Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन कौन से टीके उसे आवश्यक रूप से लगा देने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी येहाँ प्राप्त करें - complete guide।
काफी दुःख होते है!
अपने कलेजे के टुकड़े को इंजेक्शन लगता हुआ देखने मैं।
मगर क्या किया जा सकता है।
यह भी तो जरुरी है की आप का शिशु स्वस्थ रहे - उसका शरीर बीमारियोँ से लड़ने में सक्षम हो - और समय के साथ वो डील-डौल में अच्छे से बढे।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे की आप अपने शिशु को उसके जन्म के चौबीस घंटे (24 hours) के भीतर कौन कौन से टिके जरूर लगवाएं। अगर कुछ विशेष परिस्थितियोँ में आप के शिशु को ये टिके चौबीस घंटे (24 hours) भीतर नहीं लग सकते हैं तो कम-से-कम आप की कोशिश यह होने चाहिए की आप का शिशु अस्पताल छोड़ने से पहले यहां बताये गए टिके अवश्य लगवा ले।
वैसे तो यह कोई टिका नहीं है - परन्तु आप के शिशु के जन्म होते ही यह इंजेक्शन अस्पताल मैं लगा दिया जाता है। आप के शिशु को लगने वाला यह पहला इंजेक्शन होता है। हर अस्पताल में यह एक standard procedure की हर शिशु को जन्म होने के कुछ ही समय के भीतर यह टिका लगा दिया जाये।
Vitamin K की काफी एहमीयत है शिशु को स्वस्थ रखने में। यह शिशु के शरीर में खून के थक्का को बनने से रोकता है। भारत में प्रतियेक 10,000 में से एक बच्चे में जन्म के समय vitamin K की कमी होती है जिस वजह से उस शिशु को बिना वाजिब कारण के अंदरूनी रक्तस्राव (internal haemorrhages) हो जाता है। इस बीमारी को vitamin K deficiency bleeding (VKDB) कहा जाता है। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए की शिशु इस बीमारी के प्रति सुरक्षित रहे, - अस्पतालों में शिशु के जन्म के बाद ही उसे Vitamin K का इंजेक्शन लगा दिया जाता है।
यह टिका आप के शिशु को पोलियो के वायरस से बचाते हैं। पोलियो का वायरस शिशु के nervous system पे आक्रमण करता है और शारीर को लकवा ग्रस्त कर देता है। लेकिन जिन बच्चों को मुँह में दिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन (OPV) दिया जाता है - उन बच्चों में पोलियो के वायरस से लड़ने के लिए एंटीबाडीज (antibodies) पैदा हो जाता है और शिशु पोलियो के वायरस से सुरक्षित हो जाता है। मुँह में दिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन (OPV) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। भारत पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित किया जा चूका है - मगर इसका टिका अभी भी इस लिए दिया जाता है ताकि पोलियो की बीमारी फिर से दुबारा न आ जाये।
BCG वैक्सीन शिशु को टीबी की बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है। बीसीजी का टिका (BCG वैक्सीन) शिशु को जन्म से पंद्रह दिनों के भीतर लगाना जरुरी है। यह टिका अधिकांश मामलों में शिशु को अस्पताल में ही लगा दिया जाता है। बीसीजी का टिका (BCG वैक्सीन) के शिशु को ओरल पोलियो का (जीरो) डोज भी पिलाया दिया जाता है। बीसीजी का टिका बहुत सस्ता, सुरक्षित और आसानी से मिल जाने वाला टिका है। BCG का पूरा नाम है Bacillus Calmette–Guerin और यह एक तरह का वैक्सीन है तो शिशु को पूरी उम्र भर टीबी की बीमारी से बचाने के लिए दिया जाता है। बीसीजी का टिका (BCG वैक्सीन) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है जो रक्त, थूक आदि के माध्यम से इसका संक्रमण फैलता है। हेपेटाइटिस बी के बारे में कहा जाता है की इसमें उपचार से बेहतर बचाव है इस रोग से बचने के लिए छह महीने के अंदर तीन टीके लगवाएं जाते हैं। विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है की दुनिया भर में ढाई करोड़ लोगों को लिवर की गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस बी से हर साल अत्यधिक मृत्यु होती है, परंतु इस का टीका लगवाने से यह खतरा 95 % तक कम हो जाता है। अपने शिशु को जन्म के कुछ ही समय के अंदर बच्चे को यह टिका लगवाएं। हेपेटाइटिस ‘बी’ वैक्सीन (Hepatitis B vaccine) के टिके के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें।
शिशु के जन्म के चरण बाद या दुसरे दिन तक ये ठीके दिए जाने पे शिशु में कोई भी ठीके का side effects देखने को नहीं मिला है।
बीसीजी का टिका (BCG vaccine) से शिशु के शरीर पे निशान पड़ जाता है जिस जगह पे त्वचा पे टिका दिया जाता है। यह निशान (scar) तुरंत तो पता नहीं चलता है मगर समय के साथ जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है, यह निशान (scar) आपको दिखाई देगा। हालाँकि कुछ बच्चों में कोई भी निशान (scar) नहीं पड़ता है।
शिशु को टीकाकरण से बहुत तकलीफ होती है। यही कारण है की शिशु को टिका लगने के बाद वो बहुत रो सकता है। शिशु को टीकाकरण के बाद आराम पहुचने के बहुत से तरीका हैं और उनमे से एक सबसे सरल तरीका है की आप शिशु को स्तनपान कराएँ। स्तनपान (breastfeeding) कराने से उसे दर्द में आराम मिलता है। अगर आप किसी कारणवश अपने शिशु को स्तनपान नहीं करा प् रहे हैं तो आप को दुखी होने की आवशकता नहीं है। आप अपने शिशु को अपने छाती से सटा के रखिये - इससे भी शिशु को दर्द मैं बहुत रहत मिलेगा।
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