Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
शरीर पर घमौरियों के छोटे-छोटे दानों में खुजली व जलन होती है। गर्मी की वजह से सिर्फ घमौरियाँ ही नहीं होती बल्कि लू लगना भी एक आम बात है|घमौरियों का इलाज घर पर आसानी से किया जा सकता है|

गर्मियों के दिनों मैं बच्चों में घमौरियों का होना एक आम बात है। गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्मी होने के कारण शरीर से अत्यधिक पसीना बहता है। लगातार पसीने के रिसने के कारण, त्वचा पर मौजूद बारीक़ छिद्र जिनसे पसीना निकलता है, बंद हो जाता है और नतीजतन शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं। इन्हें ही घमौरियों के नाम से जाना जाता है।
शरीर पर घमौरियों के छोटे-छोटे दानों में खुजली व जलन होती है। गर्मी की वजह से सिर्फ घमौरियाँ ही नहीं होती बल्कि लू लगना भी एक आम बात है। लू लगने की आम वजह शरीर में पानी की कमी का होना है। यहां जो तरकीब बताई जा रही है उससे न सिर्फ घमौरियों के छोटे-छोटे दानों से रहत मिलेगी, बल्कि लू का खतरा भी काफी हद तक कम हो गा।
अक्सर कहा जाता है की मौसमी फल और सब्जियां खाना चाहिए। हर मौसम के फल और सब्जियां की उस मौसम के लिए कुछ विशेषताएं हैं। जैसा की खीरे की विशेषता है की वो गर्मियों में घमौरियों से रहत देता है। घमौरियों से रहत पाने के लिए एक गिलास पानी में निम्बू का रस डालें और इस पानी में खीरे के पतले-पतले टुकड़े काटकर डाल दीजिये। खीरे के पतले-पतले टुकड़ों को अब शरीर पर घमौरियों वाली जगह पर लगाइये। इससे जलन व खुजली से तुरंत रहत मिलेगी।

संतरे की छिलके को धुप में सूखा कर उसका मिक्सी में पाउडर बना लें। संतरे की छिलके के पाउडर में गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को शरीर में उस जगह लगाएं जहाँ पर घमौरियों के छोटे-छोटे हों। आप की घमौरियों ठीक भी होंगी और गर्मियों से भी रहत भी मिलेगी।

कच्चे प्याज को खाने से शरीर को तेज गर्मी में भी न तो घमौरी होती है और ना ही लू लगती है। कच्चा प्याज को आप भोजन में कई तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। प्याज का सलाद एक अच्छा विकल्प है। इसे खा कर आप अपने शरीर को लू और घमोरियों से बचा सकते है।

शरीर मैं जिस जगह घमौरियों के छोटे-छोटे दानों हों वहां बर्फ के टुकड़ों को लगाएं। इससे घमौरियों ठीक हो जाएँगी। घमौरियों से निजात पाने का यह एक अच्छा रास्ता है क्योँकि बर्फ प्रायः हर घर में उपलबध होता है।

निम्बू के अनेक गुण हैं। यह शरीर से विषाक्त पदार्थ को दूर करके, शरीर को साफ करता है। इसके साथ ही साथ यह गर्मी से राहत देता है, घमौरियों और लू से बचाता है। नीबू पानी शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है और डिहाइड्रेशन से भी बचाता है।

अगर घमौरियों की समस्या आप को कुछ ज्यादा ही है तो चन्दन का पाउडर आप को आराम दिला सकता है। चन्दन के पाउडर का पानी के साथ मिला कर लेप बना लें। चन्दन पाउडर के लेप को घमौरियों वाली जगह पर लगा लें। चन्दन पाउडर का लेप घमौरियों को ठीक करने में काफी कारगर होता है। चन्दन के पाउडर का इस्तेमाल प्राकृतिक उपचार में अनेक समस्याओं से समाधान पाने के लिए किया जाता है।

अगर आप गर्मियों में लू से पीड़ित है या घमौरियों से परेशान, तो धनिये का पानी आप को राहत दे सकता है। धनिये को कुछ समय के लिए पानी में भिगो कर छोड़ दे। कुछ समय बाद, पानी से निकल कर एक चमच चीनी के साथ घोल लें। हर दिन सुबह शाम पीने से आराम मिलेगा।

UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
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छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
नवजात बच्चे के खोपड़ी की हड्डियां नरम और लचीली होती हैं ताकि जन्म के समय वे संकरे जनन मार्ग से सिकुड़ कर आसानी से बहार आ सके। अंग्रेज़ी में इसी प्रक्रिया को मोल्डिंग (moulding) कहते हैं और नवजात बच्चे के अजीब से आकार के सर को newborn head molding कहते हैं।
अगर आप अपने बच्चे के लिए best school की तलाश कर रहें हैं तो आप को इन छह बिन्दुओं का धयान रखना है| 2018, अप्रैल महीने में जब बच्चे अपना एग्जाम दे कर फ्री होते हैं तो एक आम माँ-बाप की चिंता शुरू होती है की ऐसे स्कूल की तलाश करें जो हर मायने में उनके बच्चे के लिए उपयुक्त हो और उनके बच्चे के सुन्दर भविष्य को सवारने में सक्षम हो और जो आपके बजट के अंदर भी हो| Best school in India 2018.
कोई जरुरत नहीं की बच्चे बरसात के दिनों में घर की चार दीवारों के बीच सिमट के रह जाएँ| इन मजेदार एक्टिविटीज के जरिये बनाये घर पर ही बच्चों के लिए मजेदार माहौल|
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
रागी को Nachni और finger millet भी कहा जाता है। इसमें पोषक तत्वों का भंडार है। कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन तो इसमें प्रचुर मात्रा में होता है। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि
शिशु के कपडे को धोते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें ताकि कीटाणुओं और रोगाणुओं को बच्चों के कपडे से पूरी तरह ख़त्म किया जा सके और बच्चों के कपडे भी सुरक्षित रहें| शिशु के खिलौनों को भी समय-समय पे धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा ख़त्म हो सके|
9 महीने के बच्चों की आहार सारणी (9 month Indian baby food chart) - 9 महीने के अधिकतर बच्चे इतने बड़े हो जाते हैं की वो पिसे हुए आहार (puree) को बंद कर mashed (मसला हुआ) आहार ग्रहण कर सके। नौ माह का बच्चा आसानी से कई प्रकार के आहार आराम से ग्रहण कर सकता है। इसके साथ ही अब वो दिन में तीन आहार ग्रहण करने लायक भी हो गया है। संतुलित आहार चार्ट
बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
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अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा उलटी करता है, तो आप का चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चे के पहले साल में दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद उलटी करना कितना स्वाभाविक है, इसके बारे में हम आप को इस लेख में बताएँगे। हर माँ बाप जिनका छोटा बच्चा बहुत उलटी करता है यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या उनके बच्चे के उलटी करने के पीछे कोई समस्या तो नहीं। इसी विषेय पे हम विस्तार से चर्चा करते हैं।
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आपके बच्चे के लिए किसी भी नए खाद्य पदार्थ को देने से पहले (before introducing new food) अपने बच्चे के भोजन योजना (diet plan) के बारे में चर्चा। भोजन अपने बच्चे को 5 से 6 महीने पूरा होने के बाद ही देना शुरू करें। इतने छोटे बच्चे का पाचन तंत्र (children's digestive system) पूरी तरह विकसित नहीं होता है