Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।

क्या?
आज फिर से आप के लाड़ले के पेट में दर्द हो रहा है?
अक्सर शिशु के पेट के दर्द (abdominal pain/stomach pain) के मामले में कब्ज को ही दोषी ठहराया जाता है।
मगर!
सच तो यह है की -
बहुतायत मामलों में - शिशु के पेट में दर्द उसके कब्ज की वजह से नहीं होता है।
तो फिर क्या कारण है बच्चे के पेट के दर्द का?
बड़ों बच्चों में पेट दर्द - कब्ज की वजह से हो सकता है। मगर केवल यही वजह हो जरुरी नहीं।
छोटे बच्चों में पेट दर्द क्योँ होता है - इसके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे।
मगर उससे पहले - संछिप्त में आप को बताना चाहूंगा की बड़े बच्चों में पेट दर्द कब्ज की वजह से इस लिए होता है क्योँकी अक्सर ऐसे बच्चे पानी कम पिते हैं, या फिर उनके आहार में ताज़े फलों और सब्जियों की कमी होती है।
ताज़े फलों और सब्जियों में fiber होता है - जो कि बच्चे के पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है और कब्ज की समस्या से बच्चे को बचता है।
अपने घर के बड़े बच्चों को ताज़े फलों और सब्जियों से भरपूर आहार दें। इससे बच्चे को ना केवल तरह-तरह के पोषक तत्त्व मिलेंगे बल्कि उसे कब्ज की समस्या भी नहीं होगी।
चलिए अब बात करते हैं उन सारे वजहों के बारे में जिनकी वजह से बच्चे के पेट में दर्द होता है।
एक से पांच साल के छोटी बच्चीयों में यह एक आम समस्या पायी गयी है। UTI की वजह से बच्चों के abdomen और bladder area में बहुत तकलीफ होती है। मगर सबसे ज्यादा तकलीफ होती है मूत्र त्याग करते समय। मूत्र त्याग के वक्त बच्चों को मूत्र त्याग वाले स्थान पे बहुत जलन वाला अनुभव होता है। UTI का संक्रमण को झेल रहे बच्चों को बार--बार पेशाब लगता है और कई बार तो पेशाब बिस्तर पे ही हो जाता है। UTI के संक्रमण से बच्चे को बुखार नहीं चढ़ता है। अगर आप का बच्चा इस प्रकार के लक्षणों के बारे में आप को बताये तो आप तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। UTI के रोग में डॉक्टरी चिकत्सा की आवश्यकता रहती है। डॉक्टर बच्चे के मूत्र परीक्षण के लिए राय दे सकता है। अगर मूत्र परिक्षण में यह साबित हो जाये की बच्चे को सही मैं मूत्र मार्ग संक्रमण Urinary tract infections (UTI) है तो डॉक्टर बच्चे को antibiotic खाने की सलाह दे सकता है। डॉक्टर दुवारा बताये गए दवा से बच्चे के पेट दर्द तथा मूत्र मार्ग संक्रमण Urinary tract infections (UTI) दोनों समाप्त हो जायेंगे।
स्ट्रेप थ्रोट (Strep थ्रोट) और सोर थ्रोट (Sore Throat) में अंतर करना मुश्किल है। दोनों ही गले के संक्रमण हैं। स्ट्रेप थ्रोट (Strep थ्रोट) की वजह है जीवाणु (bacteria) जिसे streptococci के नाम से जाना जाता है। तीन साल से बड़े बच्चों में यह संक्रमण होना आम बात है। इस संक्रमण के लक्षण है - गले का सूजन, बुखार, और पेट दर्द। कुछ मामलों में बच्चे को उलटी तथा सर दर्द भी हो सकता है। इस बीमारी में डॉक्टर आप के बच्चे के गले का swab सैंपल lab test के लिए भेज सकता है। जाँच में यह पता लगाया जाता है की swab सैंपल में streptococci नमक जीवाणु है की नहीं। अगर जाँच में पाया गया की बच्चे का गाला इस streptococci नमक जीवाणु से संक्रमित है तो बच्चे का स्ट्रेप थ्रोट (Strep थ्रोट) का इलाज किया जाता है। इस इलाज में आप के बच्चे का डॉक्टर बच्चे को उचित मात्रा का antibiotic दे सकता है।
पांच साल से छोटे बच्चों को अपेंडिसाइटिस होना एक बेहद ही दुर्लभ बात है। मगर जब यह होता है तो पेट में लगातार दर्द रहता है। दर्द भी पेट के बीचों-बीच होता है। मगर बाद में धीरे धीरे दर्द घासक के पेट के right side चला जाता है।
सीसा विषाक्तता की समस्या उन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है जो पुराने घरों में रहते हैं जिसकी दीवारों पे lead-based paint (सीसा आधारित पेंट) का इस्तेमाल किया गया है। बच्चे toddlers वाली उम्र में दीवाल और लकड़ी के दरवाजों से उखड रहे रंगो की पपड़ियोँ को अनजाने मैं नोच के खा लेते हैं और इस तरह उन्हें सीसा विषाक्तता हो जाता है। इस तरह से सीसा उनके शरीर में इकठा हो जाता है और आगे चल कर बहुत सी स्वस्थ समस्याओं को जन्म देता है। सीसा विषाक्तता के लक्षणों में शामिल है पेट दर्द, कब्ज, चिड़चिड़ापन, सुस्त, और भूख की कमी। अगर आप के शिशु ने सीसा से बने रंगो की पपड़ियोँ को खा लिए है तो आप को तुरंत शिशु रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। डॉक्टर बच्चे के रक्त जाँच के लिए आप से बोल सकता है। रक्त जाँच के बाद यह पता लग जायेगा की बच्चे के खून में कितनी "सीसा" की कितनी मात्रा मौजूद है। इसके आधार पे डॉक्टर बच्चे के लिए उचित उपचार का निर्देश दे सकता है।
कई बच्चों में दूध से एलेर्जी भी हो जाता है। दूध से एलेर्जी की घटनाओं में बच्चे का शरीर दूध में मौजूद एक विशेष किस्म के प्रोटीन से प्रतिक्रिया करने लगता है। यह प्रतिक्रिया ठीक उसी तरह की होती है जी तरह जब शरीर में रोगाणुओं को आक्रमण होता है। जब बच्चे को दूध से एलेर्जी होती है तो उनके पेट में दर्द (ऐठन) होता है, उलटी होती है, दस्त होता है और त्वचा पे skin rash पड़ जाता है।
कई बार स्कूल जाने वाले उम्र के बच्चों में भावनात्मक रूप से परेशान होने पे भी बार-बार पेट दर्द की समस्या हो सकती है। इस वजह से पेट दर्द पांच साल से ऊपर के बच्चों में पाया जाता है। लेकिन इस प्रकार का दर्द छोटे उम्र के बच्चों में भी हो सकता है जो असामान्य तनाव की स्थिति से गुजर रहें हों। अगर आप के बच्चे एक सप्ताह से ज्यादा हो गया है और दर्द आता - जाता रहता है - तो इसका मतलब आप का बच्चा तनाव वाली परिस्थिति से गुजर रहा है या ऐसी गतिविधियों को कर रहा है जिनसे उसे तनाव का सामना करना पड़ रहा है। भावनात्मक रूप से परेशान होने पे आप का बच्चा या तो जरुरत से ज्यादा शांत रहने लगेगा या फिर अपने स्वाभाव से ज्यादा चिड़चिड़ा हो जायेगा। ऐसा इसलिए क्योँकि वो शायद अपने अनुभवों को प्रकट नहीं कर पा रहा है और ऐसे में आप की सूझ-बुझ की आवश्यकता पड़ेगी। बच्चे को बताइये को उसे किसी भी बात के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है और वो बे झिझक आप को अपनी समस्या बता सकता है।
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बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
बच्चो में दांत सम्बंधी समस्या को लेकर अधिकांश माँ बाप परेशान रहते हैं। थोड़ी से सावधानी बारात कर आप अपने बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत को घर पे ही ठीक कर सकती हैं। चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दांतों का बहुत ही महत्व होता है। इसीलिए अगर बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो माँ बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत उनके चेहरे की खूबसूरती को ख़राब कर सकते हैं। इस लेख में हम आप को बताएँगे कुछ तरीके जिन्हें अगर आप करें तो आप के बच्चों के दांत नहीं आयेंगे टेढ़े-मेढ़े। इस लेख में हम आप को बताएँगे Safe Teething Remedies For Babies In Hindi.
बच्चों में अस्थमा के कई वजह हो सकते हैं - जैसे की प्रदुषण, अनुवांशिकी। लेकिन यह बच्चों में ज्यादा इसलिए देखने को मिलती है क्यूंकि उनका श्वसन तंत्र विकासशील स्थिति में होता है इसीलिए उनमें एलर्जी द्वारा उत्पन्न अस्थमा, श्वसन में समस्या, श्वसनहीनता, श्वसनहीन, फेफड़े, साँस सम्बन्धी, खाँसी, अस्थमा, साँस लेने में कठिनाई देखने को मिलती है। लेकिन कुछ घरेलु उपाय, बचाव और इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को दमे की तकलीफों से बचा सकती हैं।
एक्जिमा एक प्रकार का त्वचा विकार है जिसमें बच्चे के पुरे शारीर पे लाल चकते पड़ जाते हैं और उनमें खुजली बहुत हती है। एक्जिमा बड़ों में भी पाया जाता है, लेकिन यह बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। एक्जिमा की वजह से इतनी तीव्र खुजली होती है की बच्चे खुजलाते-खुजलाते वहां से खून निकल देते हैं लेकिन फिर भी आराम नहीं मिलता। हम आप को यहाँ जो जानकारी बताने जा रहे हैं उससे आप अपने शिशु के शारीर पे निकले एक्जिमा का उपचार आसानी से कर सकेंगे।
गर्मियों में बच्चों के लिए कपड़े खरीदते वक्त रखें इन बातों का विशेष ध्यान। बच्चों का शरीर बड़ों (व्यस्क) की तरह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। यही वजह है कि बच्चों को ठंड के मौसम में ज्यादा ठंड और गर्मियों के मौसम में ज्यादा गर्म लगता है। इसीलिए गर्मियों के मौसम में आपको बच्चों के कपड़ों से संबंधित बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
इस calculator की मदद से दो मिनट में पता करिए की व्यस्क होने पे आप के शिशु की लम्बाई क्या होगी। शिशु की लम्बाई उसके आनुवंशिकी (genetics) और बचपन में उसे मिले आहार पे निर्भर करता है। इन्ही दोनों बैटन के आधार पे शिशु की लम्बाई का आकलन लगाया जाता है। Baby height prediction. Find out how tall your child will be?
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
शिशु को 15-18 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
अल्बिनो (albinism) से प्रभावित बच्चों की त्वचा का रंग हल्का या बदरंग होता है। ऐसे बच्चों को धुप से बचा के रखने की भी आवश्यकता होती है। इसके साथ ही बच्चे को दृष्टि से भी सम्बंधित समस्या हो सकती है। जानिए की अगर आप के शिशु को अल्बिनो (albinism) है तो किन-किन चीजों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
अक्सर नवजात बच्चे के माँ- बाप जल्दबाजी या एक्साइटमेंट में अपने बच्चे के लिए ढेरों कपडे खरीद लेते हैं। यह भी प्यार और दुलार जाहिर करने का एक तरीका है। मगर माँ-बाप अगर कपडे खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान न रखे तो कुछ कपड़ों से बच्चे को स्किन रैशेज (skin rash) भी हो सकता है।
बच्चों की मन जितना चंचल होता है, उनकी शरारतें उतनी ही मन को मंत्रमुग्ध करने वाली होती हैं। अगर बच्चों की शरारतों का ध्यान ना रखा जाये तो उनकी ये शरारतें उनके लिए बीमारी का कारण भी बन सकती हैं।
अंगूर से बना शिशु आहार - अंगूर में घनिष्ट मात्र में पोषक तत्त्व होता हैं जो बढते बच्चों के लिए आवश्यक है| Grape Baby Food Recipes – Grape Pure - शिशु आहार -Feeding Your Baby Grapes and the Age to Introduce Grapes
कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
शिशु के कपडे को धोते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि कीटाणुओं और रोगाणुओं को बच्चों के कपडे से पूरी तरह ख़त्म किया जा सके और बच्चों के कपडे भी सुरक्षित रहें| शिशु के खिलौनों को भी समय-समय पे धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा ख़त्म हो सके|
अधिकांश बच्चे जो पैदा होते हैं उनका पूरा शरीर बाल से ढका होता है। नवजात बच्चे के इस त्वचा को lanugo कहते हैं। बच्चे के पुरे शरीर पे बाल कोई चिंता का विषय नहीं है। ये बाल कुछ समय बाद स्वतः ही चले जायेंगे।
अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए जरुरी है की उनके साथ खूब इंटरेक्शन (बातें करें, कहानियां सुनाये) किया जाये और ऐसे खेलों को खेला जाएँ जो उनके बुद्धि का विकास करे। साथ ही यह भी जरुरी है की बच्चों पर्याप्त मात्रा में सोएं ताकि उनके मस्तिष्क को पूरा आराम मिल सके। इस लेख में आप पढेंगी हर उस पहलु के बारे में जो शिशु के दिमागी विकास के लिए बहुत जरुरी है।
एक साल से ले कर नौ साल (9 years) तक के बच्चों का डाइट प्लान (Diet Plan) जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सकारात्मक योगदान दे। शिशु का डाइट प्लान (Diet Plan) सुनिश्चित करता है की शिशु को सभी पोषक तत्त्व सही अनुपात में मिले ताकि शिशु के विकास में कोई रूकावट ना आये।
भारत सरकार टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मुख्या और अनिवार्य टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart 2022-23 - कौन सा टीका क्यों, कब और कितनी बार बच्चे को लगवाना चाहिए - पूरी जानकारी। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाता है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।