सकता है।
जिन बच्चों का वजन कम होता है उन्हें इन्फेक्शन भी बड़े आसानी से लग जाता है। यानी कम वजन वाले बच्चे बीमार भी जल्दी जल्दी पढते हैं।
सबसे पहले तो आप यह सुनिश्चित करिए की यह आप का वहम नहीं है और आप के बच्चे का सही में वजन नहीं बढ़ रहा है।
आप के बच्चे का कितना वजन होना चाहिए - यह जानने के लिए आपको Baby Growth Chart (height - weight calculator) देखना पड़ेगा। Baby Growth Chart (height - weight calculator) से आप को पता चलेगा की आप के बच्चे के लिए उसके उम्र के अनुसार सही लंबाई और वजन क्या होनी चाहिए।
बच्चे का वजन कितना होना चाहिए - यह जानने के लिए यहाँ click करें - लंबाई और वजन का चार्ट।
बच्चे का लंबाई और वजन का चार्ट देखने के बाद अगर यह सुनिश्चित हो जाये की आप के बच्चे का सही में वजन नहीं बढ़ रहा है तो निचे बताये गये तरीकों पे आपको ध्यान देना पड़ेगा।
अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो पहले आप यह जाने की आप के बच्चे का वजन क्यों नहीं बढ़ रहा है। अगर आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो उसके बहुत से कारण हो सकते हैं।
एक बार आपको सही कारण का पता चल जाये जिसकी वजह से आप के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है तो आप बच्चे का वजन बढाने के लिए सही दिशा में कदम उठा सकती हैं।
यूँ तो बच्चे के वजन नहीं बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे मुख्या कारण है बच्चे को पौष्टिक आहार का न मिलना।
अगर बच्चे का वजन पौष्टिक आहार के न मिलने से बढ़ना रुक गया है तो सावधान हो जाइये क्योँकि इसका मतलब बच्चे को कुपोषण हो रहा है।
कुपोषण के कारण शारीरिक और दिमागी विकास में आई रूकावट का असर बच्चे पे जिंदगी भर पड़ सकता है। आप अपने शिशु को वो आहार देना प्रारम्भ करें जो बढ़ाएंगे आपके शिशु का वजन।
अगर शिशु छह महीने या उससे कम का है तो उसे हर दो घंटे पे स्तनपान कराएं। अगर बच्चा बड़ा है तो उसे दाल, खिचड़ी, चावल, फल और बिस्कुट हर थोड़ी थोड़ी देर में खाने को देते रहें।
बच्चों के लिए विभिन प्रकार के आहार बनाने की रेसिपी आप यहां देख सकते हैं। बच्चे को वो आहार न दें जिसे बाल रोग विशेषज्ञ और स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों के देने से मना करते हैं।
ठीक तरह से साफ सफाई का ध्यान ना रखने के कारण भी बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है, वो इधर उधर जमीन पे चलना और खेलने शुरू करता है।
अगर फर्श गन्दा है तो बच्चे के बीमार पड़ने की सम्भावना बनी रहती है। अगर इस समय बच्चे पे ध्यान ना दिया जाये तो वो जमीन पर से कुछ भी उठा के मुँह में डाल सकता है - जैसे की गंदे खिलौने।
इस उम्र में बच्चे पे बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चे का बार-बार बीमार पड़ना भी कुपोषण का एक कारण है।
नवजात बच्चे से ले कर तीन साल तक की उम्र के बच्चों को बड़ों की तुलना में ज्यादा सोने की आवश्यकता है। नवजात बच्चे को दिन मैं कम से कम २० घंटे सोने की आवश्यकता है।
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा उसे कम सोने की आवश्यकता पड़ेगी। जब बच्चा सोते वक्त आराम करता है तो उसके उत्तक्कों और मांसपेशियोँ का विकास होता है।
अगर विकास सही दिशा में हो रही हो तो बच्चे का वजन भी बढ़ता है। आप का बच्चा जितना सोना चाहे उसे सोने दें। सोना उसके लिए बहुत अच्छा है।
अगर आप का बच्चा आसानी से नहीं सोता है तो आप ये कारगर तरीके आपना सकती हैं।
गन्दी जगहों पे खलेने से, मिटटी खाने से और नंगे पैर मिटटी पे चलने से बच्चे के पेट में कीड़े पड़ सकते हैं। अगर आप का बच्चा समुचित आहार ले रहा है लेकिन फिर भी उसका वजन नहीं बढ़ रहा है तो हो सकता है की उसके पेट में कीड़े हों।
बच्चों के पेट में कीड़े होने से वे बच्चे के आहार का पूरा पोषक तत्त्व खा लेंगे और बच्चे को कुछ भी नहीं मिलेगा। बच्चे के पेट के कीड़ों का इलाज समय पे नहीं किया गया तो बाद में चलकर बच्चे को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
बच्चे के स्वस्थ शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चे का रोना बहुत जरुरी है। मगर बहुत ज्यादा रोना भी सही नहीं है।
अगर बच्चा बहुत ज्यादा रोता है और चिड़चिड़ा है तो उसका वजन नहीं बढ़ेगा। हो सकत है बच्चे को कोई तकलीफ हो। अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
बहुत जयादा रोने से बच्चे की नींद पूरी नहीं होगी, उसका शारीरिक विकास रुक जायेगा और मानसिक विकास भी बाधित होगी।

अगर आप के बच्चे का वजन बाकि बच्चों की तुलना में नहीं बढ़ रहा है तो आप अपने बच्चे को निम्न आहार दे सकते हैं। बच्चों का वजन बढाने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
आज कल के बच्चे आहार को लेके बहुत नखरा करते हैं। ऐसे मैं चिंता इस बात की रहती है की बच्चे को क्या दें खाने को की वो बिना नखरे के आहार खा ले और आहार भी ऐसा की जिससे बच्चे का वजन बढे।
हम ने कमजोर बच्चों को दिए जाने वाले वजन बढाने वाले आहार की तालिका बनायीं है। ये ऐसे आहार हैं जिन्हे आप का लाडला बहुत चाव से खायेगा और इससे उसका वजन भी बढ़ेगा।
बच्चों का वजन बढ़ने के लिए इससे बढ़िया आहार कुछ भी नहीं हो सकता है। गाए का बछड़ा गाए का दूध पिके कुछ ही दिनों में कई किलो का हो जाता है।
गाए के दूध में कैल्शियम, आयरन, विटामिन्स और वो सारे तत्त्व होते हैं जो आसानी से बच्चे के वजन को बढ़ने में मदद करे। बच्चे को मलाई वाला दूध पिलायें।
गाए के दूध से निकाले गए मलाई से घी और मक्खन बनता है। तो आप समझ सकते हैं की मलाई वाला दूध शिशु का वजन बढ़ाने में कितना कारगर होगा।
अगर आप का बच्चा गाए का दूध पीने में नखड़ा करे तो आप अपनी रचनातमक सोच का सहारा ले सकती हैं। जैसे की बच्चे को दूध का शेख (milk shake) बना के दे सकती हैं।
थोड़े से experiment से आप को पता चल जाएगा की आप के बच्चे को क्या पसंद आ रहा है।
जिस वजह से दूध आप के बच्चे का वजन बढ़ाने में सहायक है वही वजह ही की घी और माखन भी आप के बच्चे का वजन बढ़ाने में सहायक हैं।
बच्चों को घी और माखन देना सबसे आसान काम है। जब आप उनके लिए कोई पसंदीदा आहार जैसे की हलवा या खिचड़ी बना रही हैं, तो उसपे उप्पर से घी या माखन डाल दीजिये।
खाने का जायका भी बढ़ेगा और बच्चे के लिए ये पौष्टिक भी है।
बच्चों के लिए ये सारे आहार बहुत गरिष्ट (rich) हैं। इनकी रेसिपी आप यहां से download कर सकते हैं। सूप, सैंडविच, खीर और हलवा में बहुत सारे पौष्टिक ingredients होते हैं जो बच्चे के healthy growth को support करते हैं।
आलू में भरपूर मात्रा में कार्बोहड्रेट होता है जो बच्चे को ऊर्जा प्रदान करता है। वहीँ अंडे में प्रोटीन होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ (muscles) को बनाने में मदद करता है।
प्रोटीन में amino acids होता है जो muscles को बनाने में building blocks की तरह काम करता है। आलू से मिली ताकत से बच्चे में ऊर्जा का संचार होगा और अंडे से बच्चे का वजन बढ़ेगा।
बच्चों का वजन बढ़ाने में स्प्राउट भी काफी मददगार है। अगर आप का बच्चा बहुत छोटा है तो आप उसको स्प्राउट न दें। इसके बदले में आप बच्चे को दाल का पानी या दाल भी दे सकती हैं।
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ताजे दूध की तुलना में UHT Milk ना तो ताजे दूध से बेहतर है और यह ना ही ख़राब है। जितना बेहतर तजा दूध है आप के शिशु के लिए उतना की बेहतर UHT Milk है आप के बच्चे के लिए। लेकिन कुछ मामलों पे अगर आप गौर करें तो आप पाएंगे की गाए के दूध की तुलना में UHT Milk आप के शिशु के विकास को ज्यादा बेहतर ढंग से पोषित करता है। इसका कारण है वह प्रक्रिया जिस के जरिये UHT Milk को तयार किया जाता है। इ लेख में हम आप को बताएँगे की UHT Milk क्योँ गाए के दूध से बेहतर है।
शिशु के जन्म के पश्चात मां को अपनी खान पान (Diet Chart) का बहुत ख्याल रखने की आवश्यकता है क्योंकि इस समय पौष्टिक आहार मां की सेहत तथा बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है। अगर आपके शिशु का जन्म सी सेक्शन के द्वारा हुआ है तब तो आपको अपनी सेहत का और भी ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता। हम आपको इस लेख में बताएंगे कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद कौन सा भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर है।
जुकाम के घरेलू उपाय जिनकी सहायता से आप अपने छोटे से बच्चे को बंद नाक की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। शिशु का नाक बंद (nasal congestion) तब होता है जब नाक के छेद में मौजूद रक्त वाहिका और ऊतक में बहुत ज्यादा तरल इकट्ठा हो जाता है। बच्चों में बंद नाक की समस्या को बिना दावा के ठीक किया जा सकता है।
शिशु को बहुत छोटी उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात शिशु से ले कर एक साल तक की उम्र के बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता ही वो अपने शरीर का तापमान वयस्कों की तरह नियंत्रित कर सकें। इसलिए यह जाना बेहद जरुरी है की बच्चे को किस उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) दिया जा सकता है।
अगर आप के बच्चे को दूध पिलाने के बाद हिचकी आता है तो यह कोई गंभीर बात नहीं है। कुछ आसान घरेलू नुस्खे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को हिचकी से निजात दिला सकती हैं।
आप का बच्चा शायद दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद हिचकी लेता है या कभी कभार हिचकी से साथ थोड़ सा आहार भी बहार निकल देता है। यह एसिड रिफ्लक्स की वजह से होता है। और कोई विशेष चिंता की बात नहीं है। कुछ लोग कहते हैं की हिचकी तब आती है जब कोई बच्चे को याद कर रहा होता है। कुछ कहते हैं की इसका मतलब बच्चे को गैस या colic हो गया है। वहीँ कुछ लोग यह कहते है की बच्चे का आंत बढ़ रहा है। जितनी मुँह उतनी बात।
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
इडली बच्चों के स्वस्थ के लिए बहुत गुण कारी है| इससे शिशु को प्रचुर मात्रा में कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन मिलता है| कार्बोहायड्रेट बच्चे को दिन भर के लिए ताकत देता है और प्रोटीन बच्चे के मांसपेशियोँ के विकास में सहयोग देता है| शिशु आहार baby food
चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
अमेरिकी शोध के अनुसार जो बच्चे एक नियमित समय का पालन करते हैं उनमें मोटापे की सम्भावना काफी कम रहती है| नियमित दिनचर्या का पालन करने का सबसे ज्यादा फायदा प्री-स्कूली आयु के बच्चों में होता है| नियमित दिनचर्या का पालन करना सिर्फ सेहत की द्रिष्टी से ही महत्वपूर्ण नहीं है वरन इससे कम उम्र से ही बच्चों में अनुशाशन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है|
बच्चे के पांच महीने पुरे करने पर उसकी शारीरिक जरूरतें भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में जानकारी जरुरी है की बच्चे के अच्छी देख-रेख की कैसे जाये। पांचवे महीने में शिशु की देखभाल में होने वाले बदलाव के बारे में पढ़िए इस लेख में।
अगर आप अपने बच्चे को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू करना पड़ेगा| जब बच्चा comfortable feel करना शुरू करेगा तो वो उन हरकतों को भी शेयर करेगा जो उन्हें पसंद नहीं|
अधिकांश बच्चे जो पैदा होते हैं उनका पूरा शरीर बाल से ढका होता है। नवजात बच्चे के इस त्वचा को lanugo कहते हैं। बच्चे के पुरे शरीर पे बाल कोई चिंता का विषय नहीं है। ये बाल कुछ समय बाद स्वतः ही चले जायेंगे।
प्राथमिक उपचार के द्वारा बहते रक्त को रोका जा सकता है| खून का तेज़ बहाव एक गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर नहीं रोका गया तो ये आप के बच्चे को जिंदगी भर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है जिसे शौक (shock) कहा जाता है। अगर चोट बड़ा हो तो डॉक्टर स्टीच का भी सहारा ले सकता है खून के प्रवाह को रोकने के लिए।
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे घर पर रहकर बहूत शैतानी करते है ऐसे में बच्चो को व्यस्त रखने के लिए फन ऐक्टिविटीज (summer fun activities for kids) का होना बहूत जरूरी है! इसके लिए कुछ ऐसी वेबसाइट मोजूद है जो आपकी मदद कर सकती है! आइये जानते है कुछ ऐसी ही ख़ास फन ऐक्टिविटी वाली वेबसाइट्स (websites for children summer activities) के बारे में जो फ्री होने के साथ बहूत लाभकारी भी है! J M Group India के संस्थापक बालाजी के अनुसार कुछ ज्ञान वर्धक बातें।
मस्तिष्क ज्वर/दिमागी बुखार (Japanese encephalitis - JE) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो जापानीज इन्सेफेलाइटिस के वायरस द्वारा होता है। मस्तिष्क ज्वर मछरों द्वारा काटे जाने से फैलता है। मगर अच्छी बात यह है की इससे वैक्सीन के द्वारा पूरी तरह बचा जा सकता है।
घर पे शिशु आहार तयार करना है आसन और इसके हैं ढेरों फायेदे। जब आप बाजार से बिना लेबल को ध्यान से पढ़े आहार खरीद कर अपने शिशु के देती हैं, तो जरुरी नहीं की आप के शिशु को वो सभी पोषक तत्त्व मिल पा रहें हो जो उसके शरीर को चाहिए बेहतर विकास के लिए।
बच्चे के जन्म के समय लगने वाले टीके के प्रभाव को बढ़ाने के लिए बूस्टर खुराकें दी जाती हैं। समय बीतने के पश्चात, एंटीबॉडीज का असर भी कम होने लगता है। फल स्वरूप बच्चे के शरीर में बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बूस्टर खुराक बच्चे के शरीर में एंटीबॉडीज का जरुरी लेवल बनाए रखती है।बूस्टर खुराकें आपके बच्चे को रोगों से सुरक्षित व संरक्षित रखती हैं।
येलो फीवर मछर के एक विशेष प्रजाति द्वारा अपना संक्रमण फैलता है| भारत से जब आप विदेश जाते हैं तो कुछ ऐसे देश हैं जैसे की अफ्रीका और साउथ अमेरिका, जहाँ जाने से पहले आपको इसका वैक्सीन लगवाना जरुरी है क्योँकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है और वहां यत्र करते वक्त आपको संक्रमण लग सकता है|
अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।