Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
अगर आप का शिशु जब भी अंडा खाता है तो बीमार पड़ जाता है या उसके शारीर के लाल दाने निकल आते हैं तो इसका मतलब यह है की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है। अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी की समस्या है तो आप किस तरह अपने शिशु को अंडे की एलर्जी से बचा सकती है और आप को किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।

अंडे बहुत से आहारों में पाए जाते हैं।
इन्हें न केवल नाश्ते के लिए परोसा जाता है, बल्कि ये सभी तरह के खाद्य पदार्थों में भी हैं - जैसे की सैंडविच से कटी-रोल तक।
लेकिन अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है तो आप क्या करेंगे?
शिशुओं को कभी-कभी अंडे से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है।
यदि ऐसा होता है,
तो अपने शिशु को कुछ समय के लिए अंडे नहीं दें खाने के लिए।
लेकिन अच्छी खबर यह है कि ज्यादातर बच्चों में 5 वर्ष की आयु के बाद से अंडे की एलर्जी नहीं होती है। और उसके बाद वे अंडे खा सकते हैं बिना किसी समस्या या तकलीफ के।
यह तो आप जानते ही होंगे की कुछ लोगों को कुछ खास खाद्य पदार्थों से एलर्जी होता है, जैसे मूंगफली या दूध से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकता है। एलर्जी होने पे व्यक्ति का शारीर उस भोजन को एक खतरनाक पदार्थ समझता है। और उस व्यक्ति के शारीर में ठीक उसी तरह की प्रतिक्रिया होती है जिस तरह किसी खतरनाक जीवाणु के संक्रमण से। इस प्रकार की एलर्जी वाली प्रतिक्रिया आप के छोटे बच्चे के साथ भी हो सकता जब वो अंडे खाता है। ऐसा इस लिए क्योंकि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं है और उसके शारीर को यह नहीं पता की अंडे में मौजूद प्रोटीन को शारीर के लिए अच्छी है या हानिकारक। (अंडे से एलर्जी होने वाले अधिकांश बच्चे अंडे के सफेद प्रोटीन के प्रति एलर्जी होते हैं, लेकिन कुछ बच्चों में अंडे के जर्दी में मौजूद प्रोटीन से भी प्रतिक्रिया होती हैं।)
प्रतिरक्षा प्रणाली, जो आम तौर पर रोगाणुओं और अन्य समस्याओं से शारीर को बचाती है, अंडा के प्रोटीन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का प्रयौग करती है। ठीक उसी तरह जैसे कि हानिकारक आक्रमणकारी जीवाणुओं और विषाणुओं से शरीर लड़ने में करता है। अंडे से एलर्जी होने पर बच्चा बीमार हो सकता है या अंडे खाने के बाद शरीर पे दाने निकल सकते है।
अंडे से एलर्जी के कारण होने वाले लक्षणों में ये हैं:
दुर्लभ मामलों में, शिशु को बहुत गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है जिससे एनाफिलेक्सिस (anaphylaxis) हो सकती है। बहुत गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया होने पे तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि शिशु को श्वास की समस्याएं हो सकती हैं और रक्तचाप में कमी आ सकती है - जिसके कारण शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।
एनाफिलेक्सिस को एपिनेफ़्रिन नामक एक दवा के साथ इलाज किया जाता है, जो इंजेक्शन (एक शॉट) द्वारा दिया जाता है। जिन बच्चों को बहुत गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है, वे आम तौर पर इस दवा (एपिनफ्रिन इंजेक्शन) को लेते हैं।
चूंकि यह एलर्जी अक्सर पहली बार बच्चों में देखा जाता है, इसलिए माँ या पिता यह अनुभव करते हैं की उनके बच्चे जैसे ही अंडे कहते हैं उनके बच्चे के शरीर पे दाने हो जाते हैं या अंडे खाने के तुरंत बाद बीमार पड़ जाते हैं। आम तौर पर बच्चे को अंडे देने से बचने चाहिए जब तक वह बड़ा न हो जाये। चिकित्सक के अनुसार कुछ महीनों के बादआप अपने शिशु को फिर से अंडे देने का प्रयास कर सकती हैं।
अगर, आप के बच्चे में बड़े होने के बाद भी अंडे की प्रतिक्रिया हुई है, तो आपको अपने शिशु को अंडे या अंडे से बानी कुछ भी आहार नहीं परोसनी चाहिए। आप के शिशु को अंडे से अलेर्जी होने पे अपने डॉक्टर की राय ले लें। कभी कभी डॉक्टर शिशु की त्वचा परीक्षण करने का फैसला कर सकते हैं। त्वचा परीक्षण एक भरोसेमंद तरीका है यह जांचने का की आप के शिशु को क्या सही में अंडे से एलर्जी है या किसी अन्य खाद्य पदार्थों है।
अंडा एलर्जी का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है अंडे खाने से बचना या अंडे वाले किसी भी भोजन से बचना। माता-पिता को अपने छोटे बच्चों का ख्याल रखना होगा ताकि वे अंडे से बनी कोई भी आहार न खाएं और बड़े बच्चों और युवा बच्चों को अंडे से खुद अपना बचाव करना होगा।
अगर आप के शिशु को अंडे के प्रति एलर्जी है तो आप इस बात का ख्याल रखें की आप के शिशु के बैग में हर वक्त इसके लिए दवा मौजूद हो। अपने बच्चे के स्कूल टीचर को बताएं की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी और अगर आप का शिशु गलती से अंडा खा ले तो किस तरह उसकी सहायता की जा सकती है। अपने बच्चे के स्कूल टीचर को यह भी बताएं की आप के बच्चे के बैग में अंडे की अलेर्जी से बचाव के लिए दवा मैजूद है।
अपने बच्चे को अलेर्जी से सुरक्षी रखने के लिए अंडों से बचाव ही सबसे बेहतर इलाज है। जब आप बहार से कुछ खरीद कर अपने बच्चे को दें तो खरीदने से पहले बिना संकोच के पूछ लें की कहीं उस खाद्य पदार्थों में अंडा तो नहीं है। साफ-साफ बता दें की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है।
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UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
ये पांच विटामिन आप के बच्चे की लंबाई को बढ़ने में मदद करेगी। बच्चों की लंबाई को लेकर बहुत से मां-बाप परेशान रहते हैं। हर कोई यही चाहता है कि उसके बच्चे की लंबाई अन्य बच्चों के बराबर हो या थोड़ा ज्यादा हो। अगर शिशु को सही आहार प्राप्त हो जिससे उसे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके जो उसके शारीरिक विकास में सहायक हों तो उसकी लंबाई सही तरह से बढ़ेगी।
सभी बच्चे नटखट होते हैं। लेकिन बच्चों पे चलाना ही एक मात्र समस्या का हल नहीं है। सच तो ये है की आप के चिल्लाने के बाद बच्चे ना तो आप की बात सुनना चाहेंगे और ना ही समझना चाहेंगे। बच्चों को समझाने के प्रभावी तरीके अपनाएं। इस लेख में हम आप को बताएँगे की बच्चों पे चिल्लाने के क्या - क्या बुरे प्रभाव पड़ते हैं।
शिशु का वजन जन्म के 48 घंटों के भीतर 8 से 10 प्रतिशत तक घटता है। यह एक नार्मल से बात है और सभी नवजात शिशु के साथ होता है। जन्म के समय शिशु के शरीर में अतिरिक्त द्रव (extra fluid) होता है - जो शिशु के जन्म के कुछ दिनों के अंदर तेज़ी से बहार आता है और शिशु का वजन कम हो जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर फिर से शिशु का वजन अपने जन्म के वजन के बराबर हो जायेगा और फिर बढ़ता ही जायेगा।
शिशु के जन्म के तुरन बाद ही उसे कुछ चुने हुए टीके लगा दिए जाते हैं - ताकि उसका शारीर संभावित संक्रमण के खतरों से बचा रह सके। इस लेख में आप पढेंगे की शिशु को जन्म के समय लगाये जाने वाले टीके (Vaccination) कौन कौन से हैं और वे क्योँ जरुरी हैं।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
जिन बच्चों को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है उनमे यह भी देखा गया है की उन्हें नारियल से भी एलर्जी हो। इसीलिए अगर आप के शिशु को ड्राई फ्रूट से एलर्जी है तो अपने शिशु को नारियल से बनी व्यंजन देने से पहले सुनिश्चित कर लें की उसे नारियल से एलर्जी न हो।
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10वीं में या 12वीं की बोर्ड परीक्षा में ज्यादा अंक लाना उतना मुश्किल भी नहीं अगर बच्चा सही और नियमित ढंग से अपनी तयारी (पढ़ाई) करे। शुरू से ही अगर बच्चा अपनी तयारी प्रारम्भ कर दे तो बोर्ड एग्जाम को लेकर उतनी चिंता और तनाव का माहौल नहीं रहेगा।
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अनुपयोगी वस्तुओं से हेण्डी क्राफ्ट बनाना एक रीसाइक्लिंग प्रोसेस है। जिसमें बच्चे अनुपयोगी वास्तु को एक नया रूप देना सीखते हैं और वायु प्रदुषण और जल प्रदुषण जैसे गंभीर समस्याओं से लड़ने के लिए सोच विकसित करते हैं।
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कैसे बनाये अपने नन्हे शिशु के लिए घर में ही rice cerelac (Homemade cerelac)। घर का बना सेरेलेक (Home Made Cerelac for Babies) के हैं ढेरों फायेदे। बाजार निर्मित सेरेलक के साइड इफेक्ट हैं बहुत जिनके बारे में आप पढेंगे इस लेख मैं।
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